कहानी ७: मत्ती का परिचय
चेले जो यीशु के पीछे चलते थे समझ गए थे कि यह उल्लेखनीय आदमी जो उन के बीच चलता था, वो मसीह था। वे उन सब अद्भुत चीजों का रिकॉर्ड रखना चाहते थे जो यीशु ने की। वह उनका प्यारा दोस्त था, पर वह दुनिया का उद्धारकर्ता भी था। उनको यह शुभ समाचार, जितने लोगों को वो दे सकते थे, देना था!
उसके मरने और फिर जी उठने के बाद, कई दूसरों ने मसीह में अपना विश्वास डाला। वे यह देखने लगे की कैसे वह पुराने नियम में परमेश्वर द्वारा दी गई भविष्यवाणियों को पूरा कर रहा था। यीशु के नए चेले इस दुनिया में परमेश्वर के नए काम का एक हिस्सा थे। वे खुद कलीसिया थे! उसके चेले बढ़ती हुई कलीसिया को यीशु के जीवन की सुंदर कहानियों सिखाना चाहते थे , तो उन्होंने उसे लिखना शुरू कर दिया। मसीह के जीवन की कहानी का उल्लेख, नए नियम के पहली चार पुस्तकों में है। वे मत्ती, मरकुस, लूका, और यूहन्ना हैं, और इनको 'सुसमाचार' कहा जाता है।
इन पुस्तकों में से प्रत्येक को प्रभु के जीवन के बारे में बहुत महत्वपूर्ण बातें समझाने के लिए लिखी गई थी। यीशु के जीवन की कहानी का विस्तार, दुर्घटना द्वारा नहीं लिखी गई थी। कुछ कहानियाँ यह दिखाने के लिए सुनाई थी कि कैसे यीशु भविष्यवाणी की पूर्ति थी। यह साबित करना बहुत महत्वपूर्ण था कि यीशु सचमुच में मसीहा था। अन्य कहानियां उन पाठों को बताती है जो यीशु ने परमेश्वर को प्यार करने पर और पवित्रता में जीवन जीने के बारे में सुनाई। कुछ कहानियां यह सिखाती है कि कैसे यीशु के आने से परमेश्वर और उसके विश्वासियों के बीच में एक नई वाचा आती है। और कुछ कहानियां अंत समय की घटनाए बताती है। प्रत्येक कहानी का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है, लेकिन हर कहानी में यीशु केंद्र है। वह एक बड़ा खजाना है। सुसमाचार का प्रत्येक वाक्य हमें उसके बारे में कीमती बातें सिखाती है-उसने जिसने हमारे लिए अपनी जान दे दी ताकि हम जीवन पा सके!
नए नियम की पहली पुस्तक मत्ती है। यह एक यीशु के चेले द्वारा लिखी गई है। जैसे जैसे मत्ती ने यीशु के जीवन के बारे में अपनी पुस्तक लिखी, वैसे वैसे वह यहूदी लोगों को साबित करना चाहता था कि यीशु सचमच मसीहा था। मत्ती बार बार अपनी कहानियों में पुराने नियम का हवाला देता है, यह दिखाने के लिए कि कैसे यीशु का जीवन, मृत्यु और जी उठना यह साबित करता है कि वह वही है जिसका वे इंतजार कर रहे थे। मत्ती यह भी समझाना चाहता था की यीशु ने क्यूँ हर भविष्यद्वाणी को पूरा नहीं किया। उनमें से कुछ तब पूरी होंगी जब मसीह का दूसरा आगमन होगा, और मत्ती स्पष्ट रूप से अपने पाठकों को बताता है कि वे कैसे परमेश्वर की योजना के बड़ी तस्वीर का एक हिस्सा है।
सबसे पहले, मत्ती अपने पाठकों को प्रभु यीशु की वंशावली दिखाना चाहता था। वंशावली एक रिकार्ड है जो समय में वापस जाकर एक व्यक्ति के पूर्वजों का उल्लेख करती है। यह बताती है कि उनका पिता कौन था, और उनका पिता, और उनका भी पिता, वापस इतिहास के प्रारंभिक समय तक!
क्या आपको पता है कि आपके पिता कौन है? क्या आपको पता है कि आपके दादा के दादा के दादा कौन है? हम में से कईओं को यह नहीं मालूम! लेकिन इसराइल के लोग बहुत सावधानी से रिकार्ड रखते थे। वे जानते थे। यह इतना महत्वपूर्ण था कि वे यरूशलेम के मंदिर में यह रिकॉर्ड रखते थे।
हर वो परिवार जिसमे प्रत्येक इस्राएली पैदा होता था, परमेश्वर के बड़े परिवार में अपनी भूमिका को समझने के लिए मदद करता था। उदाहरण के लिए, लेवी के गोत्र में से परिवारों में पैदा हुए लड़कों को याजक के रूप में सेवा करने के लिए अलग किया जाता था। मूसा के भाई हारून की सन्तान महायाजक थे। उनके पास राष्ट्र की आध्यात्मिक जीवन के आदेश का उच्च सम्मान था। वे मंदिर में अपनी सबसे पवित्र बलिदान की बलि चढाते थे। यहूदा के गोत्र का बहुत ही खास सम्मान था। राजा दाऊद इस गोत्र के थे, और परमेश्वर ने वादा किया था कि मसीहा इसी जाति से आएगा। वह खुद राजा दाऊद का एक सीधा वंशज होगा! यहूदी दाऊद के वंश का ध्यान रखते थे ताकि वो यह जान पाए कि कौन उनकी तरह बन सकता है। उससे यह भी पता चल सकता था अगर उनमे से कोई मसीहा हो! मत्ती जानता था कि अगर वह साबित करना चाहता था कि यीशु ही मसीह था, उसको पहले यह दिखाना था कि यीशु दाऊद की वंशज से है।
अगर एक यहूदी मत्ती की वंशावली पढ़ रहा हो, तो वह उसके देश के इतिहास के स्मारकों से भरा हुआ पाएगा। वे पहले से ही सूची में नामों को पहचानता। वे उन लोगों के जीवन के कई कहानियाँ बता पाता, जैसे वे अपने परिवार का वर्णन कर रहा हो। मसीह की वंशावली में से कुछ नाम, जैसे राजा दाऊद या राजा सुलैमान, यहूदियों को राष्ट्रीय गौरव से भर देते थे। वे इस्राएल के स्वर्ण युग के दौरान में महान शासक थे जब देश प्रशस्त सफलता में थी। सूची में अन्य नाम राष्ट्र की विफलताओं को मामूली करार देते है। कई राजाओं ने परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह किया। कई बार ऐसा भी हुआ जब इसराइल के राष्ट्र ने भयानक दुष्टता में पूरी पूरी सदियों बिता दी। देश के गंभीर पाप, परमेश्वर के सैकड़ों वर्ष की सहनशीलता के उपरांत, एक दुखती नब्ज़ जैसे प्रतीत होती है।
जब तक एक यहूदी मसीह की वंशावली को पढ़ना ख़तम करता, वे अपने देश के पूरे इतिहास को सारांश में जान सकता था। यह उनको एक उद्धारकर्ता की जरूरत का यकीन दिला देता! उनके देश ने कभी भी पवित्रता के साथ परमेश्वर को पूरा सम्मान नहीं दिया था, और वे दुनिया के लिए सच्चे याजक भी नहीं बन सके। उनके पूरे इतिहास में, ऐसा एक भी मानव नहीं था जो उनके परमप्रधान परमेश्वर के पवित्र आदर्शों को जी पाया हो! किसी ऐसे जन को आना था जो कुल शुद्धता और पूर्णता के साथ परमेश्वर की इच्छा को पूरा कर सके। दुनिया ने ऐसे आदमी को कभी नहीं देखा था। इस्राएल के राष्ट्र का क्या होने जा रहा था? इस दुनिया का क्या होने जा रहा था? क्या यह विद्रोह और परमेश्वर से अलगाव में बर्बादी की ओर बड़ रहा था?
मसीहा का आना मानव जाति के महान संकट का जवाब था। मत्ती यह सब के बारे में दुनिया को बताने के लिए चुना था।