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पाठ 59 : यूसुफ का बेचा जाना

यूसुफ, राहेल और याकूब का प्रिय पुत्र, अपने पिता के घर में अकेले में बड़ा हुआ। लिआ और उसकी दासियाँ उससे बहुत जलती थीं, क्यूंकि वह अपने पिता का पसंदीदा था।

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पाठ 60 : यहूदा

याकूब का परिवार और अधिक दूर होता गया और टूट गया। यहूदा कबीले से दूर चला गया और एक कनानी स्त्री से शादी कर ली। उनके पहले दो बेटे इतने दुष्ट थे की परमेश्वर ने उनका जीवन छोटा कर दिया ताकि वे और पाप ना कर सकें। तामार, यहूदा के सबसे बड़े बेटे की पत्नी, अकेली और असुरक्षित छोड़ दी गयी थी।

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पाठ 61 : यूसुफ और पोतीपर की पत्नी

यूसुफ पोतीपर के घर में एक दास के रूप में मिस्र में रह रहा था। बाइबिल बताती है कि परमेश्वर युसूफ के साथ था, जिसका मतलब है की यूसुफ को आशीर्वाद देने के लिए वह उसके साथ था। चाहे वह एक ग़ुलाम था और वादे के देश से बहुत दूर था, परमेश्वर कि सुरक्षा और देखभाल उसके लिए नहीं बदला था।

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पाठ 63 : फिरौन के समक्ष में यूसुफ

यूसुफ मिस्र के राजा के जेल में एक वफ़ादार सेवक के रूप में काम करता रहा। एक समय में, उसने फिरौन के पिलानेहारा और मुख्य पकानेहारा के सपनों की व्याख्या की थी। उसकी व्याख्याएं आश्चर्यजनक तरीके से एक दम सही थीं।

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पाठ 64 : मिस्र में यूसुफ का जीवन

फिरौन ने युसूफ को पूरे मिस्र का अधिकारी बना दिया था। उसने अपनी मुद्रिका उतार कर युसूफ को पहना दी। अंगूठी एक मोहर थी जिसे पिघले मोम के लिए दबाया जाता था। कोई पत्र या पुस्तक पर उस अंगूठी की मोहर फिरौन के द्वारा दिए आदेश के बराबर था। यूसुफ देश में सबसे शक्तिशाली निर्णय निर्माता था!

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पाठ 66 : मिस्र की खतरनाक वापसी यात्रा

यूसुफ के भाइयों ने अन्न को अपने गधों पर लादा और वहाँ से चल पड़े। वे सभी भाई रात को ठहरे और भाईयों में से एक ने कुछ अन्न के लिए अपनी बोरी खोली और उसने अपना धन अपनी बोरी में पाया। अचानक, वह बहुत डर गया।

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पाठ 67 : यूसुफ के निवास्थान में

जब वे यूसुफ के घर पर पहुंचे तो वे उसके कोषाध्यक्ष के पास गए, जो पूरे घर का मुख्य सेवक था। वह यूसुफ के सुंदर और सुरुचिपूर्ण घर के बाहर खड़ा था। वे भयभीत होकर उसके पास गया और उसे सारा हाल बताया की कैसे उन्होंने रास्ते में अपनी बोरियों में चांदी पाई।

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पाठ 69 : यूसुफ का अपने आप को प्रकट करना

जब यूसुफ ने अपने भाइयों को बताया कि वह वास्तव में कौन था, वे घबराहट के कारण कुछ नहीं बोल पाए। इतने सालों पहले, वह बिलकुल अकेला था, उन्होंने उसे एक सूखे कुण्ड में फेंक दिया था और एक ग़ुलाम बनने के लिए उसे बेच दिया था।

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