पाठ 30: हठीला महासभा

स्तिफनुस अपने लोगों, इस्राएल देश, को परमेश्वर के शक्तिशाली कामों की कहानी बताता रहा। उसने मिस्र से बन्धुआई से छुड़ाने के लिए अब्राह्म के वंशजों का नेतृत्व करने के लिए मूसा को चुना था। लेकिन मूसा जानता था कि यह कठिन और दर्दनाक होगा, और वह ऐसा नहीं करना चाहता था। इस्राएली पहले से ही परमेश्वर के दास को अस्वीकार कर चुके थे।

अतिदुखद बात यह थी कि ये यहूदी अगुए अतीत के इस्राएलियों के समान वही गलती दोहरा रहे थे। यहूदी अब स्तिफनुस के द्वारा दिए गए परमेश्वर के संदेश को अस्वीकार कर रहे थे! स्तिफनुस ने आगे इस प्रकार समझाया कि यह वही मूसा है जिसने इस्राएल की संतानों से कहा था, 'तुम्हारे भाइयों में से ही तुम्हारे लिये परमेश्वर एक मेरे जैसा नवी भेजेगा।' यह वही है जो वीराने में सभा के बीच हमारे पूर्वजों और उस स्वर्गदूत के साथ मौजूद था जिसने सिनाई पर्वत पर उससे बातें की थी। इसी ने हमें देने के लिये परमेश्वर से सजीव वचन प्राप्त किये थे।

किन्तु हमारे पूर्वजों ने उसका अनुसरण करने को मना कर दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने उसे नकार दिया और अपने हृदयों में वे फिर मिस्र की ओर लौट गये। उन्होंने आरों से कहा था, 'हमारे लिये ऐसे देवताओं की रचना करो जो हमें मार्ग दिखायें। इस मूसा के बारे में, जो हमें मिस्र से बाहर निकाल लाया, हम नहीं जानते कि उसके साथ क्या कुछ पटा। उन्हीं दिनों उन्होंने बछड़े की एक मूर्ति बनायी। और उस मूर्ति पर बलि चढ़ाई। वे, जिसे उन्होंने अपने हाथों से बनाया था, उस पर आनन्द मनाने लगे। किन्तु परमेश्वर ने उनसे मुँह मोड़ लिया था। उन्हें आकाश के ग्रह-नक्षत्रों की उपासना के लिये छोड़ दिया गया था। जैसा कि नबियों की पुस्तक में लिखा है: है इस्राएल के परिवार के लोगो, क्या तुम पशुबलि और अन्य बलियाँ वीराने में मुझे नहीं चढ़ाते रहे चालीस वर्ष तक?

तुम मोलेक के तम्बू और अपने देवता रिफान के तारे को भी अपने साथ ले गये थे। वे मूर्तियाँ भी तुम ले गये जिन्हें तुमने उपासना के लिये बनाया था। इसलिए मैं तुम्हें बाबुल से भी परे भेजूंगा। साक्षी का तम्बू भी उस वीराने में हमारे पूर्वजों के साथ था। यह तम्बू उसी नमूने पर बनाया गया था जैसा कि उसने देखा था और जैसा कि मूसा से बात करने वाले ने बनाने को उससे कहा था। हमारे 36 पूर्वज उसे प्राप्त करके तभी वहाँ से आये थे जब यहोशू के नेतृत्त्व में उन्होंने उन जातियों से वह धरती ले ली थी जिन्हें हमारे पूर्वजों के सम्मुख परमेश्वर ने निकाल बाहर किया था। दाऊद के समय तक वह वहीं रहा । "

स्टिफनुस का बोलना समाप्त नहीं हुआ था। वह यह दिखाता रहेगा कि इसाएल के इतिहास में, हमेशा से दो समूह थे। इब्राहीम, मूसा, यहोशू और दाऊद जैसे लोग थे जिन्होंने परमेश्वर की इच्छा को पूरा किया था। तब दूसरा समूह था जो हमेशा परमेश्वर के सेवकों का विरोध करता था और उसकी इच्छा पर चलने से भटक रहा था। उन्होंने शिकायत की, उन्होंने बन्धुआई से बचने के बाद मिस्र वापस जाने की कोशिश की, और उन्होंने झूठे देवताओं की पूजा की, भले ही वे उनके साथ परमेश्वर की उपस्थिति का तम्बू लेजा रहे थे। महायाजक यह मानते थे कि वे अब्राहम के पुत्र थे। उनका मानना था कि वे यीशु की मृत्यु को लेकर मूसा का सम्मान कर रहे थे। स्निफनुस उन्हें दिखा रहा है कि विपरीत सच है। वे पूरे इतिहास में उन पुरुषों और महिलाओं की तरह थे जिन्होंने परमेश्वर को अपने हठीले अवज्ञा के द्वारा क्रोधित किया था।