पाठ 50 अति अनुपयुक्त आराधना - लुना का भ्रम
एक दिन जब पौलुस और बरनवास लख्खा में थे, उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति को देखा जिसके पैर निर्बल थे और वह चल नहीं सकता था। वह जन्म ही से लंगड़ा था। जब पौलुस लोगों को सुसमाचार सुना रहा था तब यह व्यक्ति पौलुस को सुन रहा था। पौलुस ने जब उसे पलट कर देखा, तो उसने उस व्यक्ति में चंगे होने के विश्वास को देखा । जिस प्रकार विश्वास के द्वारा उद्धार होता है, उसी प्रकार परमेश्वर की चंगाई कि शक्ति पर विश्वास करना आवश्यकता होता है। हमें विश्वास करना चाहिए।
पौलुस ने उस व्यक्ति से कहा, "अपने पैरों पर सीधा खड़ा हो जा!" जब उस व्यक्ति ने पौलुस को सुना, तो वह अपने पैरों पर उछलकर चलने फिरने लगा। यह कितनी साहस की बात है! वह पहले कभी नहीं चला था।
भीड़ उस व्यक्ति को जो पहले कितना टूटा हुआ था, अचानक चंगाई पाते देख आर्यचकित रह गई। उन्होंने सोचा नहीं था कि एक मनुष्य ऐसा अद्भुत चमत्कार कर सकता है। वे यह नहीं समझ पाए कि पौलुस में चंगा करने की शक्ति स्वयं पौलुस से नहीं आई थी, वह सच्चे और जीवित परमेश्वर से आई थी! यह पवित्र आत्मा के द्वारा से आई थी! लुना के लोगों ने सोचा कि पौलुस स्वयं ही एक ईश्वर होगा क्यूंकि उसने इस तरह का एक अद्भुत चंगाई का चमत्कार किया था। उन्होंने सोचा कि वह अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके स्वयं को महान बना रहा था! वे अपनी भाषा में गरजने और चिल्लाने लगे, • हमारे बीच मनुष्यों का " रूप धारण करके, देवता उतर आये है !!" जब लोग चिल्लाने और बोलने लगे उन्होंने सोचा कि बरनवास ज्यूस देवता है। ज्यूस शहर का सबसे प्रभावशाली देवता था। लुखा में मुख्य धार्मिक मंदिर उसके लिए बनाया गया था। लोग ज्यूस के पास अपनी प्राथनाएं और दान इस आशा से लाते थे कि वह उनकी रक्षा करेगा या उनके शत्रुओं को शाप देगा। जब पौलुस संदेश सुना रहा था तब बरनवास चुपचाप खड़ा रहा। लुना के लोगों ने सोचा कि पौलुस बरनवास को देवता बताकर उसके विषय में बता रहा है। वे नहीं समझ पाए कि वे एक सच्चे परमेश्वर, यीशु मसीह का प्रचार करने के लिए आए थे!
ज्यूस का महान मंदिर शहर के बाहर था। मंदिर के पुजारियों ने तैय्यारियाँ शुरू कर दी थीं। उनका परमेश्वर आ गया था। वे शहर के फाटकों पर पुष्पमालाएं और एक बैल को ले आए ताकि वे बरनबास को बलिदान चढ़ा सकें। बरनबास और पौलुस को पता नहीं था कि क्या हो रहा था। जब बरनवास और पौलुस अंततः समझ गए, वे डर गए। उन्होंने अपने कपड़े फाड़े और भीड़ में लपटे । "हे लोगो तुम यह क्यों कर रहे हो? हम भी वैसे ही मनुष्य हैं, जैसे तुम हो। यहाँ हम तुम्हें सुसमाचार सुनाने आये हैं ताकि तुम इन व्यर्थ की बातों से मुड़ कर उस सजीव परमेश्वर की ओर लौटो जिसने आकाश, धरती, सागर और इनमें जो कुछ है, उसकी रचना की। "बीते काल में उसने सभी जातियों को उनकी अपनी-अपनी राहों पर चलने दिया। किन्तु तुम्हें उसने स्वयं अपनी साक्षी दिये बिना नहीं छोड़ा। क्योंकि उसने तुम्हारे साथ भलाइयाँ की। उसने तुम्हें आकाश से वर्षा दी और ऋतु के अनुसार फसलें दी। वही तुम्हें भोजन देता है और तुम्हारे मन को आनन्द से भर देता है।' लोग न तो बरनवास और न ही पौलुस की सुन रहे थे। उन्हें पूरा विश्वास था कि ज्यूस उनके शहर में आ गया था। पौलुस और बरनवास जितना भी उन्हें समझाते रहे, वे फिर भी उन्हें देवता मान कर उनके लिए बलिदान चढ़ाना चाहते थे। उन सैकड़ों लोगों की कल्पना कीजिये जो पौलुस और बरनवास के उन्हें रोकने के इतने प्रयास के बावजूद वेदियों और बलिदानों को चढ़ा रहे थे। वह दिन अराजकता और भ्रम से भर गया था।
इस बीच, पौलुस और बरनबास से घृणा करने वाले इकुनियुम और अन्ताकिया के यहूदियों ने उनके लिए और अधिक परेशानी पैदा कर दी थी। उन्होंने भीड़ में जाकर उन्हें प्रेरितों के विरुद्ध होने के लिए आश्वस्त किया। जोश से भरी भीड़ जल्द ही पूजा छोड़कर क्रोध व्यक्त करने लगी। वे पौलुस पर पथराव करने लगे, और उसे मार डालने कि कोशिश करते रहे। उनका हमला इतना दुष्परिणाम था कि ऐसा लगता था मानो उसे मार दिया गया हो। पौलुस भूमि पर लहूलुहान होकर और होकर पड़ा था। वे उसके शरीर को शहर से बाहर खींच कर ले गए और उसे वहां छोड़ दिया। बी के चेले पोल्स के पास गए और उसके शरीर के ओर खड़े हो गए। वे कितने दुखी और डरे हुए थे। परन्तु पौलुस मरा नहीं था! वह हिलने लगा। वह अपने भाइयों के साथ खड़ा हुआ और उनके साथ शहर में चला गया! वाह! यह कितना साहसिक है! पौलुस और बरनबास ने लुखा का शहर छोड़ने और अगले दिन दिरखे जाने का निर्णय किया ताकि वे परमेश्वर के वचन को सिखाना जारी रख सकें।