पाठ 35: शाऊल कादमिश्क मे तूफान की तरह प्रदेश करना

शाऊल दमिश्क में अन्य शिष्यों से मिला और कई दिनों तक उनके साथ समय बिताया। अब जब वह मसीह की सच्चाई को जान गया था, तो वह तुरंत आराधानालयों में जाने लगा। महायाजक से उस पत्र को देने के बजाय जिससे वह विश्वासियों को जबरन पकड़ सके, वह मसीह के सुसमाचार का प्रचार करने लगा। वे बहुत उलझन में पड़ गए होंगे! परमेश्वर बहुत आश्चर्यकर्म करता है। जिस किसी ने भी पौलुस को सुना वह आश्चर्यचकित रह गया। "क्या यह वही नहीं है, जो यरूशलेम में यीशु के नाम में विश्वास रखने वालों को नष्ट करने का यन किया करता था। और क्या यह उन्हें यहाँ पकड़ने और प्रमुख याजकों के सामने ले "जाने नहीं आया था?"

हर कोई जानता था कि वह क्यों आया था, और इसलिए वह समझ गया कि शाऊल में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। शाऊल यीशु के संदेश का प्रचार इतनी सामर्थ से भर कर करने लगा कि दमिश्क में समस्त यहूदी पूरी तरह से चकित रह गए। वे यीशु के बारे में उसे कभी गलत साबित नहीं कर पाए। जिस प्रकार यरूशलेम में शाऊल और धार्मिक अगुए इससे क्रोधित थे, दमिश्क के धार्मिक यहूदी और भी अधिक क्रोधित हो गए। शाऊल सच्चाई की ज्योति के साथ अंधकार का सामना कर रहा था! एक लड़ाई चल रही थी!

कई दिनों बाद, यहूदियों ने शाऊल को मारने का षड्यन्त्र रचा। वे नगर द्वारों पर रात दिन घात लगाये रहते थे ताकि उसे मार डालें। लेकिन शाऊल को योजनाओं के बारे में पता लग गया। उसके मित्रों ने, जो दमिश्क के विश्वासी थे, एक योजना बनाई। वे नहीं चाहते थे कि उनका निडर अगुआ मारा जाए। उन्होंने एक टोकरी तैयार की। रात के अंधेरे में, शहरपनाह पर से लटकाकर उन्होंने पौलुस को नीचे उतार दिया। शाऊल चुपचाप निकल गया, और आखिरकार यरूशलेम लौट आया

शाऊल अब यरूशलेम के यहूदी अगुओं का मित्र नहीं था, परन्तु यरूशलेम के विश्वासी भी उसे देखने के लिए बिल्कुल खुश नहीं थे। उनमें से बहुतों को उसके द्वारा किये गए भयानक सतावट स्मरण आए। कई लोगों ने स्तिफनुस और अन्य लोगों से प्रेम किया था जो शाऊल के झूठे उत्साह के कारण बंदीगृह में डाले गए या मार दिए गए थे। वे उससे डरते थे, और उन्हें विश्वास नहीं था कि वह वास्तव में मसीह का शिष्य बन गया था। लेकिन शिष्यों में से बरनबास नाम के एक शिष्य ने उससे भेंट की थी और उस पर विश्वास किया था। यह वही बरनबास है जिसने स्वयं की भूमि बेची थी और शिष्यों को उसका सारा पैसा दिया था। वह उन दिनों में कलीसिया में अपने साथी भाइयों और बहनों का ध्यान रखने में मदद करता था जब वे सभी यरूशलेम में मिले थे। अब वे सभी विश्वासी पूरे रोम में तितर-बितर हो गए थे, आंशिक रूप से शाऊल के कामों के कारण, और अब यह एक नया शामिल हो गया था। बरनवास ने इस व्यक्ति को, जिसने विश्वासियों को सताया था, अपनी महान करुणा दिखायी

बरनवास को यरूशलेम की कलीसिया का विश्वास था। वे वर्षों से उसके साथ थे और आत्मा के प्रति उसे विश्वासयोग्य पाया था। वह शाऊल को उनके पास लाया था। मुझे आश्चर्य है कि उनमें से कुछ के लिए उसे क्षमा करना मुश्किल था ? बरनबास ने समझाया कि किस प्रकार यीशु दमिश्क के मार्ग पर शाऊल को मिला था। उन्होंने शिष्यों को बताया कि किस प्रकार शाऊल आराधानालयों में मसीह के विषय में प्रचार कर रहा था। शिष्यों ने इन कहानियों को सुना और शाऊल को एक भाई के रूप में स्वीकार किया। वे नहीं जानते थे कि आने वाले वर्षों में वह मसीह के लिए सामर्थी हो जाएगा।

शाऊल ने यरूशलेम में स्वतंत्रतापूर्वक मसीह के विषय में प्रचार किया। जब उन्होंने सत्य सुना, तो कुछ यूनानी यहूदी क्रोधित हो गए, और उन्होंने उसे मारने की योजना बनाई विश्वागियों ने अपने भाई के विरुद्ध षडयंत्र के विषय में सुना और स्वयं की योजना बनाई । कुछ भाई शाऊल को ले गए और उसे बड़े शहर, तरसुस भेज दिया जहाँ वह बड़ा हुआ था। कलीसिया महान सतावट के समय से गुज़र रही थी, लेकिन अगले वर्षों में, परमेश्वर ने उन्हें शांति का समय दिया। शांति और पवित्र आत्मा की शक्ति के द्वारा, कलीसिया दृढ़ होती गयी। बहुत से लोग विश्वास करने लगे ।