पाठ 135 : शुद्ध और अशुद्ध - जच्चा बच्चा
जब मैंने एक लेवी के परिवार में शादी की थी, तो मैं डर गई थी। हम मिस्र में रह रहे थे, और फिरौन अति क्रूर हो गया था। उसने मेरे पति और परिवार के अन्य लोगों पर इतना अधिक बोझ डाल दिया था की शादी के समारोह के लिए कोई ख़ुशी नहीं रहती थी। एक वर्ष के बाद, मुझे ऐसा लगने लगा था की मालूम नहीं की मुझे बच्चे होंगे किनहीं। और फिर भी यह इतना एक खतरनाक समय था की एक बच्चा करने के अपने भय थे। मेरी बहन के बच्चे फिरौन के भयंकर क्रोध से केवल इसीलिए बच सके क्यूंकि एक दयालु दाई ने झूठ बोला कि बच्चे उनके वहां तक पहुंचने से पहले ही हो जाते थे और इसीलिए वे उन्हें मार नहीं पाते थे।
वह बहुत भयानक समय था, और फिर मूसा आया। हमने कैसे उस पर शक किया! क्या यहोवा ने वास्तव में उससे बात की थी? जितनी बार फिरौन का हृदय कठोर होता था, मेरे दिल में एक बड़ा संघर्ष होता था। प्रत्येक विपत्ति के साथ परमेश्वर की अधिक से अधिक सामर्थ और अनुग्रह साबित होता था, और तब भी ये विपत्तियाँ और समस्याएं हमारे परिवारों के जीवन को बदतर बना रहे था। यदि परमेश्वर था, तो यह इतना कठिन क्यूँ था?
वो दिन कितना उज्ज्वल और उदय था जब हम आखिरकार मिस्र से मरुभूमि में गए। और जब हम समुन्द्र के रास्ते से चल कर जा रहे थे ... पानी की ऊंची दीवारें और पैरों के नीचे सूखी ज़मीन को देखना कितना अद्भुत था! और जब हम दूसरी ओर पहुंच गए और पानी को फिरौन कि सेना पर बंद होते देखा... मुझे धूप में खड़े होकर दुश्मनों पर पानी वापस आजाना याद है। पानी की लहरें और उनकी आवाज़ें गगनभेदी थे और बहुत देर तक पानी ज़बरदस्त तरीके से उलट पुलट रहा था। सूरज गहरे नीले पानी पर चमक रहा था। लेकिन जब हम विस्मय होकर यह सब देख रहे थे, पानी शांत होने लगा था, और बहुत जल्द ऐसा हो गया था मानो कुछ हुआ ही नहीं था। लहराता हुआ पानी सूरज की किरण में पहले जैसे ही चमक रहा था। हम स्वतंत्र हो गए थे। यह हमारे समझने के लिए बहुत बड़ा था। हम किस के लिए स्वतंत्र थे?
यहोवा ने सीनै पर्वत किओर बादल और आग से हमारी अगुवाई किऔर हम एक साल तक सीखते रहे। हमने जाना कि एक राष्ट्र होना क्या होता है। बहुत से नियम और आदेश मुझे अजीब लगते थे। यह मिस्र से बहुत अलग था। यहोवा ने हमें आज्ञाएं और विधियां और मंदिर दिया, और उसके पवित्र तरीकों के अनुसार अपने जीवन को करने के लिए हमें पुन: व्यवस्थित करना पड़ा। यह हमेशा सहज नहीं था, और मैं अक्सर कुछ नियमों में सोचती थी और आश्चर्य करती थी। लेकिन कई बार, जो बातें पहली बार में समझ में नहीं आती थीं, वे बाद में बहुत सुन्दर लगने लगीं। जिस परमेश्वर ने सब कुछ रचा उसी ने इन नियमों को बनाया था, और इसलिए वे पूरी तरह से मानव हृदय के लिए ठीक थे।
बच्चों के होने कि आज्ञा मेरा पसंदीदा उदाहरण है। हम महिलाएं इसे दिल से उद्धृत कर सकती हैं! इस्राएल के देश में, जब एक स्त्री के बच्चा होता था, उसे अशुद्ध माना जाता था। अब, चिंता मत करो, यह कोई शर्म किबात नहीं है। एक बच्चे का आना एक सबसे बड़ी ख़ुशी की बात होती है। फिर भी हम अशुद्ध हैं। हम ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते बस यही की हम अशुद्ध रहते हैं। जो कुछ हम छू लेते हैं वह भी अशुद्ध हो जाता था। इसीलिए हम झाड़ू भी नहीं छु सकते हैं, ना ही बर्तन और भोजन भी। यदि एक स्त्री के बेटा होता है, तो वह सात दिन के लिए अशुद्ध रहेगी। यदि लड़की होती है, तो वह चौदह दिन के लिए अशुद्ध रहती है।
हम कितने खुश थे जब हमारे बेटा हुआ! वह कितना छोटा और सुंदर था। मैं इससे पहले कभी इतनी खुश नहीं हुई थी। मैं उसे बस पकड़ कर निहारते रहना चाहती थी। इतना प्यार पा कर भी मैं बहुत थक गयी थी। वो रात को इतनी बार उठकर रोता था की, ऐसा लगता था किजैसे ही मैं अपना सिर तकिये पर रखती थी, वो फिर से उठ जाता था। मैं परमेश्वर का धन्यवाद करती हूँ कि मैं अशुद्ध थी। जो कुछ मैं छूती थी वह अशुद्ध हो जाता था! मैं खुश हूँ किमुझे अपने बेटे के साथ और दुनिया किबातों से दूर रहने को मिला। कोई भी मुझे छू नहीं सकता था, नहीं तो वह भी अशुद्ध हो सकता था! और मैं नहीं चाहती थी कोई मुझे छुए। मैं सिर्फ अपने बच्चे को पकड़ना चाहती थी। यहोवा कैसे जानता था?
जब बच्चा आठ दिन का हुआ, तब उसका खतना हुआ। मेरे बेचारे बेटे को कितना दर्द हुआ होगा! लेकिन मांस का कटना और वह थोड़ा सा खून एक सुंदर प्रतीक था। मेरा बेटा यहोवा का था। मेरा पहला पुत्र परमेश्वर के लिए समर्पित था।
खतना करने के बाद, मुझे मंदिर में जाने के लिए और तैंतीस दिन रुकना पड़ा। जब तक जन्म देने से खून बह रहा था, मुझे परमेश्वर के पवित्र स्थान में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। लेकिन ओह, यह आराम कितना अच्छा था। मुझे मंदिर किसुंदरता पसंद थी, लेकिन उसके अंदर तक पहुंचने में थकान हो जाती थी। मुझे मेरी अशुद्धता एक अनुग्रह की तरह थी और इसके लिए मैं बहुत आभारी थी। और यह जानकर कितना अच्छा लगा कियह खत्म हो जाएगा। एक समय था जब मैं अपने बच्चे के साथ घर में बंद थी, लेकिन ऐसा समय भी था की यह सब समाप्त हो जाएगा। जब तैंतीस दिन समाप्त हो गए, मंदिर में मैं एक वर्षीय भेड़ के बच्चे को लेकर गयी। पूरा परिवार आया, और हम अपने बच्चे को भी लेकर आये। भेड़ को मैं रस्सी से पकड़ कर कांस्य वेदी पर लेकर गयी। मैं याजक से बात करने में डर रही थी। मैं कौन थी, एक साधारण लड़की जो एक पवित्र जन के द्वारा देखी जाये।
यह हारून का पुत्र था, जो एक नीले और बैंगनी और लाल रंग के जामे में था। और फिर वह बहुत दयालू था। वह हमारे छोटे से सैमुएल को कितना प्यार करता था। हमारे बेटे को देख कर उसकी आँखें चमक उठती थीं। पूरा परिवार बहुत खुश था, और मुझे बहुत गर्व था। परमेश्वर मेरे साथ कितना भला था। जब हम मिलापवाले तम्बू के सामने खड़े थे, मैं प्रवेश द्वार पर लटके परदे को ही देखती रह गयी। पर्दे के दूसरी ओर उत्तम सोने धूप, दीवट रखा हुआ था... और उसके दूसरे पर्दे के पीछे, परमेश्वर का संदूक और करूब था जहां परमेश्वर रहता था। मैं विस्मय में थी। मेरे छोटे मेमने के बलिदान के धुएं की सुगंध उसके पास पहुंचेगी, और वह उसकी सुगंध से प्रसन्न होगा। यह कितना महान परमेश्वर है, वह मेरा नाम कैसे जानता था। जब मुझे मालूम हुआ किवह मेरे बेटे से बहुत प्यार करता है, तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई। हम इस महान और दयालू परमेश्वर के पंखों के नीचे सुरक्षित थे।