कहानी ६२: चिंता मत करो!

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पहाड़ पर के उपदेश को आइये याद करते हैं। जब हम एक छोटे खंड को देखते हैं, बड़ी तस्वीर को भी याद रखना महत्वपूर्ण है। कैसे यह अद्भुत विचार एक पूरे को बनाने के लिए एक साथ काम करते हैं! कैसे वे स्वर्ग के राज्य में जीवन का वर्णन करने के लिए एक साथ आते हैं?

यीशु जब परमेश्वर के राज्य में जीवन के बारे में बात कर रहे थे, वह दुनिया को देखने का एक कट्टरपंथी नए रास्ते का वर्णन कर रहे थे। यह परमेश्वर की शक्ति में सम्पूर्ण विश्वास का एक जीवन था। उसके राज्य का द्वार एक गहरी विनम्रता है। विश्वासी अपने ही अधिकार और इच्छाओं के लिए नहीं लड़ सकता। परमेश्वर के आगे एक मसीहि को दीन रहना है, उस पर भरोसा करें कि वह हमारी जरूरतों को पूरा करेगा। संसार में ऐसी नम्रता सबसे शक्तिशाली सामर्थ कि जगह है। यह हमें बजाय अहंकार और ईर्ष्या और लालच के नम्र उदारता और प्यार के साथ दूसरों के लिए प्रतिक्रिया करने की शक्ति देता है।

बड़ा खजाना सोने या धन या आराम नहीं है। बड़ा खजाना दिल में शुद्ध होना ही बड़ा खजाना है। केवल प्रभु यीशु को प्रसन्न करने कि इच्छा होना ही इसका अर्थ है। इस जीवन में अपने उधारकर्ता के लिए उदार, उंडेलता हुआ प्रेम और आज्ञाकारिता के उद्देश से होना चाहिए, और यह सब करने के लिए चाहे सातव या पीरा आये, वह एक आशीष का कारण ठहरे। जो यीशु के नाम के लिए सताय जाते हैं वे कहीं ज्यादा राज्य को प्राप्त! वे स्वर्ग के राज्य को प्राप्त करेंगे! ( मत्ती ५ः१-१२ )

जब मसीही लोग परमेश्वर के शुद्ध अच्छाई में चलते हैं, वे ना केवल अपने दिल के अंदर आत्मा के द्वारा परिवर्तित किये जाते हैं। वे दुनिया के लिए नमक की तरह हैं! वे स्वाद लाते हैं और राष्ट्रों के बीच में जो सही है उसे बनाय रखते हैं। वे उज्ज्वल दीपक की तरह हैं जो यीशु के लिए चमकते हैं!

लेकिन एक भयानक खतरा हमेशा वहाँ है। क्या अगर यीशु के अनुयायि, पापी, गर्व यहूदी नेतृत्व के रूप में एक ही रास्ते का पालन करें? क्या यदि वे परमेश्वर के पवित्र वस्तुओं को लेकर अपने स्वयं के लालची, स्वार्थी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लेलें। वह एक नई संस्कृति को शुरू करने के लिए यीशु यहूदी संस्कृति के शक्तिशाली धोखे के माध्यम से तोड़ रहे थे।वे एक नए राज्य के शासनकाल को ला रहे थे!

मसीह के राज्य में हत्या, शादी, ईमानदारी, न्याय, और प्यार के बारे में परमेश्वर का एक व्यक्ति और एक अन्य के बीच का बाहरी न्याय नहीं था। वे दिल के मुद्दे थे! परमेश्वर का कानून अब पुरुषों के व्यवहार पर चलने वाला नहीं था जिस प्रकार इस्राएल में हुआ करता था। यह कानून हर किसी के दिल पर लिखा जा रहा था जो यीशु में अपने विश्वास को डाल देते थे।

मसीह के अनुयायियों को उच्च और पवित्र बुलाहट के प्रति आज्ञाकारी होने के लिए उनको विशेष शक्ति दी जा रही थी।परमेश्वर स्वयं उन्हें यह शक्ति दे रहे थे। यीशु पवित्र आत्मा को भेजने जा रहे थे! वह उनके भीतर अद्भुत परिवर्तन ला रहा था, और वह अद्भुद बदलाव को भी लाएगा।

गरीबों के प्रति उनकी उदारता, उनकी प्रार्थना, और उनके उपवास में मसीह के अनुयायियों की भलाई के लिए दूसरों को प्रभावित करना या परमेश्वर को नियंत्रित करने में कुछ हासिल नहीं होने वाला था। उनके दिल की इच्छा पूरी तरह से परमेश्वर को खुश करने में है जो स्वार्ग में है। और वे पवित्र भेंटों को शांत और गुप्त रख कर भ्रष्ट होने से बचाएंगे। वे उनके राजा को गहरे व्यक्तिगत उपहार थे !

परमेश्वर के राज्य में जीवन की असली खजाने आज्ञाकारिता परमेश्वर के लिए सम्मान के माध्यम से आते हैं। झूठे और अस्थायी खजाने यह पैसा, सौंदर्य, या योग्यता है, चाहे वह पृथ्वी पर मौजूद जो भी हो, यह सब निकल जाएगा या नष्ट हो जाएगा। शुद्ध, स्वर्गीय दृष्टि से देखने वाली आंखें यह समझ सकती हैं कि जो कुछ परमेश्वर की महिमा के लिए उपयोग नहीं किया जाता वह सब व्यर्थ है !

हम संसार को जिस नज़र से देखते हैं हर एक यह जान सकता है कि उसका खज़ाना कहाँ है।हमारे विचारों के प्रतिरूप से मालूम हो सकता है कि हमारा दिल कहाँ है। क्या यह परमेश्वर से भरा है? क्या यह परमेश्वर की बातों के लिए तरसता है? या मेरा दिल अब भी अन्धकार से भरा है कि मैं इस दुनिया की चीजों के बारे में गहराई से ध्यान करूँ?
यीशु ने इसे बहुत स्पष्ट कर दिया था। यह सबसे उच्च परमेश्वर की सेवा और एक ही समय में पैसे की सेवा करना असंभव है। उनमें से एक को मालिक का स्थान देना होगा। यदि परमेश्वर को पूरी भक्ति दी जाती है तो, सुरक्षा और आशा के एक स्रोत के रूप मेंउसे त्याग देना चाहिए। वह केवल परमेश्वर का ही है।

यदि परमेश्वर एक मजबूत आधार है, और यदि विश्वासियों को विश्वास है कि जीवित है और सिंहासन पर विराजमान है, और उस पर विश्वास किया जा सकता है, तो क्यों कभी चिंता करने की जरूरत होगी? इसका कोई मतलब नहीं है! लेकिन यीशु जनता था कि इस पृथ्वी पर उसके जीवन को जीना कितना मुश्किल था। तो उसने अपने वफादार चेलों के लिए दया और प्रोत्साहन का एक संदेश दिया:

“मैं तुमसे कहता हूँ अपने जीने के लिये खाने-पीने की चिंता छोड़ दो। अपने शरीर के लिये वस्त्रों की चिंता छोड़ दो। निश्चय ही जीवन भोजन से और शरीर कपड़ों से अधिक महत्वपूर्ण हैं।  देखो! आकाश के पक्षी न तो बुआई करते हैं और न कटाई, न ही वे कोठारों में अनाज भरते हैं किन्तु तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनका भी पेट भरता है। क्या तुम उनसे कहीं अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो? तुम में से क्या कोई ऐसा है जो चिंता करके अपने जीवन काल में एक घड़ी भी और बढ़ा सकता है? और तुम अपने वस्त्रों की क्यों सोचते हो? सोचो जंगल के फूलों की वे कैसे खिलते हैं। वे न कोई काम करते हैं और न अपने लिए कपड़े बनाते हैं। मैं तुमसे कहता हूँ कि सुलेमान भी अपने सारे वैभव के साथ उनमें से किसी एक के समान भी नहीं सज सका। इसलिये जब जंगली पौधों को जो आज जीवित हैं पर जिन्हें कल ही भाड़ में झोंक दिया जाना है, परमेश्वर ऐसे वस्त्र पहनाता है तो अरे ओ कम विश्वास रखने वालों, क्या वह तुम्हें और अधिक वस्त्र नहीं पहनायेगा? इसलिये चिंता करते हुए यह मत कहो कि ‘हम क्या खायेंगे या हम क्या पीयेंगे या क्या पहनेंगे?’ विधर्मी लोग इन सब वस्तुओं के पीछे दौड़ते रहते हैं किन्तु स्वर्ग धाम में रहने वाला तुम्हारा पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है। इसलिये सबसे पहले परमेश्वर के राज्य और तुमसे जो धर्म भावना वह चाहता है, उसकी चिंता करो। तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें दे दी जायेंगी। कल की चिंता मत करो, क्योंकि कल की तो अपनी और चिंताएँ होंगी। हर दिन की अपनी ही परेशानियाँ होती हैं।'"

वाह। यह सोचना कितना अद्भुद है कि परमेश्वर पूरी तरह से विश्वसनीय है और हम पूरी तरह से अपने जीवन को उस  पर कुल विश्वास और आशा के साथ डाल सकते हैं। परन्तु जब ऐसे समय आते हैं जब हम सोचते हैं कि परमेश्वर हमारी ज़रूरतों को पूरा कर सकेगा या नहीं, यह स्वाभाविक हो जाता है कि हम भयभीत हो जाते हैं। पैसे को हम अपने हाथों में पकड़ कर सकते है। हम यह देख सकते हैं कि हमें एक रहने के लिए जगह और खाने के लिए भोजन करने के लिए भुगतान करना होगा। यह स्पष्ट है कि इस दुनिया के प्रकोपों ​​से यह हमारी रक्षा कैसे कर सकते हैं। लेकिन फिर भी, यह एक झूठा देवता है। यह बस बाकी सब की तरह गायब हो सकता है। केवल सच्ची सुरक्षा उस पमेश्वर में है जिसने सब कुछ बनाया। वह अक्सर स्पष्ट, प्राकृतिक तरीके से हमारी जरूरतों का जवाब नहीं देता है। वह अलौकिक है, और हमारे लिए जो चाहता है वह अलौकिक परिवर्तन है !

पमेश्वर समय और जगह से ऊपर है और सब पर विराजमान है। वो अपने वफादार चेलों पर प्रेम कि दृष्टि से देखता है, और उनके जीवन के लिए योजना बनाई है। जब कठिन बातें आती हैं, हमें उनको अच्छे अवसर देने के रूप में देखना चाहिए जो हमारे स्वर्गीय पिता ने हमें सीखने के लिए बनाय हैं। हम पूरे ह्रदय से प्रार्थना कर सकते हैं। हम उपवास रख कर, खोजें और माँगें! और जब हम उस पर ठहरते हैं और उसके और करीब आते हैं, हम सुनना सीखेंगे और उसके उत्तर जानेंगे। जब इस संसार कि कठिनाइयां डरावनी लगती हैं, तो वो कठिन समय मूल्यवान हो जाते हैं क्यूंकि वे अनमोल भेंट देते हैं…हम परमेश्वर के करीब आते हैं! तब हम देख पाते हैं कि कठिन समय परमेश्वर के योजना में है, क्यूंकि तब हम विश्वास करना सीखते हैं।