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पाठ 181 : #10 मूसा का चौथी आज्ञा की अतिरिक्त टिप्पणियाँ

जब परमेश्वर ने हर सप्ताह के सातवें दिन सब्त के दिन को मनाने की आज्ञा दी, उसने कहा की वह चाहता था की उसके लोग इसका सम्मान करके उसके प्रति अपनी वफ़ादारी को दिखाएँ।

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पाठ 197: यहोवा की यथार्थवादी आवश्यकताएं - सृष्टि द्वारा गवाही देना

परमेश्वर वास्तव में अपने लोगों के पूरे दिल और जान को चाहता था। वह उनकी पूरी भक्ति को चाहता था, और वह उनकी इच्छाओं और आशाओं को पूरी तरह से अपने ऊपर लेना चाहता था। और कमाल की बात यह है कि यह संभव हो सकता था। उनका अच्छा और पवित्र परमेश्वर उनसे कोई असंभव चीज़ की मांग नहीं करेगा।

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पाठ 198: मशाल को पार करना - मूसा से यहोशू को

यहोवा ने, जो इस्राएल का परमेश्वर है, मिस्र से उन सब लोगों को ग़ुलामी से बचाया जिनके साथ उसने सबसे पहले अपनी वाचा को बनाया था। अड़तीस साल बाद, मूसा ने मोआब के मैदानों पर इस्त्राएलियों की अगली पीढ़ी के साथ बात की। पूरा देश यरदन नदी के पास डेरा लगाया हुआ था। दूसरी तरफ वो देश था

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पाठ 199: पवित्र स्मरण का एक गीत

यहोवा ने मूसा से कहा,“'अब तुम्हारे मरने का समय निकट है। यहोशू को लो और मिलापवाले तम्बू में जाओ। मैं यहोशू को बताऊँगा कि वह क्या करे।'”

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पाठ 200: मूसा देश में प्रवेश नहीं करेगा

जिस दिन परमेश्वर ने मूसा को भविष्य के बारे में इस्राएल के लोगों के लिए गीत को दिया, उसने भविष्य के बारे में मूसा को निर्देश दिए। मूसा अबारीम पर्वत से नबो पर्वत पर गया। वहाँ से, वह कनान देश को और उसकी महिमा को देख पाएगा। मोआब में उस पर्वत से, मूसा पश्चिम की ओर यरदन घाटी में देख पाएगा।

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पाठ 201: मूसा जनजातियों को आशीर्वाद देता है

मूसा नबो पर्वत कि ओर यात्रा पर जा रहा था। वह वहां से वादे के देश को देखेगा जहां वह कभी नहीं जाने वाला था, और उसके बाद वह अपने उस परमेश्वर के पास चला जाएगा जिसकी उसने इतने लंबे समय से ईमानदारी से सेवा कि थी।

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पाठ 202: मूसा का अपने प्रभु के पास जाना

मूसा ने इस्राएल के बारह जनजातियों को अपना अंतिम आशीर्वाद दिया। जल्द ही, वे वादे के देश में जाएंगे जहां यहोशू कनानी के विरुद्ध युद्ध करने के लिए उनका नेतृत्व करेगा। लेकिन मूसा उनके साथ नहीं होगा। अपने परमेश्वर के प्रति उसकी आज्ञाकारिता में, वह नबो पर्वत की ओर मुड़ा, वो स्थान जो यहोवा इस्राएल के देश को देने जा रहा था।

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