पाठ 52 यरूशलेम की यात्रा
पौलुस और बरनबास अन्ताकिया लौट आए। ये वे परिवार थे जो पिछले दो वर्षों से अधिक समय से वहां बसे हुए थे। यह घर लौटने जैसा था। वे एक और वर्ष वहां रहे और वहां के अन्य विश्वासियों के साथ जीवन साझा किया। बाइबिल की शिक्षा द्वारा उनके हृदय उत्साहित हुए क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के विषय में जाना था । उन्होंने एक कलीसिया के रूप में एक साथ प्रभु भोज में भाग लिया और अपने आध्यात्मिक वरदानों से एक दूसरे के साथ सहभागिता रखी और प्रेम और सेवा में लगे रहे।
इन अच्छी बातों के बीच कुछ यहूदी ईसाई यरूशलेम से अन्ताक्रिया आए। वे एक विचार को लेकर बहुत उत्साहित थे, और वे चाहते थे कि हर कोई इसका अनुसरण करे। उन्होंने अन्ताकिया के शिष्यों से कहा कि यीशु में उद्धार पाने के लिए उन्हें खतना करना होगा।
क्या आपको अब्राहम याद है? वह सारे यहूदियों का पिता था, और परमेश्वर ने उसे बताया कि उसके सभी पुरुष वंश को वाचा के चिन्ह के रूप में खतना कराना होगा। आपको याद होगा कि खतना एक दर्दनाक, त्वरित अत्रोपचार था जो कि लड़के के निजी हिस्सों में किया जाता था। यह त्वचा का एक अनावश्यक छोटा टुकड़ा होता है जिसे काटा जाता था। आहा! यह एक त्वरित अस्रोपचार था, परन्तु यह एक अनमोल चिन्ह भी था। यह शारीरिक रूप से परमेश्वर के प्रति उनकी पूर्ण भक्ति दिखाने का एक तरीका था।
पुराने नियम में यह आदेश बहुत महत्वपूर्ण था। यह परमेश्वर के प्रति इतना महत्वपूर्ण चिन्ह था कि वह मूसा को मार ही डालने वाला था क्योंकि उसने अपने पुत्र का खतना नहीं किया था। यह एक महान आज्ञा का उल्लंघन था। अब ये लोग यरूशलेम से अन्ताकिया को आए ताकि यह सिखा सकें कि यहूदी और गैर-यहूदी विश्वासियों का खतना होना चाहिए। शुरुआती कलीसिया यह जानना चाहती थी कि क्या परमेश्वर पुराने नियम से इस नियम को नई वाचा के तहत में भी चाहता था। सही उत्तर जानना बहुत महत्वपूर्ण था।
यीशु ने अपने शिष्यों को आज्ञा दी कि वे सभी देशों में जाकर चेले बनायें। उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा दें। यीशु ने उन्हें आज्ञा दी कि वे, उसे स्मरण रखने के लिए प्रभु भोज में एक साथ भागी हों। ये वे बातें थीं जिन्हें परमेश्वर ने विश्वासियों को दीं ताकि वे उन्हें मानें और अपने पूरे हृदय से यीशु के प्रति अपनी विश्वस्योगिता और भक्ति को दिखाएँ। क्या परमेश्वर अभी भी चाहता है कि उन्हें खतना कराना चाहिए?
पौलुस प्रेरित ने कहा "बिलकुल नहीं!" उसने कहा कि खतना पुराने नियम का एक भाग था, जिसमें नियमों की एक लंबी सूची दी गई थी। यह एक अच्छी सूची थी क्योंकि इससे पता चलता है कि परमेश्वर किस प्रकार चाहता है कि उसके लोगों का जीवन हो। परन्तु मनुष्यों के लिए इन नियमों का पालन करना भी असंभव था। मनुष्य भीतर से पापी है, और किसी भी मनुष्य के लिए (यीशु को छोड़कर !) नियम का पालन करना असंभव है। यीशु इसलिए आया! एक विश्वासी के लिए आत्मा नई वाचा का चिन्ह था, खतना नहीं! वे क्यूँ पुराने कानून में वापस जाना चाहते हैं जबकि उन्होंने यीशु पर विश्वास करके सबकुछ पा लिया था! (गलतियों ) । पौलुस और बरनवास जानते थे कि शुरुआती विश्वासी कलीसिया के लिए इसे सही रीती से समझना बहुत महत्वपूर्ण था। मुक्ति और धार्मिकता केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा मिलती है! इसे पाने के लिए कोई कुछ भी नहीं कर सकता है। परमेश्वर का अनुग्रह पूर्ण और सम्पूर्ण और अद्भुत है। खतना कि अब कोई आवश्यक नहीं थी। पौलुस और बरनवास को अन्ताकिया की कलीसिया द्वारा चुना जाना और कुछ अन्य लोगों को अन्ताकिया से यरूशलेम जाकर वहां के प्राचीनों के साथ बात करना आवश्यक था। पौलुस स्वयं से निर्णय नहीं ले सकता था, चाहे वह कितना भी बुद्धिमान क्यूँ न था । परमेश्वर के विषय में कलीसिया को एकजुट होकर समझौता करने की आवश्यकता थी, और उन्हें भरोसा था कि पवित्र आत्मा उन्हें यह समझने में मदद करेगी कि परमेश्वर कलीसिया से क्या चाहता है कि वह किस पर विश्वास करें । वे पीनीके और सामरिया में होते हुए यरुशलेम पहुंचे। उन क्षेत्रों में से कई विश्वासी बन गए थे। उनमें से अधिकतर यहूदी ये प्रेरितों ने सभी कलीसियाओं को इसके विषय में बताया कि पवित्र आत्मा ने किस प्रकार अन्यजातियों के साथ-साथ यहूदियों को मुक्ति का द्वार । भाइयों को यह सुनकर खुली हुई। जब यह समूह यरूशलेम पहुंचा, तो उनके विश्वासी भाई उन्हें देख कर उत्साहित हुए। नेमकी महासभा नामक एक महान बैठक ने कलीसिया के अगुओं को खतना के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बुलाया । आत्मा प्रारंभिक कलीसिया का मार्गदर्शन किस प्रकार करेगी? क्या हमें दिखाया है बचाए जाने के लिए खतना करने की आवश्यकता है?