पाठ 126 : भाग 1: होमबलि

इस्राएल देश ने सीनै पर्वत के निकट अपना डेरा लगाया था। उन्होंने उसकी शक्तिशाली मौजूदगी को पर्वत पर देखा कि किस प्रकार उसके द्वारा पर्वत गड़गड़ा उठा। अब परमेश्वर की उपस्थिति उनके बीच में होगी। उसका क्रोध उनकी अशुद्धता और पाप के विरुद्ध में इस्राएलियों के लिए एक डरावना खतरा था। जब उन्होंने उस स्वर्ण बछड़े के साथ पाप किया है, परमेश्वर ने कहा किवह अपनी उपस्थिति उनसे दूर कर लेगा। उन लोगों कि कठोरता उनके लिए खतरनाक हो सकती है, और वह उन्हें नष्ट कर देगा। लेकिन लोगों ने पछतावा किया और इसकी उपस्थिति ना होने का दुःख मनाया। वे उसकी उपस्थिति को कितना चाहते थे जब वे सीनै पर्वत से वादे के देश में कूच कर रहे थे। मूसा परमेश्वर के पास मिलापवाले तम्बू में गया और उसे उनके साथ रहने के लिए बिनती की। वह उस उग्र पर्वत पर गया और अपने लोगों के साथ रहने के लिये उससे बिनती की। परमेश्वर नरम हुआ, और वह बादल में नीचे मंदिर में आया। 

 

लेकिन खतरा अभी समाप्त नहीं हुआ था। इस्राएल के लोग और मनुष्यों कि तरह पाप में गिर गए थे और श्रापित थे। उनके मन उनके पाप के कारण संक्रमित थे। इससे दूसरों को चोट लगती थी और उनके रिश्ते विकृत होते थे। इससे समुदाय में बुराई आ जाएगी। और यह एक जहरीले संक्रमण की तरह था जो परमेश्वर के मंदिर को दूषित कर रहा था। यह वेदी पर इकट्ठा हो जाएगा और परमेश्वर का क्रोध देश के ऊपर आजाएगा। परन्तु परमेश्वर एक अनुग्रहकारी परमेश्वर है, और उसने वेदी को शुद्ध करने का एक तरीका प्रदान किया। लैव्यवस्था की पुस्तक मूसा की पुस्तकों में तीसरी पुस्तक है। यह बताती है कि किस प्रकार इस्राएली अपने पापों और दुष्टता के कारण नष्ट होने के बजाय परमेश्वर के आशीर्वाद को पा सकते थे। 

परमेश्वर कि उपस्थिति जब बादल में आई और मिलापवाले तम्बू को ढंप दिया, तो उसकी पवित्र उपस्थिति इतनी तीव्र थी की मूसा उसके साथ भेंट कर सका। वह इस्राएल के राष्ट्र के साथ तम्बू के द्वार पर खड़ा रहा। और परमेश्वर ने मिलापवाले तम्बू से मूसा के साथ बादलों से भेंट की। जिस तरह परमेश्वर ने मूसा को मंदिर के निर्माण के विशेष निर्देश दिए थे, उसी प्रकार उसने याजकों के लिए स्पष्ट निर्देश दिए की मंदिरकिवेदी पर उन्हें किस प्रकार अपनी भेटों को लाना है। 

परमेश्वर ने कई जानवरों के बलिदान के विषय में इस्राएलियों को सिखाया। परमेश्वर ने कहा कि एक व्यक्ति या एक जानवर की जान में उसका खून होता है। खून जीवन का एक शक्ति  का प्रतीक है। परमेश्वर कि योजना में, खून बहुत सी चीज़ों को शुद्ध और साफ़ करता है।मानवता के पाप के कारण दुनिया में मृत्यु आई, और इसलिए सभी मनुष्य मरते हैं। पाप के इस परिणाम को हम सब भुगतते हैं। इस्राएल की बलि प्रणाली में, पशु उस मनुष्य की जगह पर वध होता था जो परमेश्वर को पशु का बलिदान चढ़ाने आया था। पशु उस मनुष्य की जगह ले लेता है, और उसके खून उनके पापों द्वारा लाये गंदगी और प्रदूषण को शुद्ध कर देता था जो परमेश्वर की वेदी पर लाया जाता था। वेदी शुद्ध की जाती थी। परमेश्वर का सिद्ध क्रोध उस व्यक्ति के विरुद्ध में होता था जो इसका ज़िम्मेदार था। 

 

यहोवा ने अपने लोगों को पांच मुख्य प्रकार के बलिदान करने को दिए। उसने पहले होमबलि के विषय में मूसा को बताया। एक इस्राएली अपने झुण्ड में से सबसे अच्छा पशु मंदिर में लेकर आएगा। यह एक दोषरहित नर होना चाहिए। यदि वे गरीब थे और उनके लिए बड़ा पशु खरीदना महंगा था, तो परमेश्वर ने कहा की वे एक पक्षी को ला सकते थे। 

 

इस्राएलियों को अपने पशु को मंदिर के आंगन में लाना था, और मिलापवाले तम्बू के प्रवेश द्वार पर देना था। उन्हें उसके सिर पर अपने हाथ को रखना था। यह इस बात को चिन्हित करता था कि वे परमेश्वर के लिए इस भेंट को लाये हैं। उनका पश्चाताप और उनकी भक्ति उन्हें वहां लेकर आई। यह उनका परमेश्वर के लिए उपहार था। परमेश्वर ने वादा किया की वह पशु के बलिदान को स्वीकार करेगा जो उनके पापों के प्रायश्चित के रूप में था। वेदी को उनकी ओर से शुद्ध किया जाएगा, और परमेश्वर उस उपहार को उदारता के साथ ग्रहण करेगा। 

 

पशु को वेदी के उत्तर की ओर वध करना था। हारून और उसके पुत्रों को पशु के खून को लेकर वेदी के चारों ओर छिड़कना था। तब जो भेंट को लाया वही उसकी त्वचा को निकालेगा। उन्हें उसके भीतरी भागों और उसके पैर को धोना था और कांस्य वेदी पर उसे रखना था। तब याजक वेदी पर लकड़ी रख कर उसे आग लगाएगा। पूरा पशु पूर्ण रीती से जल जाएगा। परमेश्वर के तम्बू के आगे भेंट की सुगंध ऊपर उठेगी, और परमेश्वर उसकी सुगंध से प्रसन्न होगा।