पाठ 201: मूसा जनजातियों को आशीर्वाद देता है

मूसा नबो पर्वत कि ओर यात्रा पर जा रहा था। वह वहां से वादे के देश को देखेगा जहां वह कभी नहीं जाने वाला था, और उसके बाद वह अपने उस परमेश्वर के पास चला जाएगा जिसकी उसने इतने लंबे समय से ईमानदारी से सेवा कि थी। लेकिन जाने से पहले, उसने इस्राएल के पराक्रमी जनजातियों में से प्रत्येक को आशीर्वाद दिया। यह एक तरह से सुंदर बात है। जब याकूब, जिसका दूसरा नाम इस्राएल था, मौत के करीब था, उसने अपने बारह बेटों को बुलाया और प्रत्येक को एक वरदान दिया। उत्पत्ति की पुस्तक इसके साथ अंत हुई, और वे मिस्र देश में ही रहे। अब वे बारह पुत्र दो लाख से अधिक लोगों के साथ बारह जनजातियों में हो गए थे, और मूसा प्रत्येक को आशीर्वाद देगा। 

इन आशीर्वाद का अर्थ बहुत महत्वपूर्ण है। वे परमेश्वर के शक्तिशाली पुरुषों द्वारा किये गए थे। आशीर्वाद सिर्फ इच्छाधारी सोच नहीं थे। उनमें परमेश्वर कि शक्ति और सामर्थ थी, और इन वचनों द्वारा भविष्य का गठन होता था। मूसा वास्तव में जनजातियों को उम्मीद की आशा दिला रहा है। परमेश्वर कि आत्मा के द्वारा वह समय से पहले आने वाली बातों के लिए तैयारी कर रहा था! मूसा जब पूरे राष्ट्र के सामने खड़ा हुआ था, उसने एक सुंदर कविता सुनाई। उसने यहोवा और उसके लोगों के बीच कि उस शानदार मुठभेड़ को याद करते हुए परमेश्वर के लिए एक प्रशंसा के साथ शुरू किया। यह परमेश्वर को सीनै पर्वत पर अपनी शक्ति और महिमा में राज करने वाले उस इस्राएल का राजा को दर्शाता है: 

"'यहोवा सीनै से आया,

यहोवा सेईर पर प्रातःकालीन प्रकाश सा था।
वह पारान पर्वत से ज्योतित प्रकाश—सम था।
यहोवा दस सहस्त्र पवित्र लोगों के साथ आया।
उसकी दांयी ओर बलिष्ठ सैनिक थे।
हाँ, यहोवा प्रेम करता है लोगों से
सभी पवित्र जन उसके हाथों में हैं और चलते हैं
वह उसके पदचिन्हों पर हर एक व्यक्ति स्वीकारता उपदेश उसका!
मूसा ने दिये नियम हमें वे जो हैं

याकूब के सभी लोगों के।"

व्यवस्था 33: 2-4

ये कुछ आशीषें हैं जो मूसा ने यहोवा के पवित्र लोग, इस्राएल के जनजातियों को सुनाईं:

रूबेन से उसने कहा:

"'रूबेन जीवित रहे, न मरे वह।
उसके परिवार समूह में जन अनेक हों!”।' '

व्यवस्था 33: 6

यहूदा से उसने घोषणा की:

'"'यहोवा, सुने यहूदा के प्रमुख कि जब वह मांगे सहायता लाए उसेअपने जनों में शक्तिशाली बनाए उसे,

करे सहायता उसकी शत्रु को हराने मे!”! ''

व्यवस्था 33: 7

मूसा ने लेवी, जो याजकों की जनजाति थी, उनसे कहा:

"'... उसने अपने पिता और माँ के बारे में कहा

"मैं न करता उनकी परवाह,

स्वीकार न किया उसने अपने भाई को,

या जाना ही अपने बच्चों को;

लेवीवंशियों ने पाला आदेश तेरा,

और निभायी वाचा तुझसे जो।

वे सिखायेंगे याकूब को नियम तेरे।

और इस्राएल को व्यवस्था जो तेरे।

वे रखेंगे सुगन्धि सम्मुख तेरे सारी होमबलि वेदी के ऊपर,यहोवा, लेवीवंशियों का जो कुछ हो,

आशीर्वाद दे उसे,

जो कुछ करे वह स्वीकार करे उसको।

नष्ट करे उसको जो आक्रमण करे उन पर।''

व्यवस्था 33: 9-11a

मूसा ने बिन्यामीन को यह आशीर्वाद ​​दिया:

"'यहोवा का प्यारा उसके साथ

सुरक्षित होगा।
यहोवा अपने प्रिय की रक्षा करता सारे दिन,
और बिन्यामीन की भूमि पर यहोवा रहता।”

व्यवस्था 33:12

यूसुफ कि जनजाति के लिए, मूसा ने कहा:

"'यहोवा दे आशीर्वाद उसके देश को स्वर्ग की

उत्तम वस्तुऐं जहाँ हों;
वह सम्पत्ति वहाँ हो जो धरती कर रही प्रतीक्षा।
सूरज का दिया उत्तम फल उसका हो
महीनों की उत्तम फ़सने उसकी हों।
प्राचीन पर्वतों की उतलेंम उपज उसकी हो—
शाश्वत पहाड़ियों की उत्तम चीज़ें भी।
आशीर्वाद सहित धरती की उत्तम भेंटें उसकी हों।
जलती झाड़ी का यहोवा उसका पक्षधर हो
यूसुफ के सिर पर वरदानों की वर्षा हो
यूसुफ के सिर के ऊपर भी जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण उसके भ्राताओं में।
यूसुफ के झुण्ड का प्रथम साँड गौरव पाएगा। ''

मूसा प्रत्येक जनजाति को आशीर्वाद देता चला गया। जबूलून, गाद, दान, नप्ताली और आशेर को सशक्त बनाने और नए राष्ट्र बनने की चुनौतियों के लिए प्रत्येक को यह शब्द दिए।

आशीर्वाद कि सुंदर कविता उन शब्दों के साथ अंत होती है जो हमने बाइबल में मूसा से उसके लोगों से दर्ज की थीं। वे उम्मीद के सामर्थी वचन हैं जो उन्हें अनंतकाल के परमेश्वर के महान प्रेम को स्मरण दिलाती हैं: 

“'यशूरुन, परमेश्वर सम नहीं

दूसरा कोई परमेश्वर अपने गौरव मे चलता है चढ़ बादल पर,
आसमान से होकर आता करने मदद तुम्हें।
शाश्वत परमेश्वर तुम्हारी शरण सुरक्षित है।
और तुम्हारे नीचे शाश्वत भुजाऐं हैं
परमेश्वर जो बल से दूर हटाता शत्रु तुम्हारे,
कहता है वह ‘नष्ट करो शत्रु को!’
ऐसे इस्राएल रक्षित रहता है जो केवल
याकूब का जलस्रोत धरती में सुरिक्षत है।
अन्न और दाखमधु की सुभूमि में हाँ
उसका स्वर्ग वहाँ हिम—बिन्दु भेजता।
इस्राएलियो, तुम आशीषित हो यहोवा रक्षित राष्ट्र तुम,
न कोई तुम सम अन्य राष्ट्र।
यहोवा है तलवार विजय
तुम्हारी करने वाली।
तेरे शत्रु सभी तुझसे डरेगें,

और तुम रौंद दोगे उनके झूठे देवों की जगहों को।”''

व्यवस्था 33: 26-29