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कहानी १४८: विधवा का छोटा सिक्का : एक कहानी

उसके पास काफी नहीं था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उसने कुछ ऐसा सबक सीखा जिससे उसे साधारण परन्तु शानदार स्वतंत्रता मिली। उसके जीवन में काफी कड़ा समय आया। चाहे वह अपने पति से बहुत प्रेम करती थी, परमेश्वर ने उसे बहुत जल्द उठा लिया था और वह लम्बे समय से एक विधवा का जीवन व्यतीत कर रही थी।

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कहानी १४९: प्रसव पीड़ा 

यीशु अपने क़ीमती राष्ट्र को पिता के प्यार को दिखाने उत्सुक था! लेकिन वे इसे स्वीकार नहीं कर रहे थे।मन्दिर को छोड़ कर यीशु जब वहाँ से होकर जा रहा था तो उसके शिष्य उसे मन्दिर के भवन दिखाने उसके पास आये। इस पर यीशु ने उनसे कहा, “'तुम इन भवनों को सीधे खड़े देख रहे हो? मैं तुम्हें सच बताता हूँ, यहाँ एक पत्थर पर दूसरा पत्थर टिका नहीं रहेगा। एक एक पत्थर गिरा दिया जायेगा।'”

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कहानी १५०: निर्जनता का द्वेष 

प्रभु यीशु ने चेलों को अगले जन्म के जीवन के विषय में वर्णन दिया। राज्यों में युद्ध होंगे। अकाल होगा जहां लोगों और जानवरों को खाने को नहीं होगा। झूठे भविष्यद्वक्ता खड़े होंगे जो कहेंगे कि वे ही यीशु हैं।

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कहानी १५१: अज्ञात घड़ी 

यीशु ने अपने शिष्यों को वह उपदेश दिया जो पूरा इस्राएल सुनना चाहता था। जब वे जैतून के पहाड़ पर बैठे थे, उसने पूरे मनुष्य के इतिहास के लिए अपनी योजना को दिखाया। पापी संसार में समय बहुत कठिन होने जा रहा था, और महान क्लेश के समय तक बहुत कष्ट बढ़ने वाला था।

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कहानी १५२: अच्छे से प्रतीक्षा करना और आस लगाना 

जब यीशु जैतून के पहाड़ पर अपने चेलों को सिखा रहे थे, तो उन्होंने उन्हें पृथ्वी के भविष्य और यहां रहने वाले सभी मनुष्यों के बारे में शानदार और भयावह अंतर्दृष्टि दी। उन्होंने उन्हें बहुत कुछ सिखाया कि वो किस प्रकार सब बातों का अंत लाएंगे।

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कहानी १५३: मसीह न्याय के सिंघासन पर 

जो दूसरी कहानी यीशु बताने जा रहे थे, वो भी भविष्य के बारे में थी। प्रभु पृथ्वी के लोगों का न्याय करने आ रहे है। जिस प्रकार यह लोग अपने जीवन को जीने का चुनाव करेंगे, उससे ही वो जानेंगे कि सही मायने में कौन उनके अपने थे।

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कहानी १५४: यीशु के खिलाफ साज़िश 

महासभा रोष से खदबदा रही थी। तीन साल के लिए उन्होंने इस युवा ढोंगी, यीशु नाम की अभिमानी निन्दा सही थी। कैसे उसने जानबूझकर खुद परमेश्वर के चुने हुए देश पर शासन करने के ठहराए नेतृत्व की खिल्ली उड़ाई, और अपने आकर्षण और शैतानी चमत्कार के साथ लोगों को चालाकी से अपने वश में किया।

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कहानी १५५: यीशु का अंतिम भोज-भाग 1 

गुरुवार आया। यह अखमीरी रोटी का दिन था। मिस्र में उस दिन की याद में शासकीय फसह के मेमने को बलिदान किया जाएगा।बेदाग भेड़ के बच्चे के रक्त को हर एक इस्राएली घर के चौखट पर लगाना था। इससे उनका पहलौठा पुत्र बच गया और स्वतंत्रता के द्वार को खोल दिया गया। वह पहला बलिदान और उद्धार केवल एक रूप था और यीशु अपने ही लहू से खरीदने वाला था।

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कहानी १५६: विश्वासघात और इंकार 

यीशु और उसके चेले फसह का भोज कर रहे थे। यीशु जानता था कि यह उसका अपने चेलों के साथ अंतिम भिज होगा। उन्होंने उसके साथ भीड़ में रहकर परिश्रम किया और अपने घरों को छोड़ कर पूरी भक्ति के साथ उसकी सेवा में लगे रहे। और फिर यीशु जानता था उनमें से एक है जो उसके साथ विश्वासघात करेगा और आगे भी करेगा।

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कहानी १५७: रोटी और प्याला 

फसह का भोज यहूदी लोगों के लिए एक उच्च और पवित्र समय था। यह यहूदी लोगों के लिए मुक्ति के महान दिन की स्मृति में मनाया जाता है। यीशु के संसार में आने के पंद्रह सौ साल पहले, परमेश्वर ने मिस्र के फिरौन की भयानक अत्याचार से अपने लोगों को मुक्त किया और इस्राएल को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाया।

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कहानी १५८: पिता और आत्मा

एक बार यीशु ने अपने चेलों के साथ प्रभु-भोज, वह उनके साथ आने वाले दिनों कि भेद कि बातों को बताने लगा। उसे उन्हें अपनी ही मृत्यु में तैयार करना था। जो वह अब कहने जा रहा था वह उसके चेलों लिए अलविदा था।

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कहानी १५९: त्रिएकता के प्रेम में 

यीशु जब ऊपरी कक्ष में अपने चेलों के साथ बैठे थे, वह क्रूस पर जाने से पहले उन्हें अपना अंतिम सन्देश दे। बार बार वह उन्हें यीशु और पिता के बीच उस बंधन के विषय में सिखाता था जो पवित्रके द्वारा होता है। यह जानना इतना महत्वपूर्ण था की वह उन्हें बार बार समझाता था।

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कहानी १६०: आशा का सहायक 

यीशु ने अपने शिष्यों के लिए एक सहायक भेजने का वायदा किया। यीशु की आत्मा उनके ह्रदय में आकर उसके राज्य के कार्य को करने के लिए उनकी अगुवाई करेगा और सामर्थ देगा।

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कहानी १६१: परमेश्वर के पुत्र की प्रार्थनाएं 

अपने चेलों के साथ उस अंतिम रात्री में, यीशु ने अंत में यह स्पष्ट कर दिया था। जिस राज्य कि घोषणा वे करने जा रहे थे, वह उनकी कल्पना से बाहर था, परन्तु वे बहुत महान और अद्भुद था। आने वाले दिनों को देखते हुए यीशु अपनी आँखें स्वर्गीय पिता कि ओर उठाकर प्रार्थना की।

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कहानी १६२: गतसमनी का बगीचा-समर्पण की पीड़ा

जब यीशु और उसके चेले फसह मना रहे थे, उसने उन्हें परमेश्वर कि योजना के रहस्य को उनके आगे स्पष्ट रूप से दिखाया। अभी और भी प्रकाशन आने हैं। ऊपरी कमरे में मिले उपदेशों के बाद, यीशु ने पिता से अपने लिए, अपने चेलों के लिए और उन सभी के लिए जो उस पर विश्वास करेंगे।

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कहानी १६३: हर कोई दूर हो जाता है: गिरफ्तारी 

जब यीशु ने बगीचे के अंधेरे में प्रार्थना में घुटने टेके, तो उन्होंने अपने को पिता की इच्छा के सुपुर्त कर दिया। तब वह अपने पैरों पे उठकर अपने चेलों के पास गए। उन्होंने उन्हें एक बार फिर से सोया पाया।

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कहानी १६४: अन्नास के घर में प्रभु 

रात की शांति में, उसके चेलों थके हुए नींद में गिर गए। यीशु प्रार्थना में अपने पिता के पास चले गए। तीन बार उन्होंने वह बोझ हटा देने को माँगा। क्या पिता इस काम को हटा सकते थे? क्या यीशु किसी तरह आने वाली पीड़ा को आने से रोक सकते थे?

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कहानी १६५: महायाजक के लिए एक अँधेरी रात 

यीशु को अन्नास के घर से कैफा के घर ले जाया गया। पतरस अभी तक पीछे पीछे आ रहा था। जैसे ही यीशु को महासभा के उन सदस्यों के समक्ष लाया जा रहा था जो इतनी रात वहां आए, पतरस आँगन में चला गया।

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कहानी १६६: सरकारी कार्यवाही 

धार्मिक शासकों ने उनकी गिरफ्तारी की रात से पहले ही यीशु की कार्यवाही के परिणाम का फैसला कर लिया था। उनको यह सुनिश्चित करना था कि यह उनकी मौत के साथ समाप्त होगी।वो बहुत ज्यादा खतरनाक था।

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कहानी १६७: पीलातुस और हेरोदेस के पास 

पेंतुस पीलातुस के जैसे आदमी के लिए, यहूदी महासभा के पुरुष एक हास्यास्पद भीड़ की तरह होंगे। पिलातुस रोमी राज्यपाल था जिसे दुनिया में सबसे शक्तिशाली आदमी द्वारा नियुक्त गया था - रोमी कैसर। रोमी साम्राज्य ने ज्ञात दुनिया पर विजय प्राप्त की और सैकड़ों वर्ष के लिए इतिहास पर प्रभुत्व की।

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