पाठ 63 : फिरौन के समक्ष में यूसुफ
उत्पत्ति 41: 1-45
यूसुफ मिस्र के राजा के जेल में एक वफ़ादार सेवक के रूप में काम करता रहा। एक समय में, उसने फिरौन के पिलानेहारा और मुख्य पकानेहारा के सपनों की व्याख्या की थी। उसकी व्याख्याएं आश्चर्यजनक तरीके से एक दम सही थीं। पिलानेहारा ने वादा किया की वह यूसुफ को मुक्त करने के लिए कुछ भी करेगा। लेकिन एक बार जेल से बाहर जाने के बाद, वह पूरी तरह से यूसुफ की दयालुता के बारे में भूल गया था। लेकिन दो साल के बाद कुछ ऐसा हुआ की उसे याद आ गया। फिरौन ने खुद एक परेशान करने वाला सपना देखा था।
इसमें, राजा नील नदी के किनारे खड़ा है। अब, यह नदी मिस्र के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी। उस समय, मिस्र दुनिया में सबसे शक्तिशाली राष्ट्र था। उनकी शक्ति का एक मुख्य कारण था की उनके खेतों में हमेशा नदी के पानी द्वारा सेवन होता था। जब वर्षा नहीं होती थी तो अन्य देश और क्षेत्र संघर्ष करते थे और अकाल और भुखमरी से विफल हो जाते थे। नील नदी के कारण मिस्र तरक्क़ी करता रहा और फलवन्त रहता था। परन्तु परमेश्वर ही सब पर और फिरौन पर प्रभु था। उन्होंने अपने दास युसूफ का इस्तेमाल किया की वह उनकी महान योजना के विषय में मिस्र के राजा को बताये।
फिरौन ने सपने में देखा कि वह नील नदी के किनारे खड़ा है। तब फ़िरौन ने सपने में नदी से सात गायों को बाहर आते देखा। गायें मोटी और सुन्दर थीं। गायें वहाँ खड़ी थीं और घास चर रही थीं। तब सात अन्य गायें नदी से बाहर आईं, और नदी के किनारे मोटी गायों के पास खड़ी हो गईं। किन्तु ये गायें दुबली और भद्दी थीं। यह देख कर वह डर गया। ये सातों दुबली गायें, सुन्दर मोटी सात गायों को खा गईं। तब फ़िरौन जाग उठा। यह देखकर वह अत्यंत विचलित हुआ। इसका क्या अर्थ हो सकता है?
फ़िरौन फिर सोया और दूसरी बार सपना देखा। उसने सपने में अनाज की सात बालें एक अनाज के पीछे उगी हुई देखीं। अनाज कि बालें मोटी और अच्छी थीं। तब उसने उसी अनाज के पीछे सात अन्न बालें उगी देखीं। अनाज की ये बालें पतली और गर्म हवा से नष्ट हो गई थीं। तब सात पतली बालों ने सात मोटी और अच्छी वालों को खा लिया। फ़िरौन फिर जाग उठा और उसने समझा कि यह केवल सपना ही है।
अगली सुबह फ़िरौन इन सपनों के बारे में परेशान था। इसलिए उसने मिस्र के सभी जादूगरों को और सभी गुणी लोगों को बुलाया। फ़िरौन ने उनको सपना बताया। किन्तु उन लोगों में से कोई भी सपने को स्पष्ट या उसकी व्याख्या न कर सका। अब फरौन क्या करेगा? सपने देश के पशु और अनाज की आपूर्ति के बारे में लग रहे थे। क्या मिस्र के खाद्य आपूर्ति ख़तरे में थी? अपने लोगों की ज़िम्मेदारी राजा के लिए एक भारी बोझ बन गया था।
जब मुख्य पिलानेहारा इन बातों को सुन ही रहा था, उसे एहसास हुआ की एक है जो मदद कर सकता है। यूसुफ इन सपनों की व्याख्या कर सकता था! जब पिलानेहारा को याद आया कि किस प्रकार यूसुफ ने उसकी मदद की थी, तब उसे अपना वादा भी याद आया जो उसने युसूफ की मदद करने के लिए किया था। दो साल बीत गए थे, और उसने युसूफ को इतने सालोँ तक जेल में ही रहने दिया। वह उसके प्रति कितना लापरवाह था। जब वह फरौन से बात कर रहा था तो वह बहुत शर्मिंदा हुआ। उसने कहा, "आज मुझे अपनी कमियाँ याद आ रही हैं।" तब उसने राजा को बताया कि कैसे युसूफ ने उसके और पकानेहारे के सपने की व्याख्या की थी, और कैसे उसकी व्याख्याऐं सच निकलीं।
इसलिए फ़िरौन ने यूसुफ को कारागार से बुलाया। रक्षक जल्दी से यूसुफ को कारागार से बाहर लाए। यूसुफ ने बाल कटाए और साफ कपड़े पहने। तब वह गया और फ़िरौन के सामने खड़ा हुआ। तब फिरौन ने समझाया की उसे मदद की आवश्यकता है। तब फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “मैंने एक सपना देखा है। किन्तु कोई ऐसा नहीं है जो सपने की व्याख्या मुझको समझा सके। मैंने सुना है कि जब कोई सपने के बारे में तुमसे कहता है तब तुम सपनों की व्याख्या और उन्हें स्पष्ट कर सकते हो।”
यूसुफ ने उत्तर दिया, “मेरी अपनी बुद्धि नहीं है कि मैं सपनों को समझ सकूँ केवल परमेश्वर ही है जो ऐसी शक्ति रखता है और फ़िरौन के लिए परमेश्वर ही यह करेगा।”
वाह! यूसुफ को भरोसा था किपरमेश्वर ही उसे जवाब देंगे। कई वर्षों की गुलामी के कारण, उसे परमेश्वर पर विश्वास करने की प्रथा आ गयी थी। अब वह जान गया था की, उसे संसार के सबसे शक्तिशाली मनुष्य के लिए परमेश्वर ने उसे एक नबी होने के लिए बुलाया था। उसने सुनिश्चित किया कि सारी महिमा परमेश्वर को मिले।
फिरौन ने यूसुफ को विस्तार से अपना सपना बताया। परमेश्वर ने युसूफ को फिरौन को बताने के लिए यह व्याख्या दिया;
"'ये दोनों सपने एक ही अर्थ रखते हैं। परमेश्वर तुम्हें बता रहा है जो जल्दी ही होगा। सात अच्छी गायें और सात अच्छी अनाज की बालें सात वर्ष हैं, दोनों सपने एक ही हैं। सात दुबली और भद्दी गायें तथा सात बुरी अनाज की बालें देश में भूखमरी के सात वर्ष हैं। ये सात वर्ष, अच्छे सात वर्षो के बाद आयेंगे। परमेश्वर ने आपको यह दिखा दिया है कि जल्दी ही क्या होने वाला है। यह वैसा ही होगा जैसा मैंने कहा है। आपके सात वर्ष पूरे मिस्र में अच्छी पैदावार और भोजन बहुतायत के होंगे। लेकिन इन सात वर्षों के बाद पूरे देश में भूखमरी के सात वर्ष आएंगे। जो सारा भोजन मिस्र में पैदा हुवा है उसे लोग भूल दाएंगे। यह अकाल देश को नष्ट कर देगा।'"
उत्पत्ति 41: 23-32
इब्राहीम के परमेश्वर की शक्ति और प्रभु शक्ति वास्तव में मिस्र के न्यायालय में प्रकट हुई। फिरौन स्वेच्छापूर्वक सुनता रहा, और अपने भयावह सपने का सामना करने से घबरा गया। पहले से ही, परमेश्वर दुनिया के देशों को आशीर्वाद देने के लिए इब्राहीम के परिवार का उपयोग कर रहे थे।
तब यूसुफ ने फिरौन को अपने राष्ट्र पर आने वाले कठिन समय से बचने के लिए एक योजना दी। उसने उसे एक बुद्धिमान व्यक्ति का चयन करने के लिए कहा और अनाज के पांचवें हिस्से को इकठ्ठा करने को कहा जो सात वर्षों की बहुतायत के समय में आएगा। इस व्यक्ति को देश भर में भंडारों में अतिरिक्त इकट्ठा करने वाले पुरुषों के एक समूह पर ध्यान करना होगा। वे भयानक अकाल के सात साल तक उस अनाज को रखेंगे। फिर जब लोग भूखे होंगे, तब वे मिस्र के लोगों के लिए अनाज बाहर पारित कर सकते हैं। यह उनके जीवन बचाने के लिए होगा।
फिरौन ने जब यूसुफ कियोजनाओं को सुना, उसने देखा कि वे बहुत शानदार थे। यह फिरौन एक बहुत अच्छा राजा था। उसे अपने देश के लोगों की रक्षा के लिए ऐसी सही बात को सुनकर कितनी राहत मिली होगी। फ़िरौन ने अपने अधिकारियों से पूछा, “क्या तुम लोगों में से कोई इस काम को करने के लिए यूसुफ से अच्छा व्यक्ति ढूँढ सकता है? परमेश्वर की आत्मा ने इस व्यक्ति को सचमुच बुद्धिमान बना दिया है।”
यहां तक कि एक बुतपरस्त फिरौन ने यूसुफ के ज्ञान से जाना कि वह परमेश्वर का ज्ञान था। परमेश्वर की आत्मा ने उसके जवाब पर अधिकार ले लिया था, और फिरौन ने यह देख लिया था की उसके राज्य में यूसुफ के अलावा और कोई नहीं परमेश्वर के निर्देशों का नेतृत्व कर पाएगा। फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “परमेश्वर ने ये सभी चीज़ें तुम को दिखाई हैं। इसलिए तुम ही सर्वाधिक बुद्धिमान हो। इसलिए मैं तुमको देश का प्रशासक बनाऊँगा। जनता तुम्हारे आदेशों का पालन करेगी। मैं अकेला इस देश में तुम से बड़ा प्रशासक रहूँगा।”
वाह! एक ही दिन में, यूसुफ, राजा को छोड़, महल के तहखाने में एक नौकर से मिस्र का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गया। परमेश्वर वास्तव में अपने उस विनम्र सेवक के लिए रास्ता तैयार कर रहे थे, जिसने जेल की काल कोठरी में रहकर परमेश्वर कि इतनी ईमानदारी से सेवा कि और परमेश्वर को सम्मानित किया।
परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।
आप सोच सकते हैं की वो दिन यूसुफ के लिए कैसा बुलंद रहा होगा! उन सभी वर्षों में, यूसुफ इन परीक्षणों के बारे में विलाप कर सकता था, लेकिन इसके बजाय उसने परमेश्वर कि सेवा करने के लिए चुनाव किया था। उन घनघोर समय में उसकी वफ़ादारी कि सेवा युसूफ को एक उज्ज्वल चीज़ के लिए तैयार कर रहा था जो परमेश्वर उसके लिए ला रहे थे। क्या ऐसी कोई चीज़ है जो आप पसंद नहीं करते हैं पर परमेश्वर चाहते हैं कि आप करें? क्या आप को लगता है किआपको दीन किया जा रहा है? अपने दिल को संभाल लीजिये! सब चीज़ों के द्वारा परमेश्वर की महिमा कीजिये। जो थोड़े में वफ़ादार हैं वे ज़्यादा पाएंगे!
मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।
हम अक्सर यह सोचते हैं कि सब कुछ हमारे खुद के प्रयासों पर निर्भर है, या हम सिर्फ जीवन में ऐसे ही फिर रहे हैं, और जो हमारे पास है उसका कोई सही कारण नहीं है या फिर जो हमारे पास नहीं है वही हमारी कमी है। बाइबिल इन बातों को नहीं सिखाती। प्रभु दैवात् हमारे जीवन के राह को विहित करता है। जब मुश्किलातें आती हैं तो यह काफ़ी हतोत्साहित हो सकता है, लेकिन यूसुफ की ओर देखिये! या फिर यीशु को देखिये! उसने क्रूस पर चढ़कर अपनी जान गवांयी, लेकिन उसने पूरी तरह से पाप और मृत्यु पर विजय प्राप्त की! परमेश्वर इस सब के लायक है, और वे जो उसकी सेवा करते हैं, जय पाएंगे। आप अपने जीवन में किस प्रकार की जय चाहते हैं? आपको पूर्ण आज्ञाकारिता के लिए परमेश्वर के किस प्रकार कि सामर्थ की आवश्यकता है?
हमारे जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।
कभी कभी हम अपने जीवन के माध्यम से परमेश्वर के राज्य के महान जीत को देख सकते हैं। कभी कभी हमें परमेश्वर कि ओर हमारी भक्ति के लिए उस इनाम को प्राप्त करने के लिए अनंत काल तक इंतजार करना होगा। यदि हम स्वर्ग के परमेश्वर पर अपने दिलों को लगाएंगे, फिर चाहे कोई भी परिस्थिति क्यूँ ना हो, हम उसकी सेवा कर पाएंगे। इब्रानियों 12: 1 बी -3, 7, इसका वर्णन करती है:
"... इसलिए आओ बाधा पहुँचाने वाली प्रत्येक वस्तु को और उस पाप को जो सहज में ही हमें उलझा लेता है झटक फेंके और वह दौड़ जो हमें दौड़नी है, आओ धीरज के साथ उसे दौड़ें। हमारे विश्वास के अगुआ और उसे सम्पूर्ण सिद्ध करने वाले यीशु पर आओ हम दृष्टि लगायें। जिसने अपने सामने उपस्थित आनन्द के लिए क्रूस की यातना झेली, उसकी लज्जा की कोई चिंता नहीं की और परमेश्वर के सिंहासन के दाहिने हाथ विराजमान हो गया। उसका ध्यान करो जिसने पापियों का ऐसा विरोध इसलिए सहन किया ताकि थक कर तुम्हारा मन हार न मान बैठे।
कठिनाई को अनुशासन के रूप में सहन करो। परमेश्वर तुम्हारे साथ अपने पुत्र के समान व्यवहार करता है। ऐसा पुत्र कौन होगा जिसे अपने पिता के द्वारा ताड़ना न दी गई हो?"