पाठ 78 : उत्पत्ति से निर्गमन तक

जब यूसुफ के भाई मिस्र में याकूब के साथ गए, तब पूरे परिवार में केवल सत्तर लोग थे। उन्हें मिस्र में उच्च सम्मान मिला क्यूंकि वे यूसुफ से सम्बन्ध रखते थे। उनके कई बच्चे हुए। चार सौ साल तक मिस्र में परिवार में वृद्धि होती रही। परमेश्वर ने इब्राहीम के साथ कीये अपने वादे को सम्मानित किया। आकाश में जितने तारे थे उतने उसके वंशज थे। वहां 600,000 पुरुष थे और स्त्रियाँ और बच्चे और भी अधिक थे। वे अंत में इतने बढ़ गए की मिस्र के नेताओं को चिंता होने लगी। क्या यदि उन्होंने मिस्र को अपने कब्ज़े में ले लिया तो? इसीलिए मिस्र का फिरौन इब्राहीम, इसहाक, और याकूब के वंशजों के विरुद्ध में हो गया। उन्होंने उन्हें ग़ुलामी में मजबूर कर दिया। अपनी महिमा के लिए फिरौन ने इस्राएल के बच्चों से ईंटों को बनाने के लिए बहुत परिश्रम करवाया। उन्हें मारा पीटा गया और वे गरीबी में ढकेल दिए गए। उनका जीवन कष्टों से भरा हुआ था। लेकिन परमेश्वर ने वादा किया था किवह इन इब्राहीम के बच्चों को एक महान राष्ट्र बनाएगा, और इसीलिए वे मदद के लिए अपने परमेश्वर को पुकार रहे थे। 

 

उत्पत्ति बाइबिल किपहली पुस्तक है, और यह दुनिया के निर्माण से लेकर एक छोटे आदिवासी परिवार के चुने जाने और दुनिया के सेवक बनने तक के उस इतिहास को बताती है। निर्गमन बाइबिल की अगली किताब है। यह हमें उस शानदार कहानी के विषय में बताएगी की कैसे परमेश्वर ने उस छोटे से परिवार को लेकर उसे एक महान देश में बढ़ाया। यह बताएगी कि किस प्रकार परमेश्वर ने मिस्र के उस फिरौन कि शक्ति को तोड़ा, जो पृथ्वी का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति था, और गुलामी कि भयंकर पकड़ से अपने लोगों को मुक्त किया। यह बताएगी कि कैसे परमेश्वर ने शक्तिशाली चमत्कारों द्वारा अपने लोगों को मिस्र देश से एक महान, और विशाल जंगल में निकाल लाया। 

 

जंगल में, परमेश्वर अपने लोगों को सिखाएगा कि कैसे दूसरों से अलग हट कर वे स्वयं का राष्ट्र हो सकते हैं। वह उन्हें अपने महान प्यार और पवित्रता के बारे में सिखाएगा। आदम और हव्वा के कोई भी वंशज जितनी भी कोशिश करें, वे स्वार्थ और शर्म के साथ हर काम को अंजाम देंगे। इसीलिए परमेश्वर इस चुने हुए राष्ट्र को एक पवित्र जीवन जीने के लिए नियम सिखाएगा, और यदि वे असफ़ल होते हैं तो परमेश्वर के साथ सही होने का रास्ता दिखाएगा। निर्गमन में, हम परमेश्वर के उस पराक्रम के प्रशिक्षण को देखते हैं जिसके द्वारा इब्राहीम के वंशज, इस्राएल के लोग सारी दुनिया के लिए एक उच्च परमेश्वर के लिए सेवकों का एक राज्य बन कर तैयार हो जाए। 

 

परमेश्वर कि कहानी का एक दिलचस्प हिस्सा वह है जब इस्राएलियों ने जंगल में वो समय बिताया जो वास्तव में आवश्यक नहीं था। वह एक दण्ड था। जब परमेश्वर ने मिस्र से अपने लोगों को निकाला, उसने एक सबसे शक्तिशाली राष्ट्र को बचाया। वह उन्हें वापस वादा के देश के लिए लेजा रहा था। परन्तु जब वे सीमा पर पहुंचे, तो पहली पीढ़ी संदेह और विश्वास कि कमी के कारण थरथराने लगा। जैसा कि आप देख सकते हैं, कनानी राष्ट्र वहाँ पहले से ही था, और उस भूमि पर कब्ज़ा करने के लिए उन्हें उन पर विजय प्राप्त करनी होगी। वे परमेश्वर में होकर विश्वास का चुनाव कर सकते थे। वे अपनी जीत के लिए उसी प्रकार उस पर विश्वास कर सकते थे जिस प्रकार उसने उन्हें मिस्र में पूर्ण और शानदार जीत दिलाई थी। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने विद्रोह किया और वादे के देश में जाने से इनकार कर दिया। उन्होंने मूसा से कहा, "बिलकुल नहीं!" 

 

तो परमेश्वर ने उन्हें उनकी इच्छा दे दी। वह उन्हें वापस जंगल में ले गया और कहा की उनके विश्वास कि कमी के कारण वे वादा के देश में प्रवेश नहीं करेंगे। उस पीढ़ी के हर सदस्य कि मृत्यु हो जाने तक वह इंतजार करेगा। केवल पहली पीढ़ी से यहोशू और कालेब को जाने कि अनुमति दी गयी थी। उनके महान साहस के कारण, वे दूसरी पीढ़ी को वादा के देश में ले जाने के लिए उनका नेतृत्व करेंगे। इस्राएल के बच्चों को ऐसा करने के लिए चालीस साल इंतजार करना होगा!

 

इस्राएल का राष्ट्र जब चालीस साल के लिए जंगल में फिर रहा था, वे एक महान जोखिम के लिए तैयारी कर रहे थे। वे एक आक्रमण की तैयारी कर रहे थे! युद्ध होने वाला था।

 

परमेश्वर ने कनानी लोगों को चेतावनी दी थी कि वे अपने पापों से पश्चाताप करें। इब्राहीम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सामने एक सिद्ध उदाहरण के रूप में लगभग एक सौ साल तक रहा। लेकिन फिर भी, परमेश्वर जानता था की कनानी पश्चाताप नहीं करेंगे। वे और गहरे पाप में गिरते चले जाएंगे। परमेश्वर द्वारा दिए गए उन पवित्र चीज़ों का दुरुपयोग और एक दूसरे का विरोध सालों साल इकठ्ठा होता जाएगा। वे इस बात का पूरा प्रमाण देंगे कि वे ऐसे लोग हैं जिन्होंने पूरी तरह से शैतान के तरीकों को अपना लिया है। परमेश्वर के सच्चे न्याय का समय आ जाएगा। वह अपने क्रोध के द्वारा उन्हें उस देश से निकाल देगा जो वह उन्हें देने जा रहा था। वह ऐसा करने के लिए इस्राएल की सेनाओं का प्रयोग करेगा। उन दुष्ट संस्कृतियों में, परमेश्वर भूमि को शुद्ध करेगा। वह वहां एक ऐसे सिद्ध देश की स्थापना करेगा जो वहां शुद्धता और पवित्रता के साथ रहेंगे। वे जब भी पाप करते थे, वे पश्चाताप में परमेश्वर के लिए बलिदान चढ़ाते थे, और परमेश्वर दुष्टता के प्रदूषण को धो देता था। यह राष्ट्र एक विशेष, पवित्र तरीके से पृथ्वी पर सबसे उच्च परमेश्वर की उपस्थिति को बनाए रखेगा। 

 

परमेश्वर के पास इब्राहीम के बच्चों के लिए एक महाकाव्य, गौरवशाली योजना थी। लेकिन उन्हें एक ज़बरदस्त विश्वास को दिखाना था। उन्हें कनानियों के विरुद्ध लड़ाई छेड़नी थी। उन्होंने पहले से ही देख लिया था किकैसे परमेश्वर ने उन्हें मिस्र पर विजय प्रतिस्पर्धा रूप में दिखा दी थी। वादा के देश में वही करने के लिए क्या वे उस पर विश्वास करेंगे? जब हम उन कहानियों को पढ़ेंगे की कैसे परमेश्वर ने मूसा के द्वारा, जो उसका एक शक्तिशाली और सामर्थी सेवक था, इस्राएल के लोगों का नेतृत्व करके मिस्र से बाहर उनको निकाला, तो हमें इस बात से मदद मिलेगी की पहले यह किसके लिए लिखा गया था। मूसा ने उन कहानियों को बताया जिससे उन्हें वादे के देश में प्रवेश करने के लिए विश्वास और साहस मिलेगा। 

 

परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना। 

जब आप परमेश्वर के बारे में उन कहानियों को पढ़ते हैं जो उसके सामर्थी कामों का वर्णन करती हैं तो, क्या आपका विश्वास बढ़ता है? क्या आप दिल से मानते हैं की वह इतिहास में आकर अपने कार्यों को करता है? क्या आप विश्वास करते हैं की वह सही मायने में अपने सिंहासन पर बैठा है? अपने आप से ये सवाल कीजिये और फिर शांति से सुनें। हम में से कुछ हैं जो थोड़े में विश्वास करते हैं, लेकिन पूर्ण रूप से नहीं। हम थोड़े ही मन से विश्वास करते हैं कि परमेश्वर वास्तविक है, लेकिन पूर्णरूप से नहीं। क्या आपके अपने दिल और दिमाग में अविश्वास का कोई ऐसा क्षेत्र है? क्या आप उन्हें बाटना या लिखना चाहेंगे? 

 

मेरी दुनिया, मेरा परिवार और स्वयं पर लागू करना। 

क्या आपको वह कहानी याद है जब यूसुफ के भाई यूसुफ से याकूब की मृत्यु हो जाने के बाद उससे डरने लगे थे कि अब वह उनसे बदला लेगा? आपको याद है की यूसुफ कैसे रोया था? जब कोई आपके ऊपर विश्वास ना करे तो कितना दुःख होता है। यूसुफ अपने भाइयों के साथ उस रिश्ते को बनाने के लिए कितना तड़पा था! और क्षीण बात यह है कि वह उनके विश्वास का हकदार था! उन्हें उससे डरने की आवश्यकता नहीं थी। वह उन्हें बचा रहा था! उसी तरह, इस्राएल के राष्ट्र को परमेश्वर पर भरोसा करना सीखना था। और उसी तरह, हमें भी परमेश्वर पर भरोसा करना सीखना है। वह इसके योग्य है! हमें भविष्य के लिए डरने की आवश्यकता नहीं है! यदि आप पूरी तरह से, परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, तो आप किस प्रकार जीएंगे? यदि आप जानते हैं कि परमेश्वर आप का ख्याल रखेगा, तो आप आज्ञाकारिता के लिए किस प्रकार जोखिम उठाने को तैयार होंगे?

 

हमारे जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर। 

जब हम उत्पत्ति की पुस्तक को समाप्त कर रहे हैं तो हमारे लिए यह समरण करना अच्छा होगा की परमेश्वर स्वर्ग का उच्च राजा है। उसकी तारीफ़ करना अच्छा है। यहां इस भजन सहिंता द्वारा वाचा के राजा के नाम को उपासना में ऊपर उठा सकते हैं:

 

भजन संहिता 24

"यह धरती और उस पर की सब वस्तुएँ यहोवा की है।

यह जगत और इसके सब व्यक्ति उसी के हैं।

यहोवा ने इस धरती को जल पर रचा है।

उसने इसको जल—धारों पर बनाया।

यहोवा के पर्वत पर कौन जा सकता है?

कौन यहोवा के पवित्र मन्दिर में खड़ा हो सकता है 

और आराधना कर सकता है?

ऐसा जन जिसने पाप नहीं किया है,

ऐसा जन जिसका मन पवित्र है,

ऐसा जन जिसने मेरे नाम का प्रयोग झूठ को सत्य प्रतीत करने में न किया हो,

और ऐसा जन जिसने न झूठ बोला और न ही झूठे वचन दिए हैं।

बस ऐसे व्यक्ति ही वहाँ आराधना कर सकते हैं।

सज्जन तो चाहते हैं यहोवा सब का भला करे।

वे सज्जन परमेश्वर से जो उनका उद्धारक है, नेक चाहते हैं।

वे सज्जन परमेश्वर के अनुसरण का जतन करते हैं।

वे याकूब के परमेश्वर के पास सहायता पाने जाते हैं।

फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो!

सनातन द्वारों, खुल जाओ!

प्रतापी राजा भीतर आएगा।

यह प्रतापी राजा कौन है?

यहोवा ही वह राजा है, वही सबल सैनिक है,

यहोवा ही वह राजा है, वही युद्धनायक है।

फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो!

सनातन द्वारों, खुल जाओ!

प्रतापी राजा भीतर आएगा।

वह प्रतापी राजा कौन है?

यहोवा सर्वशक्तिमान ही वह राजा है।

वह प्रतापी राजा वही है।

क्या आपने अपने दिल में गर्व महसूस किया? क्या आप उसके भव्यता और पराक्रम सामर्थ में आनन्दित हो सकते हैं! यह महिमा से भरा हुआ राजा, और शक्तिशाली योद्धा आपका परमेश्वर है!