प्रस्थान : पाठ 1

इब्राहीम, सारा, और इसहाक: परमेश्वर कि वाचा परिवार के ये तीन सदस्यों के साथ शुरू हुआ। परमेश्वर ने इब्राहीम से वादा किया की वह उसे कई राष्ट्रों का पिता बनाएगा। अकाल के कारण जब याकूब मिस्र के लिए अपने बेटों के साथ निकला, उसके परिवार के सत्तर सदस्य थे। मरने से पहले यूसुफ और उसके भाई कई वर्षों तक मिस्र के देश में रहे। यूसुफ एक शक्तिशाली और प्रतिभाशाली शासक था, और फिरौन के साथ उसका पक्ष अपने परिवार के सभी के लिए पक्ष ले आया।

मिस्र में जो सत्तर रह गए थे वे बढ़ते चले गए। सौ वर्ष बीत गए, और परमेश्वर उन्हें औलाद देकर आशीष दे रहा था। कई साल बीतते गए। परमेश्वर अपने इस वाचा परिवार को आगे बढ़ा रहा था और विकसित कर रहा था। वे गिनती में सैकड़ों थे।वास्तव में, वे इतने अधिक हो गये की फिरौन को चिंता होने लगी। यह व्यक्ति उससे बहुत भिन्न था जिसके लिए यूसुफ ने काम किया था और वो सब आशीषें भुला दी गईं थीं जो यूसुफ के द्वारा आयीं थीं। यह फिरौन इब्राहीम, इसहाक, और याकूब के वंशजों को देख कर चिंतित हो रहा था। यदि वे निरंतर बढ़ते रहे, तो क्या वे भूमि पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे? क्या यदि वे मिस्र के दुश्मनों में से एक के साथ मिल जाये तो? क्या अगर उन्होंने उसे उखाड़ फेंकने की कोशिश कि तो?

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फिरौन ऐसी चीज़ें करने लगा जो यह सुनिश्चित कर दें कि याकूब का वंश, जो इस्राएल कहलाता था, उसकी परेशानी का कारण कभी नहीं हो पाएंगे। उसने परमेश्वर के लोगों को (जो अब इस्राएली कहलाते थे) ग़ुलामी में डाल दिया। वे चाबुक और मार का उपयोग कर के उनसे काम करवाता था। 

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यह कल्पना करना मुश्किल है कि किस प्रकार इस्राएलियों के लिए यह परिश्रम कितना कठिन था। मिस्र की भूमि ज़बरदस्त सूखी गर्मी का एक रेगिस्तान है। फिरौन ने उनसे पूरे दो शहरों के निर्माण के भारी काम के साथ भेज दिया। वे उसके धन के लिए भंडारों का काम करेंगे। बहुत से इस्राएलियों को ईंट से मिट्टी के गठन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था ताकि धूप कितेज़ गर्मी में उनसे निर्माण का कार्य करा सके। एक एक कदम पितोम और रामसेस की दिवारें बढ़ती गईं। दूसरे लोग मिस्र के खेतों में झुके परिश्रम करते थे। यदि वे परिश्रम या फ़ुर्ती से पर्याप्त काम नहीं करते थे तो, उन्हें कोड़े लगाये जाते थे। दिन के अंत तक यदि काफी काम नहीं मिला, तो वे मुसीबत में पड़ जाते थे। मिस्र के दास स्वामी उनसे अधिकाधिक कठिन काम करवाते थे। लेकिन इस सब के बीच, परमेश्वर उन्हें आशीर्वाद दे रहा था। उनके बच्चे होते रहे, और उनकी संख्या निरंतर बढ़ती रही। तो फिरौन उनके जीवन को और भी अधिक कड़वा और दर्दनाक बनाता गया। 

 

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मिस्र में उस समय, वहां दाइयाँ थीं जो इस्राएली स्त्रियों के बच्चों का जन्म देने में सहायता करती थीं। नवजात शिशुओं पर नज़र रखने को फिरौन ने दाइयों को आदेश दिया। यदि बालक होता है, तो उसे तुरंत मार देना था। ये छोटे बालक बड़े होकर महान पुरुष बनेंगे और ये सभी इस्राएली फिरौन के विरुद्ध वार करेंगे। केवल लड़कियों को जीने कि अनुमति दी गई थी। लेकिन दाइयों को फिरौन से अधिक परमेश्वर का भय था। उन्होंने इस्राएलियों के बालकों को संरक्षित करके जीवित रखा। यह कितना एक खतरनाक और बहादुर काम था!

 

फिरौन आसानी से अवज्ञा के लिए उन दाइयों को मरवा सकता था। जब उन्हें लाया गया और यह पूछा गया की इस्राएलियों के बीच में बालक कैसे पैदा हुए, तब उन्होंने एक शानदार और मजेदार कारण बताया। उन्होंने कहा, “हिब्रू स्त्रियाँ मिस्री स्त्रियों से अधिक बलवान हैं। उनकी सहायता के लिए हम लोगों के पहुँचने से पहले ही वे बच्चों को जन्म दे देती हैं।” उन्होंने कहा कि इस्राएली स्त्रियां इतनी ताक़तवर थीं कि वे दाइयों के पहुंचने से पहले ही बच्चे को जन्म दे देती थीं। परमेश्वर इन वफादार दाइयों से बहुत खुश था। संसार के दुष्ट पाप के बीच, परमेश्वर अपने प्रिया लोगों को आशीर्वाद देता रहा था।  

 

फिरौन इस्राएलियों के विकास को नष्ट करने के लिए अपनी तलाश नहीं छोड़ेगा। वह शायद महान शक्ति का एक शक्तिशाली व्यक्ति था जो, उस समय दुनिया में सबसे शक्तिशाली पुरुष था! एक बात जो वह नहीं समझ पाया की वह एक ऐसे किसी के विरुद्ध युद्ध कर रहा है जो कहीं अधिक शक्तिशाली है। वह उससे युद्ध कर रहा था जो ब्रह्मांड में सबसे शक्तिशाली है। परमेश्वर किअपनी ही योजना थी, और फिरौन उसे रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकता था। लेकिन फिरौन रुकने वाला नहीं था! 

 

क्यूंकि दाइयां इस्राएल के पुत्रों को मारने के लिए उनके जन्म होने के समय तक नहीं पहुंच पाती थीं, तो उसने ऐसा करने के लिए मिस्त्रियों को आदेश दिया। उसने आदेश दिया की किसी भी इस्राएली बालक को लेकर उसे नील नदी में फेंक दिया जाये। इब्राहीम के बच्चों का क्या होगा? क्या बालकों की पूरी पीढ़ी समाप्त हो जाएगी? परमेश्वर के लोग क्या मिस्र में दास के रूप में कुछ भी नहीं बन कर रह जाएंगे?