कहानी ३४: गलील की पहली यात्रा

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नासरी के लोग कफरनहूम के लोगों से कितने अलग थे! वे सुनते थे और मानते थे और चंगाई पाते थे! क्या आप लोगों की उत्तेजना कि कल्पना कर सकते हैं ?

अगली सुबह, इसके पहले कि सूर्य पूर्वी आकाश को रोशन करे यीशु अपने प्रार्थना करने के लिए एकान्त में गए। बहुत जल्द शहर के लोग उसे ढुंढने लगे। सोचिये अगर वे पतरस के दरवाज़े को आकर पीटते! यीशु को देखने के लिए शिमोन पतरस और उसका भाई और उनके साथी ढुंढने को निकल गए। जब वह मिला तब उन्होंने कहा,"'सब आपको खोज रहे हैं। '"उनको लगा कि ऐसा करने से यीशु जल्दी से भीर को मिलने के लिए चल देगा। क्या वह इसी कारन के लिए नहिक आया था? उन्हें मनुष्य पकड़ने वाला ही तो बनना था! लेकिन यीशु ने कहा,"'आओ हम पास के गाओं में जाते हैं ताकि मैं वहाँ भी प्रचार कर सकुं। इसीलिए मैं आया हूँ।'" दूसरे शहर और देशों को भी आवश्यक था की वे भी परमेश्वर के राज्य के बारे में सुनें !

सो वह चेलों के साथ निकल पड़े। वे गलील के समुन्दर के चारों और गए। यीशु आराधनालयों में जाकर प्रचार करता, स्वर्ग के राज्य के विषय में सुसमाचार सुनाता जाता। उसने लोगों को उनकी बिमारियों से चंगा किया और दुष्ट आत्माएं निकलीं। क्या आप इसकी कल्पना कर सकते हैं जब बहुतेरे लोग अपने बोझ और पीड़ा से मुक्त किये गए? सोचिये कैसे इस चमत्कार करने वाले व्यक्ति की कहानियों के द्वारा उस पूरे क्षेत्र को उलट पुलट कर के रख दिया होगा? क्या उन्होंने उसके वहकणों के बारे में बात की? क्या उनका सम्मोहन उन बातों से ख़त्म हो गया जो वह उनके लिए कर रहा था, या परमेश्वर के राज्य का सन्देश उनके अंदर समाया ?

गलील के क्षेत्र के दौरे और क्षेत्र में सभी यहूदी गांवों और कस्बों की सभाओं में उपदेश देने के बाद, यीशु कफरनहूम को अपने शिष्यों के साथ लौट गया और पतरस और अन्द्रियास और याकूब और यूहन्ना अपने सभी मछली पकड़ने के व्यवसाय में लौट गए।लेकिन लोगों ने यीशु के पास आने से बंद नहीं किया था। एक दिन, लोगों की एक पूरी भीड़ समुद्र की तटरेखा पर एकत्र हुई। वे यीशु से परमेश्ववर के वचन को सुनने के लिए चढ़े जा रहे थे। शिमोन और आंद्रियास पास खड़े अपने जाल धो रहे थे। खाली कश्तियाँ उनके पास पड़ी थीं।

यीशु उनमें से एक कश्ती में चढ गया और शिमोन पतरस से कश्ती को पानी में लेजाने को कहा। यीशु कश्ती में से भीर को प्रचार करने लगा। जब उसका प्रचार समाप्त हुआ उसने पतरस से कहा, "'अपने जाल समुन्दर में मछली पकड़ने के लिए डालो।'"

इस दिन पर शिमोन पतरस बहुत थका हुआ था। वह बहुत हताश था। उसने बहुत घंटे जाल को पानी में डाला, लेकिन उनको कुछ नहीं मिला। उसने कहा, "'स्वामी, हमने पूरी रात परिश्रम किया पर हमें कुछ हासिल नहीं हुआ, लेकिन आपके कहने पर मैं एक बार फिर जाल फेकता हूँ।'" पतरस के अंदर अपने शिष्य के लिए कितना आदर था। आज्ञाकारी होने के लिए कितनी चाहत। वह विश्वास में काफी बढ़ चुका था, और उसके विश्वास और भी बढ़ने वाला था।

उन्होंने अपने जाल पानी में फिर से डाले। जाल को फेंकने कि रस्सियों को पानी में जाते देख, क्या पतरस को कोई आशा थी कि वह कुछ पकड़ पाएगा? वह गलील के समुन्दर को अच्छी तरह से जानता था। यहाँ वह पला बढ़ा था। कितनी रातों वह पानी में मछलियां पकड़ चुका था? कितने घंटों सितारों के नीचे बैठ कर, अपने परिवार की देखभाल करने के लिए प्रार्थना की? कितने दिनों जलती धूप में जाल को धोया? वह अपने स्वामी का पालन करता लेकिन वह समुद्र प्रतिरूप को जानता था। मछली पकड़ने के लिए एक चमत्कार कि ज़रुरत थी।

जब पतरस और उसके साथी जाल पर नज़र लगाये हुए थे, कुछ उल्लेखनीय हुआ। खाली समुद्र चमकते हुए छोटे जीव के साथ जीवित हो रहा था! अचानक, उनके जाल मछली से भर गए! जब वे भरे हुए जाल को खींचने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें यह असम्भव लगा! शिकार बहुत बड़ा था! उनके आनंद और उत्साह से चिल्लाने की कल्पना कीजिए!

उन्होंने याकूब और यूहन्ना को बाहर बुलाया, जो अभी भी समुन्दर किनारे थे। वे पतरस के साथी थे, वे दूसरी कश्ती में कूड़े और मदद के लिए आये। उन्होंने दोनो भरे हुए जालों को दोनों कश्तियों में खींचा। जैसे ही मछलियां बाहर को आयीं,उनकी कश्तियाँ भर गयीं और कश्तियाँ वज़न से नीचे को जाने लगी। वह इतनी भरी हो गयी थीं कि वे डूबने लगे! यह कितना हास्यजनक दृश्य था। जो लोग समुन्दर तट से देखर रहे होंगे वे यह सब देख कर बहुत हंसते होंगे!

परन्तु पतरस जब मछलियों के बीच खड़ा था, वह नहीं हस रहा था। वह समुन्दर को अच्छी तरह समझता था, और जो हुआ उसके असंभावना को भी। उसने पहले से ही यह देखा था कि उसके स्वामी में दुष्ट आत्माओं के ऊपर सामर्थ है। वह एक बहुत प्रतिभशाली शिक्षक था जो अधिकार के साथ बोलता था। लेकिन अब यह भी साबित हो गया था कि सृष्टि पर भी उसका अधिकार था। पतरस एक श्रद्धायुक्त भय से भर गया था जिससे वह अपने शर्म और विश्वास कि कमी से जागरूक था। वह कश्ती में मौजूद प्रभु के और मुड़ा। वह यीशु के पैरों पर गिरा और बोला, "'मुझसे दूर हो जाइये, मैं एक पापी मनुष्य हूँ, हे प्रभु!'"

पतरस के सभी साथी भी अचंभित थे जैसे कि वह स्वयं। वह देखते रहे जब यीशु ने पतरस कि और देखा और कहा,"'डर मत अब से तू मनुष्य को पकड़ने वाला बनेगा।'"

यीशु ने एक बार फिर से इन लोगों को बुलाया। क्या वे स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार का पालन करेंगे? क्या वे यीशु के साथ चलने के लिए एक मछुवारे का जीवन छोड़ देंगे? उन लोगों ने कश्तियों को समुन्दर तट पर लाकर खड़ा कर दिया। उस दिन से, यीशु के पीछे चलने के लिए उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया।