कहानी २२: यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला
क्या आपको यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के जन्म की कहानी याद है? परमेश्वर ने जकर्याह और एलिजाबेथ को एक बेटा उस समय दिया जब वे बहुत वृद्ध हो गए थे। वे इतने वृद्ध थे कि सबने यह सोचा कि यह बालक परमेश्वर कि ओर से एक दान है। हर बच्चा अनमोल होता है, परन्तु इसके लिए एक बहुत विशेष बुलाहट थी। परमेश्वर ने उसे उसकी माँ के गर्भ धारण करने से पहले ही उन्हें दे दिया था!
गेब्रिएल, जो परमेश्वर का सबसे शक्तिशाली दूत था, उसने परमेश्वर के मंदिर में, जो पृथ्वी का सबसे पवित्र स्थान है, इस बालक के जन्म होने कि घोषणा की! परमेश्वर ने यह घोषणा की, कि यह बालक एलिय्याह नामक महान नबी कि आत्मा में आएगा। उसने यूहन्ना के पिता को विशेष नेतृत्व दिए जिसके आधार पर उसके जीवन को चलाना है। उसके पवित्र बुलाहट के कारण कुछ बातें थी जिसे करने कि उसे अनुमति नहीं थी। वह मद्य नहीं पी सकता था। बल्कि उसे जीवते परमेश्वर की आत्मा से परिपूर्ण होना था!
यूहन्ना जब बड़ा होता गया, तब परमेश्वर ने उसे जंगल में रहने के लिए बुलाया, पुराने नियम में एलिय्याह कि कहानियों कि तरह। और एलिय्याह कि तरह, यूहन्ना ने उस मनुष्य के समान बहुत ही साधारण वस्त्र पहने जो कि परमेश्वर के लिए अलग किया गया था। वह ऊँठ के खुरखुरे बालों से बनाया गया था। वह अपनी कमर पर चमड़े का पट्टा बांधता था, और भोजन के लिए शहद और टिड्डियाँ खाता था। उसके लम्बे और नीरस दिनों कि कल्पना कीजिये जो उसने परमेश्वर के वचन पर मनन करने के लिए बिताय होंगे। उन अँधेरे और सर्द रातों कि कल्पना कीजिये जो यूहन्ना ने रात के उन चमकते हुए तारों के नीचे बिताकर प्रार्थना में लगा रहा और अपने ह्रदय से परमेश्वर कि इच्छा पर चला।
समय आ गया था कि इस्राएल के देश में यूहन्ना जाए। परमेश्वर के लोगों को उसे एक महत्वपूर्ण सन्देश देना था। यशायाह ने यीशु के आने के सात सौ साल पहले यूहन्ना के आने कि घोषणा कर दी थी। परमेश्वर ने नबी के द्वारा यह घोषित किया;
“'देखो मैं अपना दूत भेज रहा हूँ।
वह मेरे लिए मार्ग तैयार करेगा।
जंगल में किसी पुकारने वाले का शब्द सुनाई दे रहा है:
‘प्रभु के लिये मार्ग तैयार करो।
और उसके लिये राहें सीधी बनाओ।’”
वाह। यह पद यशायाह ४०ः३-५ से लिया गया है। यशायाह में यह अध्याय उन महान नबियों कि शुरुआत है जो मसीह के विषय में बताते हैं। यशायाह ने यह घोषित किया कि इस्राएल के भविष्य में कभी, एक व्यक्ति आएगा जो मसीह के आने कि घोषणा करेगा। यह दूत परमेश्वर के द्वारा भेजा हुआ सामर्थ और अधिकार के साथ बोलने वाला होगा। वह इस्राएल का अंतिम महान नबी होगा। परन्तु यूहन्ना और अन्य नबियों में यह अंतर था कि वह उन लोगों में प्रचार कर रहा था जो स्वयं मसीह से भेंट करेंगे। उनके ह्रदय अपने राजा को मिलने के लिए तैयार होने थे! क्या यह देश इस परमेश्वर के दूत कि सुनेंगे? क्या वे अपने पापों से पश्चाताप करेंगे?
समय आ गया था जब परमेश्वर ने यूहन्ना को जंगल को छोड़ कर अपनी सेवकाई को शुरू करना था। जब यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला प्रचार करता था, तब वह यशायाह 40 कि मदद से यहूदी लोगों को समझाता था कि वह कौन है। जिस तरह हैम समय को नापते हैं, यह शायद 26 AD में हुआ होगा। परन्तु उन दिनों में समय को इस तरह नहीं नापा जाता था। उस समय, रोम के सम्राट जितने साल राज करते थे उस हिसाब से सालों को नापा जाता था।
लूका इस बात को लिखता है कि यह रोम के टिबेरियस कैसर के राज के पन्द्रहवां साल था। उस समय, पॉतिउस पिलातुस रोम का अधिकारी था जो यहोदिय के ऊपर राज करता था। ऐसे यहूदी अगुवे भी थे जो रोमी राज के आधीन में थे। जन हेरोदेस राजा मरा, तब रोमी राज के अगुवों ने तय किया कि इजराइल को उसके दो बेटों के बीच बाँट देंगे। उसका पहलौठा पुत्र जिसका नाम भी हेरोदेस था, उसे गलील पर राज करने को दिया गया। उसके भाई, फिलिपुस और लिसनियस को बाकि के क्षेत्रों के शासक बना दिया।
इस बीच, येरूशलेम में, कैफ़ा और हनन्याह येरूशलेम के मंदिर के महायाजक थे। हेरोदेस राजा ने उन्हें नियुक्त किया था। उन्हें अपनी नियुक्ति आदर और सम्मान के साथ नहीं मिली थी। उन्होंने इस्राएल के उच्च धार्मिक अधिकार को राजनितिक तरीकों के द्वारा हासिल करने कि आज्ञा दी। यह एक बहुत ही भयंकर तरीका था महायाजक बनने का, जो पवित्र परमेश्वर और उसके लोगों के मध्यस्थ होने के लिए बनाय जाते हैं। परन्तु येरूशलेम में महायाजक बनना एक बहुत ही ज़बरदस्त अधिकार होता है, और यह उन लोगों को अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए आकर्षित करता था। उन्हें परमेश्वर के बच्चों के लिए धार्मिक अगुवे बन कर रहना था परन्तु उनके ह्रदय उसकी इच्छा को पूरी करने से बहुत दूर थे।
यह वही लोग थे यूहन्ना के समय और यीशु के जीवन के समय में राज करते थे। उन सभी के पास संसारिक अधिकार थे, परन्तु यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला परमेश्वर कि आत्मा में आया, और वह परमेश्वर के राज्य के लिए जीया। सदनसार के अगुवे परमेश्वर कि सामर्थ के विरुद्ध उसके सेवक के द्वारा आते थे, और उन्हें चुनाव करना पड़ता था। क्या वे परमेश्वर की उन योजनाओं के आगे समर्पण कर सकते थे जिन्हें रोका नहीं जा सकता?
यूहन्ना ग्रामशेत्रों में लोगों को प्रचार करते हुए उन्हें बपतिस्मा देता रहा। उसने उनसे कहा,"पश्चाताप करो, क्यूंकि परमेश्वर का राज्य निकट है।"
यह वाक्य बहुत ही महत्पूर्ण है। यह यूहन्ना कि पूरी सेवकाई का सम्पूर्ण विचार है। आइये कुछ समय लगा कर इसके अर्थ को समझते हैं!
"पश्चाताप" शब्द से उसका क्या मतलब था? यूहन्ना के भीतर एक नबी का उत्साह था। उसके लिए, पश्चाताप ह्रदय का सम्पूर्ण रीति से परिवर्तन होना। इसका मतलब उन सब बातों से दूर होना जो परमेश्वर के विरुद्ध था। इसका मतलब उन सब बातों का इंकार करना जो उसके लिए अशुद्ध और आक्रामक हैं। जब यूहन्ना लोगों को बपतिस्मा देता था, उन्हें उन पापों का पश्चाताप करना था जिनसे उनका कोई वास्ता नहीं था। फिर उनके पूरे शरीर को पानी में डुबाया जाता था, जिस प्रकार पानी का तेज़ बहाव उन सब गन्दगी को बहा ले जाता है। यह एक प्रभावशाली और प्रतीकात्मक क्रिया थी, जो संसार को यह बताती थी कि वे जीवन के एक रूप में मर चुके हैं और दुसरे में उठ रहे हैं!
परमेश्वर अपने पूरे वचन में यह कहता है कि वह हर एक पश्चाताप करने वाली आत्मा से प्रेम करता है। वह यह वादा करता है कि वह उन सभी को स्वीकारेगा जो सच्ची नम्रता के साथ उसके पास आएंगे। वह यह वादा करता है कि वह उनके सभी पाप और अपमान को लेकर उन्हें शुद्ध और साफ़ करेगा। वह वादा करता है कि वह उन सभी को जो उस पर भरोसा रखते हैं और धार्मिक जीवन जीने कि खोज करते हैं, उन्हें सामर्थ देगा। इस्राएल के लोगों के लिए यूहन्ना के ह्रदय कि यही इच्छा थी। क्या यह सुन्दर नहीं है?
आपको क्या लगता है यूहन्ना का क्या मतलब था "स्वर्ग के राज्य" से? जब एक यहूदी व्यक्ति इस वाक्यांश को सुनता था, या जब वे "परमेश्वर के राज्य" शब्द को सुनते थे, उनके भीतर कई विचार आ जाते थे। वे यह समझते थे कि उनका परमेश्वर, यहोवा, युगानुयुग है। उसका कोई आरम्भ नहीं था और वह सदा के लिए था। अनंत काल में, कहीं ना कहीं, परमेश्वर कार्य कर रहा था। उसने पूरी सृष्टि को रचा, पूरे आकाशमण्डल से लेकर सबसे छोटे कीड़े तक। यह सब परमेश्वर का ही है, और इसलिए यह सब उसके महान विश्व राज्य का एक हिस्सा है।
परमेश्वर ने मनुष्य जाती को उसके राज्य कि देख भाल करने का एक सोच से बाहर अवसर दिया। हमें उसके शक्तिशाली सेवक हो कर, उसकी सिद्ध इच्छा को पूरा करते हुए उसकी सृष्टि पर राज करना है। जब मनुष्य ने शैतान के प्रति निष्ठा दिखायी और परमेश्वर से बढ़कर उस पर विश्वास किया, तब इस संसार में हम उस भयंकर श्राप ले आये। हमने उसे अंधकार में डाल दिया, पाप, बीमारी, संघर्ष, क्लेश और मृत्यु रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन गए। हमारे पहले पिता, आदम ने इसे चुना था, और एक मनुष्य के परिवार का पिता होते हुए उसने हम सब के लिए यही चुना। पाप और अपमान का रोग हम मनुष्य के जीवन को पीड़ित करता है।
परन्तु परमेश्वर इस कहानी को यहाँ समाप्त नहीं करने वाला था! प्रारम्भ से ही परमेश्वर कि यह योजना थी कि ज्योति के राज्य को अंधकार में ले आएगा। यहूदी देश परमेश्वर का महत्वपूर्ण हिस्सा था जिसे वह अपने रूप से और शिक्षाओं के द्वारा ला रहा था। उनके नबी उन्हें परमेश्वर के अद्भुद योजना को बताएंगे ताकि मसीह के द्वारा उसके राज्य आनंद और शांति के साथ स्थापित हो सके। यही वह राज्य है जिसका इस्राएल को इंतज़ार था।
यूहन्ना जानता था कि पुराने नियम में मसीह के आने कि घोषणा के साथ साथ, परमेश्वर का वह महान दिन आने वाला था। धर्मी जन जो प्रभु पर विश्वास करते थे और और उसकी आज्ञाकारिता में जीते थे, वे बचाय जाएंगे। परन्तु कठोर मन वाले और पापी नष्ट किये जाएंगे। दुष्टता से दूर होने से इंकार करने से वे स्वर्ग के राज्य के लिए अयोग्य हो गए हैं। यह दिखता था कि परमेश्वर उनका सच्चा राजा नहीं है। उनके अपने ही निर्णय उन्हें परमेश्वर के क्रोध और न्याय के लिए योग्य ठहराते हैं।
यूहन्ना जानता था कि यह उसका काम था कि वह इस्राएल के लोगों के लिए चुनाव बनाने का रास्ता दिखाय। फिर भी वह भविष्य के विषय में विस्तार से नहीं जानता था। वह नहीं जानता था कि सब कुछ कैसे होगा। वह विश्वास के साथ परमेश्वर के वचन को प्रचार करने के लिए निकल गया जो परमेश्वर ने उसे एक चेतावनी के तौर दिया था ताकि लोगों को अपने उद्धारकर्ता और उसके राज्य का उस ह्रदय के साथ स्वागत कर सकें जो पश्चाताप से साफ़ किया गया!