पाठ 138 : प्रायश्चित का दिन भाग 3: बलि का बकरा

महायाजक ने दाव के आधार पर बलिदान के लिए एक बकरी को चुना। लेकिन परमेश्वर ने प्रायश्चित के दिन के लिए आंगन में दो बकरियों के लिए उन्हें आज्ञा दी थी। दूसरी बकरी को एक बहुत ही दिलचस्प काम करना था। 

परमेश्वर ने हारून से ऐसा कहा: 

'' अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे के सिर पर रखेगा। तब हारून बकरे के ऊपर इस्राएल के लोगों के अपराध और पाप को कबूल करेगा। इस प्रकार हारून लोगों के पापों को बकरे के सिर पर डालेगा। तब वह बकरे को दूर मरुभूमि में भेजेगा. एक व्यक्ति बगल में बकरे को ले जाने के लिए खड़ा रहेगा। 22 इस प्रकार बकरा सभी लोगों के पाप अपने ऊपर सूनी मरुभूमि में ले जाएगा। जो व्यक्ति बकरे को ले जाएगा वह मरुभूमि में उसे खुला छोड़ देगा।

लैव्यव्यवस्था 16: 21-22

बकरी और वह व्यक्ति पवित्र द्वार से दूर मिलापवाले तम्बू को यात्रा करेंगे। वे आंगन से होते हुए, उस रास्ते से मरुभूमि में जाएंगे, जो लोगों के जीवन और तम्बुओं से होता हुआ जाता है। बकरी लोगों के पापों को अपने ऊपर लेकर उनसे दूर ले जाएगा। अब तो यह एक प्रतीक था। यह परमेश्वर के अनुग्रह की छवि थी, जो लोगों के पापों को बकरी द्वारा दूर किया जाएगा। लेकिन यह एक सच्चा प्रतीक था। यह परमेश्वर के कहने के अनुसार ही हुआ। लोगों को पूरी तरह से अपने पापों से मुक्ति मिल गयी थी, और उन्हें और कुछ करने किआवश्यकता नहीं थी। पाप की शक्ति पूरी तरह से डेरे से समाप्त हो गयी थी। 

बकरी और उस नियुक्त किये हुए व्यक्ति को मरुभूमि में भेजने के बाद, हारून को मिलापवाले तम्बू में जाकर अपने सनी वस्त्रों को उतारना था। उन्हें तम्बू में ही रहना था। फिर उसे मिलापवाले तम्बू में खुद को धोना था। अति पवित्र स्थान से उसकी सेवा डेरे को छोड़ कर नहीं जा सकती थी। 

जो व्यक्ति मरुभूमि में बकरी को ले गया था, उसे भी अपने आप को धोना था। वह बलि के बकरे के साथ चला था और इतना अशुद्ध था की उसे अपने कपड़ों और शरीर को डेरे में वापस आने से पहले धोना था। 

किसी और को बैल के शेष भाग को और बलि किये हुए बकरे को डेरे से बाहर ले जाकर पूरी तरह से जला देना था। पाप के बलिदान का संचालन करने के बाद, वह भी अशुद्ध हो जाता था और डेरे में आने से पहले खुद को धोना होता था।

ये सब विवरण और अनुष्ठान इतने स्पष्ट थे की इनका पालन करना सोच से भी बाहर है। लेकिन सोचिये यदि परमेश्वर ने उन्हें यह नहीं दिया होता। वे कैसे जानते की उन्हें परमेश्वर को किस प्रकार प्रसन्न करना है? वे कैसे जानेंगे की पाप की समस्या के बारे में क्या करना है? परमेश्वर ने उन्हें सही दिशा दी थी, और वे स्वतंत्र थे! वे जानते थे कि उन्हें क्या करना है, और उन्हें उससे बढ़कर कुछ नहीं करना है। एक बार यह हो गया, वे परमेश्वर की शांति के प्रति आश्वस्त हो सकते थे। वे परमेश्वर किईमानदारी पर भरोसा कर सकते थे, और उसे खुश करने के लिए उन्हें कोई भी गुप्त बात करने किआवश्यकता नहीं थी।

प्रायश्चित के दिन, परमेश्वर ने सब्त के दिन इस्राएल के लोगों को आराम करने को कहा। परमेश्वर ने कहा;

"'.. क्यों क्योंकि इस दिन याजक तुमहें शुद्ध करता है और तुम्हारे पापों को धोता है। तब तुम यहोवा के लिए शुद्ध होगे। 31 यह दिन तुम्हारे लिए आराम करने का विशेष दिन है। तुम्हें इस दिन उपवास करना चाहिए। यह नियम सदैव के लिए होगा।'"

प्रत्येक इस्राएली जानता था किप्रायश्चित के दिन उसे क्या करना है। यह केवल प्रायश्चित के दिन के लिए ही नहीं था। यह उन सब बातों के लिए भी सच था जो परमेश्वर ने अपने लोगों से कहा था। परमेश्वर की आज्ञाएं और नियम सुंदर और सीधे थे, जो स्वास्थ और शांति को घेरे हुए थे। परमेश्वर जो कुछ भी रचता है वह अच्छा होता है, और यदि इस्राएली उन बातों कि रौशनी में जीते हैं जो परमेश्वर ने उन्हें दर्शायीं, तो वे एक बहुत ही धन्य राष्ट्र होंगे।