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पाठ 63 : फिरौन के समक्ष में यूसुफ

यूसुफ मिस्र के राजा के जेल में एक वफ़ादार सेवक के रूप में काम करता रहा। एक समय में, उसने फिरौन के पिलानेहारा और मुख्य पकानेहारा के सपनों की व्याख्या की थी। उसकी व्याख्याएं आश्चर्यजनक तरीके से एक दम सही थीं।

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पाठ 80 : फिरौन की बेटी का हृदय

याकूब के ग्यारह पुत्र उसके साथ मिस्र को गए। यूसुफ वहाँ पहले से ही था। उनके बच्चों के बच्चे हुए, और उनके भी और बच्चे हुए। चार सौ साल बाद, इस्राएलियों कि दो लाख से अधिक संख्या हो गयी। फिरौन इसी बात को लेकर बहुत चिंतित था!

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पाठ 87 : क्या फिरौन कभी सीखेगा?

जब मूसा और हारून फिर से फिरौन किअदालत में पेश होने की तैयारी कर रहे थे, परमेश्वर ने उन्हें बहुत विशिष्ट निर्देश दिये। सटीक आज्ञाकारिता बहुत महत्वपूर्ण थी। परमेश्वर को मालूम था की फिरौन उन्हें एक चमत्कार दिखाने के लिए कहेगा। मूसा को हारून को बताना था की वह अपनी लाठी ज़मीन पर फेंक दे। परमेश्वर उसे एक सर्प में बदल देगा।

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पाठ 88 : मेंढकों और कुटकियों और डांसों की विपत्तियां भाग 1

परमेश्वर मिस्र के देवताओं पर युद्ध छेड़ने जा रहा था। फिरौन ने उनके लोगों को बंदी बना रखा था और वह उन्हें जाने नहीं दे रहा था। परमेश्वर अपने लोगों को रिहा करने के लिए एक शक्तिशाली काम कर सकता था, लेकिन उसके मन में एक बड़ी योजना थी।

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