पाठ 139 : पवित्रता का नियमसंग्रह
प्रायश्चित के दिन के जो निर्देश परमेश्वर ने महायाजक को दिए थे, उन्हें तब तक जारी रखना था जब तक इस्राएल एक राष्ट्र था। यह पवित्र दिन अति पवित्र को इस्राएलियों के पापों से हर साल शुद्ध करता था। परमेश्वर ने जो बलिदान दिए थे वे उन्हें शुद्ध करने के लिए थे क्यूंकि परमेश्वर जानता था किवे पूरी पवित्रता में नहीं रह सकेंगे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि वे कोशिश ना करें। यहोवा के प्रति उनकी भक्ति उनकी आज्ञाकारिता के द्वारा आएगी। उनके परमेश्वर के प्रति उनकी भक्ति और शुद्धता, उन्हें बाकि राष्ट्रों से अलग करेगी। यह परमेश्वर के लिए बहुत सम्मान किबात थी।
परमेश्वर ने इस्राएलियों को और नियम दिए जिन्हें हम कभी कभी पवित्रता का नियमसंग्रह कहते हैं। उसके बहुत से भाग दस नियमों और वाचा की पुस्तक कितरह हैं। पवित्रता के नियमसंग्रह हमें उन बातों को समझने में मदद करते हैं जो परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण हैं और क्यूँ हैं।
उदाहरण के लिए, इस्राएली अपने बलिदानों और भेंटों को मंदिर में लाने के बजाय खेतों में लेजा रहे थे। अब जब परमेश्वर ने उन्हें एक मंदिर दिया था, जहां आकर उन्हें उपासना करनी थी, क्यूंकि वह केवल उसी स्थान में उपस्थित था। इससे यह भी सुनिश्चित होता था की इस्राएली किसी अन्य देवताओं या मूर्तियों की पूजा तो नहीं कर रहे। बाइबिल बताती है किजो कोई भी इस आज्ञा का पालन नहीं करता है, उसे "अपने लोगों में से निकाल दिया जाएगा" (लावव्यव्यवस्था 17: 9)। यह शायद कोई नियम नहीं था कि इस्राएल के न्यायधीश किसी व्यक्ति के खिलाफ अदालत में फैसला करें। इसका शायद यह मतलब था की स्वयं परमेश्वर न्याय करेगा और अपने तरीके से सज़ा देगा (वाल्टन, 160)।
पवित्रता का नियमसंग्रह इस्राएलियों को कनानियों के देवता के लिए अपने बच्चों का बलिदान करने की चेतावनी देता है। कनानी अपने बच्चों को उनके देवता के सामने लाते थे और याजक उन्हें आग में फेंक देता था। परिवार के लोग यह सोचते थे कि उनके बच्चे का त्याग करके, वो देवता उन्हें वह सब देगा जिसकी उन्हें आवश्यकता है। यह उनसे काम कराने का एक तरीका था। परमेश्वर इस महान और भयानक पाप के कारण काननियों से बहुत क्रोधित था। उसने चेतावनी दी कि यदि कोई इस्राएली माँ बाप उनके समुदाय से अपने बच्चे के खिलाफ इस भयानक अपराध करता है, उन पर पथराव हो। जो भी ऐसा काम करता है, वह जीवित नहीं रह सकता था। यदि एक बच्चे का बलिदान किया गया है और कोई भी इस्राएली पड़ोसी इसके विषय में कुछ नहीं करता है, तो परमेश्वर स्वयं कुछ करेगा। वह इस पाप को बर्दाश्त नहीं करेगा, चाहे इस्राएल के लोग इसे होने दें। परमेश्वर पूरे परिवार को नष्ट कर देगा।
एक बार देश में प्रवेश करने के बाद, इस्राएलियों को परमेश्वर के भय के द्वारा एक शक्तिशाली मदद होगी। कनानी लोग इतने पापी हो चुके थे किउन्हें बच्चे का बलिदान गलत नहीं लगता था। वे सोचते थे की उनके देवता से मांगने का यह सही तरीका था। सोचिये यह कितना डरावना होगा। ऐसे शहर में रहना कैसा लगेगा जहां शायद एक दिन आपके अपने माता पिता आपको मंदिर में मारने के लिए ले जाएं? क्या यदि आपका एक दोस्त जिसके साथ आप खेलते हैं, और एक दिन उसके माता पिता उसे मंदिर में लेजा कर उसको बलिदान कर देते हैं? एक बच्चा होना कितना डरावना होगा, है की नहीं? यदि इस्राएली ऐसा सोचने लगें, एक याजक का राष्ट्र होना उनका समाप्त हो जाएगा। परमेश्वर ने उन्हें बच्चे बलिदान चढ़ाने के लिए नहीं दिए थे। उन्हें प्यार करने और यहोवा के विषय उन सुंदर एयर सत्य बातों को सिखाने के लिए दिए गए थे!
देवता के आगे बलिदान करना कनानियों के बहुत से भयानक कामों में एक था, और इस पाप के लिए परमेश्वर उन्हें नष्ट करने जा रहा था। वे लगातार पाप करते रहते थे की दुष्टता से उनका पूरा जीवन भरा हुआ था। परमेश्वर इस्राएलियों को उनके देश में लेजा कर उनके विरुद्ध युद्ध कराएगा। परमेश्वर उन्हें कनानियों के ऊपर विजय दिलाएगा ताकि उनके इतने वर्षों के भयानक जीवन का न्याय हो सके। तब परमेश्वर इस्राएलियों को उनकी भूमि देगा। यह प्रतिज्ञा का देश था! लेकिन परमेश्वर जानता था की यदि इस्राएली वहां होंगे, वे कनानियों के धर्म के पीछे चलना चाहेंगे। परमेश्वर प्रभु है। वह सब कुछ जानता है, यहां तक की भविष्य की बातें भी। परमेश्वर जानता था की उसके लोग भयंकर पापों में गिरेंगे। एक दिन, इस्राएल का राजा इस देवता को अपने ही पुत्र को बलिदान कर देगा, और लोगों पर परमेश्वर के क्रोध को लाएगा। इसीलिए सैकड़ों वर्ष पहले से, परमेश्वर अपने लोगों को भिन्न रहने के लिए सिखा रहा था। वह उन्हें उसके प्रति भक्ति दिखाने का पवित्र और शुद्ध नियम दे रहा था।
याजकों को विशेषरूप से उसी प्रकार जीवन जीना था जैसा उनके लिए अलग किया गया था। परमेश्वर ने कहा;
'''उन्हें अपने परमेश्वर के लिए पवित्र होना चाहिए। उन्हें परमेश्वर के नाम के लिए सम्मान दिखाना चाहिए। क्यों क्योंकि वे रोटी और आग द्वारा भेंट यहोवा को पहुँचाते हैं। इसलिए उन्हें पवित्र होना चाहिए।'"
लैव्यव्यवस्था 21: 6
महायाजक के ऊपर एक विशेष अभिषेक था, और उसे विशेष पवित्रता का एक जीवन बिताना था। वह विशेष पवित्र वस्त्र और कवच पहनता था। वह लोगों किओर से परम पवित्र स्थान में प्रवेश करता था! परमेश्वर ने आदेश दिया था की महायाजक गंदे भेष में इधर उधर नहीं जा सकता था। यह सम्मानजनक नहीं था और जिस परमेश्वर कि वह सेवा करता था उसे सम्मान नहीं मिलता था। वह केवल एक इस्राएली कुंवारी से विवाह कर सकता था। वह एक विधवा या तलाकशुदा स्त्री से विवाह नहीं कर सकता था, और वह एक विदेशी से शादी नहीं कर सकता था। उसकी पत्नी वही हो सकती थी जो केवल उसी की रही थी।