यीशु ने यहूदिया और पेरी से होते हुए इस्राएल के पूर्ण देश कि यात्रा की। अब उसे येरूशलेम कि अंतिम यात्रा पर निकलना था। गलील और समरिया के रास्ते से होते हुए वह दक्षिण को फसह के पर्व को मनाने के लिए गया। बहुत से यहूदी भी इस पर्व को मनाने के लिए जा रहे थे।
Read Moreफरीसियों ने पुराने नियम का अध्ययन किया, और इसलिए वे कई अद्भुत सत्य को जानते थे। पुराने नियम के कई रहस्य थे जिन को छोड़ दिया गया था और इसलिए उनके पास बहुत से सवाल थे। वे यह विश्वास करते थे कि परमेश्वर अपनी पूरी सामर्थ में आकर इस्राएल देश को स्थापित करेगा।
Read Moreनूह और लूत इतने परिपूर्ण पुरुष नहीं थे, फिर भी वे परमेश्वर की सुनते थे। जब परमेश्वर कि दयापूर्ण चेतावनियां आई, उन्होंने उन पर ध्यान लगाया और बच गए। बाकी लोगों ने परमेश्वर की बातों का तिरस्कार किया और अपने भयानक अंत को चुन लिया। यह आदम और हव्वा के कारण बगीचे में किया हुआ पाप ही था।
Read Moreजब लूका ने अपने सुसमाचार में इन बातों को लिखा, उसने यह सीखने का निश्चय किया कि किस प्रकार यीशु के चेलों को जीवन जीना चाहिए। पहले, यीशु ने दृष्टान्त के द्वारा समझाया। लूका ने कहा और यीशु ने दिया ".... उन्हें यह दिखाएं कि निरंतर प्रार्थना करें और कभी हार ना मानें।"
Read Moreयीशु ने जब प्रार्थना के विषय में अपनी आश्चर्यजनक लेकिन उज्ज्वल, स्वच्छ शिक्षाओं को समाप्त किया, वे उत्तर के क्षेत्र से पेरी कि ओर गए। उन्होंने यरदन के उस पार, यहूदिया के क्षेत्र में सफ़र किया। फिर भीड़ उसे घेरी रही और वह उन्हें एक एक कर के चंगाई देता गया।
Read Moreफिर लोग कुछ बालकों को यीशु के पास लाये कि वह उनके सिर पर हाथ रख कर उन्हें आशीर्वाद दे और उनके लिए प्रार्थना करे। किन्तु उसके शिष्यों ने उन्हें डाँटा।
Read Moreचेले जब यीशु को सुन रहे थे, वे उसकी हर बात का विश्वास कर रहे थे। उनकी आशा और भविष्य़ उसकी बातों पर निर्भर करता था। उन्होंने सब कुछ का त्याग कर दिया था क्यूंकि वे उसकी बातों को गम्भीरता से लेते थे! और यीशु ने उन्हें बहुतायत से इनाम देने का वायदा किया है।
Read Moreयीशु येरुशलेम कि ओर जा रहा था। जब वे जा रहे थे, वह उनके आगे आगे चल रहा था क्यूंकि उसे अपने कार्य के प्रति उत्सुकता थी। चेले अचंबित हुए और भय से भर गए। सब आराधनालये के मंसूबों को जानते थे। यीशु के लिए येरूशलेम एक खतरनाक जगह थी।
Read Moreयीशु यरूशलेम के निकट पहुँच रहे थे। जब तक वे यरीहो पहुंचे, उसके चेलों के साथ एक बड़ी भीड़ मिल गयी थी। पूरे शहर में ऐसी उत्साहित भीड़ को देखना एक अनोखा दृश्य रहा होगा! बरतिमाई (अर्थ “तिमाई का पुत्र”) नाम का एक अंधा भिखारी सड़क के किनारे बैठा था।
Read Moreमैं और मेरा परिवार जब येरूशलेम को जा रहे थे, तब हमें पता चला कि यीशु नासरी हमसे कुछ ही दूरी पर है। किसी को भी जल्दी चलने के लिए मुझे मनाने कि आवश्यकता नहीं पड़ी। सब उस मसीहा को देखने के लिए बहुत उत्तेजित थे! कोई भी प्रभु के महान दिन को छोड़ना नहीं चाहता था!
Read Moreजिस रात यीशु जक्कई के घर में और उसके जीवन में गए, उस रात जक्कई ने बहुत जशन मनाया होगा! यीशु के चेलों के साथ और परिवारों के साथ जक्कई ने बड़ा भोज बांटा।
Read Moreयहूदियों का फ़सह पर्व आने को था। बहुत से लोग अपने गाँवों से यरूशलेम चले गये थे ताकि वे फ़सह पर्व से पहले अपने को पवित्र कर लें। वे यीशु को खोज रहे थे। इसलिये जब वे मन्दिर में खड़े थे तो उन्होंने आपस में एक दूसरे से पूछना शुरू किया,कि आने वाले दिनों में क्या होगा।
Read Moreफसह के पर्व के लिए यीशु और उसके चेले बैतनिय्याह से येरूशलेम को गए। लाज़र को लेकर भीड़ इतनी उत्साहित थी कि वह उनके पीछे हर जगह चलती रही। यीशु और उसके चेले जब यरूशलेम के पास जैतून पर्वत के निकट बैतफगे पहुँचे तो यीशु ने अपने दो शिष्यों को यह आदेश देकर आगे भेजा।
Read Moreयीशु ने यरूशलेम में स्तुति और प्रशंसा करते हुए प्रवेश किया। जब वह बछड़े के ऊपर बैठ कर आ रहा था लोग उसके साथ नाचते थे, और जकर्याह की भविष्यवाणी को पूरा कर रहे थे। उस दिन कि कहानियों का उस रात येरूशलेम में बहुत चर्चा हुई।
Read Moreयह सप्ताह का दूसरा दिन था। मंदिर में तबाही मचाने के एक पहले कि यीशु का उमंग भरी प्रवेश, पर्व के माहौल में अभी भी गूँज रहा था। यीशु अविश्वासियों के अहास में प्रचार कर रहा था, और पैसे परिवर्त्तकों को बाहर रखते हुए, पिता के पवित्र मंदिर को शुद्ध रखने का प्रयास कर रहा था।
Read Moreयीशु का येरूशलेम फसह के पर्व में आना हवा के समान था, जिसने सब कुछ उल्टा पुल्टा कर दिया था। उसने दिखावे कि झूठी आराधना को उनके भ्रष्टाचार के द्वेष को हिला कर रख दिया था। लोगों के पक्ष को बुलाया गया। क्या वे मनुष्य के रास्ते को चुनेंगे या परमेश्वर के रास्ते को? क्या वे सच्चे इतिहास कि ओर होंगे? क्या वे परमेश्वर के साथ वफादार रहेंगे?
Read Moreसुबह हो गयी थी, यीशु अपने चेलों के साथ बैतनिय्याह को जैतून के पहाड़ पर येरूशलेम के उस पार चला गया। यीशु उन्हें स्वर्गीय पिता के विषय में सिखा रहा था। चेले परमेश्वर के बेटे पर विश्वास करते थे, और इसीलिए उनके परमेश्वर ने इच्छापूर्वक उनकी प्रार्थना को सुना।
Read Moreपरमेश्वर के पुत्र का इस्राएल के अगुवों के विरुद्ध परमेश्वर का अभियोग धार्मिक बहुत क्रोधित थे। और वे डर गए थे। किसी को भी, यहाँ तक के सबसे बुद्धिमान इंसान भी यीशु के विरुद्ध में खड़े होने कि हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
Read Moreयीशु मंदिर के आंगन में खड़ा था, वह पहले से ही इस्राएल के अगुवों के विरुद्ध अपनी अभियोग बातें करने लगा था। यहाँ परमेश्वर का पुत्र था, जो पवित्र देश के अगुवों के विरुद्ध फटकार रहा था। उन्होंने किस तरह लोगों को अपने प्रभाव से दुष्प्रयोग!
Read Moreयीशु परमेश्वर के पवित्र मंदिर पर खड़े होकर फरीसियों और धार्मिक अगुवों को क्रोध के साथ ऐलान कर रहा था। अब साँतवे और अंतिम अभिशाप का समय आ गया था।
Read More