पाठ 41: बर्नबास और शाऊल: अन्तादिकया मे गतिशील जोड़ी

क्या आपको वह कहानी याद है जब स्तिफनुस यरूशलेम में यीशु मसीह के जीवन के विषय में प्रचार करने के लिए मारा गया था? उसके बाद, यहूदी अगुवों ने कलीसिया पर सताव शुरू कर दिया था। उन्होंने विश्वासियों को उनके घरों से खींचकर उन्हें बन्दीगृह में डाल दिया था। उनमें से बहुतों को मार डाला गया था। प्रेरितों को छोड़ अन्य सभी विश्वासी भय के कारण यरूशलेम को भाग गए। उन्हें नए शहरों में अपना जीवन पूरी तरह से शुरू करना पड़ा। एक प्रेम करने वाली कलीसिया को इस प्रकार छोड़कर एक अनजान जगह पर जाना उनके लिए बेहद शोकाकुल रहा होगा। उनमें से अधिकतर शायद उन लोगों को जानते थे जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और मारा गया था। जब वे नए शहरों में पहुंचे, तो उन्हें रहने के लिए स्थान और नौकरियां ढूंढनी पड़ीं। यह एक बहुत मुश्किल समय था। परन्तु नए विश्वासियों को यीशु पर विश्वास था। वे जानते थे कि पृथ्वी पर कोई भी कष्ट मसीह के लिए सहना योग्य था । उनकी आशा इस दुनिया में एक आसान जीवन बिताने में नहीं थी। उनके पास यीशु के साथ स्वर्ग में अनन्त जीवन की बेहतर आशा थी। परमेश्वर स्तिफनुस की मृत्यु और अपने लोगों के उत्पीड़न को सुसमाचार को दुनिया में फैलाने के लिए प्रयोग कर रहा था। जहां भी वे जाते थे वे मसीह में उद्धार के सुसमाचार को उन सभी यहूदियों को सुनाते थे जो उन्हें मिलते थे। वे शहरों और द्वीप जैसे फीनिक, साइप्रस और अन्ताकिया गए। जैसा यीशु ने कहा था "दूर-दराज के सब कुछ उसी प्रकार हो रहा था। वे यरूशलेम से यहूदिया, सामरिया और पृथ्वी के छोर तक सुसमाचार को सुनायेंगे!

कुछ विश्वासियों ने केवल यहूदियों को सुसमाचार सुनाकर स्वयं को सीमित नहीं किया। वे अन्ताकिया गए और यूनानियों को भी यीशु के विषय में बताने लगे । यूनानी गैर-यहूदी थे! यीशु के विषय में बताने के लिए कोई भी गैर-यहूदियों के पास इस प्रकार नहीं जाता था। परन्तु परमेश्वर ने उनके काम को आशीष दी और कई यूनानी यीशु पर विश्वास लाए। प्रेरितों की पुस्तक के लेखक लूका को इस पुस्तक को लिखने के लिए हज़ारों कहानियों में से चुनना था हज़ारों लोग परमेश्वर के पास आए, वहां कई चमत्कार हुए और कई शहर थे जहां विभिन्न शिष्यों ने मसीह का कार्य किया। क्या आपने देखा कि लूका ने हमें यूहन्ना के विषय में और कहानियां नहीं बताई हैं? या थोमा के विषय में? उन्होंने पूरी सामर्थ के साथ परमेश्वर की सेवा की थी। लूका ने उन सभी कहानियों को छोड़ दिया क्योंकि उसके पास एक बहुत ही महत्वपूर्ण विचार है जिसे वह सिखाना चाहता है कि किस प्रकार विश्वासियों की पहली पीढ़ी में परमेश्वर ने किस प्रकार कार्य किया था। वह यह सुनिश्चित करना चाहता था कि हम उस प्रभावशाली सबक को, वह महान रहस्य जो प्रकट हुआ था. समझें, जिसे दुनिया को सीखने की आवश्यकता थी । इतिहास में, इस्राएल परमेश्वर का प्रिय चुना हुआ देश था। उन्हें पूरी दुनिया के लिए याजक बनाया गया था। परमेश्वर उस देश को एक संस्कृति बनाएगा जो माननीय नियम के अनुसार जीता है, और उस देश से परमेश्वर अपने एकलौते पुत्र को भेजेगा। परमेश्वर के द्वारा हजारों वर्षों पहले की गयी भविष्यवाणी के अनुसार, उन्होंने अपने मसीहा को नहीं पहचाना, और उसे मार डाला। मानवता इतनी टूटी हुई है और शापित है कि. यहां तक कि परमेश्वर का पवित्र देश भी असफल रहा । वास्तव में, कोई भी मानव या लोगों का समूह मानवता के लिए मुक्ति नहीं प्रदान कर सकता था। वे परमेश्वर पिता का, जो स्वर्ग और पृथ्वी का सृष्टिकर्ता है, हर संभव तरीके से विद्रोह करते हैं। केवल परमेश्वर का पुत्र ही पूरे जीवनकाल में परमेश्वर के प्रति पूर्ण पवित्रता और आज्ञाकारिता में रहा। केवल मसीहा संसार के पापों के उस अत्यंत दबाव और पीड़ा को सहन कर सकता था। और अपने पिता के प्रति उस सुंदर आत्म बलिदान और पूर्ण आज्ञाकारिता में, यीशु मसीह को सदा सर्वदा के लिए सबसे महान महिमा और प्रशंसा प्राप्त होती है। केवल यहूदियों को उद्धार देने के लिए उसकी महानता और महिमा बहुत महान थी। सभी देश इस एक उद्धार के द्वारा उसे महिमा देंगे।

जब लूका ने प्रेरितों के काम की पुस्तक लिखी, वह यह बताना चाहता था कि किस प्रकार परमेश्वर ने प्रारंभिक कलीसिया को दिखाया कि, संसार के लिए वे एक बहुत बड़ा और अद्भुत वादा होंगे, जिसके विषय में इस्राएल के लोगों ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। वह दिखाना चाहता था कि किस प्रकार इसके द्वारा पतरस कुरनेलियस के परिवार से मिलने लगा। तब आत्मा अन्ताकिया में अन्यजातियों के जीवन में कार्य करने लगी। प्रेरितों की कहानी बताएगी कि किस प्रकार वह कहानी दुनिया भर में और रोम में, जो दुनिया का सबसे शक्तिशाली शहर है, फैल रही थी

जब यरूशलेम के शिष्यों ने अन्ताकिया में आत्मा को प्राप्त करने वाले अन्यजातियों के बारे में सुना, तो उन्होंने बरनवास को यह देखने के लिए भेजा। यरूशलेम के अगुए कलीसिया के अंतिम अधिकारी थे। उन्होंने पूरी कलीसिया को एक बड़े परिवार के रूप में देखा जिन्हें एकजुट रहने की आवश्यकता थी, और मसीह के संदेश को सच्चाई से बताना था। वे यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि यीशु के नाम पर किए जा रहे कार्य वास्तव में परमेश्वर के द्वारा थे।

जब बरनावस अन्ताकिया पहुंचा, तो उसने देखा कि परमेश्वर वहां रहने वाले यूनानी लोगों के बीच कैसे कार्य कर रहा था। वह उत्साहित हुआ और उन्हें परमेश्वर के मार्ग को सीखने के लिए प्रोत्साहित किया। ये वह पुरुष और महिलाएं थीं। जिन्होंने पहले कभी परमेश्वर के वचन को नहीं पढ़ा था। वे झूठे देवताओं की पूजा करते थे और खोखले शाखों को मानते थे। मूर्तिपूजक यूनानियों को बदलते और

शुद्ध होते देखने के बाद, बरनाबस जैसे यहूदी के लिए यह कितना आश्चर्यजनक होगा जो पुराने नियमों को सीखते हुए बड़ा हुआ था! अब वे सब मसीह के प्रेम में एक साथ साझा कर सकते थे!

परमेश्वर ने बरनबास को यीशु के बारे में अन्य यूनानियों को बताने के लिए प्रयोग किया। लूका बरनावास को जानता था। वे मित्र थे। लूका यह सुनिश्चित करना चाहता था कि उसके पाठकों को मालूम हो कि बरनवास एक अच्छा मनुष्य था, और वह पवित्र आत्मा से भरा हुआ था। इसका मतलब है कि वह आत्मा की सामर्थ में चलता था। उसका हृदय यीशु के बहुत निकट था। उसके कार्य और उसका जीवन एक दर्पण की तरह था, या परमेश्वर की अच्छी और परिपूर्ण इच्छा का प्रतिबिंव था । वह खुशी से अपने परमेश्वर का पालन करता था। परमेश्वर हम सब से भी ऐसा ही चाहता है। लूका यह सुनिश्चित करता है कि उसके पाठकों को मालूम हो कि यह बरनवास के विषय में बहुत सच था। हम बरनवास के जीवन के बारे में पढ़ सकते हैं और परमेश्वर के कार्य को देख सकते हैं।

बरनबास अन्ताकिया में युवा कलीसिया की सेवा करने में मदद करना चाहता था। वह अपने मित्र शाऊल को लेने के लिए तरसुस की यात्रा पर गया। क्या आपको शाऊल याद है? वह वह था जिसने कलीसिया को सताया था। वह वहां था जब स्तिफनुस को मार डाला गया था, और उसने इसके लिए मंजूरी दी थी। परन्तु दमिश्क के रास्ते पर यीशु ने उसे दर्शन दिया, और शाऊल ने पश्चाताप किया। उसने यीशु पर विश्वास किया। परमेश्वर ने शाऊल के जीवन में एक विशेष बुलाहट दी। वह अन्यजातियों के लिए यीशु मसीह के सुसमाचार का प्रचार करने के लिए, परमेश्वर का एक विशेष सेवक बनने जा रहा था। बरनवास गैर-यहूदी देशों के साथ काम कर रहा था, और वह शाऊल की मदद चाहता था! दो पुरुष तरसुस से अन्ताकिया लौटे और यीशु के बारे में नए विश्वासियों को सिखाया। यह अन्ताकिया में था जब विश्वासियों को पहली बार विश्वासी कहा गया था।

कुछ भविष्यवक्ताओं ने उस समय यरूशलेम से अन्ताकिया की यात्रा की थी। अगस उनमें से एक था, और वह एक भविष्यवक्ता था। उसने आत्मा को यह कहते सुना था कि एक भयानक अकाल पड़ने वाला है जिसके कारण पूरा रोमी साम्राज्य प्रभावित होगा। अकाल होना एक भयानक बात है। इसका मतलब है कि खाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। कई लोग महीनों या वर्षों तक भूखे रहेंगे, और कई भूखमरी से मर जायेंगे। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इतनी देर तक भूखे रहना इतना कष्टदायक हो सकता है जब आपका शरीर हार कर समाप्त हो जाए? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि अकाल के होने की सुचना मिलना कितना भयानक होगा? आप अपने और अपने परिवार के बारे में चिंतित होंगे। आप उन्हें आने वाली पीड़ा से बचाने के तरीकों को ढूंढेंगे । अन्ताकिया में कलीसिया यहूदिया के लोगों के लिए चिंतित थी। यहूदिया अकाल के कारण अति प्रभावित हुआ होगा । अन्ताकिया के विश्वासियों को पता था कि यद्यपि वे यहूदिया में कलीसिया से बहुत दूर रहते हैं, फिर भी वहां के विश्वासी यीशु मसीह के शिष्य थे। हालांकि उनमें से अधिकतर कभी एक दूसरे से नहीं मिले थे, फिर भी वे सभी परमेश्वर के परिवार में भाई और बहन थे। अन्ताकिया के शिष्यों ने पैसे का संग्रह किया। प्रत्येक व्यक्ति ने अकाल के दौरान जितना संभव था उतना यहूदिया की कलीसियाओं की सहायता की।