पाठ 130 : हारून और उसके पुत्रों की नियुक्ति
मंदिर के निर्माण के लिए इस्राएली सोने और चांदी और कपड़े इत्यादि, ले आये। वे इतना ले आये की उन्हें और लाने से मूसा ने मना कर दिया। तब जो कुशल लोग थे, उन्होंने मंदिर के काम के लिए धातु अंकित कर के उसका काम पूरा किया। मूसा ने हारून और उसके पुत्रों को सुरुचिपूर्ण याजक के वस्त्र पहनाये। और यहोवा एक महान और गौरवशाली बादल में मिलापवाले तम्बू में नीचे आ गया। उसकी उपस्थिति इतनी प्रतिभाशाली थी की मूसा भी उसमें प्रवेश नहीं कर पाया। जब सारा राष्ट्र मंदिर के आसपास एकत्र था, तब परमेश्वर ने मूसा से बात की। जो कुछ उसने कहा होगा वह महत्वपूर्ण रहा होगा। और वो था भी। उसने उन्हें मंदिर में भेंट को लाने कि विधियां बतायीं। उसने उन्हें वेदी को शुद्ध करने की विधि बताई। उसने उन्हें सिखाया की उसकी गौरवशाली उपस्थिति को कैसे बनाए रखना है।
अब मूसा के लिए समय आ गया था कि वह हारून और उसके पुत्रों को वेदी के कामों के लिए उन्हें नियुक्त करे ताकि वेदी के बलिदानों की आग सालों साल तक जलती रहे। मूसा ने हारून और उसके पुत्रों को याजक के वस्त्र पहनाये। उसने तेल से मंदिर की सारी चीज़ों को तेल से मस्सा किया और वेदी पर सात बार छिड़का। उसने हारून और उसके पुत्रों को अभिषेक किया। उसने एक बैल को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर परमेश्वर के सिंहासन के सामने बलिदान कर दिया। उसने पहले पशु का बलिदान किया और उसकी सुगंध ऊपर गयी और परमेश्वर उससे प्रसन्न हुआ। फिर उसने दूसरा पशु लिया। उसने उसके खून को वेदी पर छिड़का और याजक के दाहिने अंगूठे से उसके कान के पिछले भाग में लगाया। उसने मेढ़ के मांस को और टोकरी से रोटी को लिया। उसने उन्हें परमेश्वर के आगे भेंट चढ़ाई और फिर उन्हें वेदि पर जला दिया। उसने कुछ खून लिया और उसे हारून और उसके पुत्रों के वस्त्रों पर छिड़का। फिर उसने हारून को उस मांस और रोटी को मिलापवाले तम्बू पर खाने को कहा, जहां परमेश्वर किउपस्थिति थी। यह एक सांप्रदायिक भोजन और एक उत्सव था! उन्हें सात दिनों तक मंदिर के आंगन से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। याजकों के शुद्धिकरण के लिए प्रत्येक दिन एक और बैल क़ुर्बान किया जाता था। उन्हें पवित्र और अलग किया जाता था। यह एक बहुत बड़ा विशेषाधिकार और एक बड़ी जिम्मेदारी थी। उन्होंने उसे स्वतंत्र रूप से यह स्वीकार कर लिया था। यदि वे इस का उल्लंघन करते हैं, तो वे मर जाएंगे। उन्हें एक शक्तिशाली तरीके से शुद्ध किया जाता था। यदि वे मंदिर के बाहर जाते हैं तो वे अशुद्ध हो सकते थे। ऐसा करने से परमेश्वर का जो महान काम हुआ है वह पूर्ववत हो जाएगा।
हारून और उसके पुत्र पूरे सात दिन वही करते थे जो परमेश्वर ने उन्हें करने को ठहराया था। आठवें दिन, मूसा ने मंदिर में इस्राएल के बुज़ुर्गों को बुलाया। हारून ने पूरे दिन परमेश्वर को बलि चढ़ाई। याजकों के लिए उसने पापबलि और होमबलि का बलिदान चढ़ाया। जब लोग उसके पास पापबलि, होमबलि, मेलबलि और अन्नबलि को लाते थे, वह उनकी सेवा टहल करता था। इन बलिदानों के खून के द्वारा, मंदिर कि हर जगह पवित्र की जाती थी और परमेश्वर के प्रकट होने का रास्ता तैयार किया जाता था।
याजकों के परिश्रम कि कल्पना कीजिये। परमेश्वर को इन बलिदानों को चढ़ाने के लिए उन्हें पूरा दिन परिश्रम करना पड़ता था। जब वे काम पूरा कर लेते थे, हारून अपने हाथ उठा कर उन्हें आशीर्वाद देता था। तब वह मूसा के साथ मिलापवाले तम्बू में परमेश्वर के साथ होने के लिए चला जाता था। वे बाहर आ कर लोगों को आशीर्वाद देते थे, और परमेश्वर अपनी महिमा में आकर लोगों को प्रकट होता था। उसकी उपस्थिति से एक आग निकल कर वेदी पर रखे होमबलि को जलाकर उसे भस्म कर देती थी। वाह। यह बहुत लुभावना रहा होगा! जब लोगों ने देखा, तो वे आनंद मनाने लगे। उन्होंने झुक कर परमेश्वर को दंडवत किया।