पाठ 41 : रिबका की प्रेम कहानी
इब्राहीम वृद्ध हो रहा था, और उसकी प्यारी पत्नी अब नहीं रही। फिर भी उसे हर तरह से परमेश्वर ने आशीषें दीं थीं। वह अपने पुत्र इसहाक के विषय में और उसके भविष्य के बारे में भी सोच रहा था। इतने सालों में परमेश्वर की ओर से जो विशाल धन इब्राहिम को प्राप्त हुआ था, वह सब इसाक को मिल जाएगा। उसे अपने पिता की शक्ति और प्रतिष्ठा वारिस के रूप में मिल जाएगी। सबसे महत्वपूर्ण बात है, उसे परमेश्वर के वादे विरासत में मिले थे। इसहाक पर जिस तरह ये उच्च विशेषाधिकार और जिम्मेदारियां आ रही थीं, उसे एक पत्नी की जरूरत थी। परमेश्वर किसे चुनेगा जो उसके वादों को निभाए?
ज़रा सोचिये कि इसहाक के लिए एक अच्छी पत्नी का मिलना कितना महत्वपूर्ण था। वह इब्राहीम के वंशज की माँ होगी, वो राष्ट्र जिसे परमेश्वर ने वादा किया था! इब्राहीम के पास सैकड़ों नौकर थे, लेकिन इस काम के लिए, वह उसके पास गया जिसके ज्ञान और निर्णय पर उसे भरोसा था। यह उसका वो मुख्य सेवक था, जिस पर इब्राहीम ने सारे कामों की ज़िम्मेदारी डाल दी थी।
इब्राहीम ने उससे कहा, "'अपने हाथ मेरी जांघों के नीचे रखो। अब मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे एक वचन दो। धरती और आकाश के परमेश्वर यहोवा के सामने तुम वचन दो कि तुम कनान की किसी लड़की से मेरे पुत्र का विवाह नहीं होने दोगे। हम लोग उनके बीच रहते हैं, किन्तु एक कनानी लड़की से उसे विवाह न करने दो। तुम मेरे देश और मेरे अपने लोगों में लौटकर जाओ। वहाँ मेरे पुत्र इसहाक के लिए एक दुल्हन खोजो। तब उसे यहाँ उसके पास लाओ।”
(उत्पत्ति 24: -2 सी -4).
इब्राहीम सेवक को शपथ दिला रहा था। इस शपथ की गंभीरता यह थी की इब्राहीम अपने ही शरीर पर हाथ रख कर उसके सेवक से वादा करा रहा था। यह शपथ बाध्यकारी थी। यह एक बड़ी ज़िम्मेदारी थी। यदि उसका सेवक इसे नहीं निभाता है, तो यह ना केवल इब्राहिम, जो एक महान राजकुमार है, उसके विरुद्ध एक उल्लंघन है। यह परमेश्वर के विरुद्ध एक उल्लंघन था!
इब्राहीम कनानी लोगों के रिवाज़ और जीवन शैली को जानता था। कनान की स्त्रियां निष्ठाहीन उपासना और ऐसे जीवन चर्या को घर में लाएंगी जिससे मुसीबत और संघर्ष होगा। एक कनानी से विवाह करने का मतलब है की इब्राहीम और इसहाक को उन लोगों के साथ निष्ठां दिखानी होगी जो मूर्तिपूजक और भ्रष्ट लोग हैं। उनकी दुष्टता हठीलेपन की थी। यह उस स्त्री के साथ नहीं जा सकता था क्यूंकि उसने उसके बेटे से शादी कर ली थी। इब्राहीम ऐसी स्त्री चाहता था जो उसके और सारा कि तरह एक ही जाती के थे, और जिसके विश्वास और धारणाओं से इसाक को सम्मान और शांति मिल सके।
आपको याद हो किकी इब्राहिम का एक भाई था जिसका नाम नाहोर था। उसने इब्राहिम के दूसरे भाई की बेटी मिल्का से विवाह किया था। उन दिनों में, ससुराल में जो भी विधवा हो जाती थी उससे शादी करना आम बात थी। यह परिवार के लिए सुरक्षा थी। इन वर्षों में, मिल्का सात लड़कों को जन्म दे चुकी थी, और वे लड़के बड़े हो चुके थे और स्वयं के बच्चे भी हो गए थे। शायद नाहोर के पोते में से इसहाक के लिए एक पत्नी मिल सकती थी।
इब्राहीम और उसका महान आदिवासी कबीला उनसे बहुत दूर जा चुके थे जिन्हें वह पीछे छोड़ आये थे। उसके सेवक को वहाँ तक पहुँचने के लिए ऊंट पर लंबे दिनों कि यात्रा करनी होगी। उसे इब्राहीम के धन को प्रदर्शित करने के लिए और लड़की के परिवार को खुश करने के लिए बहुत दहेज़ लाना होगा। लेकिन वह इसहाक को नहीं लाएगा। परिवार वालों को तय करना होगा कि उन्हें अपनी बेटी इसहाक से बिना मिले देनी होगी। लड़की को अपने पति से मिले बगैर अपने परिवार को पीछे छोड़ना होगा। इब्राहीम के मुख्य सेवक को चिंता थी कि एक बार इसहाक को पत्नी मिल जाती है, वह उसके साथ नहीं आएगी। उसने पुछा,“यह हो सकता है कि वह दुल्हन मेरे साथ इस देश में लौटना न चाहे। तब, क्या मैं तुम्हारे पुत्र को तुम्हारी जन्मभूमि को ले जाऊँ?”
इब्राहीम ने उससे कहा, “नहीं, तुम हमारे पुत्र को उस देश में न ले जाओ। यहोवा, स्वर्ग का परमेश्वर मुझे मेरी जन्मभूमि से यहाँ लाया। वह देश मेरे पिता और मेरे परिवार का घर था। किन्तु यहोवा ने यह वचन दिया कि वह नया प्रदेश मेरे परिवार वालों का होगा। यहोवा अपना एक दूत तुम्हारे सामने भेजे जिससे तुम मेरे पुत्र के लिए दुल्हन चुन सको। किन्तु यदि लड़की तुम्हारे साथ आना मना करे तो तुम अपने वचन से छुटकारा पा जाओगे। किन्तु तुम मेरे पुत्र को उस देश में वापस मत ले जाना।”
उत्पत्ति 24: 6-8
यह देखना दिलचस्प है कि किस प्रकार इब्राहीम ने अपने जीवन को परमेश्वर के वादों के अनुसार परिभाषित किया था। परमेश्वर के प्रति उसकी आज्ञाकारिता और प्रतिक्रिया के द्वारा वह अपने जीवन में होने वाली घटनाओँ को समझ पा रहा था। परमेश्वर ने उसे उसके पिता कि भूमि से बाहर निकालकर उस वादे के देश में ले आया था।
इब्राहीम को विश्वास था कि परमेश्वर ने इसहाक के लिए एक पत्नी तय कि है। इब्राहिम के सेवक ने अपने हाथ को इब्राहिम की जांघ पर रखा और उसे वापस लाने का वादा किया। वह नहीं चाहता था की इसहाक अकेले जाये। इब्राहीम ने बहुत पहले उस भूमि को छोड़ दिया था। ऐसा नहीं हो सकता है कि परमेश्वर का परिवार वापस लौटे।
उस सेवक ने इब्राहीम की जांघ पर एक शपथ कि कसम खाई थी और अपने काम के लिए निकल गया।इब्राहीम के अन्य सेवक भी उसके साथ गए। वह इसहाक कि दुल्हन और उसके परिवार के लिए बहुत सारा सोना और चांदी लेकर गया। वह उसके साथ इब्राहीम के दस ऊंटों को भी ले गया। ऊंट बहुत मेहेंगे होते थे और वे महान धन की निशानी थे। यदि एक परिवार अपनी बेटी को इस दास को देते हैं, तो वे जानना चाहेंगे की यदि वे उसे एक समृद्धि के जीवन के लिए भेज रहे हैं। एक जंगल से इतने कीमती ख़ज़ाने लेकर जाना खतरनाक था, लेकिन अब्राहम का मानना था कि परमेश्वर का दूत उन लोगों के साथ था।
इब्राहीम के मुख्य सेवक ने कई दिनों तक मीलों दूर कूच किया। वह उन सभी जगाहों से गुज़रा जिन्हें इब्राहीम और सारा पीछे छोड़ दिए थे। शाम को वह उस नगर के कुएँ पर पहुँचा जहां नाहोर के बेटे रहते थे। सेवक ने वहीं ऊँटों को घुटनों के बल बिठाया। जब सूरज ढलने लगा और शाम को ठंडा हो गया, तब स्त्रियां कुएँ पर पानी के घड़े ले कर आयीं। वे धोने के लिए और उनके परिवारों के लिए भोजन पकाने के लिए पानी को भर रहीं थी। जब प्रत्येक अपनी बारी का इंतज़ार कर रहीं थीं, वे एक दूसरे से दिन भर किचर्चाएं कर रहीं थीं।
उस सेवक के लिए शहर की महिलाओं को देखने के लिए बिल्कुल सही समय था। लेकिन वे बहुत सारी थीं! इब्राहीम के सेवक ने मदद के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। वह जानता था कि यह कार्य परमेश्वर की योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और वह उसकी अवश्य अगुवाई करेगा ;
"'हे यहोवा, तू मेरे स्वामी इब्राहीम का परमेश्वर है। आज तू उसके पुत्र के लिए मुझे एक दुल्हन प्राप्त करा। कृप्या मेरे स्वामी इब्राहीम पर यह दया कर। मैं यहाँ इस जल के कुएँ के पास खड़ा हूँ और पानी भरने के लिए नगर से लड़कियाँ आ रहीं हैं। मैं एक विशेष चिन्ह की प्रतीक्षा कर रहा हूँ जिससे मैं जान सकूँ कि इसहाक के लिए कौन सी लड़की ठीक है। यह विशेष चिन्ह है: मैं लड़की से कहूँगा ‘कृपा कर आप घड़े को नीचे रखें जिससे मैं पानी पी सकूँ।’ मैं तब समझूँगा कि यह ठीक लड़की है जब वह कहेगी, ‘पीओ, और मैं तुम्हारे ऊँटों के लिए भी पानी दूँगी।’ यदि ऐसा होगा तो तू प्रमाणित कर देगा कि इसहाक के लिए यह लड़की ठीक है। मैं समझूँगा कि तूने मेरे स्वामी पर कृपा की है।'"
उस सेवक ने परमेश्वर को एक रास्ता बताया जिससे वह जान सके किपरमेश्वर ने इसहाक के लिए कौन सी लड़की चुनी है। अब, यह शहर के एक सदस्य के लिए सामान्य बात थी की वह एक अजनबी को कुएँ से पानी पिलाये। लेकिन ऊंटों के लिए पानी देना बहुत अलग कहानी थी। खासकर उन ऊंटों के लिए जो एक लंबी यात्रा कर के आये हों। एक ऊंट एक समय में पच्चीस गैलन तक पानी पी सकता है।उस समय के सबसे बड़े मिट्टी के बर्तन में तीन गैलन पानी आ सकता था। एक लड़की को प्रत्येक ऊंट के लिए आठ बार उसे भारी मिट्टी के घड़े को भरना होगा। वहां दस ऊंट थे! इसका मतलब पानी के तीन गैलन उठा कर जानवरों को पिलाने का काम वो सही स्त्री ही करेगी!
इब्राहीम के सेवक के लिए यह एक बहुत उदार कि बात थी! लेकिन सेवक इस बात से निश्चित होना चाहता था की जो लड़की वह इसहाक के लिए चुन रहा है वह सच में परमेश्वर की मर्ज़ी है या नहीं। कोई भी स्त्री जो इस तरह की मदद करती है, वह ना केवल दयालु और उदारचरित होती है, लेकिन मेहनती भी होती है। एक सही लड़की के चरित्र के माध्यम से परमेश्वर कार्य कर सकते हैं ताकि वह ऐसा उदार का काम एक अजनबी के लिए कर सके।
और वास्तव में, इससे पहले की वो सेवक अपनी प्रार्थना समाप्त करता, कुएँ पर एक युवा स्त्री अपने कंधे पर एक घड़ा लेकर पहुंची। उसका नाम रिबका था, और वह नाहोर, इब्राहीम के भाई की बेटी थी। लेकिन सेवक इसे किसी रीति से नहीं जान सका। वह बहुत खूबसूरत थी, और शादी के लिए वह सही उम्र कि एक कुंवारी स्त्री थी। उसने घड़े को नीचे पानी में उतारा और फिर से ऊपर वापस लायी।
तब नौकर उसके पास तक दौड़ कर गया और उससे पानी माँगा। उसने उसके ऊँटों को देखा और बोली, “मैं आपके ऊँटों को भी पानी दे सकती हूँ।” फिर इस सुंदर स्त्री ने ऊंटों के लिए कुएं में से पानी भर के उनके बरतनों को भर दिया। इब्राहिम का सेवक इस स्त्री को खड़ा देखता रहा यह देखने को किवास्तव में उसके बोलने के अनुसार वह करती है या नहीं। अगर वह करती है तो, उसकी यात्रा बहुतायत से सफल रहेगी। परमेश्वर ने इसहाक के लिए उसे ही तैयार किया था!
रिबका नाँद में पानी तब तक भरती रही जब तक सभी दस ऊँटों ने पानी नहीं पी लिया। सब काम समाप्त करने के पश्चात वह थक गयी होगी! लेकिन आगंतुकों की विनम्र सेवा के लिए उसे पुरस्कृत किया गया। इब्राहीम के सेवक ने उसे जाकर एक स्वर्ण नाक अंगूठी दी। उसने दो स्वर्ण कंगन लिए और उसके हाथ में पहना दिए। प्रत्येक कंगन दस शेकेल तोले का था। उनकी कीमत कई खेत मजदूरों के साल भर की कमाई के तुल्य सोने का कहीं अधिक मूल्य था। वे वास्तव में बहुमूल्य खजाने थे। इस सेवक कि ओर से महान विश्वास का एक कार्य था। वह नहीं जानता था वह कौन है। वह सिर्फ इतना जानता था की परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना का जवाब दिया है।
सेवक ने उससे पूछा, “तुम्हारा पिता कौन है? क्या तुम्हारे पिता के घर में इतनी जगह है कि हम सब के रहने तथा सोने का प्रबन्ध हो सके?”
रिबका ने उत्तर दिया, “मेरे पिता बतूएल हैं जो मिल्का और नाहोर के पुत्र हैं।” तब उसने कहा, “और हाँ हम लोगों के पास तुम्हारे ऊँटों के लिए चारा है और तुम्हारे लिए सोने की जगह है।”
वाह! परमेश्वर इब्राहिम के सेवक को सीधे नहोर के घर लेकर गया।
परमेश्वर के इस तरह प्रार्थना का जवाब देने पर सेवक पूरी तरह से अभिभूत हो गया। उस ने सिर झुकाया और यहोवा की उपासना की। उसने कहा, “मेरे मालिक इब्राहीम के परमेश्वर यहोवा कि कृपा है। यहोवा हमारे मालिक पर दयालु है। यहोवा ने मुझे अपने मालिक के पुत्र के लिए सही दुल्हन दी है।”
परमेश्वर के इस तरह प्रार्थना का जवाब देने पर सेवक पूरी तरह से अभिभूत हो गया। उसने परमेश्वर की स्तुति करते हुए नीचे झुकते हुए कहा, "'मेरे मालिक इब्राहीम के परमेश्वर यहोवा की कृपा है। यहोवा हमारे मालिक पर दयालु है। यहोवा ने मुझे अपने मालिक के पुत्र के लिए सही दुल्हन दी है।”
परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।
आपको इस कहानी के बारे में क्या पसंद आया? आपको क्या पसंद नहीं आया? परमेश्वर ने इब्राहीम के सेवक का जिस प्रकार नेतृत्व किया उसके बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या आपने कभी इतनी दृढ़ता से परमेश्वर कि अग्रणी को महसूस किया है?
मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।
इसहाक के लिए परमेश्वर ने सही स्त्री चुनी थी। वह परमेश्वर की उस विशेष वाचा का हिस्सा होगी जो उसने चुने हुए परिवार के लिए था। वह उस पवित्र राष्ट्र की माँ होगी! यदि आप भी मसीह में विश्वास करते हैं तो इसका मतलब आप परमेश्वर के द्वारा चुने गए हैं। उसके पास आप के लिए एक योजना और उद्देश्य है!
इब्राहीम के सेवक की तरह, आपके आसपास के लोग आपको उसकी योजना को समझने में मदद कर सकते हैं! क्या आप परमेश्वर की अग्रणी को अपने जीवन में महसूस कर सकते है? क्या आपके माता पिता या रिश्तेदारों या दोस्तों को आपके भीतर कुछ दिखता है जिससे आपको परमेश्वर का उद्देश्य और बुलाहट दिख सके? क्या कोई ऐसी बात जिससे आपको परमेश्वर का मार्गदर्शन दिखाई दिया हो?
जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।
परमेश्वर हमें देख रहा है और हमारे जीवन के हर हिस्से के लिए प्रवृत्त करता है। भजन संहिता 139 पढ़ें और देखें की परमेश्वर किस तरह आपकी रक्षा करता है।
"हे यहोवा, तूने मुझे परखा है। मेरे बारे में तू सब कुछ जानता है।
तू जानता है कि मैं कब बैठता और कब खड़ा होता हूँ।
तू दूर रहते हुए भी मेरी मन की बात जानता है।
हे यहोवा, तुझको ज्ञान है कि मैं कहाँ जाता और कब लेटता हूँ।
मैं जो कुछ करता हूँ सब को तू जानता है।
हे यहोवा, इससे पहले की शब्द मेरे मुख से निकले तुझको पता होता है
कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।
हे यहोवा, तू मेरे चारों ओर छाया है।
मेरे आगे और पीछे भी तू अपना निज हाथ मेरे ऊपर हौले से रखता है।
मुझे अचरज है उन बातों पर जिनको तू जानता है।
जिनका मेरे लिये समझना बहुत कठिन है।
हर जगह जहाँ भी मैं जाता हूँ, वहाँ तेरी आत्मा रची है।
हे यहोवा, मैं तुझसे बचकर नहीं जा सकता।
हे यहोवा, यदि मैं आकाश पर जाऊँ वहाँ पर तू ही है।
यदि मैं मृत्यु के देश पाताल में जाऊँ वहाँ पर भी तू है।
हे यहोवा, यदि मैं पूर्व में जहाँ सूर्य निकलता है जाऊँ
वहाँ पर भी तू है।
वहाँ तक भी तेरा दायाँ हाथ पहुँचाता है।
और हाथ पकड़ कर मुझको ले चलता है।
हे यहोवा, सम्भव है, मैं तुझसे छिपने का जतन करुँ और कहने लगूँ
“दिन रात में बदल गया है तो निश्चय ही अंधकार मुझको ढक लेगा।”
किन्तु यहोवा अन्धेरा भी तेरे लिये अंधकार नहीं है।
तेरे लिये रात भी दिन जैसी उजली है। हे यहोवा, तूने मेरी समूची देह को बनाया। तू मेरे विषय में सबकुछ जानता था जब मैं अभी माता की कोख ही में था।
हे यहोवा, तुझको उन सभी अचरज भरे कामों के लिये मेरा धन्यवाद,
और मैं सचमुच जानता हूँ कि तू जो कुछ करता है वह आश्चर्यपूर्ण है।
मेरे विषय में तू सब कुछ जानता है।
जब मैं अपनी माता की कोख में छिपा था,
जब मेरी देह रूप ले रही थी तभी तूने मेरी हड्डियों को देखा।
हे यहोवा, तूने मेरी देह को मेरी माता के गर्भ में विकसते देखा।
ये सभी बातें तेरी पुस्तक में लिखीं हैं।
हर दिन तूने मुझ पर दृष्टी की। एक दिन भी तुझसे नहीं छूटा।
हे परमेश्वर, तेरे विचार मेरे लिये कितने महत्वपूर्ण हैं।
तेरा ज्ञान अपरंपार है।
तू जो कुछ जानता है, उन सब को यदि मैं गिन सकूँ
तो वे सभी धरती के रेत के कणों से अधिक होंगे।
किन्तु यदि मैं उनको गिन पाऊँ तो भी मैं तेरे साथ में रहूँगा।
हे यहोवा, मुझ पर दृष्टि कर और मेरा मन जान ले।
मुझ को परख ले और मेरा इरादा जान ले.……
मुझ पर दृष्टि कर और देख कि मेरे विचार बुरे नहीं है।
तू मुझको उस पथ पर ले चल जो सदा बना रहता है।