कहानी ३५: यीशु की चंगाई करने कि सामर्थ|

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यीशु और उसके चेले जब गलील भर के शहरों और कस्बों को वापस चल दिए, तब यीशु अपने प्रचार और चंगाई के कार्य को करता रहा। सारी दुनिया से इस मशहूर जवान प्रचारक को लोग सुनने के लिए आने आये। वह क्या अचंभित बातें कर सकता था! कितनी उल्लेखनीय बातें वह बोलता था!

एक दिन, एक कुष्ठ रोग व्यक्ति यीशु के पास आया। इस भयानक बीमारी से लोगों का जीवन नष्ट हो गया था। उनकी त्वचा घृणित घावों के साथ सफेद होने लगी। उनकी हाथ और पैर की उंगलियों संक्रमित होने से गिर जाते थे। यहूदी लोगों के लिए, कुष्ठ रोग के साथ किसी को भी अशुद्ध माना जाता था। वे अछूत थे। जो भी उन्हें छू लेता था वह भी खुद अशुद्ध हो जाता था।

यीशु के समय में कोढ़ियों को दूसरों से अलग रखा जाता था ताकि दूसरों को अशुद्ता से बचाया जा सके। अपने परिवार से अलग रखे जाने के दर्द की कल्पना कीजिये। कल्पना कीजिये कि कई सालों तक कोई आप न तो छूए और न ही गले लगाये। जब आप लोगों के बीच में हों तो आपको यह चिल्लाना परे "अशुद्ध" ताकि कहीं वे गलती से आपको छु न लें।

कल्पना कीजिये कि जैसे जैसे यह बीमारी पूरे शरीर में फैलती है और इसके साथ अकेलापन और गहरा होता जाता है। यह रोग एक निराशाजनक, दर्दनाक जेल था, और आदमी स्वतंत्रता के लिए बेताब था! उसने इस प्रचारक जिसका नाम यीशु था, उसके विषय में सुना था कि उसके अंदर चंगा करने कि शक्ति है। उसने प्रभु को ढूँढा, और जब वह मिल गया, वह उसके पैरों पर गिर गया। वह मुँह के बल उसके पैरों पर गिरा और बोला, "'प्रभु ,यदि तू चाहे, तो तू मुझे साफ़ कर सकता है।'" यीशु के सामर्थ पर उसे कितना विश्वास था !

जब यीशु ने उस व्यक्ति कि और देखा तो उसे दया आई। उसने हाथ बढ़ा कर उस कोढ़ी को छूआ और कहा, "'मैं तैयार हूँ। तुम साफ हो जाओ!'" तुरन्त, कोढ़ पूरी तौर से साफ़ हो गया। वह व्यक्ति पूरी तौर से चंगा हो गया था।

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कैसा लगा होगा कि कोई हाथ बढ़ाकर उसे छु रहा और चंगा कर रहा है? उसे कितना अचम्भा लगा होगा जब उसने यह देखा होगा कि सारी बीमारी गायब हो गयी है और उसकी त्वचा पूरी तौर से स्वस्थ है!

अब, पुराने नियम के व्यवस्था के अनुसार, जब यीशु ने उस आदमी को छूआ, वह भी अशुद्ध हो गया। परन्तु यीशु दया दिखाने के लिए ज़यादा चिंतित थे। पुराने नियम में मूसा के नियम इस्राएल के लोगों को शुद्ध और पवित्र जीवन बिताने के लिए तब तक दिए गए थे जब तक परमेश्वर ने पाप और मृत्यु पर जय पा ली। यीशु, जो परम पवित्र परमेश्वर था, जो हर बात में पूर्ण रूप से पवित्र था, जो कुछ अपवित्र था उसे छूता था और उसे बदल देता था। लेकिन वह अपवित्र नहीं होता था! वह इतिहास का एक नया दौर ला रहा था! वह इस संसार के श्रापित सामर्थ को परमेश्वर के राज्य को लाकर, पलटने आया था।

उस व्यक्ति कि देख भाल करना यीशु ने नहीं छोड़ा था। उसने उसे सावधनिक बरतने के लिए कुछ आज्ञा देते हुए कहा, "'देखो कि तुम किसी से भी इस विषय में न कहना। परन्तु जाओ, अपने आप को याजक को दिखाओ और मूसा के दिए हुए नियम के अनुसार अपनी शुद्धिकरण के लिए एक गवाही के तौर पर भेंट चढ़ाओ।'"

मूसा के नियम के अनुसार, जो भी इस कुष्ट रोग से चंगा होता था उसे वह याजक के पास जाकर विशेष भेंट चढ़ा सकता था। अगर याजक उसकी भेंट स्वीकार कर लेता था, यह एक किसम कि घोषणा होती थी कि चंगाई पूरफन रूप से मिल गयी है। वह शुद्ध हो गया था! कोढ़ी अपने परिवार के साथ जुड़ सकता था और समाज में फिर से रह सकता था! उनका पूरा जीवन उनको वापस मिल जाता था !

यदि याजक कहता है कि कोढ़ी शुद्ध है तो, यह यीशु के दिव्या शक्ति कि घोषणा मानी जाती थी, क्यूंकि कोढ़ का कोई इलाज नहीं था। केवल परमेश्वर ही कर सकता था! क्यों यीशु उस इस अद्भुत चमत्कार के बारे में किसी को बताना नहीं चाहता था? खैर, लोग यह समझते की एक कोढ़ी का उपचार एक बहुत ही शक्तिशाली, अलौकिक कार्य था। यीशु जानता था कि यदि लोगों को इसके विषय में पता चलता है, वे उसे ढूंढ़ने आएंगे। लेकिन वे सच्चाई को ढूंढने की इच्छा से उसे ढूंढने नहीं आएंगे। वे शानदार चमत्कार के रोमांच को देखने के लिए आएंगे। वे परमेश्वर के पुत्र के प्रचार को मनोरंजन के रूप में व्यवहार करेंगे।

यदि आप कोढ़ी होते तो आप क्या ,करते? यदि यीशु आपको ऐसी बीमारी से चंगाई देते जो आपके जीवन को नष्ट कर रहा था जिसने आपको अपने परिवार से दूर कर रखा था और आपको शहर से दूर बहार रहने को मजबूर करता, आप क्या करते यदि वह आपको आज्ञा देता? क्या आप पालन करते ?

खैर, उस कोढ़ी ने वैसा नहीं किया। याजक के पास जाने के बजाय वे सब तरफ गया और सबको इसके विशय में बताया। पूरे शहर को पता चल गया था। एक कोलाहल उठ गया कि यीशु सड़क पर चल भी नहीं सकता था। उसे अकेला स्थानों में बाहर शहर के रहना पड़ा। यीशु ने इस आदमी को अकेलेपन से बचा लिया था लेकिन इस व्यक्ति के अवज्ञा के कारण यीशु को मजबूरन शहर के बहार जाकर रहना पड़ा।

जो चमत्कार केवल परमेश्वर ही कर सकता था उसके विषय में सब को मालूम हो गया था। चंगाई के लिए लोग सब जगहों से आने लगे। दिन प्रति दिन, हफ्ते बर हफ्ते, यीशु ने बिमारों को चंगा किया और दुष्ट आत्माओं से ठीक किया, पीड़ा और शर्म के बंधन से लोगों को आज़ाद किया।

इन सब व्यस्त सेवकाई और थका देने वाले कामों के बीच में भी याशु अपने स्वर्गीय पिता के साथ समय बीतता था। वह सब लोगों से दूर जंगल में जाकर एक स्थान में प्रार्थना करने के लिए जाता था।