कहानी २६: लड़ाई का शुरू होना
उसके बपतिस्मा के बाद, यीशु,पवित्र आत्मा के द्वारा जंगल में ले जाया गया की वह शैतान के द्वारा परखा जाए। इस बीच येरूशलेम के सलाहकार जो देश के सबसे सामर्थी धार्मिक अग्वे थे, उन्होंने याजकों को यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के पास सवाल करने के लिए भेजा। किसी ने भी यूहन्ना को प्रचार करने के लिए अधिकार नहीं दिया था। क्या वह परमेश्वर द्वारा भेजा गया मनुष्य था, या वह एक पाखंडी था? क्या वह मसीहा हो सकता था? यूहन्ना ने तुरंत घोषित किया कि वह वो मसीहा नहीं है जिसका उनको इंतज़ार है। उन्होंने उससे बहुत सवाल किये। यदि वह यीशु नहीं था तो कौन था ? एक नबी ? एलिजा ? वे लोगों को क्या जवाब देंगे जिन्होंने उनको भेजा था ?
यूहन्ना ने उनको अपने ज्ञान के बल पर उत्तर दिया “ मैं उसकी आवाज़ हूँ जो जंगल में पुकार रहा है:‘प्रभु के लिये सीधा रास्ता बनाओ।’”जैसे कि यशायाह नबी ने कहा था।
यह वचन परमेश्वर ने उसे और उसके माँ बाप को दर्शाया और वह अपने आप को कम या ज़यादा नही कहता।
अंत में फरीसियों में से कुछ ने उस से पूछा, यदि वह पुराने नियम में के महान नेताओं में से एक नहीं था तो उसे लोगों को बपतिस्मा देने का क्या अधिकार था ?
उसने कहा ' मैं जल से बपतिस्मा देता हूँ लेकिन आप के बीच में एक खड़ा है जिसे आप नहीं जानते ,वह मेरे पीछे आता है, जिसका जूता मैं खोलने के योग्य नहीं हूँ। ' "
वाह ! उन दिनों में, सड़कें धूल से भरी थीं, और अधिकतर लोग पैदल सब जगह जाया करते थे। जूतों को बांधना और खोलना एक बहुत विनम्र काम हुआ करता था। यूहन्ना को नहीं लगा कि वह इस काम को करने के योग्य है और विशेषकर के जब यीशु के पैरों से उनके जूते खोलने थे। इस परमेश्वर की इच्छा के आगे यूहन्ना कितना सही और शुद्ध था। जो मनुष्य यूहन्ना के पास सवाल करने के लिए आये थे वे समझते थे कि उनके पास उन सवालों का उत्तर पाने का पूरा अधिकार है।परन्तु परमेश्वर ने यूहन्ना को उसके आने के सन्देश के विषय में अधिकार दिया था। परमेश्वर कि योजनाओं के विषय में उन अधिकारीयों कि आँखें बंध थीं और यह दर्शा रहा था कि उनके ह्रदय कितने कठोर थे।
जिस समय धार्मिक अग्वे परमेश्वर कि योजनाओं को अस्वीकार कर रहे थे, बहुत से लोग यूहन्ना के सन्देश पर विश्वास कर के बपतिस्मा ले रहे थे। इन लोगों ने सुना कि पवित्र आत्मा यूहन्ना से क्या कह रहा है, और वे उसके पीछे चलने को बहुत उत्साहित थे। अधिकतर लोग उसके चेले बन गए थे। उसकी वचन कि बातों को सुनने के लिए वे बहुत दिन तक नदी के किनारे डेरा लगाकर रहने लगे।
क्या आप ऐसे व्यक्ति नहीं बनना चाहेंगे? यह कितना भयानक विचार है ऐसा सोचना कि हम परमेश्वर कि योजनाओं के विरुद्ध अपने मनों को कठोर कर लें ! सबसे सुरक्षित बात यह होगी कि हम वही करें जैसा यूहन्ना कहता है। हमें परमेश्वर के आगे निरंतर विनम्र और पश्चाताप के ह्रदय के साथ आना चाहिए।
उस समय, यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला यरदन शहर के पास बपतिस्मा देता था। जंगल में स्वर्गदूत जब यीशु कि सेवकाई कर चुके, वह बेथनी के डेरे में वापस चला गया। एक दिन, जब यीशु वहाँ से गुज़र रहा था, यूहन्ना ने कुछ चेलों से कहा, "उस परमेश्वर के मेमने को देखो, जो सारी दुनिया का पाप लिये जाता है!" वाह ! यह एक दम भरने वाला विशाल बयान है। उन सब पाप के वषय में सोचो जो श्राप के कारण इस दुनिया में आया। हर झूठ, हर खून, हर स्वार्थ से भरा काम या गंदे मज़ाक, हर चोरी, हर गिरा हुआ पाप, और हर एक व्यक्ति का सबसे भत्तर हिस्सा, यह सब यह एक मनुष्य दूर कर देगा। या तो यह एक विशाल सच है जो एक श्रापित दुनिया ने सुना होगा या फिर यह एक बेतुका झूठ है और यूहन्ना एक बददिमाग इंसान था।
तब यूहन्ना ने कहा कि यीशु है जिसकी जूते वह पकड़ने के योग्य नहीं था। जिसके विषय उसने बात की वह आ गया था! उसने कहा, "जिस कारण मैं पानी का बपतिस्मा देने के लिए आया था वह इसलिए था कि वह इस्राएल को प्रकट हो सके।“ वाह ! यूहन्ना अपने सारे जीवन भर यीशु के विषय में बता सकता था और यह कि यीशु क्या कुछ करने वाला था और वह पूरी पूरी गहराई से उस पर विश्वास करता था जिसका वह प्रचार करता था। स्वर्गदूतों का उसके पिता के सामने प्रकट होना जो पवित्र से भी पवित्र था, उसकी माँ का अद्बुध तरीके से गर्भवती होना, जंगल में बहुत साल तक रहना, यह सब उस यीशु के विषय में था जो गलील में एक बढई था। यूहन्ना कैसे जानता था? वह यह कैसे जान सकता था कि उसका भाई पुराने नबियों में से वो मसीहा था ?
यूहन्ना ने यह माना कि यदि परमेश्वर ने उसे यह नहीं दिखाया होता कि यीशु ही वो है तो वह कभी नहीं जान पाता। जो परमेश्वर ने कहा उसपर उसे पूरा भरोसा था। परमेश्वर ने यूहन्ना को बता दिया था कि जब वह व्यक्ति आएगा तब उसपर पवित्र आत्मा उतरेगा। यह ठीक वैसा ही हुआ जब उसने यीशु को बपतिस्मा दिया। यूहन्ना को पूरा विश्वास था कि पिता परमेश्वर ने उसे मसीहा को प्रकट कर दिया था। और तब वह साहसपूर्व घोषित करने लगा कि,"मैंने परमेश्वर के पुत्र को देखा है और उसकी गवाही देता हुँ। "
दुसरे दिन जब यूहन्ना दो चेलों के साथ खड़ा था, यीशु दुबारा वहाँ से गुज़रा। उसने कहा ,"देखो, परमेश्वर का मेमना!" चेले जानते थे कि यूहन्ना सच बोलता है और वे यीशु के पीछे हो लिए। यीशु ने पीछे मुड़ कर उन्हें अपने पीछे आते देखा। "तुम्हें क्या चाहिए ?" उसने पुछा।
उन्होंने कहा, "रब्बी, आप कहाँ रहते हैं ?" अब, यह शब्द "रब्बी" का अर्थ है शिक्षक, परन्तु इसका मतलब कोई भी शिक्षक नहीं। इसका अर्थ है मेरा शिक्षक। योहन्ना के यह चेले चाहते थे कि यीशु उनको अपना बना ले।
"आओ 'उसने उत्तर दिया, "और तुम देखोगे। "दोपहर के चार बज रहे थे। वे यीशु के साथ चले गए और उसके साथ पूरा दिन बिताया। उनमें से एक का नाम अन्द्रियास था। जैसे ही उसने सुना जो यूहन्ना ने कहा था, वह अपने भाई, जिसका नाम शिमोन था, उसे ढ़ूंढ़ने चला गया। सोचिये, वह कितना खुश हुआ होगा जब उसे यह बताया गया होगा कि "हमें मसीहा मिल गया है! "तब शिमोन को वह यीशु के पास सीधे ले गया। जब यीशु ने शिमोन को देखा तब उसने कहा, "तुम शिमोन हो, यूहन्ना के बेटे। तुम्हारा नाम केफस होगा ( जिसका अर्थ पतरस भी है। इसका अर्थ है 'चट्टान ")
दुसरे दिन यीशु ने गलील जाने की योजना बनाई। वह एक व्यक्ति जिसका नाम फिलिपूस था उसके पास गया और बोला "मेरे पीछे हो ले। फिलिपूस उसी नगर था जहाँ के पतरस और अन्द्रियास थे। यह गलील के समुन्दर के उतरी भाग के पानी के किनारे पर बसा हुआ एक शहर था।फिलिपूस अपने दोस्त नतनएल को खोजने गया ताकि वह भी उनके साथ आ सके। उसने कहा,"" ' हमने उसे खोज लिया है जिसके विषय में मूसा ने नियम में लिखा था, और जिसके विषय में नबियों ने लिखा था - यीशु नासरी, युसूफ का पुत्र। "
नतनएल ने कहा," नासरी! क्या नासरी से कुछ अच्छा निकल कर आ सकता है ? " इस्राएल में तो बहुत से सुन्दर शहर और पसंद आने वाली जगहैं हैं, और नासरी उसमें से एक नहीं हो सकता। नथानियल को यह बहुत अजीब और अद्बुध लगा कि यीशु ऐसे शहर से आया था। लेकिन फिलिपूस का ध्यान ओझल नहीं हो सकता था। "आओ और देखो !" उसने ज़ोर दिया।
जब नतनएल यीशु के पास गया, तो यीशु ने कहा, "यहाँ एक सच्चा इस्राएली है जिसके अंदर कोई असत्य नहीं है। "
"'आप मुझे कैसे जानते हैं? ' नतनएल ने पूछा।"
'यीशु ने उत्तर दिया, "फिलिपूस के बुलाने से पहले मैंने तुम्हे खजूर के पेड़ के नीचे खड़े देखा था। "
नथानियल बहुत चौकन्ना हुआ। उसने पुकार के कहा, "रब्बी , आप परमेश्वर के पुत्र् हैं, आप इस्राएल के राजा हैं। '"
यीशु ने वापस उत्तर दिया, "तुम विश्वास करते हो क्युंकि मैंने तुम्हे बताया कि मैंने तुम्हे खजूर के पेड़ के नीचे खड़े देखा था।
तुम इससे भी बड़े बड़े काम देखोगे.. मैं तुमसे सच कहता हूँ, तुम स्वर्ग को खुलते देखोगे, और मनुष्य के पुत्र् पर परमेश्वर के स्वर्गदूतों को उतरते और चढ़ते देखोगे। "
वाह ! क्या आप चेलों की उत्तेजना को समझ सकते हैं जब वे यीशु के साथ साथ चलेंगे और बातें करेंगे? यह मसीह था, और उसने उनको चुन लिया था !