यूसुफ पोतीपर के घर में एक दास के रूप में मिस्र में रह रहा था। बाइबिल बताती है कि परमेश्वर युसूफ के साथ था, जिसका मतलब है की यूसुफ को आशीर्वाद देने के लिए वह उसके साथ था। चाहे वह एक ग़ुलाम था और वादे के देश से बहुत दूर था, परमेश्वर कि सुरक्षा और देखभाल उसके लिए नहीं बदला था।
Read Moreयूसुफ ने कई सालों जेल की काल कोठरी में बिताया। फिर भी वह ईमानदारी और वफ़ादारी के साथ परमेश्वर की सेवा करता रहा। उसकी पीड़ा के बीच में उसका परमेश्वर उसके साथ था, और उसे यह भरोसा था की उसके लिए परमेश्वर की कोई योजना अवश्य थी।
Read Moreयूसुफ मिस्र के राजा के जेल में एक वफ़ादार सेवक के रूप में काम करता रहा। एक समय में, उसने फिरौन के पिलानेहारा और मुख्य पकानेहारा के सपनों की व्याख्या की थी। उसकी व्याख्याएं आश्चर्यजनक तरीके से एक दम सही थीं।
Read Moreफिरौन ने युसूफ को पूरे मिस्र का अधिकारी बना दिया था। उसने अपनी मुद्रिका उतार कर युसूफ को पहना दी। अंगूठी एक मोहर थी जिसे पिघले मोम के लिए दबाया जाता था। कोई पत्र या पुस्तक पर उस अंगूठी की मोहर फिरौन के द्वारा दिए आदेश के बराबर था। यूसुफ देश में सबसे शक्तिशाली निर्णय निर्माता था!
Read Moreयूसुफ जब पहले अपने भाइयों से मिला था वे गुस्से में थे और क्रूर थे। जबकि उसने अपने जीवन के लिए उनसे भीख मांगी थी, फिर भी उन्होंने दूषित व्यापारियों के हाथ उसे बेच दिया था। अब जब वे मिस्र में उसके सामने खड़े थे, वे कनान की लंबी यात्रा के कारण गंदे और थक चुके थे। उसके खानाबदोश भाई उससे कितने भिन्न लग रहे थे। उसे क्या करना चाहिए?
Read Moreयूसुफ के भाइयों ने अन्न को अपने गधों पर लादा और वहाँ से चल पड़े। वे सभी भाई रात को ठहरे और भाईयों में से एक ने कुछ अन्न के लिए अपनी बोरी खोली और उसने अपना धन अपनी बोरी में पाया। अचानक, वह बहुत डर गया।
Read Moreजब वे यूसुफ के घर पर पहुंचे तो वे उसके कोषाध्यक्ष के पास गए, जो पूरे घर का मुख्य सेवक था। वह यूसुफ के सुंदर और सुरुचिपूर्ण घर के बाहर खड़ा था। वे भयभीत होकर उसके पास गया और उसे सारा हाल बताया की कैसे उन्होंने रास्ते में अपनी बोरियों में चांदी पाई।
Read Moreजुदाई के इतने वर्षों के बाद, यूसुफ के भाई उसके निवास्थान में बैठे थे, और यूसुफ आँसुओं के साथ अति अभिभूत था। बिन्यामीन को देखकर वह फूट फूट कर रोया। अपने आप को संभालने के लिए वह कमरे से बाहर चला गया।
Read Moreजब यूसुफ ने अपने भाइयों को बताया कि वह वास्तव में कौन था, वे घबराहट के कारण कुछ नहीं बोल पाए। इतने सालों पहले, वह बिलकुल अकेला था, उन्होंने उसे एक सूखे कुण्ड में फेंक दिया था और एक ग़ुलाम बनने के लिए उसे बेच दिया था।
Read Moreयाकूब और उसका घराना जब मिस्र की ओर यात्रा को निकले, उसने यहूदा को यूसुफ़ के पास पहले भेजा। परिवार की आवश्यकता थी कि कोई उन्हें गोशेन जाने के लिए दिशा-निर्देश करे और भव्य पुनर्मिलन के लिए तैयार करे।
Read Moreइस्राएल कि ताकत निरंतर कम होती चली गयी। यूसुफ को मालूम हुआ कि वह भयंकर रूप से बीमार होता जा रहा था। उनके दादा से मिलाने के लिए वह गोशेन में उसके दोनों पुत्र मनश्शे और एप्रैम को ले आया।
Read Moreएक बार याकूब ने यूसुफ के पुत्रों पर इन विस्तृत और शक्तिशाली आशीर्वाद को देने के बाद, उसने अपने सभी पुत्रों को बुलवाया। उसने कहा, "''मेरे सभी पुत्रो, यहाँ मेरे पास आओ। मैं तुम्हें बताऊँगा कि भविष्य में क्या होगा।'" तब याकूब ने प्रत्येक पुत्र को, बड़े से छोटे को, परमेश्वर कि दृष्टि में जो कुछ होने जा रहा है उसके विषय में बताया।
Read Moreदूसरे पुत्र को परमेश्वर का दिया आशीर्वाद रूबेन, शिमोन, और लेवी से बिलकुल भिन्न था। यह पुत्र यहूदा था। हम इसके विषय में पढ़ेंगे की किस प्रकार उसका विस्तृत आशीर्वाद इस्राएल और दुनिया के देश को बदल देगा। ये उल्लेखनीय आशीर्वाद अनंत काल तक जारी रहेंगे!
Read Moreयह कितना दिलचस्प है किउत्पत्ति कि पुस्तक दुनिया के निर्माण के साथ शुरू हुई। परमेश्वर ने अपने शक्तिशाली शब्द से शून्य से पूरे ब्रह्मांड को बनाया। अब, उत्पत्ति के अंत में, याकूब अपने पुत्रों को आशीर्वाद दे रहा है। ये आशीर्वाद भी, परमेश्वर के वचन हैं।
Read Moreयाकूब ने अगला आशीर्वाद अपने पुत्र यूसुफ के लिए दिया। यूसुफ के पुत्र एप्रैम और मनश्शे पहले से ही धन्य हो गए थे, और उनमें से प्रत्येक याकूब के बेटे और उनके जनजाति बराबर माने जाएंगे। क्यूंकि यूसुफ को अपने पिता से विरासत के दो भाग प्राप्त हुए, इसीलिए उसे दो में गिना जाएगा।
Read Moreयाकूब ने जनजातियों के बारे में भविष्यवाणी के शब्दों के साथ अपने प्रत्येक पुत्र को आशीर्वाद दिया जो परमेश्वर के पवित्र राष्ट्र को बनाएंगे। ये लुभावनी आस्था के शब्द थे। याकूब को परमेश्वर पर उन अनदेखी बातों पर विश्वास था जो परमेश्वर उसके लिए करेगा।
Read Moreउत्पत्ति में जो हमने सीखा उसकी बड़ी तस्वीर को एक साथ याद करें। मानव जाति के लिए परमेश्वर की एक अद्भुत योजना है। परमेश्वर ने उनके लिए सौंदर्य और ज्योति का एक ब्रह्मांड बनाया, और एक आदर्श वाटिका में दो जीवित पहले दो मनुष्यों को रखा। उनको अपनी छवि में बनाया। उसने उन्हें इसीलिए बनाया ताकि वह उनसे प्रेम कर सके और वे भी एक निकट संबंध में होकर उससे वापस प्रेम कर सकें। वह पूरी तरह से उनके पूर्ण विश्वास का हक़दार था।
Read Moreजब यूसुफ के भाई मिस्र में याकूब के साथ गए, तब पूरे परिवार में केवल सत्तर लोग थे। उन्हें मिस्र में उच्च सम्मान मिला क्यूंकि वे यूसुफ से सम्बन्ध रखते थे। उनके कई बच्चे हुए। चार सौ साल तक मिस्र में परिवार में वृद्धि होती रही। परमेश्वर ने इब्राहीम के साथ कीये अपने वादे को सम्मानित किया। आकाश में जितने तारे थे उतने उसके वंशज थे। वहां 600,000 पुरुष थे और स्त्रियाँ और बच्चे और भी अधिक थे।
Read Moreइब्राहीम, सारा, और इसहाक: परमेश्वर कि वाचा परिवार के ये तीन सदस्यों के साथ शुरू हुआ। परमेश्वर ने इब्राहीम से वादा किया की वह उसे कई राष्ट्रों का पिता बनाएगा। अकाल के कारण जब याकूब मिस्र के लिए अपने बेटों के साथ निकला, उसके परिवार के सत्तर सदस्य थे।
Read Moreयाकूब के ग्यारह पुत्र उसके साथ मिस्र को गए। यूसुफ वहाँ पहले से ही था। उनके बच्चों के बच्चे हुए, और उनके भी और बच्चे हुए। चार सौ साल बाद, इस्राएलियों कि दो लाख से अधिक संख्या हो गयी। फिरौन इसी बात को लेकर बहुत चिंतित था!
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