यीशु अपने क़ीमती राष्ट्र को पिता के प्यार को दिखाने उत्सुक था! लेकिन वे इसे स्वीकार नहीं कर रहे थे।मन्दिर को छोड़ कर यीशु जब वहाँ से होकर जा रहा था तो उसके शिष्य उसे मन्दिर के भवन दिखाने उसके पास आये। इस पर यीशु ने उनसे कहा, “'तुम इन भवनों को सीधे खड़े देख रहे हो? मैं तुम्हें सच बताता हूँ, यहाँ एक पत्थर पर दूसरा पत्थर टिका नहीं रहेगा। एक एक पत्थर गिरा दिया जायेगा।'”
Read Moreप्रभु यीशु ने चेलों को अगले जन्म के जीवन के विषय में वर्णन दिया। राज्यों में युद्ध होंगे। अकाल होगा जहां लोगों और जानवरों को खाने को नहीं होगा। झूठे भविष्यद्वक्ता खड़े होंगे जो कहेंगे कि वे ही यीशु हैं।
Read Moreयीशु ने अपने शिष्यों को वह उपदेश दिया जो पूरा इस्राएल सुनना चाहता था। जब वे जैतून के पहाड़ पर बैठे थे, उसने पूरे मनुष्य के इतिहास के लिए अपनी योजना को दिखाया। पापी संसार में समय बहुत कठिन होने जा रहा था, और महान क्लेश के समय तक बहुत कष्ट बढ़ने वाला था।
Read Moreमहासभा रोष से खदबदा रही थी। तीन साल के लिए उन्होंने इस युवा ढोंगी, यीशु नाम की अभिमानी निन्दा सही थी। कैसे उसने जानबूझकर खुद परमेश्वर के चुने हुए देश पर शासन करने के ठहराए नेतृत्व की खिल्ली उड़ाई, और अपने आकर्षण और शैतानी चमत्कार के साथ लोगों को चालाकी से अपने वश में किया।
Read Moreगुरुवार आया। यह अखमीरी रोटी का दिन था। मिस्र में उस दिन की याद में शासकीय फसह के मेमने को बलिदान किया जाएगा।बेदाग भेड़ के बच्चे के रक्त को हर एक इस्राएली घर के चौखट पर लगाना था। इससे उनका पहलौठा पुत्र बच गया और स्वतंत्रता के द्वार को खोल दिया गया। वह पहला बलिदान और उद्धार केवल एक रूप था और यीशु अपने ही लहू से खरीदने वाला था।
Read Moreयीशु और उसके चेले फसह का भोज कर रहे थे। यीशु जानता था कि यह उसका अपने चेलों के साथ अंतिम भिज होगा। उन्होंने उसके साथ भीड़ में रहकर परिश्रम किया और अपने घरों को छोड़ कर पूरी भक्ति के साथ उसकी सेवा में लगे रहे। और फिर यीशु जानता था उनमें से एक है जो उसके साथ विश्वासघात करेगा और आगे भी करेगा।
Read Moreफसह का भोज यहूदी लोगों के लिए एक उच्च और पवित्र समय था। यह यहूदी लोगों के लिए मुक्ति के महान दिन की स्मृति में मनाया जाता है। यीशु के संसार में आने के पंद्रह सौ साल पहले, परमेश्वर ने मिस्र के फिरौन की भयानक अत्याचार से अपने लोगों को मुक्त किया और इस्राएल को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाया।
Read Moreजब यीशु और उसके चेले फसह मना रहे थे, उसने उन्हें परमेश्वर कि योजना के रहस्य को उनके आगे स्पष्ट रूप से दिखाया। अभी और भी प्रकाशन आने हैं। ऊपरी कमरे में मिले उपदेशों के बाद, यीशु ने पिता से अपने लिए, अपने चेलों के लिए और उन सभी के लिए जो उस पर विश्वास करेंगे।
Read Moreजब यीशु ने बगीचे के अंधेरे में प्रार्थना में घुटने टेके, तो उन्होंने अपने को पिता की इच्छा के सुपुर्त कर दिया। तब वह अपने पैरों पे उठकर अपने चेलों के पास गए। उन्होंने उन्हें एक बार फिर से सोया पाया।
Read Moreरात की शांति में, उसके चेलों थके हुए नींद में गिर गए। यीशु प्रार्थना में अपने पिता के पास चले गए। तीन बार उन्होंने वह बोझ हटा देने को माँगा। क्या पिता इस काम को हटा सकते थे? क्या यीशु किसी तरह आने वाली पीड़ा को आने से रोक सकते थे?
Read Moreयीशु को अन्नास के घर से कैफा के घर ले जाया गया। पतरस अभी तक पीछे पीछे आ रहा था। जैसे ही यीशु को महासभा के उन सदस्यों के समक्ष लाया जा रहा था जो इतनी रात वहां आए, पतरस आँगन में चला गया।
Read Moreधार्मिक शासकों ने उनकी गिरफ्तारी की रात से पहले ही यीशु की कार्यवाही के परिणाम का फैसला कर लिया था। उनको यह सुनिश्चित करना था कि यह उनकी मौत के साथ समाप्त होगी।वो बहुत ज्यादा खतरनाक था।
Read Moreपेंतुस पीलातुस के जैसे आदमी के लिए, यहूदी महासभा के पुरुष एक हास्यास्पद भीड़ की तरह होंगे। पिलातुस रोमी राज्यपाल था जिसे दुनिया में सबसे शक्तिशाली आदमी द्वारा नियुक्त गया था - रोमी कैसर। रोमी साम्राज्य ने ज्ञात दुनिया पर विजय प्राप्त की और सैकड़ों वर्ष के लिए इतिहास पर प्रभुत्व की।
Read Moreहेरोदेस, मसीह के मामले में, किसी भी निष्कर्ष तक पहुँचने में सक्षम नहीं था, इसलिए उसने यीशु को पिलातुस के पास वापस भेज दिया। अब, पिलातुस की यहूदी लोगों के साथ एक परंपरा थी। हर फसह के पर्व पर, वह उनसे किसी एक कैदी की रिहाई का अनुरोध लेता, और वह उसे मुक्त कर देता।
Read Moreयीशु के खिलाफ सज़ा, पिलातुस द्वारा घोषित की गई थी। उन्होंने सैनिकों की पूरी रोमी सेना को अंगना में बुलाया। अपनी बोरियत को दूर करने के लिए,प्रभु के आसपास एकत्र हुए एक सौ से अधिक पुरुष उसका ठट्ठा उड़ाने के लिए वहाँ जमा थे। उन्होंने यीशु का वस्त्र छीन लिया और उन पर एक बैंगनी वस्त्र डाल दिया।
Read Moreफिर जब वे गुलगुता (जिसका अर्थ है “खोपड़ी का स्थान।”) नामक स्थान पर पहुँचे तो उन्होंने यीशु को पित्त मिली दाखरस पीने को दी। किन्तु जब यीशु ने उसे चखा तो पीने से मना कर दिया।
Read Moreयीशु उस पीड़ा के साथ क्रूस पर था, उसके पास बहुत से खड़े जो उसे देख रहे थे। ऐसा लगता था कि कुछ हो जाएगा। क्या वह इस हास्य जनक अनुकरण को अपनी सामर्थ से जीत पाएगा?
Read Moreयीशु क्रूस पर छे घंटे, जहां उसने मानवजाति के पापों कि सज़ा अपने ऊपर ले ली। हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। हमारे हर घिनौने काम कि दुष्टता परमेश्वर के आगे यीशु के व्यक्तित्व में पेश की गई। हर प्रकार के घिनौने पाप। यीशु ने हमारे हर प्रकार के पाप जो अंधकार में किये गए उन्हें अपने ऊपर ले लिया।
Read Moreमसीह के शरीर को क्रूस से उतार लिया गया। एक आदमी था जिसका नाम था अरिमथिया का यूसुफ़ था, जो यीशु पर विश्वास करता था और गुप्त में उसका चेला था। वह एक सच्चा शिष्य था, लेकिन वह महासभा का भी सदस्य था।
Read Moreरविवार की सुबह आई। यह यहूदी सप्ताह का पहला दिन था। मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम सुबह होने से पहले अपने बने मसालों के साथ तैयार थी। जैसे जैसे सूरज पूर्वी आकाश को हल्का करने लगा, वे अन्य महिलाओं के साथ कब्र के लिए निकल पड़ी। उनकी यात्रा में कुछ बिंदु पर ज़मीन हिलने लगी।
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