पाठ 27 : प्रभु में अब्राम की विजय

रात के अँधेरे में, इब्राहीम और उसके साथी चार राजाओं के पीछे चले गए। अंधेरे की आड़ में उसने दो समूहों में अपने सैनिकों को विभाजित किया और दो दिशाओं में अपने दुश्मनों पर हमला किया। कल्पना कीजिये कि किस प्रकार अब्राम और उसके साथी रात के अँधेरे में छुपते छुपाते उन सिपाहियों पर हमला करने के लिए जा रहे हैं। कल्पना कीजिये कैसे चिल्लाते हुए अब्राम के साथियों ने उन चार राजाओं पर हमला किया होगा। उनके रोष कैसे भयानक होंगे! अब्राम के सिपाहियों ने उस रात कदोर्लाओमेर और उसके सहयोगी दलों को हराया। उन्होंने लूत की स्वतंत्रता के साथ साथ उसकी संपत्ति भी हासिल कर ली। उन लूटे हुए पांच राज्यों के साथ साथ उनके पुरुष, महिलाएं और बच्चों को भी ले आये। वे घोर गरीबी और दासता से उन सब कि बचा लाये। 

 

अब्राम और उसके साथी पूरे क्षेत्र के महान नायक थे! उन्होंने दिन बचा लिया था! और क्यूंकि उन्होंने लड़ाई पर विजय पाई, अब सारा लूटा हुआ सामान अब्राम का था। उन दिनों के नियमों के अनुसार, सभी जानवर और सोने और चांदी और यहां तक ​​कि जिन लोगों को उन चार राजाओं ने अपने कब्ज़े में ले लिया था, सब अब अब्राम के थे। वह इस भव्य नए धन के साथ क्या करेगा? क्या वह इस क्षेत्र पर शासन करने के लिए इन घटनाओं का प्रयोग करेगा? क्या वह सत्ता को हड़पने की कोशिश करेगा या फिर परमेश्वर पर विश्वास करेगा? 

 

सदोम का राजा मलिकिसिदक नाम के एक आदमी के साथ अब्राम से मिलने आया। मलिकिसिदक के नाम का अर्थ है "मेरा राजा धर्मी है।" वह सलेम का राजा था, एक ऐसा क्षेत्र जो एक दिन एक महान शहर बन जाएगा: जेरूसलम। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर का याजक था। जिस समय बाइबिल इस रहस्यमय और धर्मी व्यक्ति के विषय में बताती है, यह पहली बार है की एक सेवक का बाइबिल में उल्लेख आया है। वह अब्राम को उस जीत के लिए आशिषि देने के लिए आया जो वे अपने देश के लोगों के लिए जीत कर लाया था। वह उस योद्धा कि ख़ुशी मनाने के लिए आया था जो विश्वास के साथ चला। 

उन्होंने कहा; 

                 

"'अब्राम, सबसे महान परमेश्वर तुम्हें आशीष दे।

परमेश्वर ने पृथ्वी और आकाश बनाया।
और हम सबसे महान परमेश्वर की स्तुति करते हैं।

परमेश्वर ने शत्रुओं को हराने में तुम्हारी मदद की।”

उत्पत्ति 14: 19-20 

 

यहां रुक कर इस उच्च और पवित्र क्षण पर सोचते हैं। यहाँ एक व्यक्ति था जिसका परमेश्वर के आगे एक बहुत बड़ा पद था, और वह परमेश्वर के चुने हुए दास को आशीर्वाद दे सकता था। यह परमेश्वर का दास अब्राम के ऊपर परमेश्वर के नाम को दे रहा था। वे उससे भी बढ़कर थे। ये आशीषें अब्राम के जीवन में शक्तिशाली और सामर्थी रूप से काम करेंगी और उसके भविष्य के लिए अच्छा कारण बनेंगी। परमेश्वर की आशीषें इतिहास में कार्य करती हैं और उनके द्वारा बहुत कुछ होता है। जो आशीषें नूह ने अपने वंश को दीं थीं, परमेश्वर अपने शक्तिशाली रूप से उन आशीषों को अब्राम और उसके वंश पर उँड़ेलेगा। येपेत का वंश अब्राम के वंशजों के द्वारा उद्धार पाएगा। कनानियों के माध्यम से हाम का वंश एक दिन अब्राम के गुलाम बन जाएंगे। 

 ये आशीषें उस परमेश्वर द्वारा आईं थीं जिसने एक ही शब्द से पूरी सृष्टि को रचा था। वही है जो निरंतर अपने शब्द के द्वारा प्रत्येक दिन के समय में नयापन लाता है। परमेश्वर के शब्द एक शानदार, प्रभावी ताकत हैं, और अब मलिकिसिदक के माध्यम से वे शब्द कहे जाते हैं। उसने घोषित किया की अब्राम के पास परमेश्वर की आशीषें थीं। जिस परमेश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी को रचा उसने यह वादा किया की उसकी सृष्टि कि सामर्थ अब्राम की ओर से चलेंगी। 

 

मलिकिसिदक के शानदार आशीर्वाद के बाद, अब्राम ने लड़ाई में मिली हर एक चीज़ का दसवाँ हिस्सा मल्कीसेदेक को दिया। यह परमेश्वर का दास था और वह अपना सब कुछ उसे देगा। यह इन दोनों की महानता का कितना बड़ा मिलन था। ये अतुलनीय सम्मान और बड़प्पन के दो व्यक्ति थे, जिन पर इस शापित और अस्तव्यस्त बातों के बीच परमेश्वर का पवित्र हाथ था। 

 

लेकिन सदोम के राजा कि कहानी पूरी तरह अलग थी। वह एक दुष्टता और भीषण पाप के देश पर शासन कर रहा था, और अब्राम को उसके साथ कोई वास्ता नहीं था। यह घृणित राजा अब्राम के पास एक आज्ञा ले कर पहुंचा। उसका पूरा शहर युद्ध में लुट गया था। उसके कायर सिपाही युद्ध के मैदान को छोड़ कर भाग गए और अपने शहर पर आक्रमण करने के लिए सेना को घुसने कि अनुमति दे दी। 

 

उसके आदमियों के साहस और अपने परमेश्वर के कामों द्वारा, अब्राम सदोम के पुरुषों को, महिलाओं और बच्चों को अपने साथ वापस ले आया। उसने उन सब को बचा लिया। वह उनका असली हीरो था।लेकिन सदोम का राजा एक आभारी रवैया या एक विनम्र भावना के साथ नहीं आया था। वह अभिमानी मांग के साथ आया था। उसके लिए यह सही होता यदि उसने अब्राम कि सुनी होती, जिसके प्रति वह कर्ज़दार था। इसके बजाय, वह बीच में कूद पड़ा और अब्राम से उसके लूट को रखने को कहा और उससे अपने देश वासियों को वापस माँगा। अब्राम को निर्देश देने का उसे कोई अधिकार नहीं था कि उसे क्या रखना चाहिए और क्या नहीं। उसने शासन का विशेषाधिकार खो दिया था। 

 

अब्राम ने उस नीच राजा को देखा और कहा, “मैंने सबसे महान परमेश्वर यहोवा जिसने पृथ्वी और आकाश को बनाया है। उसके सम्मुख यह शपथ ली है कि जो आपकी चीज़ है उसमें से कुछ भी न लूँगा। यहाँ तक कि एक धागा व जूते का तस्मा भी नहीं लूँगा। मैं यह नहीं चाहता कि आप कहें, ‘मैंने अब्राम को धनी बनाया।""(उत्पत्ति 14:22-23)

 

वाह! अब्राम जनता था कि सदोम का राजा सम्मान का व्यक्ति नहीं था। इस राजा के वादे कुछ मायने नहीं रखते थे, केवल एक मूर्ख ही उस पर विश्वास कर सकता था। वह एक ऐसा शासक था जो गंदगी और बदनामी के साथ अपने ही लोगों का नेतृत्व करता था। अब्राम यह सुनिश्चित करना चाहता था कि अपनी जीत की महिमा परमेश्वर को ही दे। इस दुष्ट व्यक्ति को श्रेय लेने का कोई भी अवसर नहीं मिलेगा। परमेश्वर के सम्मान और छवि की रक्षा करने के लिए अब्राम सारे धन दौलत को त्यागने को तैयार था। मलिकिसिदक कि आशीषें सदोम के सोने और चांदी की तुलना में कहीं अधिक मूल्यवान थीं!

 

अब्राम का सिद्ध जीवन परमेश्वर कि सामर्थ और उसके चरित्र को सभी देशों के लोगों के सामने प्रतिबिंबित करता रहेगा। अब तक हर शहर और राष्ट्र के लोगों ने परमेश्वर के सेवक कि सिद्धता के विषय में सुन लिया होगा। उनकी आँखें उसके जीवन को देख रही होंगी। वे उसके तरीकों को जान गए होंगे। परमेश्वर अब्राम की अच्छाइयों का उदहारण कनान के दुष्ट राष्ट्रों को दे रहे थे। क्या वे अपनी दुष्टता और पाप से बरी होंगे? क्या सदोम का राजा अपने शहर की हिंसा और विकृति के बारे में दो बार सोचेगा? क्या अब्राम कि फटकार उसे पश्चाताप और परिवर्तित करेगा? या विद्रोह जारी रहेगा? 

 

परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना। 

लूत ने अपने जीवन में जीत के लिए अपने स्वयं के ज्ञान पर निर्भर किया था। वह एक ऐसे स्थान में रहने चला गया जहां उसे अच्छे पानी कि आपूर्ति और एक शहर मिल सके और वह सुरक्षित महसूस कर सके। लेकिन वे मूर्खता और भयानक अनैतिकता के स्थान थे। परमेश्वर ने अब्राम को ऐसे स्थान में बुलाया जहां वह अपनी सुरक्षा और शांति के लिए परमेश्वर पर निर्भर कर सकता था।  

शहर में रहने कि इच्छा क्या गलत है? 

रेगिस्तान में जहां पानी की कमी हो क्या वहां रहना अकलमंदी है?

लूत कि समस्या और अब्राम की धार्मिकता किसी शहर या रेगिस्तान के बारे में नहीं थी। वो यह थी की क्या वे परमेश्वर पर आशा रखते थे या नहीं? लूत अपने विश्वास की कमी के कारण वहां रहा जहां वो रह रहा था। अब्राम वहां रहा जहां वह रहता था क्यूंकि वह परमेश्वर की अगुवाई पर भरोसा करता था और विश्वास करता था। 

 

मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।  

इस कहानी के द्वारा हम अब्राम के जीवन किलंबी कहानी को देख सकते हैं की वह निरंतर परमेश्वर पर भरोसा करता रहा। हम इस बात पर पूरा भरोसा कर सकते हैं कि इन कहानियों द्वारा जो हम सीख रहे हैं कि अब्राम ने परमेश्वर पर भरोसा कर के और उस पर निर्भर हो कर अपनी सेना का निर्माण किया और युद्ध की योजना बनायीं। उसकी सामर्थ और शक्ति स्वयं परमेश्वर कि ओर से आई। लूत और सदोम और अमोरा के लोगों किकमज़ोरी दर्द को स्पष्ट करती थी। उन्होंने अपना भरोसा गलत चीजों पर रखा था! 

 

परमेश्वर के प्रति अब्राम और लूत के हृदय के बीच के अंतर का वर्णन यशायाह कि पुस्तक में एक सुंदर छंद हैं: 

 

" इस्राएल का वह पवित्र, मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “यदि तुम मेरी ओर लौट आओ तो तुम बच जाओगे। यदि तुम मुझ पर भरोसा रखोगे तभी तुम्हें तुम्हारा बल प्राप्त होगा किन्तु तुम्हें शांत रहना होगा।”

किन्तु तुम तो वैसा करना ही नहीं चाहते!  तुम कहते हो, “नहीं, हमें घोड़ों की आवश्यकता है जिन पर चढ़ कर हम दूर भाग जायें!” यह सच है—तुम घोड़ों पर चढ़ कर दूर भाग जाओगे किन्तु शत्रु तुम्हारा पीछा करेगा और वह तुम्हारे घोड़ों से अधिक तेज़ होगा। एक शत्रु ललकारेगा और तुम्हारे हज़ारों लोग भाग खड़े होंगे। पाँच शत्रु ललकारेंगे और तुम्हारे सभी लोग उनके सामने से भाग जायेंगे। वहाँ तुम ऐसे ही अकेले बचे रह जाओगे, जैसे पहाड़ी पर लगा तुम्हारे झण्डे का डण्डा।

यहोवा तुम पर अपनी करुणा दर्शाना चाहता है। यहोवा बाट जोह रहा है। यहोवा तुम्हें सुख चैन देने के लिए तैयार खड़ा है। यहोवा खरा परमेश्वर है और हर वह व्यक्ति जो यहोवा की सहायता की प्रतीक्षा में है, धन्य (आनन्दित) होगा।        यशायाह 30: 15-18 

 

परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर। 

इस संसार कि बातों से और स्वयं की पापी इच्छाओं से मनुष्य इतना घिरा हुआ है कि उसके लिए परमेश्वर पर तकिया करना बहुत मुश्किल हो जाता है।  

 

आप यीशु को अपने आप को एक तरीके से दे सकते हैं और वो है समय निकाल कर उस पर भरोसा करना। ऐसा आप अपने आप या अपने परिवार के साथ कोशिश कर सकते हैं। शांत हो कर बैठिये। कुछ कहने की जरूरत नहीं है। अपने मन को शांत कीजिये। दिन कि चिंताओं को छोड़ दीजिये। यदि आप चाहें तो, आप यीशु को उन्हें दे सकते हैं। अपने परमेश्वर के आगे शांत रहें। यदि कोई पश्चाताप करने की बात है तो परमेश्वर के आगे शांत होकर कीजिये। शांति से उसकी मॉफी को ग्रहण कीजिये और फिर से शांत हो जाएं। यदि कोई बात दिमाग में आये तो शांति से उसके लिए प्रार्थना करें और अपने शांत स्थान में वापस आजायें। परमेश्वर के सिंघासन के आगे अपने आप को शांत कीजिये। आप एक सिद्ध अनुग्रह में हैं। यदि आपके हृदय में कोई स्तुति का गीत आता है तो उसे अपने मन में परमेश्वर कि महिमा के लिए गएं। पवित्र आत्मा से मांगिये कि वह आपको दर्शन दे। इसे पांच से पन्द्रह मिनट के लिए करें। आप शायद इसे एक प्रार्थना या गीत के साथ समाप्त करना चाहें। 

परमेश्वर के सिंघासन के आगे अपने आप को शांत कीजिये। आप एक सिद्ध अनुग्रह में हैं। यदि आपके हृदय में कोई स्तुति का गीत आता है तो उसे अपने मन में परमेश्वर की महिमा के लिए गएं। पवित्र आत्मा से मांगिये कि वह आपको दर्शन दे। इसे पांच से पन्द्रह मिनट के लिए करें। आप शायद इसे एक प्रार्थना या गीत के साथ समाप्त करना चाहें।