यीशु परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार को सुनाने के लिए यहूदिया के क्षेत्र में जाते रहे। शास्त्री और फरीसी यीशु पर आरोप लगाते रहे कि वह शैतान कि ओर से आया है। उसके दुष्ट आत्माओं को निकालने और स्पष्ट रूप से संदेश को सीखाने के बावजूद उन लोगों ने पश्चाताप करने से इंकार कर दिया।
Read Moreफरीसी और शास्त्रि जब यीशु के खिलाफ साजिश रच रहे थे और सवालों से उसे फंसाना चाहते थे, यीशु फिर भी प्रचार करते रहे।निश्चित रूप से चेले इस बात को समझते थे कि यीशु के साथ उनकी वफादारी उनके जीवन को जोखिम में डाल सकती है।
Read Moreयीशु जब यहूदिया में उपदेश दे रहा था, वहीं एक आदमी उठ खड़ा हुआ और उससे एक सवाल पूछा। यह उसके माता पिता से विरासत में मिलने वाली सम्पत्ति के बारे में था। वह चाहता था कि उसके भाई उसके साथ बटवारा करे। आम तौर पर, यहूदी लोगों के लिए, इन प्रश्नों के इन प्रकार के उत्तर परमेश्वर की व्यवस्था के द्वारा दिए जाते थे।
Read Moreयीशु ने तीन साल से फरीसियों और धार्मिक नेताओं का सामना किया था। यह और भी अधिक स्पष्ट होता जा रहा था कि उनके दिल विद्रोह और पाप में पक्के हो गए थे। परमेश्वर कि सच्चाई को सुनने के बाद उसको अस्वीकार कर देना ही बहुत खतरनाक बात है।
Read Moreफरीसी यीशु पर दोष लगाने के रास्ते ढूंढ रहे थे। वे इस ताक में थे कि वह ऐसा कुछ करे और वे उसके विरुद्ध में उस चीज़ को इस्तेमाल करें! बस उससे कोई नियम तुड़वा सकते। फिर वे उसे पूरे देश के सामने नीचा दिखाते और उसकी आवाज़ को शांत कर देते। सो उन्होंने साज़िश रची कि यीशु सबत के दिन आये।
Read Moreफरीसियों ने पुराने नियम का अध्ययन किया, और इसलिए वे कई अद्भुत सत्य को जानते थे। पुराने नियम के कई रहस्य थे जिन को छोड़ दिया गया था और इसलिए उनके पास बहुत से सवाल थे। वे यह विश्वास करते थे कि परमेश्वर अपनी पूरी सामर्थ में आकर इस्राएल देश को स्थापित करेगा।
Read Moreयीशु मंदिर के आंगन में खड़ा था, वह पहले से ही इस्राएल के अगुवों के विरुद्ध अपनी अभियोग बातें करने लगा था। यहाँ परमेश्वर का पुत्र था, जो पवित्र देश के अगुवों के विरुद्ध फटकार रहा था। उन्होंने किस तरह लोगों को अपने प्रभाव से दुष्प्रयोग!
Read Moreजो दूसरी कहानी यीशु बताने जा रहे थे, वो भी भविष्य के बारे में थी। प्रभु पृथ्वी के लोगों का न्याय करने आ रहे है। जिस प्रकार यह लोग अपने जीवन को जीने का चुनाव करेंगे, उससे ही वो जानेंगे कि सही मायने में कौन उनके अपने थे।
Read Moreगुरुवार आया। यह अखमीरी रोटी का दिन था। मिस्र में उस दिन की याद में शासकीय फसह के मेमने को बलिदान किया जाएगा।बेदाग भेड़ के बच्चे के रक्त को हर एक इस्राएली घर के चौखट पर लगाना था। इससे उनका पहलौठा पुत्र बच गया और स्वतंत्रता के द्वार को खोल दिया गया। वह पहला बलिदान और उद्धार केवल एक रूप था और यीशु अपने ही लहू से खरीदने वाला था।
Read Moreएक बार यीशु ने अपने चेलों के साथ प्रभु-भोज, वह उनके साथ आने वाले दिनों कि भेद कि बातों को बताने लगा। उसे उन्हें अपनी ही मृत्यु में तैयार करना था। जो वह अब कहने जा रहा था वह उसके चेलों लिए अलविदा था।
Read Moreयीशु ने अपने शिष्यों के लिए एक सहायक भेजने का वायदा किया। यीशु की आत्मा उनके ह्रदय में आकर उसके राज्य के कार्य को करने के लिए उनकी अगुवाई करेगा और सामर्थ देगा।
Read Moreजब यीशु ने बगीचे के अंधेरे में प्रार्थना में घुटने टेके, तो उन्होंने अपने को पिता की इच्छा के सुपुर्त कर दिया। तब वह अपने पैरों पे उठकर अपने चेलों के पास गए। उन्होंने उन्हें एक बार फिर से सोया पाया।
Read Moreरात की शांति में, उसके चेलों थके हुए नींद में गिर गए। यीशु प्रार्थना में अपने पिता के पास चले गए। तीन बार उन्होंने वह बोझ हटा देने को माँगा। क्या पिता इस काम को हटा सकते थे? क्या यीशु किसी तरह आने वाली पीड़ा को आने से रोक सकते थे?
Read Moreयीशु को अन्नास के घर से कैफा के घर ले जाया गया। पतरस अभी तक पीछे पीछे आ रहा था। जैसे ही यीशु को महासभा के उन सदस्यों के समक्ष लाया जा रहा था जो इतनी रात वहां आए, पतरस आँगन में चला गया।
Read Moreहेरोदेस, मसीह के मामले में, किसी भी निष्कर्ष तक पहुँचने में सक्षम नहीं था, इसलिए उसने यीशु को पिलातुस के पास वापस भेज दिया। अब, पिलातुस की यहूदी लोगों के साथ एक परंपरा थी। हर फसह के पर्व पर, वह उनसे किसी एक कैदी की रिहाई का अनुरोध लेता, और वह उसे मुक्त कर देता।
Read Moreमसीह के शरीर को क्रूस से उतार लिया गया। एक आदमी था जिसका नाम था अरिमथिया का यूसुफ़ था, जो यीशु पर विश्वास करता था और गुप्त में उसका चेला था। वह एक सच्चा शिष्य था, लेकिन वह महासभा का भी सदस्य था।
Read Moreयीशु ने अपने चेलों को उसे गलील के एक पहाड़ी पर मिलने को कहा। शायद वह उन्हें वहाँ इसलिए इकट्ठा करना चाहते थे ताकि जो लोग इसराइल के उत्तरी भाग में सागर के किनारे उस पर विश्वास करते थे, यीशु को अपनी आँखों से देखते कि वह कैसे मर जाने के बाद भी मुर्दों में से जी उठा। हम यीशु के इस चयन की वजह को यकीन से नहीं कह सकते है।
Read More