हम जब आदम और नूह के बीच के समय को देखते हैं, तब से मनुष्य कि दस पीढ़ियां इस पृथ्वी पर बढ़ीं। वे इतने कठोर और दुष्ट हो गए थे की परमेश्वर को उनके प्रदूषित पाप से पृथ्वी को धोना पड़ा। नूह के बेटों के माध्यम से परमेश्वर ने फिर से सब मानव जाति कि शुरुआत की।
Read Moreअब्राम के जीवन कि हालत खस्ता थी। वह पचहत्तर वर्ष का था जब उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। वह कनान से दूर हारान देश में रहता था जहाँ उसके पिता ने जाने कि आशा रखी थी।
Read Moreपरमेश्वर के वादे के अनुसार अब्राम विश्वास के साथ निकल पड़ा। लेकिन वह अपनी यात्रा में अकेला नहीं था, और केवल वही नहीं था जो अकेला परमेश्वर पर भरोसा कर रहा था। उसकी पत्नी सरै ने भी बड़ी वफ़ादारी के साथ ऐसी दुनिया में कदम रखा जो उसके शहर से बिलकुल भिन्न था।
Read Moreपरिवार दक्खिन के देश मिस्र से होकर नेगेव कि ओर गया। वे बेतेल के पास के क्षेत्र में लौट आए। इस जगह पर अब्राम ने परमेश्वर के लिए दूसरी वेदी बनाई। वो पल अब्राम के लिए एक उच्च और पवित्र क्षण था, यह महान स्मरण की एक जगह थी।
Read Moreफिरौन द्वारा दिए गए धन और संपत्ति को लेकर अब्राम मिस्र से लौट आया। लूत की भेड़ बकरियां बड़ी हो गईं थीं इसीलिए दोनों गुट अब एक दूसरे के पास नहीं रह सकते थे। सभी जानवरों को खाने के लिए पर्याप्त नहीं था!
Read Moreरात के अँधेरे में, इब्राहीम और उसके साथी चार राजाओं के पीछे चले गए। अंधेरे की आड़ में उसने दो समूहों में अपने सैनिकों को विभाजित किया और दो दिशाओं में अपने दुश्मनों पर हमला किया।
Read Moreवाह। जिस समय हमने उसकी कहानी की शुरुआत की थी, उस समय से अब तक इबराम के जीवन में आए उस अंतर की कल्पना कीजिये I
Read Moreपरमेश्वर ने जब अब्राम को अपने घर को छोड़ कर वादे के देश में जाने को कहा, उसने उसके साथ कुछ शर्तें भी दीं। यदि अब्राम आज्ञा मानता है, तो परमेश्वर उसे अशिक्षित करेंगे। अब्राम ने आज्ञा का पालन किया। वह अपनी बाँझ पति को लेकर एक अज्ञात जगह को निकल पड़ा।
Read Moreअब्राम के दिनों में, वाचाएं मानव समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। वे संधियों या दो समूहों के बीच शांति रखने का समझौता थे। एक और परिवार, कबीले, या राष्ट्र के खिलाफ एक संघर्ष रक्तपात और युद्ध को ला सकता था, उस समय ये वाचाएं उच्च और महत्वपूर्ण थे।
Read Moreअब्राम और सारा के दस साल अपने देश में रहने के बाद, उनके अभी भी कोई संतान नहीं थी। सबकी आँखों में सरै की दरिद्रता एक महान कमज़ोरी और असफलता के रूप में देखा जाता था। उसने अब्राम को एक परिवार मिलने से वंचित कर रखा था।
Read Moreइश्माएल के पैदा होने के बाद तेरह साल बीत गए हैं। इतने सालों में उनके जीवन में बहुत कुछ हुआ होगा। फिर भी अब्राम और सरै बेऔलाद थे, और सरै को उसकी दासी को अपने बच्चे के साथ देख, वह उस पीड़ा के साथ जी रही थी। इस कहानी के समय तक, अब्राम निन्यानबे वर्ष का हो गया था। परमेश्वर फिर से उसके सामने प्रकट हुए।
Read Moreएक दिन, दिन के सबसे गर्म पहर में इब्राहीम अपने तम्बू के दरवाज़े पर बैठा था। यह दिन का सबसे गर्म समय था। इब्राहीम और सारा मम्रे में रहते थे जहां उन्होंने रहने के लिए चुना था। वे उन अनैतिकता और बदनामी के शहरों से दूर थे जिन्हें लूत ने चुना था।
Read Moreइब्राहीम से तीन आगंतुक मिलने के लिए आये। उसने उनकी दावत कि और अपने घर पर उनकी उपस्थिति का सम्मान किया। ये अतिथि एक सम्मान के योग्य थे। क्यूंकि आप देखिये, वे वास्तव में दो स्वर्गदूत और स्वयं प्रभु था!
Read Moreजब दो स्वर्गदूत अपने प्रभु और अब्राहम को छोड़ के चले गए, वे सीधे सदोम को गए। वे शाम को वहां पहुंचे। साँझ होने लगी थी। लूत शहर के प्रवेशद्वार पर बाहर बैठा हुआ था। लूत उठा और स्वर्गदूतों के पास गया तथा ज़मीन तक सामने झुका।
Read Moreसदोम और अमोरा के न्याय पर परमेश्वर का सामर्थी हाथ पड़ने के बाद, इब्राहिम नेगेव को चला गया। जब तक वह वहां था उसने लोगों को बताया था की सारा उसकी बहन थी। एक बार फिर, वह भयभीत हुआ की उसकी पत्नी कि खूबसूरती देखकर वहां के लोग उसके साथ बुरा व्यवहार करेंगे।
Read Moreइब्राहीम और सारा ने एक बेटे के जन्म के लिए पच्चीस वर्षों तक प्रतीक्षा की। उन सभी पहले के वर्षों में, इब्राहीम ने माना की उसने परमेश्वर के द्वारा एक संदेश सुना है। यह सिर्फ कोई भी ईश्वर नहीं था, यह पूरी सृष्टि का परमेश्वर था।
Read Moreइब्राहीम और सारा के ख़ुशी के कई साल बीत चुके थे। इसहाक घुटने के बल चलने लगा था। जब वह दो या तीन साल का हुआ, तब उसके मां का दूध छुड़ा दिया। इब्राहीम ने एक महान दावत करके जश्न मनाया।
Read Moreजैसे जैसे सारा और इब्राहिम का बेटा, जो उनके लिए बहतु खुशियां लाया था, बड़ा होता गया और समय बीतता गया। जंगल कि सामान्य निराशाएं और जीवन के तनाव आये और गए। इब्राहीम एक विश्वास का जीवन जीता रहा जो सब देख सकते थे।
Read Moreइब्राहीम और उसकी पूरी जनजाति परमेश्वर के वादों पर भरोसा करते हुए पूरी भूमि पर खानाबदोश के रूप में फिरते रहे। जब वे हेब्रोन में रह रहे थे, जो कनान का एक हिस्सा है, उसकी प्रिय पत्नी की मृत्यु हो गई। वह एक सौ सत्ताईस साल कि थी।
Read Moreइब्राहीम वृद्ध हो रहा था, और उसकी प्यारी पत्नी अब नहीं रही। फिर भी उसे हर तरह से परमेश्वर ने आशीषें दीं थीं। वह अपने पुत्र इसहाक के विषय में और उसके भविष्य के बारे में भी सोच रहा था।
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