फसह के पर्व के लिए यीशु और उसके चेले बैतनिय्याह से येरूशलेम को गए। लाज़र को लेकर भीड़ इतनी उत्साहित थी कि वह उनके पीछे हर जगह चलती रही। यीशु और उसके चेले जब यरूशलेम के पास जैतून पर्वत के निकट बैतफगे पहुँचे तो यीशु ने अपने दो शिष्यों को यह आदेश देकर आगे भेजा।
Read Moreयीशु ने यरूशलेम में स्तुति और प्रशंसा करते हुए प्रवेश किया। जब वह बछड़े के ऊपर बैठ कर आ रहा था लोग उसके साथ नाचते थे, और जकर्याह की भविष्यवाणी को पूरा कर रहे थे। उस दिन कि कहानियों का उस रात येरूशलेम में बहुत चर्चा हुई।
Read Moreयह सप्ताह का दूसरा दिन था। मंदिर में तबाही मचाने के एक पहले कि यीशु का उमंग भरी प्रवेश, पर्व के माहौल में अभी भी गूँज रहा था। यीशु अविश्वासियों के अहास में प्रचार कर रहा था, और पैसे परिवर्त्तकों को बाहर रखते हुए, पिता के पवित्र मंदिर को शुद्ध रखने का प्रयास कर रहा था।
Read Moreयीशु का येरूशलेम फसह के पर्व में आना हवा के समान था, जिसने सब कुछ उल्टा पुल्टा कर दिया था। उसने दिखावे कि झूठी आराधना को उनके भ्रष्टाचार के द्वेष को हिला कर रख दिया था। लोगों के पक्ष को बुलाया गया। क्या वे मनुष्य के रास्ते को चुनेंगे या परमेश्वर के रास्ते को? क्या वे सच्चे इतिहास कि ओर होंगे? क्या वे परमेश्वर के साथ वफादार रहेंगे?
Read Moreसुबह हो गयी थी, यीशु अपने चेलों के साथ बैतनिय्याह को जैतून के पहाड़ पर येरूशलेम के उस पार चला गया। यीशु उन्हें स्वर्गीय पिता के विषय में सिखा रहा था। चेले परमेश्वर के बेटे पर विश्वास करते थे, और इसीलिए उनके परमेश्वर ने इच्छापूर्वक उनकी प्रार्थना को सुना।
Read Moreपरमेश्वर के पुत्र का इस्राएल के अगुवों के विरुद्ध परमेश्वर का अभियोग धार्मिक बहुत क्रोधित थे। और वे डर गए थे। किसी को भी, यहाँ तक के सबसे बुद्धिमान इंसान भी यीशु के विरुद्ध में खड़े होने कि हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
Read Moreयीशु मंदिर के आंगन में खड़ा था, वह पहले से ही इस्राएल के अगुवों के विरुद्ध अपनी अभियोग बातें करने लगा था। यहाँ परमेश्वर का पुत्र था, जो पवित्र देश के अगुवों के विरुद्ध फटकार रहा था। उन्होंने किस तरह लोगों को अपने प्रभाव से दुष्प्रयोग!
Read Moreयीशु परमेश्वर के पवित्र मंदिर पर खड़े होकर फरीसियों और धार्मिक अगुवों को क्रोध के साथ ऐलान कर रहा था। अब साँतवे और अंतिम अभिशाप का समय आ गया था।
Read Moreउसके पास काफी नहीं था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उसने कुछ ऐसा सबक सीखा जिससे उसे साधारण परन्तु शानदार स्वतंत्रता मिली। उसके जीवन में काफी कड़ा समय आया। चाहे वह अपने पति से बहुत प्रेम करती थी, परमेश्वर ने उसे बहुत जल्द उठा लिया था और वह लम्बे समय से एक विधवा का जीवन व्यतीत कर रही थी।
Read Moreयीशु अपने क़ीमती राष्ट्र को पिता के प्यार को दिखाने उत्सुक था! लेकिन वे इसे स्वीकार नहीं कर रहे थे।मन्दिर को छोड़ कर यीशु जब वहाँ से होकर जा रहा था तो उसके शिष्य उसे मन्दिर के भवन दिखाने उसके पास आये। इस पर यीशु ने उनसे कहा, “'तुम इन भवनों को सीधे खड़े देख रहे हो? मैं तुम्हें सच बताता हूँ, यहाँ एक पत्थर पर दूसरा पत्थर टिका नहीं रहेगा। एक एक पत्थर गिरा दिया जायेगा।'”
Read Moreप्रभु यीशु ने चेलों को अगले जन्म के जीवन के विषय में वर्णन दिया। राज्यों में युद्ध होंगे। अकाल होगा जहां लोगों और जानवरों को खाने को नहीं होगा। झूठे भविष्यद्वक्ता खड़े होंगे जो कहेंगे कि वे ही यीशु हैं।
Read Moreयीशु ने अपने शिष्यों को वह उपदेश दिया जो पूरा इस्राएल सुनना चाहता था। जब वे जैतून के पहाड़ पर बैठे थे, उसने पूरे मनुष्य के इतिहास के लिए अपनी योजना को दिखाया। पापी संसार में समय बहुत कठिन होने जा रहा था, और महान क्लेश के समय तक बहुत कष्ट बढ़ने वाला था।
Read Moreजब यीशु जैतून के पहाड़ पर अपने चेलों को सिखा रहे थे, तो उन्होंने उन्हें पृथ्वी के भविष्य और यहां रहने वाले सभी मनुष्यों के बारे में शानदार और भयावह अंतर्दृष्टि दी। उन्होंने उन्हें बहुत कुछ सिखाया कि वो किस प्रकार सब बातों का अंत लाएंगे।
Read Moreजो दूसरी कहानी यीशु बताने जा रहे थे, वो भी भविष्य के बारे में थी। प्रभु पृथ्वी के लोगों का न्याय करने आ रहे है। जिस प्रकार यह लोग अपने जीवन को जीने का चुनाव करेंगे, उससे ही वो जानेंगे कि सही मायने में कौन उनके अपने थे।
Read Moreमहासभा रोष से खदबदा रही थी। तीन साल के लिए उन्होंने इस युवा ढोंगी, यीशु नाम की अभिमानी निन्दा सही थी। कैसे उसने जानबूझकर खुद परमेश्वर के चुने हुए देश पर शासन करने के ठहराए नेतृत्व की खिल्ली उड़ाई, और अपने आकर्षण और शैतानी चमत्कार के साथ लोगों को चालाकी से अपने वश में किया।
Read Moreगुरुवार आया। यह अखमीरी रोटी का दिन था। मिस्र में उस दिन की याद में शासकीय फसह के मेमने को बलिदान किया जाएगा।बेदाग भेड़ के बच्चे के रक्त को हर एक इस्राएली घर के चौखट पर लगाना था। इससे उनका पहलौठा पुत्र बच गया और स्वतंत्रता के द्वार को खोल दिया गया। वह पहला बलिदान और उद्धार केवल एक रूप था और यीशु अपने ही लहू से खरीदने वाला था।
Read Moreयीशु और उसके चेले फसह का भोज कर रहे थे। यीशु जानता था कि यह उसका अपने चेलों के साथ अंतिम भिज होगा। उन्होंने उसके साथ भीड़ में रहकर परिश्रम किया और अपने घरों को छोड़ कर पूरी भक्ति के साथ उसकी सेवा में लगे रहे। और फिर यीशु जानता था उनमें से एक है जो उसके साथ विश्वासघात करेगा और आगे भी करेगा।
Read Moreफसह का भोज यहूदी लोगों के लिए एक उच्च और पवित्र समय था। यह यहूदी लोगों के लिए मुक्ति के महान दिन की स्मृति में मनाया जाता है। यीशु के संसार में आने के पंद्रह सौ साल पहले, परमेश्वर ने मिस्र के फिरौन की भयानक अत्याचार से अपने लोगों को मुक्त किया और इस्राएल को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाया।
Read Moreएक बार यीशु ने अपने चेलों के साथ प्रभु-भोज, वह उनके साथ आने वाले दिनों कि भेद कि बातों को बताने लगा। उसे उन्हें अपनी ही मृत्यु में तैयार करना था। जो वह अब कहने जा रहा था वह उसके चेलों लिए अलविदा था।
Read Moreयीशु जब ऊपरी कक्ष में अपने चेलों के साथ बैठे थे, वह क्रूस पर जाने से पहले उन्हें अपना अंतिम सन्देश दे। बार बार वह उन्हें यीशु और पिता के बीच उस बंधन के विषय में सिखाता था जो पवित्रके द्वारा होता है। यह जानना इतना महत्वपूर्ण था की वह उन्हें बार बार समझाता था।
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