पाठ 48 पिसिदिया अन्ताकिया: उद्धार उन बहूदी और गैर-यहूदियों के लिए है जो विश्वास करते हैं

जब पौलुस और बरनवास पिसिदिया अन्ताकिया पहुंचे, तो सबसे पहले वे आराधनालय में गए। पौलुस ने एक शानदार उपदेश का प्रचार इन यहूदियों को दिया, जो घर से बहुत दूर थे, कि यहूदियों का मसीहा आ गया था, और उसका नाम यीशु था। आराधनालय के बहुत से लोग पौलुस कि बातों से इतने मोहक हुए कि वे उसके पीछे हो लिए। उनमें से कुछ यहूदी थे और कुछ गैर-यहूदी

पौलुस और बरनबास उन्हें सिखाते रहे और परमेश्वर के अनुग्रह के विषय में प्रोत्साहित करते रहे। उनका यह सोचना कि वे अब नियम के प्रतिबंधों के तहत नहीं थे, उनकी दुनिया को बदल देगा! विश्वास के द्वारा अनुग्रह में विश्वास के साथ जीना उनके लिए एक अद्भुत और नया विचार था। इसका मतलब था कि अब उन्हें गलती करने के भय में इस कठोर नियम का पालन नहीं करना पड़ेगा। क्या यह वास्तव में सच था? क्या पुराने नियम का परमेश्वर एक नई बातें कर रहा था?

हाँ! यीशु ने निंदा के अभिशाप को तोड़ दिया था जो नियम के द्वारा आया था! उन्हें पूरी क्षमा मिल सकती थी! उन्हें परमेश्वर की आत्मा सिखाएगी कि कैसे दिन- प्रतिदिन वे यीशु के आज्ञाकारी बन सकते हैं! पवित्र आत्मा की शक्ति और सामर्थ के द्वारा वे शुद्ध हो सकते हैं ताकि वे अपने पापों कि पुरानी आदतों से परिवर्तित हो जाएँ। और वे यह सुनिश्चित कर सकते थे कि एक दिन, वे परमेश्वर के साथ अनंत काल के लिए होंगे! वाह!

अगले सप्ताह, अधिकांश शहर पौलुस को सुनने के लिए पहुंचा। उस सप्ताह के दौरान हुई वार्तालापों को सुनना दिलचस्प होगा इसलिए वे फिर से पौलुस को सुनने के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे। जब यहूदी अगुओं ने देखा कि कितने लोग आए हैं, तो उन्हें बेहद ईर्ष्या हुई। वे यरूशलेम में अगुओं के समान थे। वे बहुत कुछ पुराने नियम के पापी राजाओं के समान थे जिन्होंने लोगों को परमेश्वर से दूर कर दिया था।

जब पौलुस बड़ी भीड़ के सामने बोल रहा था, यहूदी अगए क्रोधित होकर उसके विरुद्ध बोलने लगे। पौलुस यीशु के बारे में सिखा रहा था, और ये पुरुष परमेश्वर के वचन का विरोध करने लगे! पौलुस और बरनबास ने बल और साहस के साथ उत्तर दिया:

"हमें पहले आपको परमेश्वर का वचन बोलना पड़ा। चूंकि आप इसे अस्वीकार करते हैं और अपने आप को अनन्त जीवन के योग्य मानते हैं, अब हम विदेशियों के पास जाते हैं। इसी कारण यहोवा ने हमें आज्ञा दी थी: 'मैंने तुमको ग़ैर यहूदियों के लिये ज्योति बनाया,

ताकि धरती के छोरों तक सभी के उद्धार का माध्यम हो । । '

यह सुन कर गैर-यहूदी उत्तेजित हो गए। मुक्ति केवल यहूदियों के लिए नहीं थी। यह गैर-यहूदियों के लिए भी थी। परमेश्वर वास्तव में महान कार्य कर रहा था। लूका लिखता है कि उन्होंने "प्रभु के वचन का सम्मान किया। फिर उन्होंने जिन्हें अनन्त जीवन पाने के लिये निश्चित किया था, विश्वास ग्रहण कर लिया । "

"नियुक्त" शब्द का अर्थ है "चुना हुआ" जो लोग सुन रहे थे वे विशेष रूप से अनंत जीवन के लिए चुने गए थे। उन्हें किसने चुना? पौलुस की पत्रियों में से एक में लोगों के एक समूह के लिए लिखा है, हम बाद में (इफिसियों) उसके विषय में पढ़ेंगे जो वह समझाता है। वह लिखता है कि परमेश्वर ने संसार की सृष्टि से पहले

मसीह में प्रत्येक विश्वासी को चुन लिया था। पिसिदिया अन्ताकिया में और वे सभी लोग जिन्होंने प्रभु यीशु पर विश्वास किया, विशेष रूप से परमेश्वर द्वारा अनंत काल में उसके साथ रहने के लिए चुने गए है। इसका मतलब है कि आप भी, यदि आपने यीशु मसीह पर विश्वास किया है! हम जानते हैं कि परमेश्वर द्वारा कौन चुने जाते हैं क्योंकि वे वही हैं जिनके हृदय उसके द्वारा नरम किये गए हैं। उन्होंने मसीह के विषय में सत्य गुना है और विश्वास किया है। परमेश्वर के चुने हुए देश के अगुओं, यहूदियों ने अपने स्वयं के मसीहा को अस्वीकार किया, और अब परमेश्वर गैर- यहूदियों के लिए मुक्ति का द्वार खोल रहा था। नए विश्वासी एक नई दुनिया को ले आए!

पिसिदिया अन्ताकिया में कई लोगों ने विश्वास किया, और मसीह का सुसमाचार पूरी तरह से फैल रहा था। मसीह के बारे में दूर दूर के लोगों ने सुना । परन्तु कुछ ईर्ष्यावान यहूदियों ने पिसिदिया अन्ताकिया के कुछ कुलीन महिलाओं और प्रमुख लोगों के पास जाकर उन्हें उकसाया और उन्हें पौलुस और बरनबास के विरुद्ध जाने के लिए आश्वस्त किया। उन्होंने उन्हें सताया और उन्हें वह क्षेत्र छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया। पौलुस और बरनबास ने अपने पांव की धूल झाड़कर इस तरह के भयानक व्यवहार का विरोध प्रकट किया। सुसमाचार फैलाने के लिए कई और भी स्थान थे! वे इकुनियुम नामक शहर को गए। उन्होंने मसीह के कई नए शिष्यों को पीछे छोड़ा जो आत्मा में नई आशा का आनंद मना रहे थे ।