कहानी ६७: रोमन सूबेदार की आस्था

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मत्ती में पहाड़ पर उपदेश इसलिए लिखा गया ताकि वो सब बातें दिखा सके जो यीशु ने सिखाईं जब वह गलील में ग्रामीण इलाकों में गया। मत्ती ने यीशु के शिक्षण को एकत्र कर दिया ताकि उस तस्वीर को समझ सकें जो स्वर्ग के राज्य के जीवन के विषय में बताती है। उन में से बहुत विचार लूका कि किताब में भी हैं, लेकिन वे उसकी किताब में फैले हुए हैं।

यीशु ने अपने शिक्षण को सुनने से अधिक करने के लिए अपने चेलों को चुनौती दी है। उन्हें इसे अपने अभ्यास में लाना था। और यीशु अपने सफ़र के दौरान यही कर रहे थे। यीशु के जीवन के विषय में जब हम और पढ़ते हैं, ऐसा लगता है की उनका उपदेश वास्तविक हो गया है। परमेश्वर के नियम को पूर्णता से उसका सम्मान करने को वह उपदेश सिखाता है, और यीशु ने ठीक वैसा ही किया। यीशु ने कहा कि जो चेला अशिक्षित होता है वह दीन और विनम्र और शुद्ध ह्रदय का होगा। वे पाप और बुराई से नफरत करेंगे, शांति बनानेवाले और स्वर्ग के राज्य के लिए सताया जाना उनको स्वीकार होगा। यीशु के जीवन के विषय में जब आप पढ़ेंगे, उन बातों पर ध्यान करें जो यीशु ने अपने जीवन में जिया!

यीशु पहाड़ के नीचे आये और कफरनहूम के शहर की ओर बढ़ गए। लोगों कि भीड़ उसके पीछे पीछे चलती थी। उस भीड़ में कुछ यहूदी लोग भी थे। वे उच्च सम्मान और गरिमा के लोग थे और वे यीशु के पास अपने चेहरों पर पूरी गंभीरता को लेकर आये थे। वे उसकी मदद सख्त चाहते थे, लेकिन वे अपनी जरूरतों को लेकर नहीं आये थे। वे और किसी कि चिंताओं को लेकर आये थे।

एक रोमन सूबेदार जो एक उच्च औधे का सैनिक था, जो किसी भयानक परिस्थिति का सामना कर रहा था। उसके समर्पित और प्रिय दास था जो उसके घर में पीड़ित था। वह स्थम्भित था और बहुत दर्द में था। उन्हें यकीन था कि वह मर जाएगा। जब सुबेदार ने यीशु के बारे में कि उसके पास चंगाई करने कि शक्ति है, तो वह याजक के पास गया। उसने उनको यीशु के पास जाने को कहा ताकि वो आकर उसके दास को चंगा कर दे।

उन अध्यक्ष को उस सैनिक के लिए एक गहरा सम्मान था। वह एक बहुत अच्छा आदमी था। तो वे यीशु को खोजने के लिए बाहर चला गया। जब वे सड़क पर उसे मिले तो वे उससे निवेदन करने लगे और बोले, "'यह व्यक्ति ऐसा करने के योग्य है क्यूंकि वह हमारे देश से प्यार करता है और हमारे आराधनालय को बनाया है।'"

अब यहाँ कुछ नया था! यहूदी लोग एक रोमन सैनिक का सम्मान कर रहे थे! जब यीशु ने यह सुना, उन्होंने कहा,"'मैं आकर उसे ठीक करूंगा।'" सो यीशु उनके साथ चल दिया। अभी जब वह घर से अधिक दूर नहीं था, उस सेनानायक ने उसके पास अपने मित्रों को यह कहने के लिये भेजा,

“हे प्रभु, अपने को कष्ट मत दे। क्योंकि मैं इतना अच्छा नहीं हूँ कि तू मेरे घर में आये। इसीलिये मैंने तेरे पास आने तक की नहीं सोची। किन्तु तू बस कह दे और मेरा सेवक स्वस्थ हो जायेगा।  मैं स्वयं किसी अधिकारी के नीचे काम करने वाला व्यक्ति हूँ और मेरे नीचे भी कुछ सैनिक हैं। मैं जब किसी से कहता हूँ ‘जा’ तो वह चला जाता है और जब दूसरे से कहता हूँ ‘आ’ तो वह आ जाता है। और जब मैं अपने दास से कहता हूँ, ‘यह कर’ तो वह उसे ही करता है।” -लूका ७:६-८

वाह। इस व्यक्ति के पास बहुत से शक्तिशाकी अधिकार रहते हैं जिसका वह आदि है। वह एक सेना के लिए काम करता  था जिसने उसे अधिकार दिया था। उसके सेवक उसका का पालन करते थे और सेवा करने में फुर्तीले थे। वह सैनिक भी जान गया कि यीशु के पास भी अधिकार है। उसे विश्वास था कि यीशु के पास चंगाई कि शक्ति थी। उसे इतना विश्वास था कि यीशु दूर से ही चंगाई देने में सक्षम थे!
जब यीशु ने ऐसा सुना तो वे सैनिक पर अचंभित हुए। उन्होंने भीड़ को देखा जो उनके पीछे चल रही थी।“'मैं तुम्हे बताता हूँ ऐसा विश्वास मुझे इस्राएल में भी कहीं नहीं मिला।”

वाह। एक बुतपरस्त जो यहूदी नहीं है, इस्राएल के लोग जिसे अशुद मानते थे, उन सब से अधिक विश्वास था जिनसे यीशु अब तक मिला था! यीशु को थी कि ऐसा साधारण और मज़बूत विश्वास उसके लोगों में भी हो! यीशु ने कहा:

"'मैं तुम्हें यह और बताता हूँ कि, बहुत से पूर्व और पश्चिम से आयेंगे और वे भोज में इब्राहीम, इसहाक और याकूब के साथ स्वर्ग के राज्य में अपना-अपना स्थान ग्रहण करेंगे। किन्तु राज्य की मूलभूत प्रजा बाहर अंधेरे में धकेल दी जायेगी जहाँ वे लोग चीख-पुकार करते हुए दाँत पीसते रहेंगे।'”  -मत्ती ८:१०-१२

आपको समझ में आया कि यीशु ने क्या कहा? यहूदी यह समझते थे कि उद्धार केवल उनके लिए है। वे सोचते थे कि क्यूंकि वे इब्राहिम के वंश के हैं, तो इब्राहिम और इसहाक और याकूब को परमेश्वर के दिए हुए वाचा अपने आप उनके हो जाते हैं। स्वर्ग के राज्य के सदस्य बनने के लिए वे पैदा हुए हैं।परन्तु यीशु ने कहा ऐसा नहीं है। इब्राहिम के सच्चे वंश वे हैं जो इब्राहिम के विश्वास में भागीदार हैं।

यीशु ने यह भी कहा कि एक दिन, जब समय ख़त्म हो जाएगा, जिन्होंने विश्वास किया वे स्वर्ग में उन पुराने नियम के महान नबियों के साथ भोजन करेंगे। वाह। यह एक अद्भुद खबर है! क्या आप अपने को वहाँ देख सकते हैं, उनके साथ आनंद मनाने में?

लेकिन यीशु बहुत कठोर चेतावनी भी दे रहे थे। वो दिखा रहे थे कि इस्राएल का राज्य स्वर्ग के राज्य के सामान नहीं है। हर कोई जो यहूदी होकर पैदा होता था वह इस्राएल के सदस्य बन जाता था लेकिन जो यीशु पर विश्वास करते थे केवल वे ही स्वर्ग के राज्य में जाने के लिए आमंत्रित थे। इस्राएल के शेष लोग तड़पते हुए और पीड़ित होते अपने ही देश में छोड़ दिए जाएंगे, यह इतना बुरा होगा कि वे अपने दांत पीसेंगे। उनको परमेश्वर का वचन दिया गया था। परमेश्वर के पुत्र ने स्वयं आकर उनको बचाया था। जिन्होंने उसे अस्वीकार किया वे परमेश्वर से जुदा हो गये। और अंत में, यदि वे पश्चाताप नहीं करते, परमेश्वर उनको अपने भाग्य को चुनने के लिए सदा के लिए छोड़ देगा!