पाठ 72 : शाप के रूप में याकूब का आशीर्वाद
एक बार याकूब ने यूसुफ के पुत्रों पर इन विस्तृत और शक्तिशाली आशीर्वाद को देने के बाद, उसने अपने सभी पुत्रों को बुलवाया। उसने कहा, "''मेरे सभी पुत्रो, यहाँ मेरे पास आओ। मैं तुम्हें बताऊँगा कि भविष्य में क्या होगा।'" तब याकूब ने प्रत्येक पुत्र को, बड़े से छोटे को, परमेश्वर कि दृष्टि में जो कुछ होने जा रहा है उसके विषय में बताया। क्यूंकि आप देखिये, याकूब केवल आशीर्वाद नहीं देने जा रहा था। वे उस परमेश्वर कि ओर से दी गयीं भविष्यवाणियां थीं जो सब जानते थे।
उनमें से बहुत से आशीर्वाद उत्सुकता जगाते थे क्यूंकि वे अभिशाप के समान थे। वे याकूब के पुत्र को भविष्य के कयामत के विषय में बताते हैं। फिर भी ये वास्तव में महान सुरक्षा हैं। उदाहरण के लिए, रूबेन को दिए पहले आशीर्वाद को पढ़िए;
"याकूब के पुत्रो, एक साथ आओ और सुनो,
अपने पिता इस्राएल की सुनो।
रूबेन, तुम मेरे प्रथम पुत्र हो।
तुम मेरे पहले पुत्र और मेरी शक्ति का पहला सबूत हो।
तुम मेरे सभी पुत्रों से अधिक गर्वीले और बलवान हो।
किन्तु तुम बाढ़ की तंरगों की तरह प्रचण्ड हो।
तुम मेरे सभी पुत्रों सेअधिक महत्व के नहीं हो सकोगे।
तुम उस स्त्री के साथ सोए
जो तुम्हारे पिता की थी।
तुमने अपने पिता के बिछौने को
सम्मान नहीं दिया।”
उत्पत्ति 49: 2-4
इस्राएल का राष्ट्र परमेश्वर के पवित्र लोगों का होना था। रूबेन पहलौठा पुत्र था, लेकिन उसने अपने पिता और परिवार के विरुद्ध में एक भयानक पाप किया था। रूबेन अपने पिता याकूब की रखैल के साथ उस प्रकार रहा जिस प्रकार केवल एक पति अपनी पत्नी के साथ होता है। इस दुष्टता के कारण पूरा परिवार प्रदूषित हुआ और रूबेन अशुद्ध हो गया। परमेश्वर के परिवार का नेतृत्व करने के लिए वह सही नहीं था।
याकूब के ये कहे गए शब्द इस्राएल के पूरे इतिहास को प्रभावित करेंगे। याकूब के बच्चे इन शब्दों का अध्ययन करेंगे और इन्हें एक गाइड के रूप में उपयोग करेंगे। यह राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण था कि वे यह समझें की याकूब के लिए, जो उनका महान कुलपति था, यह महत्वपूर्ण था। याकूब ने उससे पहलौठे होने के अधिकार को छीन लिया था क्यूंकि उसने कोई दुष्ट काम किया था। कितना कठिन सबक है, लेकिन कितना महत्वपूर्ण भी है!
बाइबिल याकूब के पहलौठे पुत्र के रूप में रूबेन कि सूची जारी रखेगी। लेकिन इतिहास में, उसकी जनजाति के पास कोई अधिकार नहीं सौंपा जाएगा। वे राष्ट्र के राजा या उसके याजक कभी नहीं होंगे। इस्राएल के नबियों या न्यायाधीशों में से कोई भी रूबेन के गोत्र से नहीं निकल कर आएगा।
याकूब ने अपने दूसरे और तीसरे बेटे, शिमोन और लेवी से बातचीत जारी रखी। उसने कहा,
"'शिमोन और लेवी
लवारों से लड़ना प्रिय है।
उन्होंने गुभाई हैं।
उन्हें अपनी तप्त रूप से बुरी योजनाएँ बनाईं।
मेरी आत्मा उनकी योजना का कोई अंश नहीं चाहती।
मैं उनकी गुप्त बैठकों को स्वीकार नहीं करूँगा।
उन्होंने आदमियों की हत्या की जब वे क्रोध में थे और उन्होंने केवल विनोद के लिए जानवरों को चोट पहुँचाई।
उनका क्रोध एक अभिशाप है।
ये अत्याधिक कठोर और अपने पागलपन में क्रोधित हैं।
याकूब के देश में इनके परिवारों की अपनी भूमि नहीं होगी।
वे पूरे इस्राएल में फैलेंगे।”
उत्पत्ति 49: 5-7
रूबेन के समान, शिमोन और लेवी भी परमेश्वर के लोगों का नेतृत्व करने के योग्य नहीं थे। चाहे वे अगली वारिस थे, उन्होंने भी भयंकर पाप किया था। उनका पाप हिंसा के रूप में आया। शिमोन और लेवी ने शकेम में जाकर नगर के हर एक व्यक्ति को मार डाला था। उनका पाप हिंसा के रूप में आया।वे अपनी बहन, दीना का बदला ले रहे थे, क्यूंकि उसके साथ बुरा हुआ था। केवल एक व्यक्ति के कारण यह फिर भी शहर के प्रत्येक व्यक्ति को मारना यह एक बड़ा अन्याय था। उन्होंने अपने भयानक निर्णय को दिखाया। सही सुझाव कि ओर जाने के लिए वे बुद्धिमान लोग नहीं थे!
हम कान कि कहानी को याद करते हैं, तो हम देख सकते हैं कि क्यों याकूब के लिए शिमोन और लेवी के विरुद्ध आशीर्वाद देना आसान था। कान ने एक भयानक हत्या कि थी और उसे इस पर गर्व था। उसने अपने पुत्रों को हिंसा और दुर्भावनापूर्ण जीत पर गर्व करना सिखाया। कान के वंशज भी उसी के समान निकले। लेमेक, कान कि सात पीढ़ियों के बाद आया था, जो अभी भी कान कि हत्या के बारे में डींग मारता था। उसने उसे अपने जीवन का आधार बनाया। कान के परिवार में, हत्या करना उनके लिए एक गर्वकिबात होती थी।
इन आयतों में, याकूब ने पूरी तरह से शिमोन और लेवी के व्यवहार को शर्मिंदा किया। इस्राएल के राष्ट्र किसभी आने वाली पीढ़ियों के लिए, उसने यह स्पष्ट कर दिया था कि यह परमेश्वर के लोगों का तरीका नहीं था। परमेश्वर ने उन पर से सभी आशीषों को हटा दिया था क्यूंकि उन्होंने परमेश्वर का आदर नहीं किया था, और परमेश्वर उन्हें उनके पूर्वजों को ताड़ने के द्वारा एक गंभीर चेतावनी ही दे सका।
यदि याकूब के बारह पुत्रों ने एक सिद्ध जीवन बिताया होता तो यह एक अद्भुत कहानी हो सकती थी। केवल यह सच नहीं होता, और बाइबिल सत्य का वचन है। इन आयतों में, परमेश्वर ने इस्राएल कि सभी पीढ़ियों से बात की और उन्हें वह बताया जो वास्तव में हुआ था। उसने धर्म और दुष्टता दोनों के उदाहरण के रूप में अपने ही लोगों का इस्तेमाल किया। उन्हें स्वयं निर्णय लेना था कियदि परमेश्वर भला करे या उन उसका हाथ उनके विरुद्ध में होना चाहिए। उनके अपने काम यह निर्णय करेंगे कि यदि परमेश्वर उनके विश्वास से उन्हें धार्मिकता का नमूना ठहराए या फिर जो नहीं करना चाहिए उसके रूप में बुरे उदाहरण के रूप में उन्हें समझे।
रूबेन के घृणित पाप के कारण याकूब की फटकार से कितनी इस्राएल महिलाओं को शिकार करने वाले पुरुषों से संरक्षित किया गया। शमोन और लेवी के रोष का याकूब कि कुल निंदा कई पीढ़ियों को पवित्र युद्ध करने से उन की रक्षा करेगी जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार नहीं था।यहूदी धर्म के महान कुलपति और नायक का फटकार हजारों साल के लिए इस्राएल की संस्कृति को आकार करने में मदद करेगी। और इसीलिए, चाहे रूबेन और शिमोन और लेवी को ये कठोर शब्द सुनने पड़ रहे थे, लेकिन अंत में, आने वाली पीढ़ियों के लिए ये एक वरदान के समान होंगे। परमेश्वर अच्छे के लिए सब कुछ करता है!
परमेश्वर का हाथ भले ही रूबेन और शिमोन और लेवी के विरुद्ध उन्हें सज़ा देने के रूप में था, वे तभी भी उसकी वाचा के परिवार का हिस्सा थे। उसके शानदार अनुग्रह और लुभावनी दया में, परमेश्वर ने इन अयोग्य पुरुषों को अपने वाचा के देश के लिए चुना। इब्राहीम, इसहाक, और याकूब के पुत्रों के विश्वासघात होने के बावजूद, परमेश्वर उनके साथ वफ़ादार बना रहा।
परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।
हालांकि रूबेन और शिमोन और लेवी इब्राहीम के साथ परमेश्वर के बिना शर्त वाचा का एक हिस्सा थे। वे परमेश्वर के परिवार के सदस्य थे, और उनके इतने सारे पापों के बावजूद, यह उनसे छीना नहीं गया। फिर भी जैसे यहूदा के जीवन में स्पष्ट था, उनमें पश्चाताप की कोई निशानी दिखाई नहीं पड़ती थी। उनकी दुष्टता के कारण उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी। जो आशीषें उन्हें पहले ही मिल सकती थीं, उन्होंने उसे खो दिया था।
प्रभु ने कहा की जो कोई उसके पास आता है, उसे विश्वास करना चाहिए की वह मौजूद है और वह उन सभी को पुरस्कृत करता है जो उसे पूरे दिल से तलाशते हैं। इसका क्या अर्थ है की वे जो विश्वास करते हैं कि परमेश्वर मौजूद है, लेकिन उसको जी जान से नहीं तलाशते हैं? परमेश्वर को पूरे दिल से तलाशने का क्या अर्थ हो सकता है?
मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।
जब रूबेन और शिमोन और लेवी ने अपने साथी मनुष्यों के साथ अवमानना और घृणा के साथ व्यवहार करने का निर्णय लिया, तो उन्होंने बुराई का साथ दिया। परमेश्वर के परिवार के वारिस के रूप में, वे परमेश्वर के परिवार और बाकी दुनिया के लिए स्वत: नमूना थे! उनके भयानक विकल्प के कारण परमेश्वर जिन चीजों कि स्वयं निंदा करता है, उन्हें बुरे उदाहरण के रूप में उपयोग करने के अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं दिया।
जो कोई यीशु के नाम का दावा करता है वह परमेश्वर का दत्तक पुत्र या पुत्री कहलाता है। यह एक ज़बरदस्त विशेषाधिकार है। यीशु के प्रति प्यार और वफ़ादारी में रहते हुए, यह हमारा काम है की हम उसका सम्मान करें और उसकी अच्छी तरह से प्रतिनिधित्व करें। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो उसका परिणाम भुगतना होगा।
हमारे जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।
बाइबिल में, परमेश्वर के सामने भय और कांपते हुए आने का तरीका बताया गया है। इसके विषय में इब्रानियों 10:26-31 में दिया गया है:
"सत्य का ज्ञान पा लेने के बाद भी यदि हम जानबूझ कर पाप करते ही रहते हैं फिर तो पापों के लिए कोई बलिदान बचा ही नहीं रहता। बल्कि फिर तो न्याय की भयानक प्रतीक्षा और भीषण अग्नि ही शेष रह जाती है जो परमेश्वर के विरोधियों को चट कर जाएगी। जो कोई मूसा की व्यवस्था के विधान का पालन करने से मना करता है, उसे बिना दया दिखाए दो या तीन साक्षियों की साक्षी पर मार डाला जाता है। सोचो, वह मनुष्य कितने अधिक कड़े दण्ड का पात्र है, जिसने अपने पैरों तले परमेश्वर के पुत्र को कुचला, जिसने वाचा के उस लहू को, जिसने उसेपवित्र किया था, एक अपवित्र वस्तु माना और जिसने अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया। क्योंकि हम उसे जानते हैं जिसने कहा था: “बदला लेना काम है मेरा, मैं ही बदला लूँगा।” और फिर, “प्रभु अपने लोगों का न्याय करेगा।” किसी पापी का सजीव परमेश्वर के हाथों में पड़ जाना एक भयानक बात है!
यह आपको परमेश्वर के बारे में क्या दिखाता है? यह आपको उसकी पवित्रता के बारे में क्या सिखाता है? बाइबल बताती है कि जो पाप रहित है, उसे उसने इसलिए पाप-बली बनाया कि हम उसके द्वारा परमेश्वर के सामने नेक ठहराये जायें। II कुरन्थियों 5:21). यह एक उच्च और अद्भुत आश्चर्य है! हमें उसके साथ पवित्र सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए!