कहानी ८९: जीवन कि रोटी (भाग II)
जब लोगों ने यीशु को सुना, वे बड़बड़ाने लगे और शिकायत करने लगे। वह कौन था ऐसा कहने वाला कि वह स्वर्ग से नीचे उतर के आया है? वे सब जानते थे कि वह नासरी से एक बढ़ई यूसुफ का पुत्र है। वे सब उसके माता और पिता। वह ऐसा कैसे दावा कर सकता था कि वह स्वर्ग से आया है?
यदि आप इसके बारे में सोचें, यह किसी भी सामान्य मानव के लिए ऐसा कहना एक हास्यास्पद बात होगी। वास्तव में, यह उससे भी बढ़कर होगा। यह एक भयानक झूठ होगा। किसी भी मनुष्य के लिए झूठ और यह दावा करना कि वह सारी सृष्टि का परमेश्वर बनके स्वर्ग से आया है तो यह सबसे बड़ा अपराध होगा। यह उसका अपमान होगा जो पूर्ण रूप से अच्छा और पवित्र है। इसीलिए दुनिया के झूठे धर्म भीषण रूप से गलत हैं। वे उसके विषय में कुटिल, विकृत झूठ बताते हैं जो सीधा और सच्चा है! वे शैतान के झूठ का साथ देते हैं और मानव जाती को सृष्टिकर्ता कि खूबसूरती को समझने से रोकते हैं।
यदि यीशु वास्तव में स्वर्ग से था, तो गलील के क्षेत्र में कुछ शानदार हो रहा था। इसका मतलब था कि परमेश्वर पृथ्वी पर आ गया था, और गलील के लोगों को जो सबसे बड़ा निर्णय लेना था वो था कि वे यीशु के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करते हैं। यही सबसे महवपूर्ण निर्णय है जो हम और आप ले सकते हैं।
यीशु जानते थे कि भीड़ उनके खिलाफ कैसे बड़बड़ा रही थी। वे यह भी जानते थे कि परमेश्वर पिता अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा उसके शिक्षण में कार्य कर रहा है। गलीली लोग आत्मा के कार्य जिस तरह अस्वीकार कर रहे थे वे यीशु के कार्यों को भी अस्वीकार कर रहे थे। यह पाप उसी पाप के सामान था जब धार्मिक अगुवों ने यीशु को बताया कि वह शैतान का सहभागी है! यीशु ने उत्तर दिया:
“'आपस में बड़बड़ाना बंद करो, मेरे पास तब तक कोई नहीं आ सकता जब तक मुझे भेजने वाला परम पिता उसे मेरे प्रति आकर्षित न करे।'"
यीशु बता रहे हैं कि जब तक परमेश्वर शुरू ना करे और पीछे ना हो, कोई उस पर विश्वास नहीं कर सकता। यदि हम में से कोई भी यीशु का चेला है, वह इसिलिय कि परमेशर ने हमें कीचड कि दलदल से निकाला ताकि हम पश्चाताप कर सकें। लकिन केवल यही नहीं है जो वह उनके लिए करेगा जो यीशु पर विश्वास करते हैं:
"'मैं अंतिम दिन उसे पुनर्जीवित करूँगा। नबियों ने लिखा है, ‘और वे सब परमेश्वर के द्वारा सिखाए हुए होंगे।’ हर वह व्यक्ति जो परम पिता की सुनता है और उससेसिखता है मेरे पास आता है। किन्तु वास्तव में परम पिता को सिवाय उसके जिसे उसने भेजा है, किसी ने नहीं देखा। परम पिता को बस उसी ने देखा है|“मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ, जो विश्वासी है, वह अनन्त जीवन पाता है। मैं वह रोटी हूँ जो जीवन देती है। तुम्हारे पुरखों ने रेगिस्तान में मन्ना खाया था तो भी वे मर गये। जबकि स्वर्ग से आयी इस रोटी को यदि कोई खाए तो मरेगा नहीं। मैं ही वह जीवित रोटी हूँ जो स्वर्ग से उतरी है। यदि कोई इस रोटी को खाता है तो वह अमर हो जायेगा। और वह रोटी जिसे मैं दूँगा, मेरा शरीर है। इसी से संसार जीवित रहेगा।'”
यीशु ने वास्तव में उनके बहस को उन्ही पर डाल दिया था। वे क्यूँ उसी मन्ना को चाहते थे जो परमेश्वर ने मूसा के समय में भेजा था, और सब जंगल में मर गए थे? विशेष करके जब कि यीशु ही वो रोटी है जो स्वर्ग से भेजा गया है, और उनके लिए अपने आप को बलिदान कर दिया है? अनंत जीवन को पाने के लिए उन्हें केवल विश्वास करना था!
जब यहूदियों ने यीशु को ऐसा कहते सुना, वे आपस में बहस करने लगे। उन्होंने कहा,"'यह व्यक्ति अपना शरीर हमें कैसे खाने के लिए दे सकता है?'" स्वर्ग कि अनन्तकाल कि बातें जो यीशु बता रहा है, उसे समझने के बजाय वे शारीरिक बातों पर अधिक ध्यान दे रहे थे।
यीशु ने यह स्पष्ट करने की कोशिश नहीं की। वह जानता था कि उनके ह्रदय कितने कठोर हैं। वह जानता था कि वे जो उसके पास सच्चे विश्वास के साथ आएंगे, वे उसके चेलों के समान विश्वास और भक्ति के साथ प्रतिक्रिया करेंगे। जिनके पास सुनने के लिए कान थे उनके लिए उसके शब्द स्पष्ट थे, लेकिन ये कठोर ह्रदय वाले विद्रोही लोग उन्हें भ्रम में बदल रहे थे। वह बोलता रहा यह जानते हुए भी कि वे समझने से इंकार करेंगे:
"'मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का शरीर नहीं खाओगे और उसका लहू नहीं पिओगे तब तक तुममें जीवन नहीं होगा। जो मेरा शरीर खाता रहेगा और मेरा लहू पीता रहेगा, अनन्त जीवन उसी का है। अन्तिम दिन मैं उसे फिर जीवित करूँगा। मेरा शरीर सच्चा भोजन है और मेरा लहू ही सच्चा पेय है। जो मेरे शरीर को खाता रहता है, और लहू को पीता रहता है वह मुझमें ही रहता है, और मैं उसमें। बिल्कुल वैसे ही जैसे जीवित पिता ने मुझे भेजा है और मैं परम पिता के कारण ही जीवित हूँ, उसी तरह वह जो मुझे खाता रहता है मेरे ही कारण जीवित रहेगा। यही वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरी है। यह वैसी नहीं है जैसी हमारे पूर्वजों ने खायी थी। और बाद में वे मर गये थे। जो इस रोटी को खाता रहेगा, सदा के लिये जीवित रहेगा।'”
ऐसा लगता था मनो यीशु कोई कठोर ह्रदय वाली भीड़ को पहेलियों में बात कर रहा हो। वह उन्ही कठिन विचारों का उपयोग कर रहा था जिस प्रकार वह दृष्टान्तों। जिनका सच्चा विश्वास था केवल वे ही समझ सकते थे। यीशु क्रूस पर अपनी जान देने के लिए उत्सुक था। अपने शरीर और लहू के द्वारा, वह मानवजाति के लिए उद्धार को प्राप्त कर लेगा। यह परमेश्वर का विशेष बलिदान होगा।
जब लोग सुन रहे थे, तब चेले उससे परेशान हो रहे थे। उन्होंने कहा,"'यह शिक्षा बहुत कठिन है, इसे कौन सुन सकता है?”"
यीशु को अपने आप ही पता चल गया था कि उसके अनुयायियों को इसकी शिकायत है। इसलिये वह उनसे बोला,
“क्या तुम इस शिक्षा से परेशान हो? यदि तुम मनुष्य के पुत्र को उपर जाते देखो जहाँ वह पहले था तो क्या करोगे? आत्मा ही है जो जीवन देता है, देह का कोई उपयोग नहीं है। वचन, जो मैंने तुमसे कहे हैं, आत्मा है और वे ही जीवन देते हैं।किन्तु तुममें कुछ ऐसे भी हैं जो विश्वास नहीं करते।”
यीशु शुरू से ही जानता था कि वे कौन हैं जो विश्वासी नहीं हैं और वे कौन हैं जो उसे धोखा देगा। यीशु ने आगे कहा, “इसीलिये मैंने तुमसे कहा है कि मेरे पास तब तक कोई नहीं आ सकता जब तक परम पिता उसे मेरे पास आने की अनुमति नहीं दे देता।”
इसी कारण यीशु के बहुत से अनुयायी वापस चले गये। और फिर कभी उसके पीछे नहीं चले। फिर यीशु ने अपने बारह शिष्यों से कहा, “क्या तुम भी चले जाना चाहते हो?”
शमौन पतरस ने उत्तर दिया,“'हे प्रभु, हम किसके पास जायेंगे? वे वचन तो तेरे पास हैं जो अनन्त जीवन देते हैं। अब हमने यह विश्वास कर लिया है और जान लिया है कि तू ही वह पवित्रतम है जिसे परमेश्वर ने भेजा है।'”
फिर से इसे पढ़ें। क्या आप पतरस के विश्वास और महानता को देख सकते हैं! एक विश्वासी का निपुर्ण उदाहरण उसके शब्द हैं। यीशु ने कहा कि जिन्हें परमेश्वर पिता अपनी ओर खीँच लेता है, वे फिर कभी नहीं खोते, पतरस उसके सही उदाहरण था। पूरी भीड़े, धार्मिक अगुवे, और असफल चेलों में ये कुछ ही थे जिनका विश्वास साफ़ और सच्चा था। मसीह के सन्देश को सुनने के लिए उनके पास कान थे सुनने के लिए और देखने के लिए आँखें थीं।
यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या तुम बारहों को मैंने नहीं चुना है? फिर भी तुममें से एक शैतान है।”
यीशु जानता था कि उसके ग्यारह चेलों के पास सच्चा विश्वास था, जब कि सारा यहूदी देश उसके खिलाफ जा रहा था। वह शमौन इस्करियोती के बेटे यहूदा के बारे में बात कर रहा था क्योंकि वह यीशु के खिलाफ़ होकर उसे धोखा देने वाला था।