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पाठ 25: चिंताजनक विधवाएं

महासभा ने मिलकर उन प्रेरितों पर आपराधिक आरोप लगाये, जिन्हें उन्होंने एक दिन पहले गिरफ्तार किया था। फिर भी उस सुबह एक रोमी अधिकारी उनके पास आया और उनसे कहा कि भले ही सैनिकों के वहां पहरा देते हुए भी वे बंदीगृह बंद था, फिर भी प्रेरित वहां से बच कर निकल गए। वे कहाँ हो सकते हैं?

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पाठ 26: स्तिफनुस की गिरफ़्तारी

विभिन्न समूह के लोगों के साथ यरूशलेम की कलीसिया बड़ती ही जा रही थी। कभी-कभी, जितना लोग एक दूसरे से भिन्न होते हैं, उतना ही साथ मिलकर रहना भी कठिन होता है।

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पाठ 27 : स्तिफनुस का साहस

स्टिफन्स ने कलीसिया के लोगों की प्रशंसा और विश्वास को पाया। जब उन्होंने देखा कि वह किस प्रकार जीवन जीता है, तो वे यह देख सकते थे कि वह परमेश्वर की पवित्र आत्मा से भरा हुआ था और अपने कार्यों को कर रहा था। जीवन में परमेश्वर की शक्ति को किसी के जीवन में देखना कितना आश्चर्यजनक है।

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पाठ 28 : इतिहास की साहसिक गवाही

जो बुरी बातें स्तिफनुस के बारे में गुस्साए लोग कह रहे थे वे बहुत खतरनाक थीं । यदि उच्च न्यायालय महासभा, यह फैसला लेता है कि वे सही है, तो उन्हें पीटा या पथराव किया जा सकता था । वे उसे मरवा भी सकते हैं! स्तिफनुस यह सब जानता था, लेकिन वह डरा नहीं। स्तिफनुस की आशा संसार में एक अच्छा जीवन पाने की नहीं थी ।

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पाठ 29: वही अस्वीकृति , विभिन्न कठोर हृदय

स्टिफनुस इस्राएल में सबसे शक्तिशाली पुरुषों के सामने बड़ा था। उन्होंने उसके विरुद्ध आरोप लगाए थे ताकि वे उसे मार सकें। वह मसीह में परमेश्वर के कामों के बारे में प्रचार कर रहा था ताकि वे बचाए जा सकें।

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पाठ 30: हठीला महासभा

स्तिफनुस अपने लोगों, इस्राएल देश, को परमेश्वर के शक्तिशाली कामों की कहानी बताता रहा। उसने मिस्र से बन्धुआई से छुड़ाने के लिए अब्राह्म के वंशजों का नेतृत्व करने के लिए मूसा को चुना था।

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पाठ 31: स्टिफनुस पर पथवार और कलीसिया का बिखरना

स्टिफनुस आगे इस्राएल के इतिहास की कहानी सुनाता है। भले ही उन्होंने बहुत पाप किया था तौभी परमेश्वर ने मूसा और इस्राएलियों को विजय दिलाई । जब वे वादा किए हुए देश की ओर जाने के लिए मरुभूमि में चालीस वर्षों तक घूम रहे थे, परमेश्वर ने उन्हें एक विशेष तम्बू बनाने के लिए आदेश दिया, एक ऐसा स्थान जहां वे उसकी आराधना कर सकेंगे।

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पाठ 32: जदुगर शमौन के साथ सामरिया मे फिलिप्पुस

युवा मसीही कलीसिया में कई लोगों के साथ जो हुआ वह बहुत ही भयंकर था। अद्भुत स्तिफनुस, जिसे सब प्यार करते थे, मारा गया और अब सब पूरे संसार में बिखर गए थे। केवल प्रेरितों को यरूशलेम में छोड़ दिया गया था। उनके लिए यह समझना मुश्किल था कि यह कैसे परमेश्वर की अच्छी और सही योजना का हिस्सा हो सकता था।

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पाठ 33: यशायाह द्वारा खोजे का हृिदय परिवर्तन

स्टिफनुस की मृत्यु के बाद कलीसिया के उत्पीड़न के कारण विश्वासी तितर-बितर हो गए थे, और वे मसीह के सुसमाचार को सब जगह फैला रहे थे। इन सभी आश्चर्यजनक बातों के बीच परमेश्वर सामरिया में जो कर रहा था, प्रभु का एक दूत फिलिप्स के सामने प्रकट हुआ।

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पाठ 34: दमिश्क मार्ग पर अपने निर्माता से शाऊल की भेंट

सुसमाचार का संदेश कई स्थानों तक पहुंच रहा था। सबसे पहले वह सामरिया गया, अब यह इथियोपिया के शाही अदालतों तक पहुँच रहा था! क्रोधित धार्मिक शासक नहीं चाहते थे कि ऐसा ही हो। लेकिन यह वास्तव में परमेश्वर की अद्भुत योजना थी।

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पाठ 35: शाऊल कादमिश्क मे तूफान की तरह प्रदेश करना

शाऊल दमिश्क में अन्य शिष्यों से मिला और कई दिनों तक उनके साथ समय बिताया। अब जब वह मसीह की सच्चाई को जान गया था, तो वह तुरंत आराधानालयों में जाने लगा। महायाजक से उस पत्र को देने के बजाय जिससे वह विश्वासियों को जबरन पकड़ सके, वह मसीह के सुसमाचार का प्रचार करने लगा।

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पाठ 36 : समुद्र किनारे पतरस द्वारा किये गए चमत्कार

शिष्य दुनियाभर में बिखरे हुए थे। सुसमाचार अधिक से अधिक लोगों तक फैल रहा था। इस दौरान, पतरस ग्रामीण इलाकों की यात्रा कर रहा था। एक दिन, वह लुद्दा नामक एक शहर में संतों के साथ भेंट करने के लिए रुका। जब वह वहां था, वह अनियास नमक व्यक्ति से मिला। एनीस लकवे का रोगी एक मनुष्य था।

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पाठ 37: नई वाचा की उज्ज्वल आशा

याफा के उत्तर में लगभग तीस मील की दूरी पर, वह शहर जहां पतरस शमौन के साथ रह रहा था जो चमड़े का धंधा करता था, वहां कुरनेलियस नामक एक व्यक्ति रहता था। वह एक रोमी सुवेदार था, जिसका अर्थ है कि वह रोमी सेना में एक सेनापति था। वह कम से कम सौ सैनिकों का प्रभारी था।

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पाठ 38: पतरस का गरजनापूर्ण दर्शन

अगले दिन, कुरनेलियस के लोग चलते चलते जब जोपा के पास पहुंचे, तो पतरस शमीन की छत पर चढ़कर प्रार्थना करने लगा। पतरस कितना उत्तरदायी महसूस कर रहा होगा। वह कलीसिया की चट्टान था। उसने जो विकल्प बनाए और जिन चीजों को उसने मंजूरी दे दी थी, वे जीवित परमेश्वर के परिवार पर एक अच्छा प्रभाव डाल रहे थे।

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पाठ 39: यहूदी और गैर - यहूदी की भेंट

कुरनेलियस ने अपने सेवकों को पतरस नामक व्यक्ति को खोजने के लिए भेजा जिसे परमेश्वर ने उसे एक दर्शन में खोजने के लिए कहा था। जब उन्होंने पतरस को पाया और दर्शन को समझाया, तो जो उन पुरुषों ने कहा था उसे पतरस ने स्वीकार किया, और उन्हें अतिथियों के रूप में घर में रहने के लिए आमंत्रित किया।

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पाठ 40: यहूदियों और ग़ैर -यहूदियों का आत्मा द्वारा पपरिवर्तन

तरस का पूरा सप्ताह बहुत व्यस्त रहा। चमड़े का काम करने वाले शमौन के छत पर बैठे बस तीन दिन पहले ही उसे स्वर्ग से एक दर्शन मिला था। परमेश्वर ने उसे बताया कि वह किसी भी उस वस्तु को अशुद्ध न कहे जिसे परमेश्वर ने स्वयं शुद्ध ठहराया है।

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पाठ 41: बर्नबास और शाऊल: अन्तादिकया मे गतिशील जोड़ी

क्या आपको वह कहानी याद है जब स्तिफनुस यरूशलेम में यीशु मसीह के जीवन के विषय में प्रचार करने के लिए मारा गया था? उसके बाद, यहूदी अगुवों ने कलीसिया पर सताव शुरू कर दिया था। उन्होंने विश्वासियों को उनके घरों से खींचकर उन्हें बन्दीगृह में डाल दिया था। उनमें से बहुतों को मार डाला गया था।

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पाठ 42: हेरोदेस के सिपाही बनाम परमश्वेर के दूत: कोई समान मिलान नहीं!

जिस समय बरनाबस और शाऊल अन्ताकिया में यीशु के विषय में यूनानी विश्वासियों को सिखा रहे थे, यरूशलेम में परेशानी उभर रही थी। हेरोदेस राजा मसीही लोगों को सता कर यहूदियों के अगुओं को प्रसन्न करने की कोशिश कर रहा था। यह हेरोदेस एक और प्रसिद्ध हेरोदेस राजा का भतीजा था।

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पाठ 43 पतरस महान पलायन के विषय में कलीसिया को बताता है।

जब पतरस को एहसास हुआ कि उसे एक दूत द्वारा बन्दीगृह से मुक्त किया गया है, तो वह सीधे मरियम के घर गया। मरियम यूहन्ना मरकुस की मां थी। वह वह व्यक्ति है जिसने मरकुस सुसमाचार की किताब लिखी है। उसने पतरस से यीशु के साथ चलने के अनुभव के साक्षात्कार के द्वारा मरकुस की किताब लिखी।

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पाठ 44 हेरोदेस की अपने सृष्टिकर्ता से भेंट

पतरस की हत्या करने की कोशिश करने के बाद, हेरोदेस यरूशलेम से निकलकर कैसरिया को चला गया। यह वही शहर था जहां कुरनेलियस रहता था। हेरोदेस भूमि के बड़े क्षेत्र का राजा था। वहां कई शहरों और लोगों को उसके आदेशों का पालन करना पड़ता था।

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