पाठ 32 : परमेश्वर का चुना हुआ बेटा
इश्माएल के पैदा होने के बाद तेरह साल बीत गए हैं। इतने सालों में उनके जीवन में बहुत कुछ हुआ होगा। फिर भी अब्राम और सरै बेऔलाद थे, और सरै को उसकी दासी को अपने बच्चे के साथ देख, वह उस पीड़ा के साथ जी रही थी। इस कहानी के समय तक, अब्राम निन्यानबे वर्ष का हो गया था। परमेश्वर फिर से उसके सामने प्रकट हुए। उन्होंने कहा;
"'मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ। मेरे लिए ये काम करो। मेरी आज्ञा मानो और सही रास्ते पर चलो। अगर तुम यह करो तो मैं अपने और तुम्हारे बीच एक वाचा तैयार करूँगा। मैं तुम्हारे लोगों को एक महान राष्ट्र बनाने का वचन दूँगा।'”
अब्राम ने अपना मुँह ज़मीन की ओर झुकाया। तब परमेश्वर ने उससे बात—चीत की और कहा,
“हमारी वाचा का यह भाग मेरा है। मैं तुम्हें कई राष्ट्रों का पिता बनाऊँगा। मैं तुम्हारे नाम को बदल दूँगा। तुम्हारा नाम अब्राम नहीं रहेगा। तुम्हारा नाम इब्राहीम होगा। मैं तुम्हें यह नाम इसलिए दे रहा हूँ कि तुम बहुत से राष्ट्रों के पिता बनोगे। मैं तुमको बहुत वंशज दूँगा। तुमसे नए राष्ट्र उत्पन्न होंगे। तुमसे नए राजा उत्पन्न होंगे और मैं अपने और तुम्हारे बीच एक वाचा करूँगा। यह वाचा तुम्हारे सभी वंशजों के लिए होगी। मैं तुम्हारा और तुम्हारे सभी वंशजों का परमेश्वर रहूँगा। यह वाचा सदा के लिए बनी रहेगी और मैं यह प्रदेश तुमको और तुम्हारे सभी वंशजों को दूँगा। मैं वह प्रदेश तुम्हें दूँगा जिससे होकर तुम यात्रा कर रहे हो। मैं तुम्हें कनान प्रदेश दूँगा। मैं तुम्हें यह प्रदेश सदा के लिए दूँगा और मैं तुम्हारा परमेश्वर रहूँगा।'” उत्पत्ति 17: 4-8
अब्राम को एक नया नाम दिया गया था। यह चिन्ह था यह दर्शाने को किजो वादा परमेश्वर ने अपने दास को दिया था वह बढ़ रहा था। परमेश्वर इसका विवरण दे रहे थे और अब्राम को दिखा रहे थे किसच में उनके वादे कितने महान और अदबुध थे। ये वाचा सभी देशों और राजाओं को लाएगा, जो अनंतकाल के लिए होगा।
तब परमेश्वर ने इब्राहीम को एक चिन्ह दिया जो वाचा का प्रतीक होगा। इब्राहीम और उसके वंशज को खतना कराना होगा। खतना एक त्वरित लेकिन दर्दनाक ऑपरेशन है। अतिरिक्त त्वचा का एक छोटा सा टुकड़ा एक पुरुष के निजी भागों में से काटा जाता है। इब्राहीम के परिवार या उसके दास के परिवार में हर पुरुष को यह ऑपरेशन कराना होता है जो यह संकेत करता है की वे परमेश्वर के हैं। वे उसके वाचा का हिस्सा थे। अधिकांश लोग तब करते थे जब वे आठ दिन के थे। उन्हें पता भी नहीं चल पाता होगा कि उनके साथ क्या हो रहा है।
यह उनके शरीर में चिह्नित था और एक उच्च सम्मान की बात थी और उन्हें इसे हमेशा स्मरण रखना था! इब्राहीम के प्रत्येक वंशज को इब्राहीम के स्वरुप उसी विश्वास में चलके परमेश्वर के पीछे चलने का निर्णय लेना था। जो कोई बिना खतना किये वाचा के चिन्ह का पालन नहीं करता था उसे उसके लोगों के बीच से बाहर निकाल दिया जाता था। यह स्वयं वाचा का तोड़ना था।
तब परमेश्वर ने इब्राहिम से कहा किवे सरै का नाम बदल रहे हैं। अब यह सारा होगा। परमेश्वर ने उसे आशीर्वाद देने का वादा किया, और वह एक बेटा जन्मेगी। यह बेटा बारह जनजातियों, या गुटों का प्रमुख बन जाएगा, और उनके द्वारा पूरे राष्ट्र आएंगे। आने वाले परमेश्वर के राष्ट्र की माँ के रूप में उसकी भूमिका उच्च और सम्मानित थी। परमेश्वर ने उसे अपने पति के साथ विश्वास के हर परिक्षण से गुज़रते देखा था। वह अपनी बंजर स्थिति को सहती रही और परमेश्वर के वादों की प्रतीक्षा की। वह भी वफ़ादार बनी रही।
इब्राहीम ने जब यह सुना, वह ज़मीन पर गिरकर हंसने लगा। सारा नब्बे साल की थी! इब्राहीम लगभग एक सौ साल का था! यह कैसे हो सकता है? प्रसव के लिए उनके शरीर मृत के जैसे हो गये थे! यह असंभव था। तो इब्राहीम ने इश्माएल के बारे में परमेश्वर को याद दिलाया। शायद परमेश्वर को उसे उपयोग करना चाहिए।
अब्राहम अभी तक यह पूरी तरह से समझ नहीं पाया था किपरमेश्वर कुछ नहीं से कुछ भी करने में सक्षम है। अब्राहम अपनी सोच को उतना सीमित कर रहा था जितना की केवल एक मानव ही कर सकता है। परमेश्वर की ऐसी कोई सीमाएं नहीं होती हैं। यदि परमेश्वर शून्य से सितारों और पृथ्वी को बना सकता है, तो निश्चित रूप से वह कुछ नहीं से एक राष्ट्र को उठा सकता है! निश्चित रूप से वह एक वृद्ध युगल के शरीर से, एक बच्चे को उत्पन्न कर सकता है! परमेश्वर बुढ़ापे की मृत्यु से जीवन को वापस लाने में सक्षम था।
यह असंभव लग रहा था जो परमेश्वर की योजना का हिस्सा था। हर कोई जान जाएगा कि यह एक चमत्कार था। यह स्पष्ट रूप से केवल परमेश्वर ही कर सकता था। जब परमेश्वर ने इस बच्चे के द्वारा एक महान राष्ट्र की शुरुआत की, तब पूरा क्षेत्र बातें करता होगा की ऐसा कैसे हुआ। उन्हें परमेश्वर को महिमा देनी होगी!
परमेश्वर जानते थे कि इब्राहिम के संतान होना अब असंभव है और कहा, "'फिर भी.'" तब उसने अब्राहम को बताया की उसे और सारा को बेटा अगले ही वर्ष होगा। इब्राहीम ने अपने परमेश्वर की अनूठी योजनाओं को स्वीकार कर लिया और तुरंत आज्ञाकारिता में बाहर कदम रखा। उसी दिन उसने स्वयं का और अपने घर के सभी सेवकों का खतना कराया।
परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।
परमेश्वर ने सुनिश्चित किया कि इब्राहीम की कहानी उसके शास्त्र में लिखी जाये। परमेश्वर चाहते थे की आने वाले सालों में उसके बच्चे इब्राहिम से सीखें। परमेश्वर ने इब्राहीम के वंशज को बताया की, इब्राहिम का विश्वास इस्राएल के लिए, जो इब्राहिम के वंशज हैं, एक आदर्श है। वह हमारे लिए एक उदाहरण है।
मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।
यीशु ने कहा कि अब्राहम उन सब के लिए एक आध्यात्मिक पिता था, जो उस पर विश्वास करते थे। आपके लिए इसका क्या अर्थ है की इब्राहीम आपका पिता है?
जिस प्रकार अब्राहम के साथ था, उसी प्रकार परमेश्वर अपने समय और तरीके से हमारे जीवन में भी काम करता है। हमारी भूमिका उसके साथ हमारे प्रेम के रिश्ते में यह है कि हम उस पर भरोसा करें और यह विश्वास करें की जो उसने वादा किया है उसे पूरा करने में वह सक्षम है।
जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।
यहाँ कुछ वादे हैं जो आप और मैं इब्राहीम के साथ और यशायाह किकिताब से इस्राएल के राष्ट्र के साथ बाटेंगे। आप दो या तीन बातों को बता सकते हैं यह दर्शाने को कि परमेश्वर किस प्रकार अपना कार्य करता है।
"तुममें से कुछ लोग उत्तम जीवन जीने का कठिन प्रयत्न करते हो। तुम सहायता पाने को यहोवा के निकट जाते हो। मेरी सुनो। तुम्हें अपने पिता इब्राहीम की ओर देखना चाहिये। इब्राहीम ही वह पत्थर की खदान है जिससे तुम्हें काटा गया है। इब्राहीम तुम्हारा पिता है और तुम्हें उसी की ओर देखना चाहिये। तुम्हें सारा की ओर निहारना चाहिये क्योंकि सारा ही वह स्त्री है जिसने तुम्हें जन्म दिया है। इब्राहीम को जब मैंने बुलाया था, वह अकेला था। तब मैंने उसे वरदान दिया था और उसने एक बड़े परिवार की शुरूआत की थी। उससे अनगिनत लोगों ने जन्म लिया।सिय्योन पर्वत को यहोवा वैसे ही आशीर्वाद देगा। यहोवा को यरूशलेम और उसके खंडहरों के लिये खेद होगा और वह उस नगर के लिये कोई बहुत बड़ा काम करेगा। यहोवा रेगिस्तान को बदल देगा। वह रेगिस्तान अदन के उपवन के जैसे एक उपवन में बदल जायेगा। वह उजाड़ स्थान यहोवा के बगीचे के जैसा हो जाएगा। लोग अत्याधिक प्रसन्न होंगे। लोग वहाँ अपना आनन्द प्रकट करेंगे। वे लोग धन्यवाद और विजय के गीत गायेंगे। यशायाह 51: 1