पाठ 68 : अनाज की एक बोरी में एक चांदी का पात्र
जुदाई के इतने वर्षों के बाद, यूसुफ के भाई उसके निवास्थान में बैठे थे, और यूसुफ आँसुओं के साथ अति अभिभूत था। बिन्यामीन को देखकर वह फूट फूट कर रोया। अपने आप को संभालने के लिए वह कमरे से बाहर चला गया।
दोपहर के भोजन का समय हो गया था। यूसुफ के भाइयों को एक जगह रखकर उनकी सेवा की गई, और घर के बाकि मिस्रियों को अन्य जगह में। मिस्री लोग सोचे की वे इन इब्रानी लोगों से बेहतर थे।उनके साथ भोजन करना घृणित हो सकता था। यूसुफ ने खुद से भोजन प्राप्त किया। वह एक बहुत ही प्रभावशाली और उच्च अधिकारी था, और उसके बराबर में कोई नहीं बैठ सकता था। वह मिस्र के नियमों और शासन का सम्मान कर रहा था।
याकूब के पुत्र जब भोजन कर रहे थे, वे किसी बात के लिए बहुत उत्सुक हुए। वे अपनी उम्र के क्रम में बैठाये गए थे। मिस्र के वे लोग कैसे जानते थे कि रूबेन सबसे बड़ा था? उन्हें कैसे पता था कि उसके बाद शिमोन और लेवी आते हैं? एक और दिलचस्प बात हुई। जब भोजन आया, बिन्यामीन को औरों के तुल्य पांच गुना अधिक दिया गया। जब वे इन सब बातों पर सोच विचार कर रहे थे, वे बेसब्री से और स्वतंत्र रूप से भोजन भी करते जा रहे थे। उन्होंने पेट भर भोजन किया। आप सोच सकते हैं कि, जो महल केवल एक राजा के लिए ही होता है, वहां इन खानाबदोश चरवाहों को कैसा लग रहा होगा? उन सुरुचिपूर्ण मंजिल पर नक्काशी और टाइल उन्हें कैसे लग रहे होंगे! सोने के गहने और मखमलि कपड़े उन्हें कैसे लग रहे होंगे! क्या ऐसे शासक का इतना अधिक धनि होना उन्हें आश्चर्य महसूस हो रहा होगा?
परमेश्वर का हाथ उस दिन उन्हें शक्तिशाली और अजीब लग रहा होगा। उनके सोच से भी बढ़कर उन्हें आशीर्वाद मिला। पहले तो ऐसा प्रतीत होता था की मानो वह कठोर सेवक उनके परमेश्वर के विषय में जानता था। फिर, परमेश्वर कि सिद्ध सज़ा के भय में रहने के बाद, उन्हें मालूम हुआ की परमेश्वर की करुणा के कारण उन्हें उनके बोरे की चांदी वापस हो सकी। अपराधियों के रूप में उनके साथ व्यवहार करने के बजाय, उन्हें शिमोन की वापसी एक उपहार के समान मिला। और अब, फिरौन के सर्वोच्च अधिकारी के घर में बिन्यामीन को विशेष अनुग्रह मिला।
मिस्र में उनकी पहली यात्रा के दौरान, ऐसा लगता था कि परमेश्वर का हाथ उनके विरुद्ध में था। अब ऐसा लगता था की उसका हाथ उनके पक्ष में पूरी तरह से काम कर रहा था। मिस्र में उनका लौटना उनके लिए अशिक्षित हुआ। परमेश्वर उन्हें पश्चाताप और वफ़ादारी को सिखाने के लिए उनके जीवन में काम करने के लिए मिस्र के अधिकारी का इस्तेमाल कर रहा था। वे बिलकुल नहीं जानते थे कि वह अधिकारी उनका ही भाई था, और वह यह एक उद्देश्य से कर रहा था! और उसका काम अभी खत्म नहीं हुआ था।
यूसुफ के घर में निमंत्रण मिलने का मतलब था की उसके भाइयों को रात वहीँ गुज़ारनी थी। यूसुफ ने अगले दिन उनके जाने की तैयारी के लिए अपने सेवकों को आदेश दिए। उसने उसके भाइयों कि बोरियों में बहुत सारा अनाज भरने को कहा जो वे अपने साथ ले जा सकें। एक बार फिर, उनकी चांदी प्रत्येक किबोरी के ऊपर रखने का आदेश दिया गया। और बिन्यामीन कि बोरी में, यूसुफ के स्वयं के चांदी के जाम को रखने का आदेश दिया गया। वाह!
जब चांदी का जाम बिन्यामीन कि बोरी में मिलेगा, तब उसके भाई क्या करेंगे? उसकी रक्षा के लिए याकूब को दिए वादे को क्या वे भूल जाएंगे? क्या वे उसे बचाने के लिए याकूब को दिए अपने वादे भूल जाते हैं? या फिर वे बिन्यामीन किरक्षा करेंगे और यह जताएंगे कि वे सही मायने में बदल गए हैं?
तड़के अगली सुबह, लम्बे सफ़र के लिए उसके भाई निकल पड़े। इससे पहले कि वे बहुत दूर निकल जाते, युसूफ ने अपने कोषाध्यक्ष को उनके पीछे भेजा। युसूफ ने उससे उनसे यह कहने को कहा, ‘हम लोग आप लोगों के प्रति अच्छे रहे। किन्तु आप लोगों ने हमारे यहाँ चोरी क्यों की? आप लोगों ने यूसुफ का चाँदी का प्याला क्यों चुराया? हमारे मालिक यूसुफ इसी प्याले से पीते हैं। वे सपने कि व्याख्या के लिए इसी प्याले का उपयोग करते हैं। इस प्याले को चुराकर आप लोगों ने अपराध किया है।’”
कोषाध्यक्ष यूसुफ के भाइयों से मिला और जैसा यूसुफ ने उसे कहने को कहा था उनसे वही कहा। उसके भाई बहुत उदास हुए। वे उनके विषय में ऐसी भयानक बातों पर कैसे विश्वास कर सकता है? क्या पहली बार वे चांदी वापस नहीं लाये थे? उन्हें मालूम था कि वे चांदी के कटोरे को लेकर निर्दोष थे। सो उन्होंने कहा, "यदी आप किसी बोरी मे चाँदी का वह प्याला पा जायें तो उस व्यक्ति को मर जाने दिया जाये। तुम उसे मार सकते हो और हम लोग तुम्हारे दास होंगे।'” वाह! यह बहुत ही गंभीर शब्द थे। सभी भाई एकजुट होकर एक दूसरे का साथ दे रहे थे, फिर चाहे किसी अन्य के अपराध का बोझ सहन क्यूँ ना करना पड़ रहा हो। उन्हें एक दूसरे पर भरोसा भी था। उन्हें एक-दूसरे कि बेगुनाही पर यकीन था, इसीलिए वे साहसपूर्वक अपने शपथ को दे सके।
सेवक ने कहा,“'जैसा तुम कहते हो हम वैसा ही करेंगे, किन्तु मैं उस व्यक्ति को मारूँगा नहीं। यदि मुझे चाँदी का प्याला मिलेगा तो वह व्यक्ति मेरा दास होगा। अन्य भाई स्वतन्त्र होंगे।'”
तब सभी भाईयों ने अपनी बोरियाँ जल्दी जल्दी ज़मीन पर खोलीं। सेवक ने बोरियों जल्दी जल्दी जमीन पर खोली। सेवक ने बोरियों में देखा। उसने सबसे बड़े भाई से आरम्भ किया और सबसे छोटे भाई पर अन्त किया। उसने बिन्यामीन की बोरी में प्याला पाया। भाई बहुत दुःखी हुए। उन्होंने दुःख के कारण अपने वस्त्र फाड़ डाले। अब वे क्या करेंगे?
जिस समय इन भाइयों ने स्वेच्छा से यूसुफ को ग़ुलामी में बेचा था और अब में कितना फ़र्क आ गया था। उनके हृदय पूरी तरह से परिवर्तित हो गए थे।
कोषाध्यक्ष यूसुफ के भाइयों को उसके पास वापस ले आये। यहूदा उसके सामने खड़ा हुआ और कहा की वे अपने निर्दोष होने को साबित नहीं कर सकते थे। वे नहीं जानते थे कि कटोरा बिन्यामीन की बोरी में कैसे पहुंचा। फिर उसने यूसुफ की ग़ुलामी करने के लिए अपने ग्यारा बेटों की पेशकश की। वे अपने छोटे भाई के साथ खड़े होंगे।
यूसुफ ने कहा,“'मैं तुम सभी को दास नहीं बनाउँगा। केवल वह व्यक्ति जिसने प्याला चुराया है, मेरा दास होगा। अन्य तुम लोग शान्ति से अपने पिता के पास जा सकते हो।'” आपने देखा कि किस प्रकार युसूफ उनकी परीक्षा ले रहा था। आप देख सकते हैं कि वे अपनी वफ़ादारी के साथ उसे प्रमाण देने कि कोशिश कर रहे थे?
युसूफ ने अपने ऊपर सारा दोष लेने का वादा किया था यदि बिन्यामीन उसके पिता को वापस नहीं मिलता है। वह उसे पीछे छोड़ने के लिए सहमत नहीं हो सकता था। सो अपने जीवन के सबसे संकट के समय में, यहूदा यूसुफ के सामने खड़े होकर उसके मन को बदलने के लिए निवेदन कर रहा था। उत्पत्ति की पुस्तक में यह सबसे लम्बा भाषण दर्ज किया गया है, और यह दिखाता है की यह कहानी परमेश्वर और परमेश्वर के चुने परिवार के जीवन के लिए कितनी महत्वपूर्ण थी। यहूदा के शब्दों से स्पष्ट होता है की परमेश्वर कितने अद्भुद तरीके से उसके हृदय में काम कर रहा था।
वह युसूफ को बताने लगा कि उसने याकूब से एक वादा किया था। उसने यूसुफ को समझाया की उसके पिता की एक पत्नी थी जिसके केवल दो पुत्र थे। पहले बेटे की मृत्यु हो गई, और इसीलिए उसका दूसरा पुत्र उसके लिए कीमती था। उसने समझाया की किस प्रकार बिन्यामीन को उनके साथ लाना उनके लिए सोच से भी बाहर था। चाहे शिमोन बंदी में था, उनके पिता बिन्यामीन को कभी नहीं छोड़ते। यहूदा ने समझाया कि किस प्रकार उनके पिता ने उन्हें वापस मिस्र में जाने को कहा, लेकिन वे जानते थे की सबसे छोटे बेटे के बिना वे नहीं जा सकते थे। तो अंत में, भुखमरी का सामना करते हुए, उनके पिता सहमत हुए। तब यहूदा ने याकूब को वह सब बयान किया जैसा वास्तव में यूसुफ ने कहा था;
"'"तुम लोग जानते हो कि मेरी पत्नी राहेल ने मुझे दो पुत्र दिये। मैंने एक पुत्र को दूर जाने दिया और वह जंगली जानवर द्वारा मारा गया और तब से मैंने उसे नहीं देखा है। यदि तुम लोग मेरे दूसरे पुत्र को मुझसे दूर ले जाते हो और उसे कुछ हो जाता है तो मुझे इतना दुःख होगा कि मैं मर जाऊँगा।"'"
सोचिये यूसुफ को अपने पिता के शब्द सुनने के बाद कैसा लगा होगा! तब यहूदा ने अपने उस भाई से कहा, जो मिस्र का अधिकारी था:
"'इसलिए यदि अब हम लोग अपने सबसे छोटे भाई के बिना घर जायेंगे तब हम लोगों के पिता को यह देखना पड़ेगा। यह छोटा लड़का हमारे पिता के जीवन में सबसे अधिक महत्व रखता है। जब वे देखेंगे कि छोटा लड़का हम लोगों के साथ नहीं है वे मर जायेंगे और यह हम लोगों का दोष होगा। हम लोग अपने पिता के घोर दुःख एवं मृत्यु का कारण होंगे।'"
अंत में, यहूदा ने अपने आप को यूसुफ कि दया पर खुद को अर्पण कर दिया था। उसने बताया की किस प्रकार उसने अपने पिता से वादा किया था कि किसी भी कीमत पर वह उसकी रक्षा करेगा। यह यूसुफ के लिए बहुत आश्चर्यजनक रहा होगा। क्या यह वही यहूदा था जिसने उसे ग़ुलामी में बेचने कि योजना बनायी थी?
तब यहूदा ने यूसुफ से विनती की, कि वह बिन्यामीन को याकूब के पास वापस जाने दे। उसने बिन्यामीन की जगह अपने ही जीवन की पेशकश की। वह अपने पिता के जीवन को बचाने के लिए और अपने वादे का सम्मान करने के लिए, पीछे रह जाएगा। उसने कहा, "'मैं अपने पिता पर आने वाले दुःख को देखना नहीं चाहता हूँ।" यहूदा के शब्दों में करुणा और बलिदान जैसे शब्द उसके परिवर्तन को दर्शा रहे थे। यह बलिदान और प्रेम का हृदय था। यह एक राजा के लायक एक दिल बन गया था।
उसके बोल यूसुफ और उसके भाइयों के बीच के महान अलगाव तक पहुंच गए थे। यूसुफ का दिल पूरी तौर से छेदित हो गया था। यह बहुत स्पष्ट हो गया था की परमेश्वर ने एक शक्तिशाली काम किया था। उन्होंने पूरी तरह से यूसुफ की परीक्षा का उत्तीर्ण कर लिया था। यूसुफ और उसके भाइयों के बीच का वाचा का जीवन बहाल किया जा सकता था। जब उसने यहूदा के बलिदान के विषय में सुना जो वह बिन्यामीन के लिए करने को तैयार था, और अपने पिता के प्रति भक्ति को सुना, तो वह अपने को संभाल नहीं पाया। उसने अपने सभी सेवकों को आदेश दिया किवे कमरे से बाहर चले जाएं। वह वहाँ उपस्थित सभी लोगों के सामने रो पड़ा। उसने उन्हें बताया, "'मैं युसूफ हूँ! क्या मेरे पिता जीवित हैं?'"
वे यह जानकर कि वह यूसुफ है जिसे उन्होंने कई साल पहले बेच दिया था, कितने हैरान हुए होंगे। उनके लिए यह विश्वास करना कितना अविश्वसनीय रहा होगा की यह वही है जो मिस्र का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति है, जो इस प्रकार भव्य वस्त्रों में अपने ही महल में रहता है!
परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।
यूसुफ परमेश्वर पर विश्वास करता था और उसे सम्मान देता था। उसने पूरी तरह से अपने भाइयों को माफ़ कर दिया था और वह कैद में रहते हुए भी परमेश्वर पर वफ़ादारी से निर्भर करता रहा। उसने परमेश्वर कि दृष्टि में अपने आप को दीन किया, और परमेश्वर ने उसे ऊंचे स्थान पर रखा। अब हम देख सकते हैं कियूसुफ एक बार फिर से आज्ञाकारिता में खड़ा था। इस बार, वह अपने ही परिवार में सुलह और शांति लाने के लिए परमेश्वर के सेवक के रूप में इस्तेमाल किया गया था! एक बार फिर, यूसुफ हमें मसीह की सेवकाई की एक सुंदर तस्वीर देता है। सुनिए जो पौलूस II कुरन्थियों 5:17-20 में लिखता है:
"इसलिए यदि कोई मसीह में स्थित है तो अब वह परमेश्वर की नयी सृष्टि का अंग है। पुरानी बातें जाती रही हैं। सब कुछ नया हो गया है, और फिर ये सब बातें उस परमेश्वर की ओर से हुआ करती हैं, जिसने हमें मसीह के द्वारा अपने में मिला लिया है और लोगों को परमेश्वर से मिलाप का काम हमें सौंपा है। हमारा संदेश है कि परमेश्वर लोगों के पापों की अनदेखी करते हुए मसीह के द्वारा उन्हें अपने में मिला रहा है और उसी ने मनुष्य को परमेश्वर से मिलाने का संदेश हमें सौंपा है। इसलिये हम मसीह के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं। मानो परमेश्वर हमारे द्वारा तुम्हें चेता रहा है। मसीह की ओर से हम तुमसे विनती करते हैं कि परमेश्वर के साथ मिल जाओ।"
मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।
एक परिवार कि शक्तिशाली और गहरे सम्बन्ध की कल्पना कीजिये! वे मज़बूत संबंध होते हैं, और उनमें इतनी ताक़त होती है की, या तो वे परमेश्वर के राज्य के लिए हमें बना सकते हैं, या फिर धोखे और संकट में हमें नीचे गिरा सकते हैं। परमेश्वर के परिवार को जैसे हम अंधकार से निकल कर ज्योति में आते देखते हैं, हम परमेश्वर की उस छवि को देख पाते हैं जो उसने हमारे लिए रख छोड़ी है। हमारा परमेश्वर बहाल करने वाला परमेश्वर है। उसने हमें एक नई सृष्टि बनाया है। हम इस अनमोल उपहार को अपने प्रियजनों के साथ कैसे बाटेंगे? क्या हम मसीह के राजदूत होकर, एक दूसरे को सामर्थ के साथ सहयोग देंगे?
हमारे जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।
यह अच्छा समय है किआप परमेश्वर से कहें की वह आपके हृदय को जाँचे। उसने आपको पहले से ही अपने शक्तिशाली प्रेम और कृपा से पूरी तरह से स्वीकार कर लिया है, और अब वह लगातार आप को शुद्ध और पूर्ण करना चाहता है।
यीशु को बताएं कि वह आपको दिखाए की किस प्रकार आप क्रोध करने के लिए आज़माईश में पड़ते हैं, या किसी को अपने शब्दों से दुखी करते हैं। क्या आप यीशु से पूछेंगे की ये पाप कहाँ से उत्पन्न होते हैं? आप उस पर किस प्रकार निर्भर नहीं कर रहे हैं? उसके पास ना जाकर आप दूसरों पर किस प्रकार दोष डाल रहे हैं? परमेश्वर के आगे शांत हो जाएं, और सुनें। वह आपसे किस बात के लिए प्रार्थना करने को कह रहा होगा? सुलह और शांति लाने के लिए वह आपको किस प्रकार उपयोग करना चाहता है? क्या कोई विशेष बात है जो वह चाहता है की आप करें? क्या किसी व्यक्ति या लोगों के एक समूह के प्रति आपकी ऐसी दृष्टिकोण है जिसे आपको छोड़ने की आवश्यकता है? क्या किसी से माफ़ी मांगनी है? यह बहुत आवश्यक है की जिस प्रकार आपका उद्धारकर्ता प्यार और धीरज के साथ आपको इन बातों को दिखाता है, आप आज्ञाकारिता के साथ उनका प्रत्युत्तर दें। उसने आपको धर्मी ठहराया है, और अब चाहता है कि आप उस ओर कदम उठाएं।