पाठ 31: स्टिफनुस पर पथवार और कलीसिया का बिखरना
स्टिफनुस आगे इस्राएल के इतिहास की कहानी सुनाता है। भले ही उन्होंने बहुत पाप किया था तौभी परमेश्वर ने मूसा और इस्राएलियों को विजय दिलाई । जब वे वादा किए हुए देश की ओर जाने के लिए मरुभूमि में चालीस वर्षों तक घूम रहे थे, परमेश्वर ने उन्हें एक विशेष तम्बू बनाने के लिए आदेश दिया, एक ऐसा स्थान जहां वे उसकी आराधना कर सकेंगे। जब वे वादा किए हुए देश की ओर जा रहे थे तो वह विशेष, पवित्र तम्बू इस्राएलियों के साथ साथ चला, और यही वह स्थान था जहां यहूदियों ने यहोशू के समय से दाऊद के समय तक परमेश्वर की उपासना की थी। वह लगभग पांच सौ वर्ष का समय था! दाऊद राजा ने स्वयं के लिए एक महल बनाने का फैसला किया, लेकिन स्वयं के लिए एक भव्य घर पाने के लिए वह लज्जित हुआ जबकि परमेश्वर की उपासना का स्थान अभी भी एक तम्बू था। उसने परमेश्वर से पूछा कि क्या वह उसके लिए एक मंदिर बना सकता है। यहोवा ने दाऊद से कहा कि उसका पुत्र सुलैमान परमेश्वर के लिए एक मंदिर का निर्माण करेगा। यह वह स्थान होगा जहां सभी यहूदी बलिदान चढ़ाने और परमेश्वर की उपासना करने के लिए आएंगे। वह मंदिर वही स्थान था जहां स्तिफनुस ने खड़े होकर इस्राएल के धार्मिक अगुओं को सन्देश सुनाया था!
"दाऊद ने परमेश्वर के अनुग्रह का आनन्द उठाया। उसने चाहा कि वह याकूब के लोगों के लिए एक मन्दिर बनवा सके किन्तु वह सुलैमान ही था जिसने उसके लिए मन्दिर बनवाया।
कुछ भी हो परम परमेश्वर तो हाथों से बनाये भवनों में नहीं रहता। जैसा कि नबी ने कहा है, 'स्वर्ग मेरा सिंहासन है, और धरती चरण की चौकी बनी है। किस तरह का मेरा घर तुम बनाओगे? कहीं कोई जगह ऐसी है, जहाँ विश्राम पाऊँ? क्या यह सभी कुछ, मेरे करों की रचना नहीं रही?"
स्टिफनुस ने अपने भाषण को महान जुनून के साथ महासभा के सामने समाप्त किया । उसने इतिहास की एक एक कहानी समझाई जहां यहूदी परमेश्वर के विरुद्ध हठीले हो गए थे, और अब वे ऐसा फिर से कर रहे थे। केवल अब वे और बदतर हो गए थे। क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के एकलौते पुत्र को मार डाला था और पश्चाताप नहीं कर रहे थे!
"हे बिना ख़तने के मन और कान वाले हठीले लोगो! तुमने सदा ही पवित्र आत्मा का विरोध किया है। तुम अपने पूर्वजों के जैसे ही हो। क्या कोई भी ऐसा नबी था, जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने नहीं सताया? उन्होंने तो उन्हें भी मार डाला जिन्होंने बहुत पहले से ही उस धर्मी के आने की घोषणा कर दी थी, जिसे अब तुमने धोखा देकर पकड़वा दिया और मरवा डाला। तुम वही हो जिन्होंने स्वर्गदूतों द्वारा दिये गये व्यवस्था के विधान को पा तो लिया किन्तु उस पर चले नहीं।"
स्टिफनुस कितना उत्साहित था। फिर भी उसका संदेश स्पष्ट था। जिस प्रकार पूरे इतिहास में इस्राएलियों ने अपने परमेश्वर के मार्ग का सम्मान करने से इनकार कर दिया था, उनके समय के यहूदी उस मसीहा को नहीं देख पाए जो उनके बीच में
उपस्थित था। उन्होंने अपनी आशा की पूर्ति को अस्वीकार कर दिया था। सैकड़ों वर्षों से मंदिर में जो परमेश्वर की उपस्थिति थी वह एक इन्सान के रूप में आई थी। अब उसकी उपस्थिति उनके ही हृदय में रह सकती है, और उन्हें इससे कोई मतलब नहीं था।
रोमियों 7 से लिए गए सभी उपरोक्त गुड न्यूज़ बाइबल, या ईएसवी से लिए गए हैं।