पाठ 46 साइप्रस में आत्मा का कार्य

शाऊल और बरनबास युहन्ना मरकुस को साथ लेकर, जो उनका सहायक के रूप में था, अपनी पहली मिशनरी यात्रा पर निकल गए। वे भूमध्य सागर के एक शहर सिलूकिया में एक नाव पर पहुंचे, और साइप्रस द्वीप चले गए। ताजा समुद्री हवा और पानी में नाव के हिचकोले खाने की कल्पना कीजिये ।

जब उनकी नाव सलमीस शहर पहुंची, तो वे आराधनालय में मसीह के सुसमाचार को सुनाने के लिए वहां गए जहां सभी यहूदी आराधना करने के लिए जमा थे। वे पहले आराधनालय में क्यों गए? खैर, आराधनालय में यहूदी पहले से ही पुराने नियम को जानते थे। वे चुने हुए लोग थे, और वे प्रतीक्षा कर रहे थे कि एक. मसीहा आएगा। पौलुस उन्हें मौका दे रहा था कि वे यीशु की ओर फिरें। जहाँ कहीं भी पौलुस जाता था यदि वहां कोई भी यहूदी आराधनालय था, वह वहां सबसे पहले जाता था।

आराधनालयों में यह एक प्रथा थी कि किसी भी पुरुष आगंतुकों को पवित्रशास्त्र के पढ़े जाने के बाद बोलने की अनुमति दी जाये। पौलुस एक प्रशिक्षित रब्बी था, इसलिए यह एक आराधनालय के अगुओं के लिए स्वाभाविक था कि वे उसे बुलाएँ और लोगों से कुछ कहने के लिए आमंत्रित करें। क्या यह दिलचस्प नहीं है कि किस प्रकार परमेश्वर ने पौलुस के लिए हर शहर में बहूदी समुदाय के दिल में प्रभु यीशु के बारे में सिखाने के लिए रास्ता बनाया?

सलमीस में आराधनालय में सुसमाचार सुनाने के बाद, तीनों पुरुष साइप्रस के पूरे द्वीप में यात्रा के लिए निकल गए। वे अंततः एक सौ मील दूर एक शहर, पाफुस पहुंचे। पाफुस द्वीप के दूसरी ओर था। यह चमकदार नीले पानी की ओर समुद्र के किनारे था। यह एक विशेष शहर था। इस द्वीप पर रोमी सरकार का मुख्यालय था । रोम ने सिरगियुम नामक एक विशेष प्रशासक को शासन करने के लिए सौंपा था। वह बहुत बुद्धिमान व्यक्ति था जिसके पास बहुत ज़िम्मेदारियाँ थीं।

प्रशासक के परिचरों में से एक झूठा भविष्यद्वक्ता और जादूगर था। उसका नाम बार यीशु था। क्या आपको याद है कि परमेश्वर उन लोगों के विषय में क्या सोचता था जो जादू-टोना और झूठी भविष्यवाणी करते थे? व्यवस्थाविवरण 18:12 में, परमेश्वर ने इस्राएल से कहा, "जितने भी ऐसे ऐसे काम करते हैं वे सब यहोवा के सम्मुख घृणित हैं.

प्रशासकों ने बरनबास और शाऊल के विषय में सुना और उन्हें आमन्त्रित किया ताकि वे आकर उसे परमेश्वर का वचन सुना सकें। बार- - यीशु को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया। न ही दुष्ट आत्माओं को जिनको वह पूजता था। वह शाऊल और वरनवास के शिक्षण के विरुद्ध बोलने का प्रयास कर रहा था। वह सिरगियुस पौलुस को विश्वास करने से रोक रहा था। किसी और को अपने उद्धारकर्ता को जानने से रोकने की कोशिश करना कितनी एक भयानक बात है।

शाऊल बार- यीशु के विपक्ष करने से क्रोधित था। उसने पवित्र आत्मा की शक्ति के द्वारा बार- यीशु का सामना किया। उसने उसकी ओर टकटकी लगाकर देखा और कहा, "सभी प्रकार के दलों और धूर्तताओं से भरे, और शैतान के बेटे, तू हर नेकी का शत्रु है। क्या तू प्रभु के सीधेसचे मार्ग को तोड़ना मरोड़ना नहीं छोड़ेगा ? अब देख प्रभु का हाथ तुझ पर आ पड़ा है। तू अंधा हो जायेगा और कुछ समय के लिये सूर्य तक को नहीं देख पायेगा।"

वाह, कितना एक साहसिक बयान था। तुरन्त एक धुंध और अँधेरा बार- यीशु पर छा गया और वह इधर उधर टटोलने लगा कि कोई उसका हाथ पकड़कर उसे चलाये क्यूंकि वह देख नहीं सकता था। जब प्रशासक ने देखा कि पवित्र आत्मा ने शाऊल के द्वारा कितनी सामर्थ के साथ कार्य किया है, तो उसने भी विश्वास किया। जो बातें पौलुस ने उसे परमेश्वर के विषय में सिखाई थीं, उन्हें सुनकर वह आश्चर्यचकित रह गया।

पौलुस, बरनवास और युहन्ना मरकुस पंफूलिया में पाफुस से पिर्गा तक पहुंचे। ये वे सभी स्थान हैं जहां यात्री अब जा सकते हैं। क्या लूका ने उनकी यात्रा का विवरण देकर एक उत्तम काम नहीं किया? इतिहास में ये सभी वास्तविक स्थान थे। यह सब वास्तव में हुआ था।

जब मिशनरी के यात्रा दल पिरगा पहुंचे तो मरकुस चाहता था कि वह यरूशलेम वापस जाये। उसने वहां पौलुस और बरनबास को छोड़ा। पौलुस इस बात से खुश नहीं था कि मरकुस ने टीम को छोड़ दिया है। यह महत्वपूर्ण था कि वे एक-दूसरे का समर्थन करें और दृढ़ रहें, और अब उनका सहायक चला गया था। पौलुस और बरनबास ने, पिरगा से पिसिदिया अन्ताकिया तक, एक सौ दस मील की दूरी तक, जो अधिकतर पहाड़ी था, यात्रा की। यह शहर कई सेवानिवृत्त सैन्य परिवारों का एक रोमी उपनिवेश था। वहां रहने वाले बहुत से यहूदी भी थे। मालूम नहीं हमारे हीरों को वहां पहुँच कर कैसा रोमांच मिलेगा!