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कहानी २२: यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला

क्या आपको यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के जन्म की कहानी याद है? परमेश्वर ने जकर्याह और एलिजाबेथ को एक बेटा उस समय दिया जब वे बहुत वृद्ध हो गए थे। वे इतने वृद्ध थे कि सबने यह सोचा कि यह बालक परमेश्वर कि ओर से एक दान है।

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कहानी २३: मार्ग को तैयार करना

क्या आप ऐसे असभ्य और पथरीले राह कि कल्पना कर सकते हैं जो पहाड़ों पर ऊपर और नीचे गहरी घाटियों में मुड़ते हैं? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यह कितना आसान होता यदि ये गहरे गड्ढे भर दिए हाते और पहाड़ों के रास्ते चिकने कर दिए जाते?

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कहानी २४: (यूहन्ना बतिस्मा देने वाला ) परमेश्वर का बेटा

भीड़ यूहन्ना पर उमड़ती जा रही थी, और उसने यरदन नदी के पानी में सब पश्चाताप करने वालों को बपतिस्मा दिया। लोग उसके परमेश्वर कि आत्मा से भरे हुऐ निडर घोषणाओं को देख सकते थे, और वे आश्चर्य करने लगे कि वह कौन है।

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कहानी २६: लड़ाई का शुरू होना

उसके बपतिस्मा के बाद, यीशु,पवित्र आत्मा के द्वारा जंगल में ले जाया गया की वह शैतान के द्वारा परखा जाए। इस बीच येरूशलेम के सलाहकार जो देश के सबसे सामर्थी धार्मिक अग्वे थे, उन्होंने याजकों को यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के पास सवाल करने के लिए भेजा।

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कहानी २९: यूहन्ना बपतिस्मा देने वाली घटना

यरूशलेम से जाने के बाद, यीशु और उसके चेले यहूदी पहाड़ी क्षेत्र से बाहर चले गए। यीशु ने वहाँ अपने चेलों के साथ समय बिताया और उन्हें बपतिस्मा दिया जो उनके पास आये। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला लोगों को ऐनोन के क्षेत्र में बपतिस्मा दे रहा था।

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कहानी ६९: यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का यीशु से प्रश्न पुछा जाना

यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला क़ैद में था। आप यह देखिये कि, उसने हेरोदेस राजा से कुछ ऐसे प्रश्न पूछे जो उसे पसंद नहीं आये। हेरोदेस ने अपने ही भाई की पत्नी को लिया और उससे शादी कर ली थी। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने ऐसे घृणित काम कि निंदा कि, और हेरोदेस को बिल्कुल यह अच्छा नहीं लगा। तो उसने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले को क़ैद में डाल दिया।

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कहानी ९४: रूप - परिवर्तन

पतरस ने यह घोषणा की कि यीशु, जीवते परमेश्वर का पुत्र है। यह एक साहसिक, अयोग्य बयान था, और वह ऐसा करना चाहता था। यह केवल सच्चाई कि घोषणा नहीं थी, बल्कि यह राज निष्ठा कि भी घोषणा थी। पतरस एक पक्ष का चयन कर रहा था क्यूंकि वह जानता था कि यीशु ही परमेश्वर का अभिषेक किया हुआ है।

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कहानी १८३: गलील के एक पहाड़ी पर

यीशु ने अपने चेलों को उसे गलील के एक पहाड़ी पर मिलने को कहा। शायद वह उन्हें वहाँ इसलिए इकट्ठा करना चाहते थे ताकि जो लोग इसराइल के उत्तरी भाग में सागर के किनारे उस पर विश्वास करते थे, यीशु को अपनी आँखों से देखते कि वह कैसे मर जाने के बाद भी मुर्दों में से जी उठा। हम यीशु के इस चयन की वजह को यकीन से नहीं कह सकते है।

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