पाठ 202: मूसा का अपने प्रभु के पास जाना
मूसा ने इस्राएल के बारह जनजातियों को अपना अंतिम आशीर्वाद दिया। जल्द ही, वे वादे के देश में जाएंगे जहां यहोशू कनानी के विरुद्ध युद्ध करने के लिए उनका नेतृत्व करेगा। लेकिन मूसा उनके साथ नहीं होगा। अपने परमेश्वर के प्रति उसकी आज्ञाकारिता में, वह नबो पर्वत की ओर मुड़ा, वो स्थान जो यहोवा इस्राएल के देश को देने जा रहा था। परमेश्वर मूसा के निकट गया और उसे पूरा देश दिखाया ... गिलाद से दान, और नप्ताली को दिखाया। उसने मूसा को एप्रैम और मनश्शे और यहूदा के पूरे क्षेत्र को और पश्चिम में समुद्र दिखाया। उसने मूसा को दक्खिन देश और जेरिको और सोअर दिखाया। परमेश्वर ने स्वयं मूसा को वादे के देश का दौरा कराया। और फिर मूसा की मृत्यु हो गई। उसे उस देश में जाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन प्रभु परमेश्वर, जो आकाश और पृथ्वी का निर्माता है, और इस्राएल का पराक्रमी उद्धारक है, अपने प्रिया सेवक के शरीर को दफ़नाने के लिए पर्वत की चोटी पर ले गया।
जब मूसा मरा, तब वह एक सौ बीस वर्ष का था, और उसका शरीर अभी भी मजबूत था और उसकी आँखें अभी भी स्पष्ट रूप से देख सकती थीं। यह परमेश्वर की इच्छा थी की वह उसे घर बुला ले। इस्राएलियों ने मूसा को नबो पर्वत पर जाते देखा। उन्होंने अपने महान अगुवे को अपने अंतिम एकान्त यात्रा पर जाते देखा, और वे दुखी हुए। तीस दिनों के लिए, पूरे देश ने उस परमेश्वर के जन के लिए शोक मनाया जिसने उन्हें मिस्र की ताकतवर सभ्यता से निकाल कर वादे के देश के किनारे पर लेकर आया। उसने इन विद्रोही लोगों के कारण, यहोवा के प्रति अपनी वफ़ादारी की परीक्षाओं का सामना किया। मूसा ने यह भजन लिखा। यह उस जन के हृदय के विषय में बहुत कुछ सिखाती है जो पवित्र परमेश्वर और एक पापी राष्ट्र के बीच एक मध्यस्थ के रूप में खड़ा होता है:
भजन संहिता 90
"हे स्वामी, तू अनादि काल से हमारा घर रहा है।
हे परमेश्वर, तू पर्वतों से पहले, धरती से पहले था,
कि इस जगत के पहले ही परमेश्वर था।
तू सर्वदा ही परमेश्वर रहेगा।
तू ही इस जगत में लोगों को लाता है।
फिर से तू ही उनको धूल में बदल देता है।
तेरे लिये हजार वर्ष बीते हुए कल जैसे है,
व पिछली रात जैसे है।
तू हमारा जीवन सपने जैसा बुहार देता है और सुबह होते ही हम चले जाते है।
हम ऐसे घास जैसे है,
जो सुबह उगती है और वह शाम को सूख कर मुरझा जाती है।
हे परमेश्वर, जब तू कुपित होता है हम नष्ट हो जाते हैं।
हम तेरे प्रकोप से घबरा गये हैं।
तू हमारे सब पापों को जानता है।
हे परमेश्वर, तू हमारे हर छिपे पाप को देखा करता है।
तेरा क्रोध हमारे जीवन को खत्म कर सकता है।
हमारे प्राण फुसफुसाहट की तरह विलीन हो जाते है।
हम सत्तर साल तक जीवित रह सकते हैं।
यदि हम शक्तिशाली हैं तो अस्सी साल।
हमारा जीवन परिश्रम और पीड़ा से भरा है।
अचानक हमारा जीवन समाप्त हो जाता है! हम उड़कर कहीं दूर चले जाते हैं।
हे परमेश्वर, सचमुच कोई भी व्यक्ति तेरे क्रोध की पूरी शक्ति नहीं जानता।
किन्तु हे परमेश्वर, हमारा भय और सम्मान तेरे लिये उतना ही महान है, जितना क्रोध।
तू हमको सिखा दे कि हम सचमुच यह जाने कि हमारा जीवन कितना छोटा है।
ताकि हम बुद्धिमान बन सकें।
हे यहोवा, तू सदा हमारे पास लौट आ।
अपने सेवकों पर दया कर।
प्रति दिन सुबह हमें अपने प्रेम से परिपूर्ण कर,
आओ हम प्रसन्न हो और अपने जीवन का रस लें।
तूने हमारे जीवनों में हमें बहुत पीड़ा और यातना दी है, अब हमें प्रसन्न कर दे।
तेरे दासों को उन अद्भुत बातों को देखने दे जिनको तू उनके लिये कर सकता है,
और अपनी सन्तानों को अपनी महिमा दिखा।
हमारे परमेश्वर, हमारे स्वमी, हम पर कृपालु हो।
जो कुछ हम करते हैं
तू उसमें सफलता दे।"
व्यवस्थाविवरण टोरा कि पुस्तक में अंतिम किताब है, जो परमेश्वर के महान उच्च और पवित्र नियम हैं। टोरा की पांच पुस्तकों ने मानव इतिहास के लिए परमेश्वर की अद्भुत योजना को समझने के लिए एक मंच तैयार किया। यह उस कहानी से शुरू होते हैं जब परमेश्वर ने सारी सृष्टि का निर्माण किया और किस प्रकार आदम और हव्वा पाप को लेकर आये। मानवता के विद्रोह और पाप के बावजूद, यह परमेश्वर के उस प्रेम के विषय में बताती है, जिससे वह अपनी योजना को पूरी करता रहता है। इस्राएल एक विशेष राष्ट्र था, जो परमेश्वर के लिए बहुत कीमती था, और जो पूरी दुनिया के सामने उसे महिमा देता है। और टोरा के सभी पांच पुस्तकों के माध्यम से उस कहानी के हर हिस्से में, यहोवा पूरी तरह से वफ़ादार रहा और अपने वादे के अनुसार सब कुछ करने में सक्षम रहा। और मानवता पूरी तौर से पापी रहा जिसे परमेश्वर की ज़बरदस्त कृपा और दया की ज़रुरत थी। पापी मानव यहोवा का सम्मान कभी नहीं कर सकता था। और परमेश्वर ने उसके और लोगों के बीच खड़े होने के लिए अपने दास को चुना। अंत में, मूसा अत्यधिक परमेश्वर कि ओर से सम्मानित किया गया। यहोवा के अंतिम वचन, उच्च और पवित्र पुस्तक, टोरा, मूसा को समर्पित हैं। ये व्यवस्थाविवरण कि पुस्तक के अंतिम शब्द हैं:
"किन्तु उस समय के बाद, मूसा की तरह कोई नबी नहीं हुआ। यहोवा परमेश्वर मूसा को प्रत्यक्ष जानता था। किसी दूसरे नबी ने वे सारे चमत्कार और आश्चर्य नहीं दिखाए जिन्हें दिखाने के लिये यहोवा परमेश्वर ने मूसा को मिस्र में भेजा था। वे चमत्कार और आश्चर्य, फिरौन, उसके सभी सेवकों और मिस्र के सभी लोगों को दिखाए गए थे। किसी दूसरे नबी ने कभी उतने शक्तिशाली और आश्चर्यजनक चमत्कार नहीं किए जो मूसा ने किए और जिन्हें इस्राएल के सभी लोगों ने देखा।"
व्यवस्था 34:10-12