पाठ 80 : फिरौन की बेटी का हृदय

याकूब के ग्यारह पुत्र उसके साथ मिस्र को गए। यूसुफ वहाँ पहले से ही था। उनके बच्चों के बच्चे हुए, और उनके भी और बच्चे हुए। चार सौ साल बाद, इस्राएलियों कि दो लाख से अधिक संख्या हो गयी। फिरौन इसी बात को लेकर बहुत चिंतित था!

इब्राहीम कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चे होने के बाद भी वे काफ़ी संगठित थे। प्रत्येक इस्राएली अपने परदादाओं को पहचानता था। इससे वे अपनी जनजाति को जान पाते थे। रूबेन के वंशजों के सभी रूबेनियों के जनजाति का सदस्य थे। लेवी के पुत्र लेवी के गोत्र के थे, इत्यादि।लेकिन सभी बारह गोत्र याकूब, या इस्राएल, के जनजाति थे, और इसी प्रकार सभी बारह जनजाति एक साथ परमेश्वर के एक परिवार बन गए। 

इस्राएल के ऊपर फिरौन के महान उत्पीड़न के समय, लेवी के गोत्र से एक मनुष्य था, जिसने एक लेवीय महिला से शादी की थी। परमेश्वर ने उन्हें एक खूबसूरत बालक दिया। प्रिय माँ ने अपने बालक किओर देखा और देखा की वह विशिष्ट है। लेकिन निश्चित रूप से उनका पुत्र महान खतरे में था। फिरौन ने आदेश दिया था कि नील नदी में सब इस्राएली बालकों को फेंक दिया जाये। वह वफ़ादार माँ अपने बच्चे को लेकर बहुत भयभीत थी। उसने तीन महीने के लिए अपने छोटे बेटे को छिपा दिया। जल्द ही उसे एहसास होने लगा कि वह बहुत लंबे समय तक ऐसा नहीं कर पाएगी। बालक जल्दी ही बढ़ते हैं और उन्हें छिपाना बहुत कठिन हो जाता है। तो उसने नरकट से एक टोकरी बनाई और उसे टार से लिप्त कर दिया। टार पानी को बाहर रखेगा। फिर उसने अपने बालक को लपेटा और टोकरी में डाल दिया। उसने उसे नील नदी में ले जाकर लम्बी घास के बीच रख दिया। वह कितना पीड़ादायक समय रहा होगा! उसका दिल ऐसा करने से फट गया होगा। वह जानती थी की वह अपने बच्चे को कभी नहीं देख पाएगी। उसकी बेटी एक दूरी पर खड़े होकर उसे देख रही थी।

 

उस समय, फिरौन की बेटी नदी में स्नान लेने के लिए नील नदी के नीचे आई। उसकी दासियाँ नदी किनारे उसका इंतजार कर रही थीं। उसने ऊँची घास में टोकरी देखी। उसने अपनी दासियों में से एक को जाकर उसे लाने को कहा। राजा कि पुत्री ने टोकरी को खोला और लड़के को देखा। बच्चा रो रहा था। वह अकेला था। वह जानती थी कि यह एक यहूदी का बच्चा है जिसे उसके पिता ने मार देने का आदेश दिया था। क्या वह दुनिया के सबसे शक्तिशाली शासक के आदेश का पालन करेगी? क्या वह अपने पिता के क्रूर आदेशों का सम्मान करेगी? बालक की बहन वहां खड़े होकर सब देख रही थी। राजकुमारी को देखकर नहीं लगता था की वह बच्चे को चोट पहुंचाएगी। वह उसके पास गयी और कहा,“क्या आप चाहती हैं कि मैं बच्चे की देखभाल करने में आपकी सहायता के लिए एक हिब्रू स्त्री जाकर ढूँढ लाऊँ?।” फिरौन की बेटी ने हाँ कहा। उसके दुर्भावनापूर्ण पिता इस्राएल के पुत्रों को नष्ट करने के लिए नील नदी का उपयोग करना चाहता था, लेकिन परमेश्वर उन्हें बचाने के लिए नील का उपयोग करने जा रहा था, और उसने फिरौन की ही बेटी का इस्तेमाल किया। बच्चे को मारने का उसका कोई इरादा नहीं था। वह उसे अपने ही बेटे के रूप में ले जाएगी। 

                   

इसलिए लड़की गई और बच्चे कि अपनी माँ को ही ढूँढ लाई।उसने उसका पालन पोषन किया। बच्चा बड़ा हुआ और कुछ समय बाद वह स्त्री उस बच्चे को फ़िरौन की पुत्री के पास लाई। फ़िरौन की पुत्री ने अपने पुत्र के रूप में उस बच्चे को अपना लिया। फ़िरौन की पुत्री ने उसका नाम मूसा रखा। क्योंकि उसने उसे पानी से निकाला था। वह नहीं जानती थी कि एक दिन, उसका गोद लिया पुत्र परमेश्वर का वो पुरुष बनेगा जो अपने लोगों को लाल समुन्द्र से स्वतंत्रता कि ओर निकाल लाएगा। 

 

यह बहुत दिलचस्प है किशुरुआत में मूसा कि कहानी में, परमेश्वर ने स्त्रियों को इस कहानी के हीरो बनाया। उस बालक को, जो एक दिन सबसे शक्तिशाली सेवक बनेगा, बचाने के लिए परमेश्वर ने दाइयों, माँ और मूसा की बहन, और फिरौन किबेटी को, इस्तेमाल किया। यहोवा उन्हें स्मरण रखता है जो उससे डरते हैं! जो उसकी इच्छा को पूरी करते हैं वह उनका सम्मान करता है! वह उन्हें दुनिया के लिए उसके आशीर्वाद का एक हिस्सा बनने के लिए उन्हें उपयोग करता है!

 

बालक मूसा का वहां उस समय होना जब फिरौन किबेटी ने उसे पाया, कोई संयोग नहीं था। यह परमेश्वर की योजना का एक हिस्सा था। इब्राहीम, इसहाक, और याकूब के पुत्र का, पृथ्वी पर सबसे अधिक शक्तिशाली राज्य के शाही परिवार में पलना, यह सब उसकी ओर से ठहराया गया था। उसे सबसे बेहतरीन शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाता था। उसे मिस्र के सभी ज्ञान और कानून में प्रशिक्षित किया गया था। उसे एक शक्तिशाली वक्ता होने के लिए सिखाया गया था। राज-घराने के सदस्य के लिए मिस्र के स्कूलों को विशेष रूप से महत्वपूर्ण कौशल लिख कर दिया गया। परमेश्वर ने बाइबल कि पहली पांच किताबें लिखने के लिए उस बालक को एक अद्भुत कौशल दिया जो बड़े होकर इन किताबों को लिखेगा! जिस समय से मूसा एक बालक ही था, परमेश्वर उसे ऐसे कामों को करने के लिए तैयार कर रहा था जिसकी दुनिया में कोई भी संभवतः कल्पना नहीं सकता था!

 

मूसा शाही मिस्र के घर में पला, लेकिन वह जानता था कि वह एक इस्राएली है। एक शाही परिवार का एक सदस्य होते हुए भी, मूसा यहूदियों को (इस्राइलियों का दूसरा नाम) अपना समझता था। और वह उन्हें उत्पीड़न और दर्द में देख सहन नहीं कर सकता था। फिरौन का क्रूर व्यवहार वर्षों तक चलता रहा। एक दिन उसने देखा कि उसके लोग अत्यन्त कठिन काम करने के लिए विवश किए जा रहे हैं। एक दिन मूसा ने एक मिस्री व्यक्ति द्वारा एक यहूदी व्यक्ति को पिटते देखा। इसलिए मूसा ने चारों ओर नज़र घुमाई और देखा कि कोई देख नहीं रहा है। मूसा ने मिस्री को मार डाला और उसे रेत में छिपा दिया। उन गर्म क्षणों में, मूसा ने एक बड़ा निर्णय लिया। उसकी वफ़ादारी मिस्र के साथ नहीं थी। मूसा परमेश्वर के लोगों के प्रति वफ़ादार था।

 

अगले दिन, मूसा अपने ही लोगों के बीच में फिर से बाहर चला गया। वहां दो इस्राएली पुरुष आपस में लड़ रहे थे। उसमें से एक ने दूसरे को मार दिया। मूसा चौंक गया। वे एक दूसरे के साथ इस तरह कैसे व्यवहार कर सकते थे? वे दोनों यहूदी थे! उसने उस व्यक्ति से पूछा कि वह ऐसा काम कैसे कर सकता था! 

 

उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “क्या किसी ने कहा है कि तुम हमारे शासक और न्यायाधीश बनो? नहीं। मुझे बताओ कि क्या तुम मुझे भी उसी प्रकार मार डालोगे जिस प्रकार तुमने कल मिस्री को मार डाला?” यह सुनकर मूसा थोड़ा हैरान हुआ। यह व्यक्ति कैसे जानता था की उसने क्या किया था? और कितने इस बात को जानते थे?

 

मूसा के बारे में अफवाहें इब्रियों कि तुलना में बहुत दूर तक फैल गईं। जब फिरौन को पता चला की उसके यहूदी पोते ने एक मिस्र को मार डाला है, तो वह बहुत क्रोधित हुआ। उसने मूसा को मार डालने का निश्चय किया। मूसा जान गया की मिस्र में उसके लिए कोई सुरक्षा नहीं थी।मूसा मिद्यान देश की ओर भाग गया। यह एक विशाल और खाली जंगल था। मूसा मिस्र के शाही महल में पला बड़ा हुआ था। उसे भोजन प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा सुन्दर बर्तनों में परोसा जाता था। उसे क्या मालूम की मिद्यान के गर्म रेगिस्तान कि रेत में किस तरह रहा जाता है? क्या वह बच जाएगा?