पाठ 41: बर्नबास और शाऊल: अन्तादिकया मे गतिशील जोड़ी

क्या आपको वह कहानी याद है जब स्तिफनुस यरूशलेम में यीशु मसीह के जीवन के विषय में प्रचार करने के लिए मारा गया था? उसके बाद, यहूदी अगुवों ने कलीसिया पर सताव शुरू कर दिया था। उन्होंने विश्वासियों को उनके घरों से खींचकर उन्हें बन्दीगृह में डाल दिया था। उनमें से बहुतों को मार डाला गया था।

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पाठ 42: हेरोदेस के सिपाही बनाम परमश्वेर के दूत: कोई समान मिलान नहीं!

जिस समय बरनाबस और शाऊल अन्ताकिया में यीशु के विषय में यूनानी विश्वासियों को सिखा रहे थे, यरूशलेम में परेशानी उभर रही थी। हेरोदेस राजा मसीही लोगों को सता कर यहूदियों के अगुओं को प्रसन्न करने की कोशिश कर रहा था। यह हेरोदेस एक और प्रसिद्ध हेरोदेस राजा का भतीजा था।

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पाठ 43 पतरस महान पलायन के विषय में कलीसिया को बताता है।

जब पतरस को एहसास हुआ कि उसे एक दूत द्वारा बन्दीगृह से मुक्त किया गया है, तो वह सीधे मरियम के घर गया। मरियम यूहन्ना मरकुस की मां थी। वह वह व्यक्ति है जिसने मरकुस सुसमाचार की किताब लिखी है। उसने पतरस से यीशु के साथ चलने के अनुभव के साक्षात्कार के द्वारा मरकुस की किताब लिखी।

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पाठ 44 हेरोदेस की अपने सृष्टिकर्ता से भेंट

पतरस की हत्या करने की कोशिश करने के बाद, हेरोदेस यरूशलेम से निकलकर कैसरिया को चला गया। यह वही शहर था जहां कुरनेलियस रहता था। हेरोदेस भूमि के बड़े क्षेत्र का राजा था। वहां कई शहरों और लोगों को उसके आदेशों का पालन करना पड़ता था।

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पाठ 45 बरनबास और शाऊल: पहली मिशनरी यात्रा

बरनबास और शाऊल कुछ समय के लिए अन्ताकिया में विश्वासियों के साथ ठहरे हुए थे। जो आध्यात्मिक दान उन्हें परमेश्वर ने यीशु मसीह के सुसमाचार सुनाने के लिए दिए थे उन्होंने उनका प्रयोग किया।

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पाठ 46 साइप्रस में आत्मा का कार्य

शाऊल और बरनबास युहन्ना मरकुस को साथ लेकर, जो उनका सहायक के रूप में था, अपनी पहली मिशनरी यात्रा पर निकल गए। वे भूमध्य सागर के एक शहर सिलूकिया में एक नाव पर पहुंचे, और साइप्रस द्वीप चले गए। ताजा समुद्री हवा और पानी में नाव के हिचकोले खाने की कल्पना कीजिये ।

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पाठ 47 परमेश्वर की अच्छी और सिद्ध योजना

लंबी पैदल यात्रा के बाद, पौलुस और बरनवास पिसिदिया अन्ताकिया पहुंचे। हमेशा की तरह, जब वे शहर में पहुंचे, तो पहले आराधनालय में गए। आराधनालय के अगुओं ने पुराने नियम से पढ़ा और फिर उन्होंने पौलुस और बरनवास को कुछ कहने के लिए आमंत्रित किया।

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पाठ 48 पिसिदिया अन्ताकिया: उद्धार उन बहूदी और गैर-यहूदियों के लिए है जो विश्वास करते हैं

जब पौलुस और बरनवास पिसिदिया अन्ताकिया पहुंचे, तो सबसे पहले वे आराधनालय में गए। पौलुस ने एक शानदार उपदेश का प्रचार इन यहूदियों को दिया, जो घर से बहुत दूर थे, कि यहूदियों का मसीहा आ गया था, और उसका नाम यीशु था।

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पाठ 49 पौलुस का जुनून

जब पौलुस और बरनबास इकुनियुम पहुंचे, तो सबसे पहले वे कहाँ गए थे? वे हमेशा कि तरह, सीधे यहूदी आराधनालय में गए। संदेश को सुनने वाले सबसे पहले अब्राहम के बच्चे होंगे।

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पाठ 50 अति अनुपयुक्त आराधना - लुना का भ्रम

एक दिन जब पौलुस और बरनवास लख्खा में थे, उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति को देखा जिसके पैर निर्बल थे और वह चल नहीं सकता था। वह जन्म ही से लंगड़ा था। जब पौलुस लोगों को सुसमाचार सुना रहा था तब यह व्यक्ति पौलुस को सुन रहा था। पौलुस ने जब उसे पलट कर देखा, तो उसने उस व्यक्ति में चंगे होने के विश्वास को देखा ।

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पाठ 51 कलीसियाओं की स्थापना और प्राचीनों का चुनाव

पौलुस और बरनवास दिरवे शहर पहुंचे और परमेश्वर के अनुग्रह का सुसमाचार सुनाना आरंभ कर दिया। बहुत से लोगों ने अपना जीवन प्रभु यीशु को दिया और वहां उसके शिष्य बन गए। आत्मा अपना कार्य कर रही थी। दरअसल, भले ही आस-पास के शहरों में कई समस्याएं थीं, फिर भी इकुनियुम, सिस्ट्रा और चिसिडिया के अन्ताकिया में यीशु के कई नए शिष्य थे। फिर भी अभी उन्हें परमेश्वर के विषय में बहुत अधिक ज्ञान नहीं था।

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पाठ 52 यरूशलेम की यात्रा

पौलुस और बरनबास अन्ताकिया लौट आए। ये वे परिवार थे जो पिछले दो वर्षों से अधिक समय से वहां बसे हुए थे। यह घर लौटने जैसा था। वे एक और वर्ष वहां रहे और वहां के अन्य विश्वासियों के साथ जीवन साझा किया।

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पाठ 53 यरूशलेम की महासभा

यरूशलेम महासभा की महान बैठक में प्रेरितों और प्राचीनों ने दोनों ओर के तर्क पर विचार किया। क्या मसीह के शिष्यों को खतना कराना आवश्यक था या नहीं? यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विचार था। वे यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि यीशु के साथ युगानुयुग तक रहने के लिए क्या करना है! अगुए चर्चा करते रहे। अंत में, पतरस खड़ा हुआ और बोलने लगा।

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पाठ 54 द्वितीय प्रचार-यात्रा और आत्मा की अगवाई

बरनवास मरकुस को लेकर साइप्रस के द्वीप पर चला गया। क्या आपको याद है जब पौलुस और बरनबास अपनी पहली यात्रा पर गए थे? यही वह स्थान है। जहां परमेश्वर ने पौलुस और बरनवास का उपयोग सिरगियुस पौलुस को उद्धार देने के लिए किया था। यह वही स्थान है जहां परमेश्वर ने बार- यीशु को अंधा कर दिया था क्योंकि वह पौलुस के संदेश के विरुद्ध बहस कर रहा था!

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Jennifer Jagerson
पाठ 55 नदी के किनारे प्रिय लुदिया

त्रोबस एक सुंदर शहर था जो शानदार भूमध्य सागर के किनारे पर बसा हुआ था। पौलुस और उसके मित्र को त्रोआस से एक नाव मिली और उस व्यक्ति की खोज में जिसे उसने एक स्वप्न में देखा था, मकिदुनिया के लिए निकल पड़े। रास्ते में, वे सुमात्रा नामक एक द्वीप पर रुके। अगले दिन वे नियापुलिस नामक एक बंदरगाह पर उतरे।

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पाठ 56 मसीह की सामर्थ

पौलुस और सीलास और लूका फिलिप्पी में थे, और उन सभी को मसीह का सुसमाचार सुना रहे थे जो सुनना चाहते थे। एक दिन, जब वे लोग उस स्थान पर जा रहे थे जहां उन्होंने प्रार्थना की थी, वे एक लड़की के पास आए जो एक दासी थी। इस लड़की में वह दुष्ट आत्मा थी जो भविष्यवाणी करती थी।

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पाठ 57 बन्दीगृह में गीत गाना

जिस समय पौलुस फिलिप्पी में था, उसने एक जवान लड़की के अन्दर से एक दुष्टात्मा निकाली थी। उस लड़की के मालिक खुश नहीं थे कि उसे मुक्त कर दिया गया था। यह कितना घिनौना है। अब जब दुष्टात्मा चली गई थी, वह भविष्य के विषय में भविष्यवाणी कभी नहीं कर पाएगी। वह उनके लिए और अधिक पैसा नहीं बना पाएगी। वे क्रोधित हुए।

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पाठ 58 विस्स्लुनिके का अवलोकन

पौलुस और सीलास फिलिप्पी से आगे जाने के लिए रवाना हो गए। उन्होंने अम्किपुलिस और अल्लोनिया के शहरों से होकर एक सौ मील की दूरी तय करके थिस्सलोनिका नामक एक बड़े महत्वपूर्ण शहर की यात्रा की कल्पना कीजिए कि पौलुस और सीलास खुली सड़क पर मीलों दूर चलते हुए जा रहे हैं।

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पाठ 59 शहर के लिए पौलुस का उद्देश्य

यह एक अच्छी बात है कि पौलुस और सीलास ने अपनी आंखों को स्वर्ग की ओर लगाये रखा, नहीं तो वह निराशाजनक हो सकता था। वे लोगों को फिर से यीशु के बारे में बताने से डरेंगे। उन्हें फिलिप्पी में बहुत बुरी तरह पीटा गया था, और बहुत लोगों ने उनके विरुद्ध क्रोध जताया था। जब वे थिस्सलोनिका के महान शहर में गए, तब उन्हें मायूसी महसूस हुई होगी।

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पाठ 60 मसीह का देह

यह बहुत महत्वपूर्ण था कि मसीह के देह के सदस्य एक-दूसरे की सुद्धि लें। यदि किसी की वित्तीय आवश्यकता थी, तो हर किसी को यह देखना होगा कि वे उसकी किस प्रकार रक्षा और सहायता कर सकते हैं। आत्मा ने प्रत्येक व्यक्ति को मसीह के देह की उन्नति के लिए विशेष आध्यात्मिक दान दिए ताकि कुछ वचन को सिखा सकें, दूसरा भोजन और आतिथ्य प्रदान करे, और अन्य सेवा प्रदान करे।

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