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पाठ 126 : भाग 1: होमबलि

इस्राएल देश ने सीनै पर्वत के निकट अपना डेरा लगाया था। उन्होंने उसकी शक्तिशाली मौजूदगी को पर्वत पर देखा कि किस प्रकार उसके द्वारा पर्वत गड़गड़ा उठा। अब परमेश्वर की उपस्थिति उनके बीच में होगी। उसका क्रोध उनकी अशुद्धता और पाप के विरुद्ध में इस्राएलियों के लिए एक डरावना खतरा था।

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पाठ 127 : भाग 2: सहभागिता और मेलबलि

यहोवा ने दूसरी भेंट के विषय में जो मूसा को बताया वह था अन्नबलि। जब कोई व्यक्ति यहोवा को अन्नबलि चढ़ाये तो उसकी भेंट महीन आटे की होनी चाहिए। वह व्यक्ति तेल और लोबान से मिला हुआ एक मुट्ठी महीन आटा ले तब योजक वेदी पर स्मृतिभेंट के रूप में आटे को आग में जलाए।

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पाठ 128 : यहोवा बलिदान सिखाता है - भाग 3: शुद्धिकरण की भेटें

परमेश्वर ने अगली भेंट बहुत दिलचस्प तरीके से समझाई। यह शुद्धिकरण, या पापबलि कहलाता था। यह भेंट उनके लिए थी जो पाप के कारण परमेश्वर से दूर भटक जाते थे। विशेष रूप से जब कोई परमेश्वर के पवित्र नियमों के विरुद्ध कुछ करता था।

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पाठ 129 : यहोवा बलिदान सिखाता है - भाग 4: दोषबलि (हानीपूर्ति)

परमेश्वर ने मिलापवाले तम्बू से मूसा को जो अंतिम भेंट के विषय में बताया वह दोषबलि था। इसे हानिपूर्ति भी कहा जाता था।परमेश्वर की पवित्र चीजों के विरुद्ध किये पाप के लिए यह दिया जाता था।

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पाठ 130 : हारून और उसके पुत्रों की नियुक्ति

मंदिर के निर्माण के लिए इस्राएली सोने और चांदी और कपड़े इत्यादि, ले आये। वे इतना ले आये की उन्हें और लाने से मूसा ने मना कर दिया। तब जो कुशल लोग थे, उन्होंने मंदिर के काम के लिए धातु अंकित कर के उसका काम पूरा किया।

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पाठ 132 : भाग 2

परमेश्वर ने हारून के बाकि के परिवार वालों को शोक मनाने दिया, ताकि वे इन दो पुरुषों को सम्मान दे सकें जिन्होंने ऐसे उच्च क्षण में ऐसी घातक ग़लती की। उन्होंने गंभीरता से उस पवित्र क्षण को नहीं लिया था, और परमेश्वर के वचन की अवहेलना की थी।

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पाठ 133 : शुद्ध और अशुद्ध भाग 1: कौन सा पशु खाना है और कौन सा नहीं

परमेश्वर ने मूसा और हारून से बात की और उन्हें और अन्य निर्देश दिए। इससे पहले, मंदिर के निर्देश में, वे यह सीख रहे थे की क्या पवित्र है, और क्या साधारण। ऐसा लगता था मानो परमेश्वर उन्हें सबसे पवित्र जगह में सबसे पवित्र चीज़ को सिखा रहा है।

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पाठ 134 : शुद्ध और अशुद्ध भाग 2: चर्म रोग और फफूंदी

परमेश्वर शुद्ध और अशुद्ध के विषय में अपने लोगों को और नियम देना चाहता था। उनमें से कुछ चर्म रोग के बारे में थे। त्वचा पर कुछ चमकते और धब्बे खतरनाक थे, और कुछ हानिरहित थे। परमेश्वर ने उनमें अंतर करना लोगों को सिखाया था।

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पाठ 135 : शुद्ध और अशुद्ध - जच्चा बच्चा

जब मैंने एक लेवी के परिवार में शादी की थी, तो मैं डर गई थी। हम मिस्र में रह रहे थे, और फिरौन अति क्रूर हो गया था। उसने मेरे पति और परिवार के अन्य लोगों पर इतना अधिक बोझ डाल दिया था की शादी के समारोह के लिए कोई ख़ुशी नहीं रहती थी।

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पाठ 136 : प्रायश्चित का दिन - भाग 1: हारून के पुत्र के पापों और मंदिर का संदूषण

परमेश्वर के पवित्र याजक के पद के समन्वय के आठवें दिन, हारून के दोनों बेटे परमेश्वर की आग से ख़त्म हो गए। उन्होंने एक पवित्र दिन के बीच में परमेश्वर के पवित्र आदेश के विरुद्ध पाप किया था। यह एक दुर्घटना नहीं थी। वे जानते थे की वे क्या कर रहे थे।

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पाठ 138 : प्रायश्चित का दिन भाग 3: बलि का बकरा

महायाजक ने दाव के आधार पर बलिदान के लिए एक बकरी को चुना। लेकिन परमेश्वर ने प्रायश्चित के दिन के लिए आंगन में दो बकरियों के लिए उन्हें आज्ञा दी थी। दूसरी बकरी को एक बहुत ही दिलचस्प काम करना था।

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पाठ 139 : पवित्रता का नियमसंग्रह

प्रायश्चित के दिन के जो निर्देश परमेश्वर ने महायाजक को दिए थे, उन्हें तब तक जारी रखना था जब तक इस्राएल एक राष्ट्र था। यह पवित्र दिन अति पवित्र को इस्राएलियों के पापों से हर साल शुद्ध करता था। परमेश्वर ने जो बलिदान दिए थे वे उन्हें शुद्ध करने के लिए थे क्यूंकि परमेश्वर जानता था किवे पूरी पवित्रता में नहीं रह सकेंगे।

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पाठ 140

पवित्रता का नियमसंग्रह यह भी सिखाता है किइस्राएल के लोगों को एक अलग समुदाय होना है। यह वो जगह थी जहां परमेश्वर ने अपने लोगों को एक दूसरे से प्रेम करने और एक दूसरे का ध्यान रखने के लिए बुलाया था। यदि कोई दूसरे के विरुद्ध पाप करता है, तो उन्हें घृणा और क्षमा ना करने की अनुमति नहीं थी।

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पाठ 141 : तिरस्कार करने वाले पर पथराव

परमेश्वर जब मूसा को इन नियमों और आदेशों और अनुष्ठानों को दे रहा था, पूरा राष्ट्र सीनै पर्वत के निकट मरुभूमि के जंगल में रह रहा था। दो लाख लोग अपने जानवरों और तम्बुओं और बच्चों के साथ थे।

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पाठ 142

इस्राएली सबसे कठिन बातों में भी परमेश्वर किआज्ञा मानना सीख रहे थे। किसी अन्य व्यक्ति की जान ले लेना परमेश्वर के न्याय का एक कठिन हिस्सा था, लेकिन यह न्यायपूर्ण भी था। परमेश्वर ऐसे लोगों को चाहता था जो उसके प्रति वफ़ादार हों।

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