पाठ 32: जदुगर शमौन के साथ सामरिया मे फिलिप्पुस
युवा मसीही कलीसिया में कई लोगों के साथ जो हुआ वह बहुत ही भयंकर था। अद्भुत स्तिफनुस, जिसे सब प्यार करते थे, मारा गया और अब सब पूरे संसार में बिखर गए थे। केवल प्रेरितों को यरूशलेम में छोड़ दिया गया था। उनके लिए यह समझना मुश्किल था कि यह कैसे परमेश्वर की अच्छी और सही योजना का हिस्सा हो सकता था। स्तिफनुस, जिसने बहुत अच्छी सेवकाई की थी, वह अब हमेशा के लिए यीशु के साथ था । और परमेश्वर ने सन्देश फैलाने के लिए मसीहियों के उत्पीड़न का उपयोग यरूशलेम के बाहर और व्यापक दुनिया में फैलाने के लिए किया। जैसे-जैसे मसीही यरूशलेम से भाग रहे थे, वे नए शहरों में जा रहे थे और नए लोगों को समझाया कि यीशु ही मसीहा था। वे केवल वही कर रहे थे जो यीशु ने स्वर्ग में उठाये जाने से पहले उन्हें करने को कहा था। बिखरे हुए लोग हर जगह जाकर शुभ सन्देश को फैला रहे थे। फिलिप्पुस समरिया एक शहर में गया और लोगों को वहां यीशु के विषय में बताने लगा। पवित्र आत्मा ने उसे चमत्कार करने की शक्ति दी। अपंग लोग चंगे हुए, दुष्ट आत्माओं को उन लोगों से बाहर निकाला गया जिन्हें वे पीड़ित कर रहे थे, और लकवा मारा हुआ व्यक्ति चलने लगा।
जब लोगों ने इन अद्भुत और आश्चर्यकर्मों को देखा, तो वे मोहित हो गए और फिलिप्स की बातों को सुनने लगे। यीशु मसीह में परमेश्वर के प्रेम और शक्ति के विषय में सुनकर और देख कर पूरा शहर आनंद और उत्साह से भर गया था। यरूशलेम में कलीसिया ने सुना कि परमेश्वर फिलिप्पुस का उपयोग कई लोगों को मसीह पर विश्वास करने के लिए कर रहा था, इसलिए उन्होंने पतरस और यूहन्ना को उसके साथ आने के लिए भेजा। उस समय तक, फिलिप्पुस ने नए विश्वासियों को बपतिस्मा दे दिया था, लेकिन वे पवित्र आत्मा से भरे नहीं थे। जब पतरस और यूहन्ना ने उन पर प्रार्थना की, तो पवित्र आत्मा उनके ऊपर सामर्थ के साथ उतरी।
शमौन नामक एक व्यक्ति विश्वासी बन गया था, लेकिन वह पहले एक बुरा जीवन जी रहा था। वह एक जादूगर था, और स्वयं को सामरिया के चारों ओर एक दिव्य शक्ति होने का दावा करता था। वह जादू करता था, और स्वयं को एक बहुत महान व्यक्ति बताता था। बहुत से लोग उस पर विश्वास करते थे। लेकिन जब उसने फिलिप्स को चमत्कार करते देखा, तो उसे महसूस हुआ कि यह कुछ खास था। वह जो कुछ भी जानता था उससे कहीं अधिक यह बड़ी शक्ति थी उसने मसीह पर विश्वास किया।
जब पतरस और यूहन्ना पहुंचे, तो शमौन ने वह देखा जो पवित्र आत्मा के आने से हुआ था। वह उनके पास गया और उन्हें पैसे दिए ताकि वे उसे दिखा सकें कि लोगों को पवित्र आत्मा कैसे दी जाती है। पतरस ने देखा कि शमौन अभी भी पाप के बंधन में था। उसने कहा, "तेरा और तेरे धन का सत्यानाश हो, क्योंकि तूने यह सोचा कि तू धन से परमेश्वर के वरदान को मोल ले सकता है। इस विषय में न तेरा कोई हिस्सा है, और न कोई साझा क्योंकि परमेश्वर के सम्मुख तेरा हृदय ठीक नहीं है। इसलिए अपनी इस दुष्टता से मन फिराव कर और प्रभु से प्रार्थना कर। हो सकता है तेरे मन में जो विचार था, उस विचार के लिये तू क्षमा कर दिया जाये। क्योंकि मैं देख रहा हूँ कि तू कटुता से भरा है और पाप के चंगुल में फँसा है।"
इस पर शमौन ने उत्तर दिया, "तुम प्रभु से मेरे लिये प्रार्थना करो ताकि तुमने जो कुछ कहा है, उनमें से कोई भी बात मुझ पर न घंटे!" पतरस के कड़े विद्रोह के द्वारा शमीन ने पश्चाताप किया। जब वे उस शहर में यीशु के शुभ सन्देश की घोषणा कर चुके, तो यूहन्ना और पतरस यरूशलेम के लिए लौट गए। उन्होंने रास्ते भर कई सामरी गांवों में यीशु के सुसमाचार का प्रचार किया।