पाठ 43 पतरस महान पलायन के विषय में कलीसिया को बताता है।

जब पतरस को एहसास हुआ कि उसे एक दूत द्वारा बन्दीगृह से मुक्त किया गया है, तो वह सीधे मरियम के घर गया। मरियम यूहन्ना मरकुस की मां थी। वह वह व्यक्ति है जिसने मरकुस सुसमाचार की किताब लिखी है। उसने पतरस से यीशु के साथ चलने के अनुभव के साक्षात्कार के द्वारा मरकुस की किताब लिखी। कलीसिया आपसी सद्भाव के साथ बंधी हुई थी और वे सभी एक साथ रहते थे और काम करते थे क्योंकि उनके जीवन सुसमाचार के लिए प्रेरित थे।

जब पतरस मुक्त हुआ, तो सबसे पहले वह मरकुस के पारिवारिक घर में गया क्योंकि यह वह स्थान था जहां शुरुआती विश्वासी प्रार्थना करने के लिए इकट्ठे हुए थे । उस रात कई विश्वासियों ने पतरस के जीवन के लिए प्रार्थना की। उसका मुकदमा अगले दिन होना था। वे देर रात तक जगे रहे, और परमेशवर को पुकारते रहे। पतरस जानता था कि यह सही स्थान था जहाँ वह सबको बता सकेगा कि कैसे परमेशवर ने उसे मुक्त करने के लिए एक दूत को भेजा था।

जब पतरस ने द्वार खटखटाया, तो रूदे नाम कि एक दासी द्वार खोलने के लिये आई। उसने द्वार से पुकारा और पूछा कि कौन है। जब उसने पतरस की

आवाज़ सुनी, तो वह इतनी उत्साहित हो गई कि वह उसके लिए द्वार खोलना भूल गई। वह घर के वह उसके लिए द्वार खोलना भूल गई ! वह घर के भीतर सबको यह बताने के लिए जल्दी से गई कि पतरस आया है। जिस के लिए वे प्रार्थना कर रहे थे वह आ गया था!

किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया। उन्होंने उससे कहा कि वह पागल है। इस बीच, पतरस अभी भी द्वार के बाहर खड़ा खटखटा रहा था, और अंदर आने के लिए प्रतीक्षा कर रहा था। यरूशलेम का पूरा शहर इस व्यक्ति के जीवन पर मुकदमा चलाये जाने की प्रतीक्षा कर रहा था। फिर भी वह यहां था, मुक्त होक अकेले अंधेरे में द्वार के बाहर खड़ा हुआ, जबकि हर कोई भीतर इसके विषय में बहस कर रहा था!

अंत में जब उन्होंने द्वार खोला, तो सब लोग अपने मसीही भाई को जीवित और स्वस्थ देखकर चौंक गए और उत्तेजित हो गए। उसने अपने हाथ से संकेत व्यक्त किया कि वे चुप रहें। अब जब वह स्वतंत्र था, वह हेरोदेस के लोगों को फिर से उसे पकड़ने का मौका नहीं देना चाहता था। यरूशलेम के लोग पतरस को अच्छी तरह से जानते थे। उन्होंने उस शक्ति के लिए आनंद मनाया जो उसे परमेशवर की ओर से चंगाई देने के लिए दी गई थी और उन्होंने यहूदी अगुओं के सामने खड़े होने के उसके साहस को देखा और सुना। अब पतरस पर मुकदमा होने जा रहा था। यह एक महान प्रदर्शन होगा। हर कोई इसके बारे में बात कर रहा था। लेकिन रात की घटनाओं ने हेरोदेस की सभी योजनाओं को बर्बाद कर दिया था।

पतरस ने अपनी कलीसिया के परिवार को वह अविश्वसनीय कहानी सुनाई कि कैसे परमेश्वर ने उसे बन्दीगृह से बचाने के लिए एक दूत को भेजा था। उसने उनसे कहा कि जो परमेश्वर ने किया उसके विषय में वे यरूशलेम में कलीसिया के अगुओं को बताएं। फिर वह चुपचाप चला गया। याकूब पहले ही मारा गया था, और अब पतरस निशाने पर था। उसके साथ जो भी जुड़ा होगा उसके लिए भी खतरा हो सकता है। उन दिनों यरूशलेम में यह एक विश्वासी होने या विश्वासियों के लिए प्रेम दिखाना एक साहस की बात थी!

सुबह के हंगामे की कल्पना कीजिए जब सिपाहियों को एहसास हुआ कि पतरस वहां नहीं था! यदि एक रोमी सैनिक के होते हुए एक कैदी निकल जाये जिनकी रखवाली के लिए उन्हें नियुक्त किया जाता है, तो उन्हें स्वयं को मृत्युदण्ड देना होता है। रोमी सैनिकों को अत्यधिक प्रशिक्षित किया जाता था, और उन्हें अपने उन कैदियों पर सावधानीपूर्वक ध्यान देना होता था। चार सैनिकों के चार दल पतरस की रक्षा

कर रहे थे, और उनमें से दो को उसके साथ बांधा गया था। पतरस कहाँ चला गया था ? हेरोदेस ने उन्हें आदेश दिया कि वे पतरस को सावधानीपूर्वक खोजें। जब पतरस नहीं मिला, तो हेरोदेस क्रोधित हुआ। उसने अपने सैनिकों को जो उसकी रक्षा करते थे, आदेश दिया कि उन्हें मृत्युदण्ड दिया जाये। हेरोदेस परमेश्वर से नहीं डरता था, और उसे यह समझ में नहीं आया कि भले ही वह एक शक्तिशाली राजा था, उसके पास जीवन और मृत्यु का अधिकार नहीं था। वह अधिकार केवल परमेश्वर का है।