पाठ 142

इस्राएली सबसे कठिन बातों में भी परमेश्वर किआज्ञा मानना सीख रहे थे। किसी अन्य व्यक्ति की जान ले लेना परमेश्वर के न्याय का एक कठिन हिस्सा था, लेकिन यह न्यायपूर्ण भी था। परमेश्वर ऐसे लोगों को चाहता था जो उसके प्रति वफ़ादार हों। वह ऐसे लोगों को चाहता था जो दूसरे देशों से अलग हों। वह ऐसे लोगों को चाहता था जो पाप करने की इच्छाओं से खुद को अलग रख सकें। 

 

लैव्यव्यवस्था कि पुस्तक के अंत में, परमेश्वर ने इस्राएलियों को कुछ बहुत ही कीमती वादे दिए यदि वे पवित्रता को चुनते हैं। और यदि वे अनाज्ञाकारिता को चुनते हैं तो उन पर गंभीर न्याय किया जाएगा। ये पवित्र आशीषें और शाप शक्तिशाली राष्ट्रों के राजाओं और छोटे राष्ट्रों के बीच महान प्राचीन संधियों कितरह थे। यदि वे उसके नियमों का सम्मान करते हैं, तो वह उन्हें सुरक्षा और अच्छी वस्तुओं से मालामाल कर देगा। इस के लिए, वह उनकी पूर्ण निष्ठा और वफ़ादारी कि उम्मीद करता है।

 

किसी और मानव राजा से ज़्यादा परमेश्वर अपने लोगों को देना चाहता था। उसने वादा किया कि यदि वे उसी आज्ञा का पालन करते हैं, तो वह उन्हें वो इनाम देगा जो केवल इस सृष्टि का कर्ता ही दे सकता है। वह बारिश करेगा और उनके पेड़ों और फसलों को पानी देगा। वह उनके खेतों को बहुतायत से अशिक्षित करेगा और हर प्रकार कि उत्तम आशीषें देगा। वहां इतना खाने को होगा किइस्राएली इतना खा भी नहीं पाएंगे।पहले साल में इतना भोजन होगा किअगला साल आने तक वे इसे खत्म नहीं कर पाएंगे। 

 

परमेश्वर ने वादा किया किवह दूसरे देशों को उनके पीछे आने नहीं देगा। उन्हें युद्ध से शांति मिलेगी, और जब वे युद्ध करने के लिए जाएंगे, तो उनकी जीत होगी! वह ऐसा करेगा ताकि सिर्फ पांच इस्राएली सौ दुश्मनों को भगाने में सक्षम रहें। लेकिन सबसे अद्भुत आशीष थी कि वह उनके साथ उनके देश में वास करेगा।  

परमेश्वर ने कहा:

 

"'सम्भव है कि लोग अपने पाप स्वीकार करें और वे अपने पूर्वजों के पापों को सवीकार करेंगे। सम्भव हे वे यह स्वीकार करें कि वे मेरे विरुद्ध हुए सम्भव है वे यह स्वीकार करें कि उन्होंने मेरे विरुद्ध पाप किया है। सम्भव है कि वे स्वीकार करें कि मैं उनके विरुद्ध हुआ और उन्हें उनके शत्रुओं के देश में लाया। उन लोगों ने मेरे साथ अजनबी का सा व्यवहार किया। यदि वे विनम्र हो जाएं और अपने पापों के लिए दण्ड स्वीकर करें तो मैं याकूब के साथ के अपनी वचा को याद करूँगा। इसहाक के साथ के अपनी वाचा को याद करुँगा। इब्राहिम के साथ की गई वाचा को मैं याद करूँगा और मैं उस भूमि को याद करूँगा।'"

लैव्यव्यवस्था 26: 9-13

 

वाह। परमेश्वर इस्राएलियों के बीच में चलेगा। यह उसी प्रकार होगा जब परमेश्वर आदम और हव्वा के साथ आदन की वाटिका में उनके साथ था। परमेश्वर इस्राएल के ऊपर अभिशाप की जगह आशीर्वाद दे रहा था। 

 

लेकिन यदि इस्राएली उसकी आज्ञाओं का पालन नहीं करते हैं, तो उन पर परमेश्वर का शाप होगा। यह याद रखना महत्वपूर्ण है की परमेश्वर सब कुछ अच्छा चाहता है, और जो कोई भी उसके विरुद्ध बुरा करता है वह दुष्ट है। यदि वे दुनिया में और बुराई के अभिशाप को लाते हैं तो वह उन्हें शाप देगा। लेकिन उसका अभिशाप भयानक होगा। यह उन सब के विपरीत होगा जो उसने आशीष के रूप में देने का वादा किया था। वह उनके स्वास्थ्य को बिगाड़ने के लिए बीमारियों को भेजेगा। वह उनके खेतों में अनाज नहीं होने देगा ताकि उनके देश में अकाल पड़े। यह थोड़ा बहुत मिस्र की विपत्तियों की तरह होगा।

 

और इसके बावजूद उसके लोग यदि पश्चाताप नहीं करते हैं, तो वह उन्हें दण्ड देगा। आसमान से बारिश नहीं होगी और ज़मीन उपजाऊ नहीं होगी। और फिर भी वे परमेश्वर कि ओर पलट कर नहीं आते हैं, तो वह उनके जानवरों को मार देगा और दूसरे देशों को उनके विरुद्ध युद्ध कराएगा। वह उनकी सुरक्षा के लिए उन्हें गांवों और कस्बों से निकाल कर शहरों में ले जाएगा। यदि वे अभी भी परमेश्वर किआज्ञाओं का पालन नहीं करते हैं, तो वह उनके देश को पूरी तरह से नष्ट कर देगा। वह उनके शहरों को बर्बाद कर देगा और उनके लोगों को उनके देश से निकाल देगा। वह उन्हें आसपास के विदेशी राष्ट्रों में तितर बितर कर देगा। 

 

परमेश्वर ने इस्राएलियों को एक याजक राष्ट्र होने के लिए उन्हें भूमि दी थी। यदि उनके व्यवहार से परमेश्वर का अपमान होता है, तो वह उन्हें कनानियों कि तरह उनके देश से बाहर निकालेगा। उन्हें अनाज्ञाकारिता के लिए सब्त का आराम दिया जाएगा। 

 

थोड़े लोग जो रह जाएंगे, वे हवा से चलने वाले पत्ते कि आवाज़ से भी डर जाएंगे। कोई उनका पीछा ना भी कर रहा होगा, फिर भी वे भागेंगे। उस शांति, सुरक्षा और आशा से यह कितना भिन्न था जो परमेश्वर उन्हें आज्ञा का पालन करने के बदले में देने जा रहा था। लेकिन उनके पाप में भी, परमेश्वर ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया। परमेश्वर ने कहा;

 

"'सम्भव है कि लोग अपने पाप स्वीकार करें और वे अपने पूर्वजों के पापों को सवीकार करेंगे। सम्भव हे वे यह स्वीकार करें कि वे मेरे विरुद्ध हुए सम्भव है वे यह स्वीकार करें कि उन्होंने मेरे विरुद्ध पाप किया है। सम्भव है कि वे स्वीकार करें कि मैं उनके विरुद्ध हुआ और उन्हें उनके शत्रुओं के देश में लाया। उन लोगों ने मेरे साथ अजनबी का सा व्यवहार किया। यदि वे विनम्र हो जाएं और अपने पापों के लिए दण्ड स्वीकर करें तो मैं याकूब के साथ के अपनी वचा को याद करूँगा। इसहाक के साथ के अपनी वाचा को याद करुँगा। इब्राहिम के साथ की गई वाचा को मैं याद करूँगा और मैं उस भूमि को याद करूँगा।'"

लैव्यव्यवस्था 26: 40-42

 

यदि इस्राएली, जो परमेश्वर के न्याय के तहत थे, पश्चाताप करते हैं, तो वह उनकी सुनेगा। वह इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को दिए अपने वादे को याद रखेगा, और वादा के देश में अपने लोगों को बहाल करेगा।