कहानी १५६: विश्वासघात और इंकार 

Ultima cena

यीशु और उसके चेले फसह का भोज कर रहे थे। यीशु जानता था कि यह उसका अपने चेलों के साथ अंतिम भिज होगा। उन्होंने उसके साथ भीड़ में रहकर परिश्रम किया और अपने घरों को छोड़ कर पूरी भक्ति के साथ उसकी सेवा में लगे रहे। और फिर यीशु जानता था उनमें से एक है जो उसके साथ विश्वासघात करेगा और आगे भी करेगा। सो उसने अपने चेलों को उस आशीष के विषय में बताया जो उन्हें एक दुसरे के पाँव धोने से मिलेगी वहीं उसने उन्हें उस श्राप के बारे में बताय जो उनमें से एक को मिलेगा:

"'मैं उन्हें जानता हूँ जिन्हें मैंने चुना है। किन्तु मैंने उसे इसलिये चुना है ताकि शास्त्र का यह वचन सत्य हो:
"वही जिसने मेरी रोटी खायी मेरे विरोध में हो गया।"
"'अब यह घटित होने से पहले ही मैं तुम्हें इसलिये बता रहा हूँ कि जब यह घटित हो तब तुम विश्वास करो कि वह मैं हूँ।'"  यह कहने के बाद यीशु बहुत व्याकुल हुआ और साक्षी दी, “मैं तुमसे सत्य कहता हूँ, तुम में से एक मुझे धोखा देकर पकड़वायेगा।”

यीशु कि बात को सुनकर क्या यहूदा कांपा?  तब उसके शिष्य एक दूसरे की तरफ़ देखने लगे। वे निश्चय ही नहीं कर पा रहे थे कि वह किसके बारे में कह रहा है। उन्होंने कहा,"प्रभु, निश्चय वो मैं तो नहीं!" वे मासूम थे, फिर भी वे भयभीत थे और उस पाप से डरते थे कि कहीं उनसे ना हो जाये। वे वफादार रहना चाहते थे। यीशु को कितना छुआ होगा। उस ऊपरी कमरे के बाहर वे शक्तिशाली लोग उसकी मौत का इंतज़ार कर रहे थे। परन्तु ये चेले, चाहे कितने भी कमज़ोर क्यूँ ना थे, वे वफादार रहे। उनका प्रेम और विश्वास सच्चा था।                                                                                                                          तब यीशु ने उत्तर दिया,“'वही जो मेरे साथ एक थाली में खाता है मुझे धोखे से पकड़वायेगा। मनुष्य का पुत्र तो जायेगा ही, जैसा कि उसके बारे में शास्त्र में लिखा है। पर उस व्यक्ति को धिक्कार है जिस व्यक्ति के द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जा रहा है। उस व्यक्ति के लिये कितना अच्छा होता कि उसका जन्म ही न हुआ होता।'”

जब वे मेज़ पर बैठे हुए थे, यूहन्ना यीशु कि छाती पर टिका हुआ था। कितना महान था उनका प्रेम। उसका एक शिष्य यीशु के निकट ही बैठा हुआ था। इसे यीशु बहुत प्यार करता था। तब शमौन पतरस ने उसे इशारा किया कि पूछे वह कौन हो सकता है जिस के विषय में यीशु बता रहा था।  यीशु के प्रिय शिष्य ने सहज में ही उसकी छाती पर झुक कर उससे पूछा,“हे प्रभु, वह कौन है?”

यीशु ने उत्तर दिया,“'रोटी का टुकड़ा कटोरे में डुबो कर जिसे मैं दूँगा, वही वह है।” फिर यीशु ने रोटी का टुकड़ा कटोरे में डुबोया और उसे उठा कर शमौन इस्करियोती के पुत्र यहूदा को दिया। जैसे ही यहूदा ने रोटी का टुकड़ा लिया उसमें शैतान समा गया। फिर यीशु ने उससे कहा,“जो तू करने जा रहा है, उसे तुरन्त कर।”  इसलिए यहूदा ने रोटी का टुकड़ा लिया। और तत्काल चला गया। यह रात का समय था। किन्तु वहाँ बैठे हुओं में से किसी ने भी यह नहीं समझा कि यीशु ने उससे यह बात क्यों कही। कुछ ने सोचा कि रुपयों की थैली यहूदा के पास रहती है इसलिए यीशु उससे कह रहा है कि पर्व के लिये आवश्यक सामग्री मोल ले आओ या कह रहा है कि गरीबों को वह कुछ दे दे।

जब वे भोजन कर ही रहे थे, यीशु के चेले आपस में बहस कर रहे थे उनमें से कौन सबसे महान होगा। जब यीशु उन्हें परमेश्वर के राज्य में पैर धोने के विषय में बता रहा था, वे केवल यही सुन रहे थे कि एक राज्य आने वाला है। वे केवल यही जानना चाहते थे कि कौन सबसे महान और प्रभावशाली होगा। वे स्वयं के लिए पद ढूंढ रहे थे। वे फरीसियों और शास्त्रियों के समान व्यवहार कर रहे थे। एक तरीके से, वे यीशु के सन्देश को धोखा दे रहे थे। वे नहीं सुन रहे थे। उन्हें नहीं मालूम था कि आगे क्या होने जा रहा है। यीशु के उत्तर को सुनिये:

“गैर यहूदियों के राजा उन पर प्रभुत्व रखते हैं और वे जो उन पर अधिकार का प्रयोग करते हैं,‘स्वयं को लोगों का उपकारक’ कहलवाना चाहते हैं। किन्तु तुम वैसै नहीं हो बल्कि तुममें तो सबसे बड़ा सबसे छोटे जैसा होना चाहिये और जो प्रमुख है उसे सेवक के समान होना चाहिए। क्योंकि बड़ा कौन है: वह जो खाने की मेज़ पर बैठा है या वह जो उसे परोसता है? क्या वही नहीं जो मेज पर है किन्तु तुम्हारे बीच मैं वैसा हूँ जो परोसता है। किन्तु तुम वे हो जिन्होंने मेरी परिक्षाओं में मेरा साथ दिया है। और मैं तुम्हे वैसे ही एक राज्य दे रहा हूँ जैसे मेरे परम पिता ने इसे मुझे दिया था। ताकि मेरे राज्य में तुम मेरी मेज़ पर खाओ और पिओ और इस्राएल की बारहों जनजातियों का न्याय करते हुए सिंहासनों पर बैठो।'" --लूका २२:२५-३२

स्वर्ग राज्य में हर एक चेले को ना केवल सम्मानित भूमिका निभाने को मिलेगा, उन्हें परमेश्वर के राज्यों को न्याय करने का अधिकार दिया जाएगा। यीशु उन्हें अपने राजकीय अधिकार का एक हिस्सा भी देगा। यीशु एक नया राज्य स्थापित कर रहा था और ये चेले उसके अगुवे होंगे! परन्तु उन्हें उसे हासिल करने के लिए प्रतीक्षा करना होगा। वे उन्हें इस पृथ्वी पर रहते हुए मिलेंगे। उन्हें यीशु के उस अनंतकाल के राज्य कि ओर ताकना होगा।

यीशु उस दिन कि घोषणा के लिए अपने चेलों को तैयार कर रहा था।

“'मनुष्य का पुत्र अब महिमावान हुआ है। और उसके द्वारा परमेश्वर की महिमा हुई है। यदि उसके द्वारा परमेश्वर की महिमा हुई है तो परमेश्वर अपने द्वारा उसे महिमावान करेगा। और वह उसे महिमा शीघ्र ही देगा।”
“'हे मेरे प्यारे बच्चों, मैं अब थोड़ी ही देर और तुम्हारे साथ हूँ। तुम मुझे ढूँढोगे और जैसा कि मैंने यहूदी नेताओं से कहा था, तुम वहाँ नहीं आ सकते, जहाँ मैं जा रहा हूँ, वैसा ही अब मैं तुमसे कहता हूँ।
“'मैं तुम्हें एक नयी आज्ञा देता हूँ कि तुम एक दूसरे से प्रेम करो। जैसा मैंने तुमसे प्यार किया है वैसे ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम करो। यदि तुम एक दूसरे से प्रेम रखोगे तभी हर कोई यह जान पायेगा कि तुम मेरे अनुयायी हो।'” --यूहन्ना १३:३१-३८

अब चेले परेशान हो गये। वह उन्हें क्यूँ छोड़ रहा था? शमौन पतरस ने उससे पूछा, “हे प्रभु, तू कहाँ जा रहा है?”

यीशु ने उसे उत्तर दिया, “तू अब मेरे पीछे नहीं आ सकता। पर तू बाद में मेरे पीछे आयेगा।”

फिर जो यीशु ने कहा उसे सुनकर पतरस बेचैन हो गया:

“'शमौन, हे शमौन, सुन, तुम सब को गेहूँ की तरह फटकने के लिए शैतान ने चुन लिया है। किन्तु मैंने तुम्हारे लिये प्रार्थना की है कि तुम्हारा विश्वास न डगमगाये और जब तू वापस आये तो तेरे बंधुओं की शक्ति बढ़े।'”

पतरस ने उससे पूछा, “'हे प्रभु, अभी भी मैं तेरे पीछे क्यों नहीं आ सकता? मैं तो तेरे लिये अपने प्राण तक त्याग दूँगा।'” और यह सच था। पतरस बहुत समय था इस पर विचार करने के लिए। धार्मिक अगुवों कि नफरत जितनी अधिक बढ़ती जा रही थी उतना ही यीशु के मित्र बनना खतरनाक होता जा रहा था। परन्तु यीशु पतरस को वो बातें बता रहा था जो वह अपने आप के विषय में नहीं जानता था।

पतरस अधिकतर बातें उसके स्वयं के विषय में थीं ना के यीशु के प्रति उसकी भक्ति की। अब शैतान उसके पीछे था, उस चेले को नाश करने के लिए जो उस दुष्ट के लिए एक खतरा बन चुका था। परन्तु यीशु शैतान के द्वारा पतरस के फटकनेको उसे शुद्ध करने के लिए उपयोग करेगा। यीशु ने कहा,"'मैं तुझे सत्य कहता हूँ कि जब तक तू तीन बार इन्कार नहीं कर लेगा तब तक मुर्गा बाँग नहीं देगा।'”

जब समय आता, तब पतरस यीशु के लिए अपनी जान नहीं देने वाला था। वह अपनी जान उस घड़ी के लिए बचाना चाहता जब वह यीशु को पकड़वाएगा। यीशु निश्चित रूप से जानते थे कि पतरस क्या करने जा रहा है, और फिर भी यीशु उससे प्रेम करते रहे। क्यूंकि, पतरस का इंकार स्वयं यीशु के लिए नहीं था। वे पतरस के विषय में थे और वो काम जिसके लिए परमेश्वर उसे कलीसिया का चट्टान बनाने के लिए तैयार कर रहा था।

पतरस अपने ही विचार लगा रहा था कि कैसे यीशु कि सेवा करनी चाहिए। वह अपनी ही क़ाबलियत से प्रबावित था कि वह वफादार और दृढ़ रहेगा। परमेश्वर उससे उन सब बातों को छीन लेगा। एक बार जब पतरस इस भयंकर समय से निकल जाएगा, वह एक भीतरी ताक़त के साथ बाहर निकलेगा। इस अपमान और दुःख के बाद, पतरस परमेश्वर पर निर्भर करना सीख जाएगा।

यीशु जानता था कि पतरस उसका इंकार करेगा, परन्तु वह जानता था कि अंत में वह उसके पीछे चलता जाएगा। वह अपने जीवन भर परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार को फैलाएगा, उसके लिए सताया जाएगा और यीशु के लिए जेल में भेजा जाएगा। और फिर एक दिन, वह यीशु के नाम के वास्ते मर जाएगा।